शेयर बाजार में सेकेंडरी मार्केट क्या होता है? – What is Secondary market in Hindi

अगर आप शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं। तो आपको यह जानना जरूरी है कि सेकेंडरी मार्केट क्या होता है? What is secondary market in Hindi इसके अलावा शेयर बाजार से जुड़ी अन्य जानकारियां भी आपको होनी चाहिए। एक्टिव और नर्वस मार्केट, और शेयर का विश्लेषण का विस्तार से यहां जानेंगे।

सेकेंडरी मार्केट क्या होता है? – What is Secondary market in Hindi

सेकेंडरी मार्केट (Secondary market) पर संस्थागत या रिटेल निवेशक स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध शेयर की खरीद-फरोख्त करते हैं। कोई भी कंपनी प्राइमरी मार्केट के द्वारा आईपीओ, पब्लिक इश्यू, राइट इश्यू इत्यादि सेकेंडरी मार्केट में ही लेकर आती है।

निवेशकों को शेयर आवंटित होने के बाद इन शेयरों को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया जाता है। स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के बाद यह शेयर को ट्रेडिंग यानी कि व्यापार के लिए यह सेकेंडरी मार्केट में होते हैं। सेकंड हैंड मार्केट में शेयर की खरीद-फरोख्त के लिए ट्रेडिंग अकाउंट और डिमैट अकाउंट होना आवश्यक है।यानी कि सेकेंडरी मार्केट में स्टॉक एक्सचेंज अहम कड़ी होती है।

सेकेंडरी मार्केट में स्टॉक एक्सचेंज की भूमिका – Impact of Secondary Market in Stock exchange

भारत सरकार द्वारा साल 1956 में सिक्योरिटीज एंड रेगुलेशन एक्ट के अंतर्गत स्टॉक एक्सचेंज को मान्यता प्रदान की गई थी।साधारण शब्दों में कहा जाए तो स्टॉक एक्सचेंज ब्रोकर और बाजार जानकारों का एक समूह होता है। इसके द्वारा ही शेयर की खरीदारी और बिकवाली की जाती है।

प्राइमरी मार्केट या प्राथमिक बाजार द्वारा लाए गए आईपीओ (IPO – initial public offering), राइट टू यीशु के शेयर का आवंटन होने के पश्चात इनकी ट्रेडिंग स्टॉक एक्सचेंज के द्वारा सेकेंडरी मार्केट पर की जाती है। वर्तमान समय में भारत में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSC) और मुंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSC) दो ऐसे स्टॉक एक्सचेंज है, जिन पर शेयर की ट्रेडिंग मुख्य तौर पर की जाती है। What is Secondary market in Hindi

शेयर ब्रोकर स्टॉक एक्सचेंज के मेंबर होते हैं।ब्रोकर अपने क्लाइंट्स की सहमति से उनके लिए शेयर या अन्य सिक्योरिटीज की ट्रेडिंग करता है। ब्रोकर या दलाल क्लाइंट्स द्वारा किए गए सौधे पर ब्रोकरेज या कमीशन प्राप्त करता है। ब्रोकर अपने क्लाइंट को निवेश की सलाह और क्लाइंट के पोर्टफोलियो प्लान और मैनेज भी करते हैं। वे अपने कस्टमर के लिए मार्जिन पर खरीदारी की सुविधा भी मुहैया करवाते हैं। निवेशक ब्रोकर के पास ऑफलाइन और ऑनलाइन ट्रेडिंग कर सकते हैं। ऑफलाइन ट्रेड में ब्रोकर को फोन के जरिए आर्डर देना होता है। जबकि ऑनलाइन में निवेशक खुद ही ट्रेड कर सकता है। What is Secondary market in Hindi

एक्टिव और नर्वस मार्केट

सेकेंडरी मार्केट में जब कुछ शेयर की खरीद-फरोख्त बड़ी मात्रा में और बहुत थोड़े अंतराल में होती है तब उसे एक्टिव या सक्रिय बाजार कहते हैं। एक्टिव मार्केट में शेयर किए खरीददार और विक्रेता के मूल्य में बहुत कम अंतर होता है। सक्रिय मार्केट में खरीदार ज्यादा खरीदारी करते हैं।

जब शेयर बाजार में राजनीतिक, आर्थिक या सरकारी पॉलिसी में फेरबदल के चलते अनिश्चितता का माहौल रहता है तो उसे नर्वस मार्केट कहते हैं। ऐसे माहौल में शेयर मार्केट में हल्की गिरावट आ सकती है। मार्केट में खरीदारी भी कम होने लगती है।

शेयर बाजार का विश्लेषण

शेयर बाजार के फंडामेंटल या वैज्ञानिक विश्लेषण होते हैं। जो किसी भी शेयर की कीमत का फंडामेंटल आकलन करता है।विश्लेषक किसी भी कंपनी का विश्लेषण उसकी फंडामेंटल को देखते हुए करते हैं। जैसे कंपनी का बिजनेस मॉडल, उसका मैनेजमेंट, इंडस्ट्री की गति, सेल प्रॉफिट, प्रॉफिट एंड लॉस, बैलेंस शीट, संपत्ति, देनदारी, इपीएफ, प्रोडक्शन, कंपीटीटर इत्यादि। शेयर बाजार में लंबी अवधि के लिए निवेश करने के लिए इन सारी चीजों की जानकारी होना अति आवश्यक होता है। What is Secondary market in Hindi

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