अशोक के अभिलेख अज्ञात समय से प्राप्त चीनी, संस्कृत, और प्राकृत भाषाओं में लिखे गए हैं। इनमें उनके शासन के विभिन्न पहलुओं, धर्मिक धार्मिक धार्मिक, समाजिक और राजनीतिक कार्यकलापों का उल्लेख है। अशोक के धर्मकथा अभिलेख (जैसा कि रोकडे धर्ममहाशासन और धम्मोपादन) बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उनमें उनके धर्म के सम्बन्ध में ज्यादातर जानकारी होती है। आईए जानते हैं अशोक के अभिलेख के बारे में।
अशोक के अभिलेख, जिन्हें “अशोकावधान” के नाम से भी जाना जाता है, उनके शासन काल के विभिन्न कार्यों, निर्देशों और परिपत्रों को दर्शाते हैं। ये अभिलेख प्राकृत, संस्कृत और ग्रीक भाषा में लिखे गए हैं, जो उनके शासन के समय के महत्वपूर्ण इतिहासी स्रोत हैं।
अशोक के अभिलेखों में उनके धर्म के उद्देश्यों, उनकी धर्मनिरपेक्षता, और उनके सामाजिक और राजनीतिक कार्यों का वर्णन है। इनमें उनके साम्राज्य के विस्तार, राजनीतिक संगठन, और विभिन्न प्रांतों में कार्यकलापों का विवरण भी दिया गया है।
अशोक के अभिलेखों के माध्यम से हमें उनके समय में धर्मविश्वास, धर्मपरिवर्तन, धर्मनिरपेक्षता की प्रोत्साहना, और उनके सामाजिक कार्यों का अवलोकन मिलता है। इन अभिलेखों का महत्व इसलिए है कि वे हमें उनके शासन काल की समाज-सांस्कृतिक और धार्मिक परिवेश की समझ में मदद करते हैं।
अशोक के अभिलेख
अशोक के अधिकत्तर अभिलेख प्राकृत एवं ब्राह्मी लिपि में है । उत्तर – पश्चिम के अभिलेख में खरोष्ठी एवं अरमाइक लिपि का प्रयोग हुआ है तथा अफगानिस्तान से प्राप्त अभिलेखों की लिपि अरमाइक एवं यूनानी दोनों हैं । अभिलेखों में अशोक के राज्याभिषेक के 8 वें से 21 वें वर्ष की घटनाएँ वर्णित हैं ।
उत्तर – पश्चिम के शहबाजगढ़ी एवं मनसेहरा अभिलेख ‘ खरोष्ठी ‘ में तथा तक्षशिला एवं लघमान ( काबुल ) अभिलेख ‘ अरमाइक ‘ लिपि में हैं । शर – ए – कुना ( कन्धार ) अभिलेख द्विभाषी है , जिसमें ‘ अरमाइक ‘ एवं ‘ यूनानी ‘ भाषा का प्रयोग किया गया है । लघु शिलालेख , स्तंभलेख ( दीर्घ एवं लघु ) एवं गुहालेखों की लिपियाँ केवल ब्राह्मी में हैं ।
स्तंभलेख : अशोक के स्तंभलेख 7 हैं , जो छह अलग – अलग स्थानों से प्राप्त हुए है । ये हैं- दिल्ली- टोपरा , मेरठ – दिल्ली , इलाहाबाद , रामपुरवा प्रथम एवं द्वितीय , लौरिया अरराज , लौरिया नंदनगढ़ । फिरोज तुगलक ने मेरठ तथा टोपरा के स्तंभलेख दिल्ली मंगा लिए थे । इलाहाबाद स्तंभलेख पहले कौशाम्बी में स्थित था , जिसे अकबर के शासनकाल में जहाँगीर द्वारा इसे इलाहाबाद के किले में रखा गया था।
इलाहाबाद ( कौशाम्बी ) स्तंभलेख को ‘ रानी का अभिलेख ‘ कहा जाता है । इस अभिलेख में द्वितीय रानी ‘ कारुवाकी ‘ तथा उसके द्वारा दिए गए दानों तथा उसके पुत्र ‘ तिवर ‘ का उल्लेख है । इस स्तंभलेख में ‘ स्त्री महामात्र ‘ का भी उल्लेख किया गया है । अशोक स्तंभ पर जड़ित शीर्ष जानवर- रामपुरवा प्रथम ( एकल शेर ) , लौरिया नंदनगढ़ ( एकल शेर ) , बसाढ़ ( एकल शेर ) , रामपुरवा द्वितीय ( एक सांड ) , संकिसा ( एकल हाथी ) , सारनाथ ( चार शेर ) , सांची ( चार शेर ) ।
रूक्मिनदेई अभिलेख अशोक का सबसे छोटा अभिलेख है , इसका विषय ‘ आर्थिक ‘ है । लघु स्तंभलेखों पर अशोक की राज घोषणाएँ खुदी हैं । ये सारनाथ , सांची , कौशाम्बी , रूक्मिनदेई , निगलीसागर तथा इलाहाबाद से प्राप्त हुए हैं ।
अशोक के 14 वृहद शिलालेख एवं उनके विषय
- पहला – पशुबलि की निन्दा , समाज मे उत्सव का निषेध , सभी मनुष्य मेरी संतान की तरह हैं ।
- दूसरा – मनुष्यों एवं पशुओं हेतु चिकित्सा प्रबंध , लोक – कल्याणकारी कार्य ; चेर ( केरलपुत्र ) , चोल , पाण्ड्य , सतियपुत्र तथा ताम्रपर्णी ( श्रीलंका ) का उल्लेख ।
- तीसरा– धम्म संबंधी नियम ; युक्त , रज्जुक , प्रादेशिक की नियुक्ति तथा प्रति पाँचवें वर्ष दौरे का आदेश
- चौथा – भेरी घोष की जगह धम्मघोष की घोषणा
- पाँचवा – धम्म महामात्रों की नियुक्ति के बारे में जानकारी
- छठा – प्रतिवेदक की चर्चा , आत्मसंयम की शिक्षा
- सातवाँ – सभी सम्प्रदायों के लिए सहिष्णुता का उल्लेख
- आठवाँ– अशोक की धम्मयात्राओं का उल्लेख , बोधिवृक्ष के भ्रमण का उल्लेख
- नौवाँ – विभिन्न प्रकार के समारोहों की निन्दा , सच्ची भेंट व सच्चे शिष्टाचार की व्याख्या ।
- दसवाँ – ख्याति एवं गौरव की निन्दा , धम्म नीति की श्रेष्ठता पर बल , राज कर्मचारियों को प्रजा के हितों की चिंता करने का आदेश ।
- ग्यारहवाँ– धम्म की विशेषता ।
- बारहवाँ – सर्वधर्म समभाव , स्त्री महामात्र की चर्चा ।
- तेरहवाँ कलिंग युद्ध , पाँच सीमांत यूनानी राजाओं के नाम , पड़ोसी राज्यों तथा अपराध करनेवाली आटविक जातियों का उल्लेख ।
- चौदहवाँ – लोगों को धार्मिक जीवन व्यतीत करने की प्रेरणा
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1. अशोक के अभिलेख किस भाषा में है
अशोक के अभिलेख प्राकृत, संस्कृत, और ग्रीक भाषा में लिखे गए हैं। इनमें प्राकृत भाषा का उपयोग अधिकतम होता है, जो कि उनके समय की लोकप्रिय भाषा थी। संस्कृत भाषा उनके शासन के महत्वपूर्ण दस्तावेजों के लिए भी उपयोगी थी, जबकि ग्रीक भाषा का उपयोग उनके संबंधों के लिए किया गया जो यूनान और बैक्ट्रिया सहित उनके समय में बाहरी देशों के साथ थे।
2. अशोक के अभिलेख को सर्वप्रथम किसने खोजा
अशोक के अभिलेखों की पहली खोज को संबंधित व्यक्ति के रूप में स्वामी भालेस्वर ने १८२० में की थी। वे मौर्य स्तूपों के पास बोधगया क्षेत्र में अशोक के अभिलेखों की खोज कर रहे थे। इसके बाद, अन्य भारतीय और यूरोपीय अध्येताओं ने भी अशोक के अभिलेखों की खोज की।
3. अशोक के अभिलेखों में कितने प्रकार के प्रांतों का उल्लेख है
अशोक के अभिलेखों में कई प्रकार के प्रांतों का उल्लेख है। उनमें सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल के दौरान विभिन्न प्रांतों के बारे में जिक्र किया है, जैसे की मगध, कोसल, अवन्ति, गांधार, उज्जैनी, मलवा, अंग, वाजिरा, यवन, कम्बोज, सोगदियना, आंग, अंगा, आतक, अवंति, विजय, जीतवर्मा, कौण्डिन्य, नामेडी, नामनी, ओड्रा, कालिङ्ग, समतट, ताम्रलिप्ति, सूराष्ट्र, महाराष्ट्र, ताम्बपर्णी, तोसल, पिप्पलियान, रोममुण्ड, परासी, पाण्डुलीप्ति, अन्दिया, त्रिगरा, बरबर, अटियाक, उत्कल, तस्सिलम, साकेत, कलिंग, तम्रालिप्ति, उपकोसल, अभिर, सुम्हल, वर्ज, सुराष्ट्र, वाराणसी, राजगृह, तक्षशिला, उत्कल, अंग, बालासा, विटिपुर, बासिम, देवनांगलम, अरोका, चोल, कोरक, पञ्चाल, न्याग्रोद, एवं राजगृह।
4. अशोक के अभिलेखों की संख्या
अशोक के अभिलेखों की संख्या स्थानीय स्थलों पर लिखे गए विविध प्रतिमाओं और शिलालेखों के आधार पर अधिकांश विद्वानों के अनुसार कुछ हजार हो सकती है। ये अभिलेख भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मिले हैं और उनमें अशोक के धर्म, राजनीति, समाज, और सामाजिक कार्यकलापों का विस्तृत विवरण होता है। इनमें से कुछ अभिलेख बड़े रूप में संरक्षित हैं जबकि अन्य अभिलेख छोटे टुकड़ों में मिलते हैं। इसलिए, एक सटीक संख्या निर्धारित करना मुश्किल है।
अशोक के प्रमुख अभिलेख कौन-कौन से हैं?
अशोक के प्रमुख अभिलेखों में निम्नलिखित सबसे प्रमुख हैं:
- अशोकावधान (Edicts of Ashoka): ये अशोक के अभिलेखों की सबसे महत्वपूर्ण समूह हैं। ये पत्थरों, शिलालेखों, और सिलेटों पर लिखे गए थे और सम्राट अशोक के धर्म, समाज, और शासन के सिद्धांतों को प्रस्तुत करते थे।
- रॉक एडिक्ट्स (Rock Edicts): ये अशोक के शिलालेखों में से सबसे प्रसिद्ध हैं, जो प्रमुखत: पत्थरों पर उकेरे गए थे। इनमें अशोक के धर्मिक, सामाजिक, और राजनीतिक उद्देश्यों का वर्णन होता है।
- पिल्लर एडिक्ट्स (Pillar Edicts): ये अशोक के प्रमुख स्तूपों पर लिखे गए थे और विभिन्न भागों में फैले थे। इनमें अशोक के शासन की व्यवस्था, राजनीतिक उद्देश्य, और सामाजिक कार्यकलापों का वर्णन होता है।
- सिलेटो एडिक्ट्स (Minor Rock Edicts): ये छोटे पत्थरों पर लिखे गए अभिलेख हैं जो अशोक के शासन क्षेत्र के बाहर मिले थे। इनमें अशोक के धर्मीय और सामाजिक उपक्रमों का वर्णन होता है।
ये अभिलेख सम्राट अशोक के शासनकाल के महत्वपूर्ण स्रोत हैं और उनकी समाज, धर्म, और राजनीतिक धार्मिकता को समझने में मदद करते हैं।