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Munshi Premchand महान कवि एवं लेखक (Biography)

Munshi premchand Biography आपने उनके बारे में किताबों में अक्सर पढ़ा और सुना होगा। यह एक महान लेखक के साथ-साथ महान कवि भी थे।

हिंदी बहुत ही खूबसूरत भाषाओं में से एक है। हिंदी एक ऐसी भाषा है जो हर किसी को अपना लेती है। यानी हिंदी भाषा सरल के लिए बहुत सरल है, और कठिन के लिए बहुत कठिन बन जाती है। मुंशी प्रेमचंद ने हिंदी भाषा को हर दिन एक नया रूप, एक नई पहचान दी है। मुंशी प्रेमचंद एक ऐसे प्रतिभाशाली व्यक्ति के धनी थे। जिन्होंने हिंदी भाषा की परिभाषा ही बदल दी थी, वह एक ऐसे लेखक थे जो समय के साथ बदलते गए, हिंदी साहित्य को आधुनिक रूप प्रदान किया। हिंदी भाषा के लिए उनका योगदान अतुलनीय है। मुंशी प्रेमचंद ने हिंदी भाषा के लिए ऐसे काम किए, सरल सहज हिंदी को ऐसा साहित्य प्रदान किया जिसे लोग कभी नहीं भूल सकते। उन्होंने अपनी जिंदगी में कई बड़ी कठिन परिस्थितियों का प्रेमचंद की दूसरी शादीसामना करते हुए हिंदी जैसे खूबसूरत विषय में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। मुंशी प्रेमचंद हिंदी के लेख ही नहीं बल्कि एक महान साहित्यकार, नाटककार, उपन्यासकार जैसे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे।

जन्म

मुंशी प्रेमचंद जी का जन्म 31 जुलाई सन 1880 को बनारस शहर से चार मील दूर लमही गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम अजायब राय था। वह डाकखाने में मामूली नौकरी करते थे।

जीवन

मुंशी प्रेमचंद का असली नाम धनपत राय था। धनपत राय की उम्र जब केवल 8 साल की थी तो उनकी माता का स्वर्गवास हो गया था। इतनी कम उम्र में उनकी माता का देहांत हो जाने से उन्हें अपने जीवन में कई विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ा था। उनकी माता का देहांत हो जाने के बाद उनके पिताजी ने दूसरी शादी कर ली। उनकी माता का व्यवहार छोटे धनपत राय के लिए उतना अच्छा नहीं था। उन्होंने अपने जीवन में बहुत ही भयंकर गरीबी देखी थी। ना ही उनके पास पहनने के लिए कपड़े थे, ना ही खाने के लिए पर्याप्त भोजन उन्हें मिलता था। इन सबके अलावा घर में सौतेली मां का व्यवहार भी हालत को खस्ता कर रहा था।

शादी

धनपत राय यानी कि मुंशी प्रेमचंद जब केवल 15 वर्ष की आयु के थे उनका विवाह कर दिया गया। उनकी पत्नी उनसे उम्र में काफी बड़ी थी। आपके अपने कुछ लिखो में मुंशी प्रेमचंद ने लिखा है,”

उम्र में वह मुझसे ज्यादा थी। जब मैंने उसकी सूरत देखी तो मेरा खून सूख गया”

और साथ ही में आपने अपने लेखों में यह भी बताया है कि आपकी पत्नी सूरत के साथ साथ उसकी जबान भी मीठी नहीं थी।
मुंशी प्रेमचंद के विवाह के एक वर्ष बाद ही उनके पिताजी का देहांत हो गया। इसके बाद तो मानो मुंशी प्रेमचंद के ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। घर की सारी जिम्मेवारी मुंशी प्रेमचंद के ऊपर आ गई थी। उस समय उनके परिवार में कुल मिलाकर के 5 लोग थे। उन पांचों का खर्चा उठा पाना मुंशी प्रेमचंद के पास पैसों का कोई विकल्प नहीं था।

शिक्षा

पैसों की कमी और गरीबी के कारण मुंशी प्रेमचंद ने अपनी पढ़ाई मैट्रिक तक की। जीवन के आरंभ में उन्होंने गांव से दूर बनारस में पढ़ाई कर रहे थे, वे इतनी दूर नंगे पाव पढ़ने जाते थे, इसे भी जब उनके पिताजी का देहांत हो गया तो उनकी पढ़ाई बीच में छूट गई। उन्हें पढ़ने का काफी शौक था और आगे चलकर वकील बनना चाहते थे। लेकिन गरीबी ने उन्हें आगे पढ़ने नहीं दिया।
स्कूल आने-जाने के झंझट से बचने के लिए मुंशी प्रेमचंद एक वकील साहब के यहां ट्यूशन पढ़ाने लगे। उन्हीं के यहां रह कर के वह कुछ बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया करते थे जिससे उन्हें ₹5 मिला करते थे। जिसमें से ₹3 वह  अपने मकान का किराया दिया करते थे। और मात्र ₹2 से वह अपने महीनों का गुजारा करते थे। इतने कम रुपए में महीने भर का खर्चा उठाना उनके लिए मुश्किल था। ऐसे ही जीवन में तंगी और विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए उन्होंने अपनी मैट्रिक की पढ़ाई खत्म की।

मुंशी प्रेमचंद की दूसरी शादी

प्रेमचंद जी बचपन से ही किस्मत की लड़ाई लड़ रहे थे। कभी भी उन्हें परिवार का लाड प्यार और सुख ठीक से प्राप्त नहीं हुआ। पुराने रीति-रिवाजों के चलते पिताजी के दबाव में आकर के उन्होंने 15 वर्ष की उम्र में ही विवाह कर लिया था। उनकी पहली पत्नी उम्रदराज होने के साथ-साथ बदसूरत और मुंह की मीठी नहीं थी। प्रेमचंद जी का विवाह उनकी मर्जी के बिना उनसे बिना पूछे एक ऐसी कन्या से हुआ जो कि स्वभाव से बहुत ही झगड़ालू प्रवृत्ति की और बदसूरत सी थी।

उनकी पहली पत्नी झगड़ालू प्रवृत्ति होने के कारण और परिवार में कटुता ओं के कारण घर छोड़कर के मायके चली गई। फिर वह कभी भी लौट कर के वापस नहीं आई। मुंशी प्रेमचंद अपनी पहली पत्नी के मायके चले जाने के बाद भी उसे कई सालों तक खर्चा भेजा करते थे। सन उन्नीस सौ पांच के अंतिम दिनों में उनकी मुलाकात शिवरानी देवी से हुई। सन 1905 में उन्होंने शिवरानी देवी से शादी कर ली, यह उनकी दूसरी पत्नी थी। शिवरानी देवी एक बाल विधवा थी और विधवा के प्रति आपका स्नेह के पात्र रहे थे।

मुंशी प्रेमचंद की कार्यशैली

मुंशी प्रेमचंद जी अपने कार्यों को लेकर के बचपन से ही काफी सक्रिय रहे थे। काफी कठिनाइयां और विषम प्रसिद्धि के बावजूद उन्होंने आखिरी समय तक हार नहीं मानी थी। और कुछ ना कुछ लिखते ही रहते थे अंतिम क्षण तक उन्होंने हिंदी और उर्दू में अपने अमूल्य लेखन की छाप छोड़ी है।
◆ उन्होंने अपने पैतृक गांव लमही को छोड़ देने के बाद कम से कम वह 4 सालों तक कानपुर में रहे, यहां पर रह कर के उन्होंने समाचार पत्रों में संपादन का काम भी किया। इस दौरान उन्होंने कई लेख, कहानियां आदि को प्रकाशित भी किया। इसी बीच स्वतंत्रता आंदोलन के लिए भी कई कविताएं भी लिखी। उनके द्वारा लिखा गया लेख और कविताएं धीरे-धीरे जन-जन तक पहुंचने लगा था उनकी कविताओं और लेख को बहुत ज्यादा प्रशंसा और सराहना भी मिली। अब उनका प्रमोशन हो करके डेप्युटी इंस्पेक्शन के पद पर हो गया था। इसके बाद लगातार उनके लेख और कविताएं का प्रकाशन आना शुरू हो गया।
◆ मुंशी प्रेमचंद अपनी लेख कविताओं के चलते काफी लोकप्रिय हो गए थे। यह दौर स्वतंत्रता संग्राम का था। तो भला वे पीछे क्यों रहते हैं, उन्होंने अपने लेख कविताओं के जरिए स्वतंत्रता संग्राम में अपना भागीदारी दिया, इसी बीच उन्होंने महात्मा गांधी के आंदोलन में भी उनका साथ देकर अपनी सक्रिय भागीदारी रखी।
◆ मुंशी प्रेमचंद को अपनी कविता और लेखक के द्वारा जो लोग लोकप्रिय मिली थी, उससे वह काफी उत्साहित भी थे। सन 1921 में उन्होंने अपनी पत्नी से सलाह लेकर अपना हाथ फिल्मों में आजमाने का सोचा, इसके लिए उन्होंने बनारस में अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी, वहां से वह मुंबई आ गए। मुंबई आ करके उन्होंने दो चार फिल्मों की कहानियां भी लिखी। लेकिन इसमें वह उतने सफल नहीं रहे। जिन फिल्मों की स्क्रिप्ट मुंशी प्रेमचंद जी ने लिखी थी वे उन्हें पूरा भी नहीं कर सके। इसके चलते उन्हें आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ा था। फिल्मों में हाथ आजमाने के बाद जब उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी तो वे वापस बनारस आ गए।
◆ गरीबी ,अभाव ,शोषण तथा उत्पीड़न जैसे जीवन की प्रतिकूल परिस्थितियां में मुंशी प्रेमचंद जी को साहित्य की और उनका झुकाव रोक ना सकी। मुंशी प्रेमचंद जी ने अपने नाते के मामू के एक विशेष प्रसंग को लेकर के अपनी सबसे पहली रचना लिखी। 13 साल की आयु में 1894 में ” होनहार बिरवार के चिकने चिकने पत्ते” नामक नाटक उनकी पहली रचना थी। सन 1898 में  उन्होंने पहला उपन्यास लिखा था। इसी दौरान उन्होंने ” रूठी रानी” नामक दूसरा उपन्यास भी लिखा जो इतिहास पर आधारित था। जब उनकी आर्थिक स्थिति कुछ सही होने लगी तब सन 1907 में उन्होंने पांच कहानियों का संग्रह 
” सोजे वतन” की रचना की थी।

मृत्यु

सन 1936 में प्रेमचंद बीमार रहने लगे। अपनी इस बीमारी के दौरान ही उन्होंने ” प्रगतिशीललेखक संघ” की स्थापना की। आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के कारण वह अपने बीमारी का इलाज सही ढंग से भी नहीं करवा पाए, 8 अक्टूबर 1936 को उनका देहांत हो गया। और इस तरह हिंदी के महान साहित्यकार और उपन्यासकार लेखक का जीवन दीया की तरह बुझ गया। लेकिन उनके द्वारा लिखे गए उपन्यास, कहानियां, कविताएं और रचनाएं हमारे बीच मौजूद है। आज भी उनकी कविताएं रचनाएं उतने ही लोकप्रिय है।

मुंशी प्रेमचंद की सर्वोत्तम कुछ कहानियां

मुंशी प्रेमचंद द्वारा कई कहानियां और उपन्यास लिखे गए। लेकिन उनकी कुछ कहानियां और उपन्यास इतने प्रसिद्ध और इतने लोकप्रिय थे, कि आज भी लोगों के जेहन में बसा हुआ है। उन्हें लोकप्रिय और सर्वोत्तम कहानियों का लिस्ट मैं नीचे दे रहा हूं।

  • अंधेर
  • अनाथ लड़की
  • अनुभव
  • अपनी करनी
  • आखरी तोहफा
  • दो बैल की कथा
  • आखरी मंजिल
  • धिक्कार
  • मंदिर और मस्जिद
  • आत्माराम
  • इज्जत का खून
  • ईश्वरीय न्याय
  • कमल के नाम विरजन के पत्र
  • कप्तान साहब
  • कफन
  • कातिल
  • कोई दुख न हो तो बकरी
  • कौशल
  • प्रेम सूत्र
  • शराब की दुकान
  • शादी की वजह
  • पर्वत यात्रा
  • बैंक का दिवाला
  • बड़े घर की बेटी
  • बड़े भाई साहब
  • दुर्गा का मंदिर
  • मोटर के छींटे
  • देवी एक लघु कथा
  • दूसरी शादी
  • शतरंज के खिलाड़ी

यह सारे उनकी द्वारा की गई रचनाएं और कहानियां है। जो आज भी उतने ही लोकप्रिय है। देखा जाए तो मुंशी प्रेमचंद द्वारा की गई रचनाएं सभी प्रमुख है किसी को भी अलग से संबोधित नहीं किया जा सकता। उन्होंने हर तरह की कहानियों की रचना की थी जो हम बचपन से हिंदी की किताब में उनकी कहानियां पढ़ते आ रहे हैं। उनके द्वारा रचित उपन्यास नाटक कविताएं कहानी लेख हिंदी साहित्य में आज भी दिए गए हैं। उन रचनाओं और कहानियां जैसे की – गोदान, गबन, कफन आदि आज भी हमें हमारे हिंदी की किताबों में मिल जाएगा।

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दोस्तों में, facttechno.in का संस्थापक हूं। मैं अपनी इस ब्लॉग पर टेक्नोलॉजी और अन्य दूसरे विषयों पर लेख लिखता हूं। मुझे लिखने का बहुत शौक है और हमेशा से नई जानकारी इकट्ठा करना अच्छा लगता है। मैंने M.sc (Physics) से डिग्री हासिल की है। वर्तमान समय में मैं एक बैंकर हूं।

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