ऐसे तो हर सीजन और हर मौसम में कई सारे पर्व त्यौहार मनाए जाते हैं, भारत जैसे देश में जहां कई धर्म और जाति मौजूद है। वैसे ही अलग-अलग धर्म के लोग कई तरह के पर्व त्योहार अपनी मान्यताओं के अनुसार मनाते आ रहे हैं।
‘ गुड फ्राइडे’, (good friday) ईसाई धर्म के लोगों के बीच मनाया जाने वाला एक त्यौहार है, जिसे ‘ शोक दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। प्रेम, ज्ञान और अहिंसा के रास्ते का संदेश देने वाले प्रभु यीशु को इसी दिन सूली पर चढ़ाया गया था। प्रभु यीशु के द्वारा ही ईसाई धर्म की स्थापना की गई थी। तो चलिए आइए जानते हैं आज के हमारे इस लेख में की ‘ गुड फ्राइडे’ क्या है? ‘गुड फ्राइडे’ को क्यों मनाया जाता है?
‘गुड फ्राइडे’ नाम क्यों पड़ा?
ईसाई धर्म के अनुसार ईसा मसीह, परमेश्वर के बेटे हैं। उन्हें अज्ञानता के अंधकार को दूर करने के लिए मृत्युदंड की सजा दी गई थी। कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए पिता उसने यीशु को क्रूस पर लटका कर जान से मारने का आदेश दिया और उन पर कई तरह से यातनाएं की गई थी।
लेकिन यीशु उनके लिए प्रार्थना करते रहे की ‘ हे ईश्वर! इन्हें क्षमा करना, क्योंकि यह नहीं जानते कि यह क्या कर रहे हैं’। ईसा मसीह ने लोगों की भलाई के लिए अपनी जान दे दी। ईसा मसीह ने लोगों की भलाई के लिए काफी यातनाएं सही थी। जिस दिन ईसा मसीह को क्रूस पर चढ़ाया गया था, उस दिन फ्राइडे यानी कि शुक्रवार का दिन था। तब से उस दिन को ‘ गुड फ्राइडे’ कहा जाने लगा।
गुड फ्राइडे (good friday) क्यों मनाया जाता है?
ईसाई मान्यताओं को मानने वाले लोग गुड फ्राइडे का पर्व इसलिए मनाते हैं क्योंकि आज के दिन ही प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया था। इसलिए लोग इस दिन उनके बलिदान को याद करते हैं। वे प्रेम और शांति के मसीह है, लेकिन दुनिया को करुणा का संदेश देने वाले प्रभु यीशु को उस समय के धार्मिक कट्टरपंथी ने रोम के शासक से शिकायत करके उन्हें सूली पर लटका दिया था। हालांकि कहते हैं कि प्रभु यीशु इस घटना के दिन 3 दिन बाद पुनः जीवित हो उठे थे। जिस दिन प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया था, वह दिन फ्राइडे यानी कि शुक्रवार का दिन था। इस चलते पूरे विश्व में शुक्रवार के दिन को गुड फ्राइडे के रूप में मनाया जाता है।
गुड फ्राइडे (good friday) मनाने के पीछे का इतिहास
करीब 2000 साल पहले हीरो सेलम के गलियों में ईसा मसीह लोगों को एकता, शांति, मानवता, भाईचारे और अहिंसा का उपदेश देते थे। जिसके चलते वहां के लोगों ने उन्हें आस्था बस ईश्वर मानना शुरू कर दिया था। लोग उनके बात उनके विचार अपने जीवन में उतारने लगे थे। इसके साथ ही उनके अनुयाई बढ़ने के साथ-साथ विरोधी भी बढ़ने लगे थे।
लेकिन इस दौरान समाज में उनके अनुयाई बढ़ने के साथ-साथ जो विरोधी बढ़ने लगे तो समाज में धार्मिक अंधविश्वास और कुरीतियों को फैलाने वाले धर्मगुरु को ईशा के प्रति जलन होने लगी और उन लोगों ने उन्हें अपना शत्रु मानना शुरू कर दिया था। लेकिन प्रभु ईसा मसीह की लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही थी इस कारण धर्मगुरु ने रोम के शासक पिला दो उसको भरता कर ईशा के लिए मृत्युदंड का फरमान जारी करवाया था।
विरोधियों ने पिलात उसको भड़काया और उनसे कहा कि ईशा खुद को ईश्वर का पुत्र बताता है और घोर पापी युवक ईश्वर राज की बात भी बनाता है। जिसके बाद एक दिन शासक ने प्रभु ईसा मसीह को मृत्युदंड देने का फरमान जारी कर दिया और सूली पर चढ़ाने का आदेश सुना दिया। सूली पर चढ़ने से पहले इस पर कई बार कूड़े चाबुक बरसाए गए यही नहीं उनके कांटों का ताज भी पहनाया गया था। कहा जाता है कि ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाए जाने से पहले उन्हें छह घंटों तक कई सारी यातनाएं दी गई। उन पर कई सारे कोड़े चाबुक बरसाए गए और उन्हें कांटों का ताज भी पहनाया गया था इसके अलावा ईशा के हाथों को सूली में बांधकर खुद ही कंधों पर उठाकर ले जाने के लिए विवश किया गया था। उनके साथ सूली पर दो और लोगों को भी सूली पर चढ़ाया गया था।
3 दिन बाद हो गए थे जीवित
ईसा मसीह को शुक्रवार के दिन पुरुष पर लटकाया जाने के तीसरे दिन रविवार को वे फिर से जीवित हो उठे थे। इसलिए पूरी दुनिया में रविवार को ‘ ईस्टर संडे’ के रूप में मनाया जाता है।
गुड फ्राइडे (good friday) के दिन चर्च में करते हैं प्रार्थना
माना good friday जाता है कि जब ईसा मसीह को सूली पर लटकाया गया था तो उसके कुछ समय बाद पूरे राज्य में अंधेरा छा गया था। इसके बाद एक चीज आई और प्रभु ईसा मसीह ने अपने प्राण त्याग दिए। ऐसी भी मान्यता है कि ईसा ने जब अपने प्राण त्याग दिए थे तो उस समय एक तूफान आया और कब्रों की कपाट ए खुल गई, यहां तक आ जाता है कि इसके बाद पवित्र मंदिर का पर्दा भी फट गया था। इसी कारण लोग आज के दिन चर्च में इकट्ठा होकर प्रार्थना करते हैं। लेकिन चर्च में प्रार्थना के अलावा उत्साह नहीं होता। क्योंकि ज्यादातर लोग गुड फ्राइडे के दिन को शोक दिवस के रूप में भी मानते हैं।
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