Biography of Vijay Shekhar Sharma founder of Paytm – पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा जीवनी

Biography of Vijay Shekhar Sharma founder of Paytm – पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा की जीवनी।

आपने मोबाइल वॉलेट कंपनी पेटीएम का नाम तो सुना होगा, पेटीएम भारत में मोबाइल वॉलेट कंपनियों में अग्रणी कंपनी है, इसके संस्थापक विजय शेखर शर्मा है। मनुष्य अपने जीवन में कई बार मिलने वाली असफलताओं से घबरा जाता है और उस कारण और भविष्य में मिलने वाली सफलताओं की संभावनाओं को खो देता है, फिर किस्मत और समय को दोष देता है। लेकिन मैंने आप कोई भी मुकाम हासिल कर सकते हैं, जो आपको आपकी किस्मत कभी नहीं दे पाता। ऐसे ही संघर्ष और सफलता की पहचान बन गई है Paytm के संस्थापक विजय शंकर शर्मा , तो चलिए जानते हैं उनके संघर्ष और उनके जीवन के बारे में:-

Biography of Vijay Shankar Sharma in Hindi – विजय शंकर शर्मा की जीवनी हिंदी में

विजय शंकर शर्मा शर्मा को ज्यादातर लोग Paytm के संस्थापक के रूप में जानते हैं, इनका जन्म 8 जुलाई 1973 को भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के जिला अलीगढ़ गांव विजयगढ़ में हुआ था, इनकी पत्नी का नाम मृदुला शर्मा है।

विजय शेखर शर्मा एक बोर्डिंग पास परिवार से आते हैं, इनके पिता एक बेहद ईमानदार और स्कूली शिक्षक है और माता एक साधारण ग्रहणी है। इनके पिताजी ट्यूशन पढ़ाने को भी अनैतिक मानते थे।भले ही विजय का अमीर घरों के बच्चों की तरह पालन पोषण ना हुआ हो पर निश्चित ही माता पिता के संस्कार उन्हें विरासत में मिले थे।

विजय की प्रारंभिक शिक्षा विजयगढ़ के एक साधन से हिंदी मीडियम स्कूल में हुई। मुझे हमेशा अपनी क्लास में फर्स्ट आते थे।वह पढ़ने में काफी मेधावी थे और अपनी इसी कौशल के दम पर उन्होंने बारहवीं कक्षा महज 14 वर्ष की आयु में उत्तीणरृ की थी। आगे की पढ़ाई के लिए विजय शंकर शर्मा ने Delhi College of engineering मैं एडमिशन लिया। मेधावी छात्र होने के कारण एडमिशन तो मिल गया लेकिन उनका दिल्ली में या सफर आसान नहीं था। हिंदी माध्यम से पढ़ाई करने के कारण उनकी अंग्रेजी बहुत कमजोर थी और इस वजह से उन्हें अपनी इंजीनियरिंग के दौरान काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। स्कूल में हमेशा टॉप रहने वाले विजय अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई में paper मैं काफी मुश्किलों से पास हो पा रहे थे, और यह सब इंग्लिश को न जानने के कारण हो रहा था।

इस दौरान विजय शंकर शर्मा को काफी हताश और निराश का सामना करना पड़ रहा था इस चलते वह कई बार अपनी क्लासेस बंद भी कर देते थे। उन्होंने कई बार अपने मन में यह विचार भी लाए क्यों ना इंजीनियरिंग छोड़ कर के घर वापस चला जाए। लेकिन विजय की किस्मत में कुछ और ही लिखा था वे टिके रहे उन्होंने मन बना लिया की पहले वह अंग्रेजी को काबू में करेंगे, उसके बाद अपनी इंजीनियरिंग मैं लगेंगे।

अंग्रेजी सीखने के लिए उन्होंने काफी कोशिश करना शुरू कर दिया, इसके लिए वे दिन रात मेहनत करते,अंग्रेजी सीखने के लिए उन्होंने एक नया तरीका भी खोज निकाला। वह बाजार जाकर कुछ पुरानी न्यूज़पेपर, magazines इत्यादि चीजें उठा लाए।एक ही किताब की हिंदी और इंग्लिश दोनों किताबें खरीद लाते थे और एक साथ दोनों को पढ़ते थे।

अगर इंसान में कुछ सीखने की लगन है तो वह कुछ भी कर सकता है और विजय शंकर शर्मा के पास इच्छाशक्ति कूट-कूट कर भरी थी। जिसके दम पर वह कुछ भी करने से पीछे नहीं हटे।अपनी कड़ी मेहनत और इच्छाशक्ति से उन्होंने जल्दी इंग्लिश सीख ली।

यह बात उन दिनों की है जब विजय शंकर engineering classes नहीं कर रहे थे, इस दौरान उनके पास काफी ज्यादा समय था। इस समय में विजय Yahoo के संस्थापक सबीर भाटिया सर बहुत प्रेरित हुए और वह भी उनकी तरह इंटरनेट की खेत में कुछ बड़ा करना चाहते थे और क्योंकि Yahoo, Stanford College campus मैं बनी थी, इसलिए वह भी वहां जाकर पढ़ाई करना चाहते थे।

लेकिन उनकी वित्तीय स्थिति और कमजोर अंग्रेजी होने की वजह से उन्हें वहां एडमिशन नहीं मिल सका पर उन्होंने इसके लिए एक तरीका निकाला और उन्होंने Stanford University के ही कुछ geniuses को फॉलो करते हुए खुद से कोडिंग सीखने लगे।

उन्होंने वही किया था, उन्होंने फिर धीरे-धीरे किताबों से पढ़कर की कोडिंग सीखी और जल्द ही खुद का एक content management system तैयार कर लिया, जिसे आगे चलकर हिंदुस्तान के बड़े बड़े अखबार, न्यूज़ मैगजीन आदि प्रयोग में लाने लगे।

कुछ समय बाद विजय शंकर शर्मा ने अपने कॉलेज के कुछ दोस्तों के साथ मिलकर के XS नाम की कंपनी भी शुरू की थी।उनका यह बिजनेस आइडिया बहुत सारे लोगों को पसंद आया फिर साल 1999 में उन्होंने XS , COMPANY को अमेरिका की lotus interworks, company को $500000 रुपए में बेच दिया।

इसने कुछ आर्थिक सहायता तो जरूर मिली थी, पर विजय शेखर शर्मा को दूसरों की नौकरी करना पसंद नहीं आया और उन्होंने जल्दी वहां से नौकरी छोड़ दी। लेकिन बिजनेस का स्वाद चख चुके विजय से कर भला कहा खाली बैठ सकते थे। इसलिए तुरंत उन्होंने नए बिजनेस आइडिया खोजना शुरू कर दिया और इसके बाद उन्होंने One97 कंपनी की स्थापना की।

साल 2001 में One 97, नाम की कंपनी की स्थापना की,इस कंपनी में विजय शंकर शर्मा ने अपनी सारी जमा पूंजी लगा डाली थी, लेकिन डॉट कॉम बस्ट के कारण शुरुआत में या कंपनी नहीं चली। उन्हें इससे बहुत बड़ा घाटा हुआ। कोई भी घाटा इंसान की आर्थिक स्थिति तोड़ देता है।वीडियो शंकर शर्मा के साथ भी ऐसा ही हुआ उन्हें आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

उनके इस कठिन समय में उन्होंने के दोस्त partners जो कि उनके साथ One97 के पार्टनर थे उनका साथ छोड़ कर चले गए और अभी जो नई दिल्ली में कश्मीरी गेट के पास ही सस्ते से हॉस्टल में रहने लगे।एक वक्त ऐसा भी आया जब पैसे बचाने के लिए यह पैदल यह अपने मंजिल का सफर तय किया करते थे तो कभी-कभी केवल दो कप चाय पीकर के पूरा दिन गुजारते थे।

विजय शंकर शर्मा की सफलता की सीढ़ी

One 97 , कंपनी के घाटे में जाने के बाद, विजय शंकर शर्मा की दिक्कतें काफी बढ़ गई थी, ऐसे में उन्हें एक सस्ते से होटल में रहना पड़ रहा था। यहां तक कि कई बार उन्हें पैसे बचाने के लिए अपने सफर की ओर पैदल ही निकलना पड़ता था। ऐसे में उन्होंने अपने आप को प्रोत्साहित करने के लिए कई किताबें भी पढ़े थे।उन्हें हरिवंश राय बच्चन की एक कविता काफी प्रोत्साहित करती थी। हरिवंश राय बच्चन की यह कविता आपको भी पढ़नी चाहिए, यह आपको अपने अंदर एक नया जोश और नई शक्ति देता है।

हरिवंश राय बच्चन की कविता, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती,

नन्ही सी चींटी जब दाना लेकर चलती है

चढ़ती दीवार पर, सौ बार फिसलती है,

मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,

चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना ना अखरता है,

आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,

मेहनत करने वालों की हार नहीं होती,

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती,

डुबकिया सिंधु में गोताखोर लगाता है,

जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है,

मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,

बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में,

मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती,

…………………..

यह कुछ लाइनें है, हरिवंश राय बच्चन की कविताओं की, इन्हीं को चंद पंक्तियों ने विजय शंकर शर्मा के अंदर सफलता की आग को जलाए रखा। विजय शेखर शर्मा की कोशिशें भी रंग लाने लगी और GSM, CDMA, mobile operator’s की सेवाएं देने वाली उनकी कंपनी धीरे-धीरे तरक्की की पटरी पर लौटने लगी और उन्हें फिर से मुनाफा होने लगा।

Paytm (payment through mobile) foundation- विजय शेखर शर्मा द्वारा पेटीएम की स्थापना

विजय शेखर शर्मा समय किताब से पकड़ने में माहिर खिलाड़ी बन गए थे,उस समय बाजार में स्मार्टफोन बहुत तेजी से पॉपुलर हो रहे थे और यही से उनके दिमाग में cashless transaction का आइडिया आया था। उन्होंने One97 के बोर्ड के सामने Paytm payment ecosystem, शुरू करने का प्रपोजल रखा।चौकिया एक कदम नया मार्केट था और कंपनी धीरे-धीरे अपने जुड़े जमा रही थी इसलिए कोई भी इस समय में यह रिस्क उठाने को तैयार नहीं हुआ।

ऐसे में विजय शेखर शर्मा चाहते थे तो अपने इस आइडिया को लेकर के अलग से एक कंपनी शुरू कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। विजय शेखर का कहना था कि, “कोई भी इंटरप्रेटर होता तो वह अपनी इक्विटी बेचकर के खुद की एक नई कंपनी शुरू कर सकता था, लेकिन मेरी इच्छा हमेशा से 100 साल पुरानी कंपनी बनाने की रही थी, मेरा मानना है कि man and boys इसलिए अलग अलग है क्योंकि boys एक झटके में कंपनी बेच देते देते हैं, और वही man कंपनी चलाते हैं और विरासत का निर्माण करते हैं।

इसी बात पर विजय शेखर डटे रहे और उन्होंने अपनी पर्सनल इक्विटी का 1% करीब 2 मिलियन डॉलर अपने नए आइडिया में लगा कर के 2001 में paytm.com की स्थापना की, शुरुआत में पेटीएम कंपनी डीटीएच रिचार्ज और प्रीपेड मोबाइल रिचार्ज के रूप में अपनी सेवाएं दे रही थी।फिर इन्होंने धीरे-धीरे अपनी सेवाओं को बढ़ाना शुरू कर दिया और फिर पहले बिजली बिल, गैस का बिल, और अन्य बिल, पेटीएम के माध्यम से भुगतान होने लगे, फिर धीरे-धीरे Paytm, ने दूसरे E-Commerce company, की तर्ज पर समान बेचना शुरू कर दिया।

जब भारत में नोटबंदी आया तो, Paytm के लिए मानो लॉटरी का काम कर दिया और देखते ही देखते आज के समय में Paytm करोड़ों लोगों की जरूरत बन गई। इस समय में paytm.com भारत के सभी राज्यों में प्रीपेड मोबाइल रिचार्ज, मोबाइल डाटा रिचार्ज, पोस्टपेड मोबाइल रिचार्ज, बिल पेमेंट, ऑनलाइन ट्रांजैक्शन, आदि सेवाएं प्रदान कर रही थी, आज के दिन में Paytm, भारत की प्रमुख online payment site है और इसका कुल कारोबार 15000 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है।

हाल ही में इकोनॉमिक्स टाइम्स ने विजय शेखर शर्मा को ‘India’s hottest business leaders under 40’ के रूप में चुना है, आज विजय शेखर शर्मा हर उस भारती के लिए आदर्श है जो अपनी मेहनत से कुछ कर गुजर ना चाहते हैं क्योंकि यह उस इंसान की कहानी है जिसने million dollar company का सपना देखा और उस सपने को साकार किया है।

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