हम सभी लोग जानते हैं कि हीरा काफी महंगा होता है और इसे एक दुर्लभ चीज भी मानी जाती है। हीरा एक खनिज है, खनिज उन चीजों को कहते हैं जो जमीन के नीचे से निकाली जाती है। हीरा रासायनिक रूप से शुद्ध कार्बन होता है यानी यह पूरी तरह से कार्बन से बना हुआ होता है। इसमें किसी तरह का कुछ भी मिलावट नहीं होता है। अगर आप हीरे को बहुत तेज तापमान पर द्रव करते हैं तो यह जलकर के कार्बन डाइऑक्साइड में बदल जाएगा। दिलचस्प बात, यह है कि हीरे को जलाने पर किसी भी तरह की कोई ग्राहक नहीं बजती है। असली हीरा चलकर के पूरी तरह से कार्बन डाइऑक्साइड में बदल जाता है। आज के हमारे इस लेख में हम यह जानकारी देने वाले हैं कि How is diamond made? हीरा कैसे बनता है?
असल में हीरा कार्बन के अनुभव का एक समूह होता है जो आपस में काफी करीब और मजबूती से जुड़े हुए होते हैं। हमसे इस तरह भी समझ सकते हैं जैसे कि हमने किसी सामान को ठोस ठोस कर सूटकेस में भर लिया हो। एटॉमिक बॉन्ड के वजह से कार्बन के अणु आपस में मजबूती से जुड़े हुए होते हैं।
How is diamond made? हीरा कैसे बनता है?
हीरा कैसे बनता है? यह सवाल आपके मन में भी एक ना एक बार जरूर आया होगा जब आप किसी दुकान में हीरे की अंगूठी खरीदने गए होंगे। इसकी कीमत देख कर के आप के मन में भी यह सवाल एक ना एक बार जरूर आया होगा। आज के हमारे इस लेख में हम इस बारे में आप सभी लोगों को जानकारी देंगे। हीरा कैसे बनता है? घर में असली और नकली हीरे की पहचान हम कैसे कर सकते हैं? इन सारे पहलुओं पर हम अपने इस लेख में चर्चा करने वाले हैं।
हीरा कार्बन का शुद्धतम रूप होता है। रसायनिक रूप से कार्बन का शुद्धतम रूप होने की वजह से इसमें किसी भी तरह का अन्य कोई पदार्थ नहीं मिला हुआ होता है। यदि अगर आप एक प्रयोग करें और अपने घर में मौजूद माइक्रोवेव ओवन पर 763 डिग्री सेल्सियस पर इसे गर्म करते हैं तो यह जल करके कार्बन डाइऑक्साइड में बदल जाएगा। आप यह सोच रहे हैं कि यह कोयले की तरह पीछे राख छोड़ देगा। क्योंकि, कोयला भी तो कार्बन का बना होता है। तो, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। हीरा या Diamond शुद्ध कार्बन का बना हुआ होता है। जिस वजह से इसे चलाने पर या सीधे कार्बन डाइऑक्साइड गैस में बदल जाती है। जलने पर यह किसी तरह का कोई भी राख पीछे नहीं छोड़ती है। इसलिए हम यह कह सकते हैं कि हीरा 100% कार्बन से बना हुआ होता है।
जमीन के अंदर हीरा प्रकृतिक रूप से कैसे बनता है?
आज से लगभग 1 से 3 अरब साल पहले, पृथ्वी की सतह से लगभग 100 मील नीचे हमारे ग्रह पर हम जो भी प्रकृति की राह देखते हैं उनमें से अधिकांश का निर्माण हुआ था। इसी रात शुद्ध कार्बन से बने हुए होते हैं और लंबे समय तक अत्यधिक दबाव और गर्मी से बनते हैं। यह जमीन के अंदर कार्बन परमाणु को तब तक संकुचित किया जाता है जब तक कि वे एक क्रिस्टल जाली संरचना बनना शुरू नहीं कर देते हैं।
लगभग 750 डिग्री फॉरेनहाइट के तापमान और प्रति वर्ग इन 430,000 पौंड से अधिक दबाव के बाद हमें प्राकृतिक रूप से धरती के नीचे हीरा प्राप्त होता है। समय बीतने के साथ साथ ही यह प्राकृतिक रूप से बने ही रहे ज्वालामुखी विस्फोट या भूकंप से या धरती की ऊपरी सतह के स्थानांतरण से यह हीरे पृथ्वी की सतह पर आ जाते हैं। जहां से हीरो की खुदाई की जा सकती है। भारत में लगभग 2500 साल पहले, पहले हीरे की खोज की गई थी। और तब से उन्होंने दुनिया भर के लोगों को आकर्षित किया है। दुनिया भर में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले हीरे का सबसे बड़ा भंडार रूस, बोत्सवाना, अंगोला, कनाडा और दक्षिण अफ्रीका में पाए जाते हैं।
देखा जाए तो प्राकृतिक रूप से बनने वाले हीरो की कोई कीमत लाखों-करोड़ों में होती है। यह हीरे काफी कीमती होते हैं। आजकल हीरो को प्रयोगशाला में भी सिंथेटिक रूप से बनाया जा रहा है। सिंथेटिक रूप से बनाए जाने वाले हीरे, पर अलग अलग तरीके के पदार्थ की मिलावट की जाती है और उसे बारीकी नकल देकर के प्राकृतिक हीरे की नकल की जाती है।
सिंथेटिक हीरा क्या है? What is Synthetic Diamond?
सिंथेटिक (Synthetic) हीरा प्रयोगशाला में निर्मित हीरा या सुसंस्कृत हीरा भी कहा जाता है। प्राकृतिक रूप से बना हीरा जहां शुद्ध कार्बन से बना हुआ होता है। वही सिंथेटिक हीरा एक कार्बन के विभिन्न आइसोटोप द्वारा निर्मित हीरा होता है।
सिंथेटिक हीरे का रासायनिक रूप से प्रकृति खीरे से अलग नहीं होते, भू विज्ञानिक प्रक्रियाओं द्वारा बनाए जाते हैं। उन्हें डायमंड फेमुलेंट के साथ भ्रमित नहीं होना चाहिए जो गैर हीरे सामग्री से बना हुआ होता है।
ऐसे व्यक्ति जो हीरा पर शोध कार्य करने का काम कर चुका है उसके लिए सिंथेटिक शब्द नया नहीं है। उन्होंने सिंथेटिक्स हीरा में से एक जीरकोनिया शब्द तो अवश्य रूप से सुना होगा। जो मानव निर्मित हीरा होता है। जिक्रऑन, मोसानाइट, सफेद नीलम कांच और सिंथेटिक ग्रेनाइट इन सभी हीरो को प्रयोगशाला में बनाए जाता है।
प्रयोगशाला में मानव निर्मित हीरे कैसे बनाए जाते हैं?
साल 1954 के बाद से हम व्यवसायिक तौर पर प्रयोगशाला में बने हीरो का इस्तेमाल कर रहे हैं। प्रयोगशाला में बनाए गए इन डायमंड को पृथ्वी के मेटल के दबाव और तापमान का अनुकरण करके बनाया जाता है।
हालांकि सबसे पहला प्रयास 19 वी शताब्दी के शुरुआत में ही की गई थी। जिसमें ट्रेसीहोल कार्बन के ऊपर पहला प्रयोग किया गया था और इसके रूपांतरण को हीरा में बदलने के लिए कोशिश किया गया था। देखा जाए तो प्रयोगशाला में बनाए गए डायमंड के भौतिक गुण प्राकृतिक हीरे के समान ही होते हैं। लेकिन यह बहुत छोटे होते हैं। हीरे को सीवीडी नामक एक निक्षेपन प्रक्रिया का प्रयोग करके भी बनाया जाता है। जिसमें डायमंड के ऊपर परत सिलीकान, सब स्ट्रेस पर जमा की जाती है ताकि हीरा को परत दर परत और चमकीला बनाया जा सके। जो पूरा का पूरा असली हीरे जैसा ही दिखाई देता है और केवल उन्नत मशीन ही या पकड़ सकती है कि वह प्रकृतिक हीरा है या नहीं।
क्यूबिक जि़रकोनिया
क्यूबिक जि़रकोनिया डाई ऑक्साइड का सिंथेटिक क्यूबिक क्रिस्टल रूप होता है। जो एक कठोर और आमतौर पर रंगीन पत्थर जो लगभग डायमंड की तरह ही दिखाई देता है। इसका इस्तेमाल साल 1976 से व्यवसायिक तौर पर किया जाने लगा था। यह देखने में हीरे की तरह कठोर और टिकाऊ एवं सस्ते होते हैं।
जिरकोन
क्यूबिक जि़रकोनिया ठीक उल्टा, जिरकोन एक सिंथेटिक हीरा नहीं होता है। बल्कि वास्तव में हमारी ग्रह पर सबसे पुराने कीमती पत्थर में से एक है। शायद हो सकता है कि यह डायमंड से भी पुराना हो सकता है।
यह लोगों के बीच में काफी लोकप्रिय सेम्युलेट माना जाता है। और इसमें हीरे की तरह समान चमक और आंतरिक प्रवर्तक होती है। लेकिन कठोरता की बात की जाए तो यह क्यूबिक जि़रकोनिया के मुकाबले थोड़ा कम कठोर, उल्लेखनीय रूप से सुंदर पत्थर है जो आमतौर पर एक प्रमाणिक डायमंड के लिए हो सकता है।
अन्य रत्न
कई ऐसे भी बहुमूल्य पत्थर एवं रत्न मौजूद है जो प्राकृतिक रूप से बने हुए होते हैं। उसकी तुलना आप डायमंड से कर सकते हैं। यह एक प्राकृतिक रूप से बने हीरे के समान ही कठोर एवं मजबूत होता है एवं कुछ पत्थर तो हीरे के समान ही कार्बन से बने हुए होते हैं। जैसे कि सिंथेटिक मोइसानाइट, हाइब्रिड डायमंड, सफेद नीलम, इत्यादि।
असली और नकली हीरे की पहचान घर पर कैसे करें?
बाजार में आपको प्राकृतिक और प्रयोगशाला में सिंथेटिक दोनों ही तरह के हीरे देखने को मिल जाते हैं। ऐसे में हमें एक असली हीरा और प्रयोगशाला या फिर नकली हीरे की पहचान करने की जरूरत होती है। हालांकि, आप किसी जोहरी के पास में जाकर के असली और नकली हीरे की पहचान करवा सकते हैं।
लेकिन, जोहरी से आपको असली और नकली हीरे की पहचान कराने के लिए पैसे खर्च करने पड़ते हैं। हालांकि सबसे अधिक विश्वसनीय तरीका किसे माना जाता है। एक जोहरी के पास में किसी भी डायमंड की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए बहुत सारे औजार एवं उपकरण होते हैं। लेकिन फिर भी अगर आप अपने घर में असली एवं नकली हीरे की पहचान करना चाहते हैं तो आप उसे आसानी से घर में कुछ सामान्य परीक्षण द्वारा जान सकते हैं।
जल परीक्षण – Water Test
हालांकि यह परीक्षण मानव निर्मित हीरे के लिए उतना ज्यादा प्रभावित नहीं है। लेकिन यह किसी भी क्यूबिक जिरकोनिय या डायमंड के सिमुलेटर को फिल्टर कर सकता है।
इस परीक्षण में असली हीरा अपने घनत्व के कारण पानी में डूब जाता है लेकिन सिमुलेटर या नकली हीरा पानी में धीरे-धीरे डूबते हैं। यह पानी के बीच में नकली हीरा हिलते दुलते डूबता है, वही असली हीरा सीधे पानी में अपनी घनत्व के कारण डूब जाता है।
समाचार पत्र परीक्षण – Newspaper Test
हीरा असली है या नकली यह जानने के लिए आप अपने घर में पड़े पुराने समाचार पत्र का टुकड़ा ले सकते हैं। और अखबार में छपे लेख के ऊपर डायमंड को रख कर के देख सकते हैं। अखबार में लिखी गई लिखावट को अगर आप असली हीरे से देखते हैं तो वह पूरी तरह से स्पष्ट हो जाएगी।
हीरा के कई पहलू और प्रवर्तक गुण का मतलब है कि आप इसके माध्यम से सीधे नहीं देख सकते हैं। वही अगर आप किसी नकली हीरे से ऐसा करते हैं तो आपको स्पष्ट रूप से अखबार में लिखी गई लिखावट दिखाई देती है।
अग्नि परीक्षा – Fire Test
यदि आप एक असली हीरे को 20 से 30 सेकंड के लिए अधिक में गर्म करते हैं और फिर उसे एक गिलास पानी पर डाल देते हैं तो यह पूरी तरह से प्रभावित रहता है। यदि आप नकली हीरे के साथ भी ऐसा ही करते हैं तो गर्मी उस नकली हीरे की आंतरिक उर्जा को बढ़ा देती है। जिससे कि उस हीरे के ऊपर दरारें और बादल जैसी संरचना आ जाती है। जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि हीरा असली है या नकली।
सैंडपेपर टेस्ट
अगर आप एक असली हीरे को सेंड पेपर पर रगड़ ते हैं तो किसी भी तरह का कोई निशान नहीं बनता है। क्योंकि एक प्रमाणिक हीरा अविश्वसनीय रूप से टिकाऊ होता है। और एक असली हीरे को दुनिया का सबसे कठोर हीरा माना जाता है। वही नकली हीरे के साथ में ऐसा करने पर वह सैंडपेपर पर गिर जाती है जिसमें खरोच आ जाएगी।
ब्लैक लाइट टेस्ट
अगर आपके पास में काली रंग की टॉर्च लाइट है। तो यहां परीक्षण करना आपके लिए काफी आसान हो जाएगा। काली रंग की टॉर्च लाइट काली रोशनी देती है। अगर आप किसी असली हीरे के ऊपर काली रंग के टॉर्च लाइट से लाइट देंगे तो देखा जाता है कि 30% तक हीरे काली रंग की रोशनी में नीले रंग में चमकने लगते हैं।
लेकिन, उत्तम गुणवत्ता वाले हीरो में किसी भी तरह का अल्ट्रावायलेट किरणों को लेकर के प्रतिदीप्ति नहीं होती है। हालांकि एक नकली सीधा किसी दूसरे रंग में चमक सकता है या उसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं होगी। लेकिन यह 100% सटीक परीक्षण नहीं है। लेकिन यहां बताए गए अधिक गण विकल्प में से किसी एक को आजमाने से पहले यह एक आसान प्रारंभिक परीक्षण है।
निष्कर्ष
दुनिया में डायमंड या हीरे आकर्षक और कीमती पत्थरों में से गिने जाते हैं। जो उन लोगों की उंगलियां गर्दन और कान को सुशोभित करते हैं जो उन्हें खरीद सकते हैं।
एक प्रयोगशाला में बनाए गए क्यूबिक जि़रकोनिया जैसे मानव निर्मित हीरे सिमुलेटर होते हैं जो कि असली प्रकृतिक हीरे की तरह ही दिखाई देते हैं। और दोनों में ही अंतर कर पाना बेहद मुश्किल होता है। अगर आप बाजार से कभी हीरा खरीदते हैं तो इसकी गुणवत्ता की जांच आप हमारे द्वारा बताए गए ऊपर परीक्षण द्वारा कर सकते हैं। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि कीमती पत्थर होने की वजह से इन लोग लालच में आकर के आपको कहीं प्रयोगशाला में निर्मित हीरा तो नहीं दे रहे या फिर आपने सही और 100% शुद्ध हीरा खरीदा है या नहीं इसका परीक्षण कर सकते हैं।