ब्लैक कार्बन, जिसे अंग्रेजी में “black carbon” कहा जाता है, एक काला रंग का नाना कार्बन है जो वायुमंडलीय प्रदूषण का एक प्रमुख कारक है। यह छोटे आकार के अणुओं का समूह होता है, जो वायुमंडल में तैरते हैं और सूर्य के अंतरिक्ष में अंतरिक्ष को अवशोषित करते हैं। इसे कई नामों से जाना जाता है, जैसे कि सूत कार्बन, ब्लैक सूत, या शरीरिक कार्बन। आईए जानते हैं कि ब्लैक कार्बन क्या है।
ब्लैक कार्बन का मुख्य स्रोत अधोशवासी उपकरणों, जैसे कि डीजल इंजन और उच्च जलन तकनीकी कार्बन से होता है। इसके अलावा, वन जलन, औद्योगिक प्रक्रियाएं, और धुआं की धुंध के रूप में भी यह उत्पन्न होता है। यह अधिकांश शहरी क्षेत्रों में आबादी की गाड़ियों, उद्योगों, और ऊर्जा स्रोतों से निकलता है।
ब्लैक कार्बन के प्रभाव को मुख्य रूप से दो तरीकों से समझा जा सकता है। पहले, यह सूर्य की रोशनी को अवशोषित करके अंतरिक्ष में ताप उत्सर्जित करके वायुमंडल की तापमान को बढ़ाता है। दूसरे, जब ब्लैक कार्बन धूंध के साथ हवा में मिलता है, तो यह धूंध को काला रंग देता है, जिससे धूंध तथा वायुमंडलीय बादलों के रंग में परिवर्तन होता है और सूर्य के अंतरिक्ष में ज्यादा ताप अवशोषित होता है।
ब्लैक कार्बन का प्रभाव समुद्रों, हिमनदियों, और बर्फ में उत्पन्न काले रंग के चिन्हों के रूप में भी देखा जा सकता है। जब ब्लैक कार्बन ग्लेशियरों या हिमनदियों पर गिरता है, तो यह उन्हें गर्म करके पिघलने में मदद करता है, जिससे वे तेजी से घट जाते हैं। यह स्नायु में धारित होता है, जिससे समुद्री स्तर में वृद्धि के कारण समुद्री तटों के उत्तर दिशा की ओर प्रवाहित होता है।
समान्यत: ब्लैक कार्बन गैस जैसा नहीं होता है, बल्कि यह कणों के रूप में होता है जो वायुमंडल में तैरते हैं। यह काला स्याही के रूप में दिखता है और धूंध, वायु प्रदूषण, और ऊर्जा उत्पादन के प्रक्रियाओं के द्वारा उत्पन्न होता है।
ब्लैक कार्बन, जिसे आमतौर पर कालिख के रूप में जाना जाता है, सूक्ष्म कण वायु प्रदूषण (PM2.5) का एक घटक है। यह लकड़ी और जीवाश्म ईंधन के अधूरे दहन से बनता है, एक प्रक्रिया जो कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), कार्बन मोनोऑक्साइड और वाष्पशील कार्बनिक यौगिक भी बनाती है।
ब्लैक कार्बन वातावरण को गर्म करता है क्योंकि यह प्रकाश को अवशोषित करने में बहुत प्रभावी होता है। यह उन क्षेत्रों में हवा और सतहों को गर्म कर देता है जहां यह केंद्रित है, जिससे मौसम के पैटर्न और पारिस्थितिकी तंत्र चक्र बदल जाते हैं। हमारे इस लेख के माध्यम से आपको इस बारे में जरूर जानकारी मिल गई होगी कि ब्लैक कार्बन क्या है?
ब्लैक कार्बन का जलवायु परिवर्तन पर असर
जैसा कि हमने आपके ऊपर जानकारी दी है कि ब्लैक कार्बन क्या है ? ब्लैक कार्बन या काला कार्बन, जलवायु परिवर्तन पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। यह गैस सूर्य की किरणों को अवशोषित करता है और ताप उत्सर्जित करता है, जिससे वायुमंडल में गर्मी बढ़ती है। इसके अतिरिक्त, ब्लैक कार्बन धूंध को काला रंग देता है और धूंध तथा बादलों के रंग में परिवर्तन का कारण बनता है, जिससे धरती की सतह पर अधिक ताप अवशोषित होता है। इससे मौसमी परिवर्तन को तेजी से बढ़ावा मिलता है, जैसे कि उच्च तापमान, बारिश की घातकता, और जलवायु तटों के तटीय प्रभावों में परिवर्तन।
ब्लैक कार्बन के प्रभाव के बारे में यह ध्यान देने योग्य है कि इसका असर स्थानीय से लेकर वैश्विक स्तर पर भी होता है। जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में, ब्लैक कार्बन का उत्पादन और प्रसार विभिन्न क्षेत्रों में होता है, और इसका पर्यावरणीय और जलवायु परिवर्तन पर नकारात्मक प्रभाव होता है।
- ग्लेशियर और हिमनदियों के घटनात्मक प्रभाव: ब्लैक कार्बन के वायुमंडलीय उत्सर्जन से होने वाला हिमनदी और ग्लेशियरों पर उत्पन्न असर होता है। जब यह गैस हिमनदी और ग्लेशियरों पर पड़ता है, तो यह उन्हें गर्म करके अधिक घटनात्मक रूप से पिघलने में मदद करता है, जो उनकी घटनात्मक गति को तेजी से बढ़ावा देता है।
- जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में तापमान: ब्लैक कार्बन के उत्सर्जन से होने वाला अधिक तापमान वायुमंडल में गर्मी को बढ़ाता है, जो वायुमंडलीय प्रणालियों को प्रभावित करता है और जलवायु परिवर्तन को तेजी से बढ़ावा देता है। इसके अलावा, ब्लैक कार्बन की धूंध में शामिलता भी जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देती है, क्योंकि यह धूंध के रंग में परिवर्तन का कारण बनता है और सूर्य की किरणों को अधिक अवशोषित करके धरती को गर्म करता है।
इन प्रभावों के कारण, ब्लैक कार्बन को जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में महत्वपूर्ण कारक माना जाता है और इसका व्यवहार कम करने के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं।
ब्लैक कार्बन की मात्रा कौन से भारतीय शहरों में सबसे अधिक है?
भारत में ब्लैक कार्बन की मात्रा अधिकांशतः बड़े और उद्योगी शहरों में अधिक होती है, जहां वाहन और उद्योग की गतिविधियां अधिक होती हैं। इन शहरों में ब्लैक कार्बन की मात्रा आमतौर पर वाहनों, उद्योगों, और धूम्रपान के स्रोतों से उत्पन्न होती है।
कुछ भारतीय शहरों में ब्लैक कार्बन की मात्रा अधिक होती है जैसे कि:
- दिल्ली: दिल्ली भारत में ब्लैक कार्बन की मात्रा के लिए जाना जाता है, जो आमतौर पर वाहनों, उद्योगों, और बारूदी उपकरणों की तीव्र गति के कारण होती है।
- मुंबई: मुंबई भी एक बड़ा और उद्योगी शहर है, जहां ब्लैक कार्बन की मात्रा अधिक होती है। यहां उद्योग, वाहनों, और जलवायु के परिवर्तन के कारण ब्लैक कार्बन का उत्पादन होता है।
- कोलकाता: कोलकाता भी भारत के प्रमुख उद्योगी शहरों में से एक है, जहां ब्लैक कार्बन की मात्रा अधिक होती है। यहां उद्योग, वाहनों, और शहरी विकास के कारण ब्लैक कार्बन का उत्पादन होता है।
यहां उपरोक्त शहरों के अलावा भी अन्य बड़े शहरों में ब्लैक कार्बन की मात्रा अधिक हो सकती है, जैसे कि बैंगलोर, हैदराबाद, चेन्नई, और पुणे जैसे शहर।