हरित क्रांति क्या है?

भारत में हरित क्रांति का मतलब है पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में सक्रिय भाग लेना। यह एक सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन है जो प्राकृतिक संसाधनों की संरक्षण, पेड़-पौधों की रक्षा, वायुमंडल की सुरक्षा, और प्रदूषण कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसका उद्देश्य हरित पर्यावरण और स्वस्थ जीवन शैली को प्रोत्साहित करना है। आज के हमारे इस लेख में हम लोग भारत में हरित क्रांति के बारे में जानकारी लेंगे। इसी के साथ यह भी जानेंगे कि हरित क्रांति क्या है?

डॉक्टर स्वामी नाथन एक प्रसिद्ध भारतीय वन्यजीव विशेषज्ञ और वन्यजीव संरक्षणकर्ता थे, जिनका हरित क्रांति में महत्वपूर्ण योगदान था। उन्होंने वन्यजीवों के संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए कई उपाय किए, जैसे कि जंगलों की संरक्षण, वन्यजीवों की संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाना, और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए संगठनों में सक्रिय भाग लेना। उनका योगदान हरित क्रांति के प्रेरणास्त्रोत के रूप में महत्वपूर्ण था।

हरित क्रांति क्या है?

हरित क्रांति एक महत्वपूर्ण सामाजिक और पर्यावरणीय आंदोलन है जो प्राकृतिक संसाधनों की संरक्षण और प्रदूषण कम करने के लिए लड़ रहा है। यह आंदोलन लोगों को प्रेरित करने का काम कर रहा है ताकि वे स्वस्थ और संतुलित पर्यावरण की दिशा में कदम बढ़ा सकें। इसका मुख्य उद्देश्य है प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा, पेड़-पौधों की रक्षा, जल संरक्षण, और प्रदूषण कम करना।

हरित क्रांति का आधार प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और प्रदूषण की रोकथाम पर है। यह आंदोलन लोगों को पेड़-पौधों की महत्वता को समझाने, जल संरक्षण की जागरूकता फैलाने और प्रदूषण को कम करने के लिए उन्हें जागरूक करता है। यह एक सक्रिय और सामाजिक आंदोलन है जो लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने और सुरक्षित पर्यावरण की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है।

हरित क्रांति में लोगों की भागीदारी बहुत महत्वपूर्ण है। लोगों को जल संरक्षण, वन्यजीव संरक्षण, प्रदूषण कम करने के लिए उनके स्वयं के कार्यों में बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया जाता है। इससे न केवल पर्यावरण की सुरक्षा होती है, बल्कि समाज में भी सशक्तिकरण होता है।

भारत में, हरित क्रांति एक महत्वपूर्ण आंदोलन है जो वन्यजीव संरक्षण, जल संरक्षण, और प्रदूषण कम करने के लिए लड़ रहा है। यह आंदोलन विभिन्न स्तरों पर चल रहा है, जैसे कि स्थानीय समुदायों से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक। विभिन्न संगठनों, सरकारी अभियानों, और व्यक्तिगत पहलों के माध्यम से इस आंदोलन को बढ़ावा दिया जा रहा है।

एक और महत्वपूर्ण पहलू है शिक्षा और जागरूकता का। हरित क्रांति में शिक्षा का एक महत्वपूर्ण योगदान है, जिससे लोगों को पर्यावरण की महत्वता समझाई जा सके और उन्हें अपने कार्यों के माध्यम से पर्यावरण की सुरक्षा में योगदान करने के लिए प्रेरित किया जा सके।

समाज में हरित क्रांति के लिए जागरूकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका हैं। लोगों को पर्यावरण की महत्वता को समझाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों, वेबिनारों, और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है। सामुदायिक संगठनों और सरकारी अभियानों के माध्यम से भी जागरूकता फैलाई जाती है।

हरित क्रांति एक गहरी जागरूकता और समर्थन की आवश्यकता है। लोगों को पर्यावरण की संरक्षण में अपना योगदान देने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए और साथ ही साथ सरकार को भी नीतियों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देनी चाहिए। इसके लिए समाज के हर व्यक्ति का साझा योगदान और प्रयास आवश्यक है।

भारत में हरित क्रांति

डॉक्टर एमएस स्वामीनाथन भारतीय वन्यजीव विशेषज्ञ और प्राकृतिक संसाधनों के प्रभावी प्रशंसक थे। उन्हें ‘हरित क्रांति के पिता’ के रूप में जाना जाता है। उन्होंने भारतीय वन्यजीवों के संरक्षण और प्रकृति संरक्षण के लिए कार्य किया। उनका योगदान विशेष रूप से वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में था, जो उन्हें हरित क्रांति के प्रमुख नेता बनाता है।

डॉक्टर स्वामीनाथन ने वन्यजीवों के संरक्षण और जीवन्त वातावरण के लिए जागरूकता फैलाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने भारत के वन्यजीवों की रक्षा के लिए कई कार्यक्रमों और पहलों को प्रोत्साहित किया। उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप, वन्यजीव संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के क्षेत्र में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ी और उनके संरक्षण के लिए अधिक कदम उठाए गए। उनकी प्रेरणादायक और सकारात्मक पहलों ने भारतीय समाज को प्राकृतिक संसाधनों के प्रति जागरूक किया और हरित क्रांति को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

हरित क्रांति से आप क्या समझते हैं?

हरित क्रांति एक विशाल आंदोलन है जो प्राकृतिक संसाधनों की संरक्षण और प्रदूषण कम करने के लिए लड़ रहा है। इसका उद्देश्य है पृथ्वी की संरक्षण, पेड़-पौधों की रक्षा, जल संरक्षण, और प्रदूषण कम करना। हरित क्रांति ने समाज को पर्यावरण की महत्वता को समझाने और स्वस्थ और संतुलित पर्यावरण की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है।

हरित क्रांति विभिन्न स्तरों पर चल रही है, स्थानीय समुदायों से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक। लोगों को जल संरक्षण, वन्यजीव संरक्षण, प्रदूषण कम करने के लिए उनके स्वयं के कार्यों में बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया जाता है। विभिन्न संगठनों, सरकारी अभियानों, और व्यक्तिगत पहलों के माध्यम से इस आंदोलन को बढ़ावा दिया जा रहा है।

भारत में, हरित क्रांति एक महत्वपूर्ण आंदोलन है जो वन्यजीव संरक्षण, जल संरक्षण, और प्रदूषण कम करने के लिए लड़ रहा है। यह आंदोलन विभिन्न संगठनों, सरकारी अभियानों, और व्यक्तिगत पहलों के माध्यम से बढ़ावा दिया जाता है। लोगों को पर्यावरण की महत्वता को समझाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों, वेबिनारों, और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है।

एक और महत्वपूर्ण पहलू है शिक्षा और जागरूकता का। हरित क्रांति में शिक्षा का एक महत्वपूर्ण योगदान है, जिससे लोगों को पर्यावरण की महत्वता समझाई जा सके और उन्हें अपने कार्यों के माध्यम से पर्यावरण की सुरक्षा में योगदान करने के लिए प्रेरित किया जा सके।

हरित क्रांति के बढ़ते प्रमुख फायदे में प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा, पेड़-पौधों की रक्षा, वायुमंडल की सुरक्षा, और प्रदूषण कम करने के लिए उत्साहित करना शामिल है। इसके अलावा, यह एक सक्रिय और सामाजिक आंदोलन है जो लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने और सुरक्षित पर्यावरण की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है।

हरित क्रांति एक गहरी जागरूकता और समर्थन की आवश्यकता है। लोगों को पर्यावरण की संरक्षण में अपना योगदान देने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए और साथ ही साथ सरकार को भी नीतियों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देनी चाहिए। इसके लिए समाज के हर व्यक्ति का साझा योगदान और प्रयास आवश्यक है।

भारत में हरित क्रांति कब शुरू हुई थी?

हरित क्रांति, भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय आंदोलन है जिसकी शुरुआत विभिन्न समयों में कई पहलुओं के संघर्ष और जागरूकता से हुई। इसकी मुख्य धारा 1970 के दशक में चिपको आंदोलन के माध्यम से जोर पकड़ी।

चिपको आंदोलन 1973 में उत्तराखंड के गढ़वाल जिले में शुरू हुआ था। इसका मुख्य उद्देश्य था वन्यजीवों की संरक्षण और पेड़ों की रक्षा करना। इस आंदोलन में मुख्य रूप से महिलाएं शामिल थीं, जो पेड़ों को काटने के खिलाफ उत्साहित हुईं। इस आंदोलन ने विभिन्न भागों में फैली और लोगों को पर्यावरण की महत्वता को समझाया। यह आंदोलन पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता और भागीदारी की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और हरित क्रांति की शुरुआत के रूप में मानी जाती है।

उसके बाद, 1980 के दशक में, एक और महत्वपूर्ण आंदोलन था जिसे जल जीवन हक्क आंदोलन कहा जाता है। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य था जल संरक्षण और जल संपदा के प्रति जागरूकता बढ़ाना था। इस आंदोलन ने जल संरक्षण के महत्व को सामाजिक मुद्दा बनाया और लोगों को जल संरक्षण के लिए साथ मिलकर लड़ने की प्रेरित किया।

वायु प्रदूषण के खिलाफ भी कई आंदोलन हुए हैं। 1990 के दशक में दिल्ली में भूखंड प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई को भी हरित क्रांति की एक अद्वितीय अध्याय माना जा सकता है। इस आंदोलन ने लोगों को वायु प्रदूषण के खतरों के बारे में जागरूक किया और सरकार को कड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया।

ये सभी आंदोलन भारत में हरित क्रांति की शुरुआत के महत्वपूर्ण पहलु हैं। इन आंदोलनों ने पर्यावरण के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ाने और सामाजिक बदलाव को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन आंदोलनों के माध्यम से, लोगों को वातावरण की महत्वता का एहसास हुआ और उन्हें प्रेरित किया गया कि वे अपने जीवन में स्थायी परिवर्तन लाएं।

हरित क्रांति के संघर्षों और आंदोलनों की उत्तराधिकारी जागरूकता, सामाजिक परिवर्तन, और अधिक जागरूक और संवेदनशील समाज की रचना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह आंदोलन एक सकारात्मक संदेश भी लेकर आया है कि वन्यजीवों, जल, और वायु के प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में समुदाय के साथी हैं।

हरित क्रांति के जनक

हरित क्रांति के जनक के रूप में चिपको आंदोलन के नेता सुंदरलाल बहुगुणा को माना जाता है। चिपको आंदोलन ने पेड़ों की रक्षा और पर्यावरणीय संरक्षण के मामले में एक नया मानदंड स्थापित किया और उसका योगदान महत्वपूर्ण है।

सुंदरलाल बहुगुणा का जन्म 1927 में उत्तराखंड के एक छोटे से गाँव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव के माध्यमिक विद्यालय से प्राप्त की, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी शिक्षा को नगर में जारी रखा और स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

चिपको आंदोलन की संजीवनी शक्ति के रूप में चिपको मुवमेंट का महत्वपूर्ण संघर्ष सुंदरलाल बहुगुणा ने नेतृत्व किया। आंदोलन के दौरान, उन्होंने मुख्य रूप से महिलाओं को संगठित किया और उन्हें पेड़ों की रक्षा के लिए प्रेरित किया। उन्होंने समाज में जागरूकता फैलाने और पेड़ों की रक्षा के लिए लोगों को जोड़ने के लिए अपने कार्यों की गरिमा बनाई।

चिपको आंदोलन का उद्देश्य पर्यावरणीय संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा था। बहुगुणा ने सोचा कि जब वन्य जीवन के प्राणी पेड़ों को काटते हैं, तो वह उनके अपने भोजन की रोटी काट रहे होते हैं, और इसलिए पेड़ों को उखाड़ना बंद किया जाना चाहिए। इस आंदोलन के दौरान, उन्होंने मुख्य रूप से महिलाओं को संगठित किया और उन्हें पेड़ों की रक्षा के लिए प्रेरित किया।

बहुगुणा के नेतृत्व में चिपको आंदोलन ने विश्वभर में बड़े पैमाने पर ध्यान आकर्षित किया और इसने भारतीय और अंतरराष्ट्रीय समाज में पर्यावरण के महत्व को साबित किया। उन्होंने लोगों को पेड़ों की महत्वता को समझाया और उन्हें अपने वन्यजीव और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के लिए उत्साहित किया।

सुंदरलाल बहुगुणा की भूमिका चिपको आंदोलन में महत्वपूर्ण रही है और उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक नया मानदंड स्थापित किया। उनके प्रेरणादायक कार्यों ने लोगों को पेड़ों की महत्वता को समझाने और पर्यावरण की संरक्षण के लिए संगठित होने की प्रेरणा दी।

भारत में हरित क्रांति के उद्देश्य

हरित क्रांति के उद्देश्यों की सूची निम्नलिखित है:

  1. पेड़ों की रक्षा और प्रदूषण कम करना।
  2. वन्यजीवों की संरक्षण और उनके आवास की सुरक्षा करना।
  3. जल संरक्षण और जल संपदा की सुरक्षा करना।
  4. स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण का निर्माण करना।
  5. जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता बढ़ाना।
  6. वन्यजीवों की खोज और उनके संरक्षण के लिए संजीवनी के कार्यक्रम आयोजित करना।
  7. संभावित प्राकृतिक आपदाओं के खिलाफ प्रतिकूलता निवारण उपायों की विकसित करना।
  8. बागवानी और वृक्षारोपण के माध्यम से हरित और स्वस्थ वातावरण का निर्माण करना।
  9. वायु प्रदूषण को कम करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण उपायों को लागू करना।
  10. जल संपदा के उपयोग में जागरूकता बढ़ाना और जल संरक्षण के लिए उपाय करना।
  11. प्राकृतिक संसाधनों के सही उपयोग और उनके संरक्षण की जानकारी फैलाना।
  12. साधारण लोगों को प्रेरित करना कि वे अपने जीवन में पर्यावरण संरक्षण के लिए योगदान करें।
  13. समुदायों को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा के साथ पेड़ों और प्राकृतिक संसाधनों के प्रति जागरूक बनाना।
  14. प्राकृतिक आपदाओं के खिलाफ आपातकालीन उपायों की प्रेरणा देना और उनकी तैयारियों में सहायता करना।
  15. जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए संरक्षण के प्रयासों को बढ़ाना।
  16. सामुदायिक संगठनों और सरकार के सहयोग से पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करना।
  17. स्वच्छता अभियानों के माध्यम से लोगों को जागरूक करना कि स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण का अंतर सीधा होता है।
  18. अनुशासनिक उपायों की जांच और प्रदर्शन करके प्रदूषण को रोकना और नियंत्रित करना।
  19. पारिस्थितिकीय संरक्षण के लिए समर्पित नीतियों और कदमों को लागू करना।
  20. प्राकृतिक संसाधनों की उपयोगिता और महत्व को सार्वजनिक जागरूकता के माध्यम से बढ़ाना।

इन उद्देश्यों के माध्यम से हरित क्रांति का उद्दीपन और विकास होता है, जो पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा में सामाजिक, आर्थिक, और पारिस्थितिकीय सुधारों को प्रोत्साहित करता है।

हरित क्रांति के मूल तत्व निम्नलिखित हो सकते हैं:

  1. पेड़ों की रक्षा: हरित क्रांति का मूल उद्देश्य पेड़ों की रक्षा और उनके वन्यजीवों की संरक्षण के लिए होता है।
  2. प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण: इसका उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना, जैसे कि जल, वन्यजीव, और भूमि।
  3. पर्यावरणीय संतुलन: हरित क्रांति का मूल तत्व पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने के लिए है, ताकि प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग किया जा सके।
  4. जल संरक्षण: जल संरक्षण और जल संपदा की सुरक्षा भी हरित क्रांति का मूल तत्व है।
  5. स्वच्छता: हरित क्रांति में स्वच्छता को भी महत्व दिया जाता है, क्योंकि स्वच्छता पर्यावरण की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  6. सामाजिक संज्ञान: इसका उद्देश्य लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता और समझ बढ़ाना है।
  7. सामाजिक न्याय: हरित क्रांति के मूल तत्व में सामाजिक न्याय भी शामिल है, ताकि प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग समान रूप से सभी को मिल सके।
  8. सामुदायिक संगठन: हरित क्रांति में सामुदायिक संगठन और भागीदारी का महत्व है, ताकि प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करने में सभी का सहयोग हो सके।
  9. शिक्षा: हरित क्रांति का एक महत्वपूर्ण तत्व शिक्षा है, जिससे लोगों को पर्यावरण के महत्व का एहसास होता है।
  10. नैतिकता: इसका मतलब है प्राकृतिक संसाधनों का सच्चे और नैतिक उपयोग करना।
  11. संरक्षण और समृद्धि: हरित क्रांति के मूल तत्व में संरक्षण और समृद्धि का महत्वपूर्ण स्थान है, ताकि प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग सुरक्षित रहे और भविष्य की पीढ़ियों को भी उनका लाभ मिल सके।
  12. जलवायु परिवर्तन: हरित क्रांति में जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता और इसके संवेदनशीलता को बढ़ाना भी महत्वपूर्ण है।

इन मूल तत्वों के संयुक्त प्रयास से हरित क्रांति समर्थ और स्थायी पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अग्रसर हो सकती है।

भारत में हरित क्रांति एक महत्वपूर्ण आंदोलन है जो प्राकृतिक संसाधनों की संरक्षण, पर्यावरण समर्थ विकास, और सामाजिक न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने का प्रयास करता है। यह आंदोलन पेड़ों की रक्षा, जल संरक्षण, वन्यजीव संरक्षण, और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के लिए उन्मुख है। हरित क्रांति के माध्यम से, समाज को पर्यावरण संरक्षण के महत्व की जागरूकता होती है और साथ ही साथ, सामाजिक और आर्थिक न्याय के साथ प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जाता है।

हरित क्रांति का निष्कर्ष यह है कि पर्यावरण की रक्षा समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। यह आंदोलन लोगों को प्रेरित करता है और सामूहिक रूप से प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए कदम उठाने की भावना को बढ़ाता है। इसके फलस्वरूप, पेड़ों की रक्षा, जल संरक्षण, और प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग होता है, जो देश के समृद्धि और सामाजिक समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान करता है।

इसके अलावा, हरित क्रांति एक सामाजिक आंदोलन है जो समाज को उत्थान और न्याय के साथ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ले जाता है। यह आंदोलन महिलाओं, युवाओं, और समुदायों को समाज के सदस्य के रूप में जोड़ता है और उन्हें पर्यावरण संरक्षण के प्रति सकारात्मक योगदान के लिए प्रेरित करता है।

समारंभ के रूप में, हरित क्रांति भारतीय समाज को पर्यावरण संरक्षण और समृद्धि के महत्व को समझने की दिशा में प्रेरित करता है। यह आंदोलन एक सामाजिक संवेदना का संदेश है और एक साथी समाज की रचना में प्राकृतिक संसाधनों के सही उपयोग को समाहित करता है। इसके माध्यम से, हम स्वयं को एक प्राकृतिक संरक्षणीय समाज के रूप में समझते हैं और साथ ही आने वाले पीढ़ियों के लिए सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण का निर्माण करने के लिए सक्रिय योगदान करते हैं।

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