हड़प्पा सभ्यता, जिसे इंडस सिविलाइजेशन या सिंधु-सरस्वती सभ्यता के रूप में भी जाना जाता है, एक प्राचीन सभ्यता थी जो विशेषकर सिंधु घाटी (आज के पाकिस्तान और भारत के पश्चिमी भाग) में विकसित हुई थी। यह सभ्यता साम्राज्यिक संगठन, नगर निर्माण, और उत्कृष्ट सांस्कृतिक धाराओं के साथ विख्यात थी।
हड़प्पा सभ्यता की उत्पत्ति और उसके विकास के बारे में अधिक जानकारी कम है, लेकिन यह लगभग 2500 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व के बीच विकसित हुई। इसके मुख्य शहर हड़प्पा (इंडस, जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में है) और मोहनजोदड़ो (जो अब पाकिस्तान के सिंध प्रांत में है) थे।
हड़प्पा सभ्यता के शहरों की संरचना विशेष थी, जिसमें सड़कों की ग्रिड, स्वच्छ पानी की संविधानिक संरचना, नियमित घरों का निर्माण, और सार्वजनिक स्नानघरों की उपलब्धता शामिल थी। इस समय के शहरों में व्यापार, शिल्प, और वाणिज्य की गतिविधियों की अवधारणा होती थी।
हड़प्पा सभ्यता की भाषा, लिपि, और धर्म के बारे में हमें बहुत कम जानकारी है। उनकी भाषा का शब्दकोश अब तक नहीं मिला है, और उनकी लिपि को भी अब तक समझा नहीं जा सका है। हालांकि, उनके धार्मिक प्रथाओं के संकेत, जैसे यज्ञ कुंड और चंद्रयानी यात्रा, मिलते हैं।
हड़प्पा सभ्यता का अस्तित्व 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में प्रारंभिक खुदाई के दौरान पहचाना गया था, और यह विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है जिसे उचित रूप से पहचाना गया है। हड़प्पा संस्कृति का इतिहास
हड़प्पा संस्कृति की विशेषताएं
हड़प्पा सभ्यता की कई विशेषताएं थीं, जो इसे अन्य प्राचीन सभ्यताओं से अलग बनाती हैं। कुछ मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- नगर निर्माण: हड़प्पा सभ्यता के शहरों का निर्माण विशेष था। इन शहरों की सड़कों का ग्रिड प्रारूप, साफ पानी की आपूर्ति का संगठन, और नियमित घरों का निर्माण होता था।
- व्यापार और वाणिज्य: हड़प्पा सभ्यता के निवासी व्यापार और वाणिज्य के कार्यों में निरंतर थे। इसके प्रमुख शहरों की स्थिति नदी किनारे के निकटतम होती थी, जिससे व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलता था।
- शिल्पकला: हड़प्पा समाज की विशेषता में शिल्पकला का महत्वपूर्ण स्थान था। उनके शहरों में विविधता से भरे शिल्पकला के कार्य देखे गए हैं, जैसे कि सुंदर संगणक (जूड़ीदार मोहरों वाले सीधे बने हुए संगणक), मूर्तिकला, और गहने।
- भाषा और लिपि: हड़प्पा सभ्यता की भाषा और लिपि का अभिव्यक्ति किया गया है, लेकिन उनके अर्थ का अभिव्यक्ति किया गया है। इसलिए, हम उनकी भाषा और लिपि के विषय में केवल संयोजित अनुमान लगा सकते हैं।
- धार्मिक प्रथाएँ: हड़प्पा सभ्यता के धार्मिक प्रथाओं के बारे में कम जानकारी है, लेकिन उनके अवशेषों में यज्ञ कुंड और चंद्रयानी यात्रा जैसी प्रथाएँ पाई गई हैं।
इन विशेषताओं के संग्रह के कारण, हड़प्पा सभ्यता एक प्राचीन और समृद्ध सभ्यता के रूप में अभिव्यक्त होती है। इसकी उपस्थिति और उसके योगदान ने प्राचीन भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान बनाया है।
हड़प्पा संस्कृति की खोज किसने की
हड़प्पा सभ्यता की खोज और पहचान कई वैज्ञानिकों और खोजकर्ताओं ने की। प्रमुखतः, इस सभ्यता की पहचान 1920 के दशक में हुई, जब ब्रिटिश विभागीय अधिकारी और अभिलेखागार कर्मचारी राखल्ड विलियम्सन ने उत्तर पश्चिमी भारत में मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के निवासियों के अवशेषों का अध्ययन किया।
सन् 1924 में, जॉन मार्शल, एक ब्रिटिश व्याकरणविद्, ने मोहनजोदड़ो में पुरातात्विक खोदकामों की शुरुआत की और हड़प्पा सभ्यता की पहली पुस्तक प्रकाशित की। वे मोहनजोदड़ो के उत्कृष्ट अवशेषों को प्रस्तुत करने के लिए प्रसिद्ध हो गए। हड़प्पा संस्कृति का इतिहास
इसके बाद, एक बड़ी टीम अन्य अर्धविज्ञानी, अन्वेषक, और विद्वानों ने मिलकर हड़प्पा सभ्यता के अध्ययन में योगदान किया। मुख्य नामों में स्टीवन्सन, मोरेयन, सेवर्स, वाट, और वेस्टेन को शामिल किया जा सकता है। इन खोजकर्ताओं के संदर्भ में, हड़प्पा सभ्यता की विशेषताओं का अध्ययन किया गया और उसकी महत्वपूर्ण जानकारी दुनिया के सामने रखी गई। हड़प्पा संस्कृति का इतिहास
सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा संस्कृति क्यों कहते हैं?
हड़प्पा सभ्यता को “सिंधु घाटी सभ्यता” कहा जाता है क्योंकि इसके मुख्य शहरों की अधिकांशतः खोजें सिंधु और इसकी सहायक नदियों के घाटी क्षेत्र में हुई हैं। हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, लोथल, कालीबंगन, और दोस्ता जैसे प्रमुख शहर इस क्षेत्र में स्थित हैं।
इसके अलावा, हड़प्पा सभ्यता के आवासीय क्षेत्रों के आस-पास के क्षेत्रों में भी सिंधु नदी और इसके सहायक नदियों के किनारे इस सभ्यता के अवशेष मिले हैं। इसलिए, इसे सिंधु घाटी सभ्यता के रूप में जाना जाता है।
सिंधु घाटी सभ्यता की स्थापना और विकास के साथ ही, यह एक अद्वितीय सभ्यता थी जो विशेषतः सिंधु नदी और इसके प्राकृतिक संसाधनों के आधार पर विकसित हुई। इसका नामकरण उस क्षेत्र के आधारिक गठन के कारण किया गया है।
आरंभिक और परवर्ती हड़प्पा संस्कृति से आप क्या समझते हैं भिन्नताए
हड़प्पा सभ्यता के आरंभिक और परवर्ती दौर के बीच विशेषताएँ थीं, जो इसे एक अनूठी संस्कृति बनाती है। यहां कुछ मुख्य भिन्नताएं हैं:
- शहरों का विकास: आरंभिक दौर में, हड़प्पा सभ्यता के ग्रामीण सेटलमेंट्स की शुरुआत हुई, जो बाद में नगरों में विकसित हुए। परवर्ती दौर में, नए नगरों की विकास की प्रक्रिया तेज हो गई और शहरों का विस्तार हुआ।
- परिवहन और व्यापार: आरंभिक दौर में, परिवहन और व्यापार की संगठना कमजोर थी, जबकि परवर्ती दौर में यह कार्यक्षमता बढ़ी और व्यापार की गतिविधियाँ बढ़ी।
- रसोई और आवासीय स्थल: आरंभिक दौर में, घरों के भीतर रसोई की स्थापना हुई, जबकि परवर्ती दौर में, आवासीय स्थलों की संरचना में सुधार हुआ।
- कला और शिल्पकला: परवर्ती दौर में, कला और शिल्पकला में विकास हुआ और विभिन्न रूपों में शिल्पकला के नए प्रारूप आये।
- सामाजिक संगठन: परवर्ती दौर में, सामाजिक संगठन की विकास के साथ-साथ, राजनीतिक और आर्थिक संगठन की भी मजबूती हुई।
इन भिन्नताओं के कारण, हड़प्पा सभ्यता का विकास और उसकी सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक प्रकृति में बड़ी परिवर्तन आया। हड़प्पा संस्कृति का इतिहास।