Lord Gautama Buddha in Hindi – महान समाज सुधारक, दार्शनिक और धर्म गुरु भगवान गौतम बुध की जीवनी।नाम : सिद्धार्थ गौतम।
जन्म : 563 ईसा पूर्व, लुंबिनी नेपाल।
पिता: नरेश शुद्धोधन
माता : रानी महामाया (महादेवी)
पत्नी : यशोधरा।
दुनिया को अपने विचारों से नया रास्ता दिखाने वाले भगवान गौतम बुद्ध भारत के महान दार्शनिक, वैज्ञानिक, धर्मगुरु, एक महान समाज सुधारक और बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। गौतम बुध की शादी यशोधरा के साथ हुई। इस शादी से एक बालक का जन्म हुआ था जिसका नाम राहुल रखा गया था। लेकिन विवाह के कुछ समय बाद गौतम बुध ने अपनी पत्नी और बच्चे को त्याग दिया।
वे संसार को जन्म मरण और दुख से मुक्ति दिलाने के मार्ग की तलाश व सत्य, दिव्य ज्ञान की खोज मैं रात के समय अपने राज महल से जंगल की ओर चले गए थे। बहुत सालों की कठोर साधना के बाद बोधगया बिहार में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से गौतम बुध बन गए।
आज पूरी दुनिया करीब 190 करोड़ बुध धर्म के अनुयाई है और बौद्ध धर्म के अनुयाई लोगों की संख्या विश्व में 25% है। बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग ज्यादातर चीन, जापान, वियतनाम, थाईलैंड, मंगोलिया, कंबोडिया, भूटान, साउथ कोरिया, हांगकांग, सिंगापुर, भारत, मलेशिया, नेपाल, इंडोनेशिया, अमेरिका और श्रीलंका आदि देश में ज्यादा है। जिसमें भूटान श्रीलंका और भारत में बौद्ध धर्म के अनुयायियों ज्यादा संख्या में है।
गौतम बुध का प्रारंभिक जीवन
उनका जन्म 483 ईसा पूर्व या 563 ईस्वी पूर्व के बीच शाक्य गणराज्य की तत्कालीन राजधानी कपिलवस्तु के निकट लुंबनी, नेपाल में हुआ था। लुंबनी नेपाल की तराई क्षेत्र में कपिलवस्तु और देवता के बीच नौतनवा से 8 मील दूर पश्चिम में रुकीमिनीदाई नामक स्थान के पास स्थित था।कपिलवस्तु की महारानी महामाया देवी के अपने नेहर देवदा जाते हुए रास्ते में प्रसव पीड़ा हुई और वही उन्होंने एक बालक को जन्म दिया। जिसका नाम सिद्धार्थ गौतम रखा गया।
गौतम गोत्र में जन्म लेने के कारण वे गौतम भी कहलाये, राजा शुद्धोधन उनके पिता थे। परंपरागत कथा के अनुसार, सिद्धार्थ की माता महादेवी जो कोली वंश की थी। जिनका जन्म के 7 दिन बाद निधन हो गया था। उनका पालन पोषण उनकी मौसी और शुद्धोधन की दूसरी रानी महाप्रजावति (गौतमी) ने किया था।
सिद्धार्थ बचपन से ही करना युक्त और गंभीर स्वभाव के थे। बड़े होने पर भी उनकी प्रवृत्ति नहीं बदली।तब पिता ने यशोधरा नामक एक सुंदर कन्या के साथ उनका विवाह कर दिया।यशोधरा ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम राहुल रखा गया। परंतु सिद्धार्थ का मन वृष्टि में नहीं लगता था। एक दिन वह ब्राह्मण के लिए निकले,रास्ते में रोगी वृद्ध और मृतक को देखा तो जीवन की सच्चाई का पता चला। क्या मनुष्य की यही गति है? यह सोचकर वह बेचैन हो उठे, फिर एक रात जब महल में सभी सो रहे थे, सिद्धार्थ चुपके से उठे और अपनी पत्नी व बच्चों को सोता छोड़ 1 को चल दिए।
महात्मा बुध के मन में धीरे-धीरे परिवर्तन होने लगा, राजकुमार बुद्ध नगर में घूमने की इच्छा प्रकट की, नगर भ्रमण कि उन्हें इजाजत मिल गई।राजा ने नगर के रक्षकों को संदेश दिया कि वे राजकुमार के सामने कोई भी ऐसा दृश्य ना लाएं जिससे उनके मन में संसार के प्रति वैराग्य भावना पैदा हो। सिद्धार्थनगर में घूमने गए, उन्होंने नगर में बूढ़ों को देखा, उसे देखते ही उन्होंने सारथी से पूछा यह व्यक्ति कौन है? इसकी याद दशा क्यों है? सारथी ने कहा- यह एक बूढ़ा आदमी है, बुढ़ापे में प्रयास सभी आदमियों की यही हालत हो जाती है।
सिद्धार्थ ने 1 दिन रोगी को देखा, रोगी को देखकर उन्होंने सारथी से उसके बारे में पूछा। सारथी ने बताया यह एक रोगी है और रोग से मनुष्य की ऐसी हालत हो जाती है। इन घटनाओं से सिद्धार्थ का वैराग्य भाव और बढ़ गया। सांसारिक सुखों से उनका मन हट गया, उन्होंने जीवन के रहस्य को जानने के लिए संसार को छोड़ने का निश्चय किया। उन्होंने भवन में कठोर तपस्या आरंभ की,तपस्या से उनका शरीर दुर्बल हो गया परंतु मन को शांति नहीं मिली, तब उन्होंने कठोर तपस्या छोड़कर के मध्यम मार्ग चुना, अंत में बिहार के बोधगया नामक स्थान पर पहुंचे और एक पेड़ के नीचे ध्यान लगा कर बैठ गए। एक दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। वे सिद्धार्थ से “बुध”बन गए। वह पेड़ बोधि वृक्ष के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
महात्मा बुद्ध के उपदेश सीधे-साधे थे। उन्होंने कहा कि संसार दुखों से भरा हुआ है। दुख का कारण इच्छा या तृष्णा है।इच्छाओं का त्याग कर देने से मनुष्य दुखों से छूट जाता है। उन्होंने लोगों को बताया कि सम्यक दृष्टि, सम्यक भाव, सम्यक व्यवहार, सम्यक भाषण, समय निर्वाह, सत्य पालन, सत्य विचार और सत्य ध्यान से मनुष्य की तृष्णा मिट जाती है। वही सुखी रहता है, भगवान बुद्ध के उपदेश आज के समय में भी बहुत प्रासंगिक है।
गौतम बुद्ध की शिक्षा
सिद्धार्थ नहीं गुरु विश्वामित्र के पास वेद और उपनिषद तो पढ़े ही, राजकाज और युद्ध विद्या की भी शिक्षा ली। कुश्ती घुड़दौड़, तीर कमान, रथ आपने में कोई उसकी बराबरी नहीं कर पाता। 16 वर्ष की उम्र में सिद्धार्थ को कोली कन्या यशोधरा के साथ विवाह कर दिया गया।पिता द्वारा ऋतु के अनुरूप बनाए गए वैभवशाली और समस्त भोगों से युक्त महल में वे यशोधरा के साथ रहने लगे जहां उनके पुत्र राहुल का जन्म हुआ। लेकिन विवाह के बाद उनका मन वैराग्य मैं चला और सम्यक सुख शांति के लिए उन्होंने अपने परिवार का त्याग कर दिया।
उन्होंने निर्वाण का जो मार्ग मानव मात्र को सुझाया था, वह आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना आज से ढाई हजार वर्ष पूर्व था। मानवता की मुक्ति का मार्ग ढूंढने के लिए उन्होंने स्वयं राजसी भोग विलास त्याग दिए और अनेक प्रकार की शारीरिक यातनाएं झेली, गहरे चिंतन – मनन और कठोर साधना के पश्चात ही उन्हें गया (बोधगया, बिहार) मैं बोधि वृक्ष के नीचे तत्व ज्ञान प्राप्त हुआ था, आर उन्होंने सर्वप्रथम पांच शिष्यों को दीक्षा दी थी। इसके बाद अनेक प्रतापी राजा भी उनके अनुयाई बन गए, बौद्ध धर्म भारत के बाहर भी तेजी से फैला और आज भी बौद्ध धर्म चीन, जापान आदि कई देशों का प्रधान धर्म है।
गौतम बुद्ध के उपदेश:
भगवान बुद्ध ने लोगों को मध्यम का रास्ता अपनाने का उपदेश दिया।उन्होंने दुख उसके कारण और निर्वाण के लिए अहिंसा पर बहुत जोर दिया। जीवो पर दया करो…… गौतम बुद्ध ने हवन और पशु बलि की जमकर निंदा की है। गौतम बुध के कुछ उपदेश इस प्रकार हैं
गौतम बुध के प्रमुख कार्य और बौद्ध धर्म:
बौद्ध धर्म में गौतम बुध एक विशेष व्यक्ति है और बौद्ध धर्म का धर्म अपनी शिक्षाओं में अपनी नींव रखता है। बौद्ध धर्म के 8 गुना पथ का प्रस्ताव रखा है,संसार के महान धर्मों में से एक बौद्ध धर्म के प्रवर्तक महात्मा गौतम बुद्ध ने देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी अमिट प्रभाव छोड़ा है।
गौतम बुध के कुछ अनमोल विचार:
गौतम बुध की मृत्यु:
महात्मा बुध सारी आयु धर्म का प्रचार करते रहे, अंत में इसका प्रचार करते करते 80 वर्ष की आयु में कुशीनगर में उनका देहावसान हो गया। वे मरकर भी अमर हो गए। आज भी अनेक लाखो अनुभवी उन्हें भगवान के समान पूछते हैं।