यूं तो भारत में दशहरा बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। दशहरा यानी विजयदशमी का एक ऐसा दिन जब वैसे पूरे देश में रावण का दहन किया जाता है। लेकिन भारत में कुछ ऐसे जगह भी है जहां दशहरे के दिन रावण का दहन नहीं बल्कि रावण की पूजा की जाती है। और ऐसा करने के पीछे इन लोगों की अपनी अपनी मान्यताएं भी है। तो चलिए आज के हमारे इस लेख में हम आपको भारत के कुछ ऐसे ही जगह के बारे में बता रहे हैं जहां दशहरे के दिन रावण का दहन नहीं किया जाता बल्कि उसकी पूजा की जाती है।Intersting fact in hindi
मंदसौर, मध्य प्रदेश
मंदसौर मध्य प्रदेश राजस्थान की सीमा पर स्थित है, अगर रामायण की कथा के अनुसार बात करें तो मंदसौर रावण की पत्नी मंदोदरी का पैतृक घर हुआ करता था और इसीलिए रावण को मंदसौर के लोग दामाद मानते हैं। इसी चलते वहां रावण की पूजा और समान आदित्य ज्ञानी और भगवान शिव के भक्तों के रूप में होती है। हर साल विजयदशमी के दिन इस जगह पर रावण की 35 फुट लंबी मूर्ति बनाई जाती है। और इस गांव में दशहरे के दिन गांव के लोग रावण की मौत पर शोक मनाते हैं और प्रार्थना करते हैं।Intersting fact in hindi
जोधपुर ,राजस्थान
ऐसा माना जाता है कि राजस्थान के जोधपुर के मौदगिल मैं ब्राह्मण रावण के विवाह के दौरान लंका लाए गए थे। मंदोदरी और रावण का विवाह किन चंवरी में हुआ था। जोधपुर के मन दोगली ब्राह्मणों द्वारा हिंदू अनुष्ठान के अनुसार लंकेश्वर रावण की प्रतिमा को जलाने के बजे, श्रद्धा और पिंडदान किया जाता है। यह लोग ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि वह अपने आप को रावण का वंशज मानते हैं।Intersting fact in hindi
मांड्या और कोलार, कर्नाटका
मांड्या और कोलार कर्नाटक में मौजूद है, यहां पर आपको भगवान शिव के कई सारे मंदिर भी मिलेंगे, ऐसा माना जाता है कि रावण ने यही क्षेत्र पर रह कर के भगवान शिव की आराधना की थी। इसी चलते फसल के त्योहार के दौरान कर्नाटका के कोलार जिले के लोग लंकापति रावण की पूजा करते हैं। एक जुलूस में, भगवान शिव की मूर्ति के साथ साथ, रावण के 10 सिर वाले और 20 सशस्त्र मूर्तियों कीभी पूजा की जाती है। इसी प्रकार कर्नाटका के मांड्या जिले में मलावल्ली तालुका में, भगवान शिव के लिए अपने समर्पण का सम्मान करने के लिए हिंदू भक्तों द्वारा रावण के एक मंदिर में उनकी पूजा की जाती है।
कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश का एक खूबसूरत जिला है जो प्राकृतिक सौंदर्य से भरा पड़ा है, लेकिन इस जिले में रहने वाली कुछ लोग रावण दहन की प्रथा को नहीं मानते। इसके पीछे कई लोग इसे पौराणिक कथाओं से जोड़कर भी देखते हैं। लोग ऐसा मानते हैं कि पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण ने भगवान शिव को बैजनाथ, कांगड़ा में ही अपनी भक्ति और तपस्या के साथ प्रश्न किया था। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने उन्हें यही वरदान दिया था। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने उन्हें इसी जगह कांगड़ा में एक कई वरदान भी दिए थे। इसलिए या रावण को भगवान शिव के महान भक्त के रूप में सम्मानित किया जाता है और दशहरे के दिन उसका दहन नहीं किया जाता है।
गडचिरोली, महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में रहने वाली गोंड जनजाति के लोग रावण और उनके पुत्र मेघनाथ को देवता के रूप में पूजा करते हैं। गोंड जनजाति के अनुसार रावण को बाल्मीकि रामायण में भी कभी भी बुरा नहीं दिखाया गया था और ऋषि बाल्मीकि ने स्पष्ट रूप में उल्लेख किया था कि रावण ने कुछ भी गलत नहीं किया था और ना ही सीता को बदनाम किया था। वही वे लोग यह मानते थे कि तुलसीदास की रामायण में ही रावण को एक क्रूर और शैतानी राजा के रूप में बताया गया था। इसी चलते महाराष्ट्र के गढ़चिरौली की गोंड जनजाति के लोग रावण और मेघनाथ को देवता के रूप में पूजा करते हैं।Intersting fact in hindi
बिशरख, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश का या जगह बिसरख को अपना यह नाम ऋषि विश्रा के नाम पर मिला है – जो राजा रावण के पिता थे। माना जाता है कि रावण का जन्म यहीं हुआ था और उन्हें महा ब्राह्मण माना जाता था। माना जाता है कि यहां खुद शिव प्रकट हुए थे, और इस जगह पर एक शिवलिंग भी मौजूद है, इस चलते यहां रावण और उनके पिता ऋषि विश्व रा की पूजा की जाती है।
तो यह थी कुछ भारत के ऐसे जगह जहां पर विजयदशमी यानी दशहरे के दिन रावण का दहन नहीं किया जाता बल्कि कुछ ना कुछ मान्यताओं के अनुसार वहां रावण की पूजा की जाती है।Intersting fact in hindi