न्यूनतम समर्थन मूल्य एक वस्तु, सेवा, या उत्पाद की सबसे कम कीमत होती है जिसे विक्रेता तय करता है ताकि उसे अपने लाभ के अनुसार बेच सके। यह आमतौर पर विभिन्न उपभोक्ताओं और विपणन परियोजनाओं के अनुसार बदलता है। इसे “फ्लोर प्राइस” भी कहा जाता है। न्यूनतम समर्थन मूल्य का उद्देश्य आमतौर पर बाजार में उत्पाद की न्यूनतम उपलब्धता को सुनिश्चित करना होता है, जिससे बाजार में परिस्थितियाँ स्थिर रहती हैं। यह उत्पादों की मांग और आपूर्ति को संतुलित रखने में मदद करता है। न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण विभिन्न कारकों जैसे उत्पाद की लागत, बाजार की विपणन परियोजनाएं, और उत्पाद की मांग आधारित किया जाता है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price – MSP) भारतीय कृषि व्यावसायिकता के लिए एक महत्वपूर्ण निर्देशक है। यह किसानों को न्यूनतम आधार पर उत्पादों के लिए न्यूनतम मूल्य प्रदान करने का एक तरीका है, ताकि उन्हें उत्पादन की लागत को चिंता किए बिना अधिकतम आय मिल सके।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भारत में कृषि उत्पादों की एक प्रमुख निर्धारक कीमत है जो किसानों को उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा निर्धारित की जाती है। यह कृषि उत्पादन को सुरक्षित करने, किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने और खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। MSP को स्थायी रूप से स्थापित किया जाता है, और इसे विभिन्न कृषि उत्पादों के लिए हर वर्ष नवीनीकृत किया जाता है।
MSP की जरूरत:
- किसानों की सुरक्षा: MSP किसानों को उत्पादन के लिए समर्थन प्रदान करता है और उन्हें न्यूनतम आय सुनिश्चित करता है। यह उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में मदद करता है।
- खाद्य सुरक्षा: MSP खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि इसके माध्यम से आहार उत्पादों की उपलब्धता को सुनिश्चित किया जाता है।
- कृषि विकास: MSP की उपलब्धता किसानों को विशेष उत्पादों के लिए प्रोत्साहित करती है जो खेती का विस्तार और प्रदर्शन में सुधार करती हैं।
- कृषि उत्पादों की स्थिरता: MSP के बिना, किसानों को विपणन दलों के साथ निगमन करने के लिए भविष्य के बारे में निश्चितता की कमी होती है। MSP उत्पादों के लिए एक स्थायी बाजार कीमत प्रदान करता है।
महत्वपूर्ण तत्व:
- न्यूनतम आय का सुनिश्चितीकरण: MSP किसानों को न्यूनतम आय का सुनिश्चितीकरण प्रदान करता है ताकि वे अपने परिवारों की आर्थिक जरूरतों को पूरा कर सकें।
- किसानों के हित में न्यूनतम मूल्य: MSP नियमित रूप से समीक्षित और नए और अधिक लाभकारी कृषि उत्पादों के लिए नवीनीकृत किया जाता है।
- सरकारी संबंधन: सरकार स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर MSP को निर्धारित करती है और न्यूनतम आय की सुनिश्चितता के लिए किसानों को उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
- कृषि नीतियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ: MSP किसानों के हित में कृषि नीतियों का महत्वपूर्ण हिस्सा है और उत्पादन को सुरक्षित करने में मदद करता है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य एक महत्वपूर्ण निर्देशक है जो भारतीय कृषि के विकास और किसानों की आर्थिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने में मदद करता है। यह किसानों को उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करता है और खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसे नियमित रूप से समीक्षित किया जाना चाहिए और नए और अधिक लाभकारी कृषि उत्पादों के लिए नवीनीकृत किया जाना चाहिए। इसके माध्यम से, हम निरंतर कृषि उत्पादन और किसानों की आर्थिक स्थिति को सुरक्षित रख सकते हैं, जिससे हमारे देश का कृषि क्षेत्र विकसित हो सके।
फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य
निम्नलिखित हैं कुछ मुख्य फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की सूची:
- धान (Paddy): ₹1,888 प्रति क्विंटल (माध्यम धारा धान)
- गेहूँ (Wheat): ₹2,015 प्रति क्विंटल
- मक्का (Maize): ₹1,850 प्रति क्विंटल
- तिलहन (Soybean): ₹3,950 प्रति क्विंटल
- कपास (Cotton): ₹5,515 प्रति क्विंटल (माध्यम स्तर का उत्पाद)
- चावल (Rice): ₹1,940 प्रति क्विंटल (माध्यम धारा चावल)
- उड़द (Urad): ₹6,000 प्रति क्विंटल
- जौ (Barley): ₹1,525 प्रति क्विंटल
- मसूर (Lentil): ₹5,100 प्रति क्विंटल
- मूंग (Moong): ₹7,196 प्रति क्विंटल
यह सूची विभिन्न फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को दर्शाती है, जो भारतीय किसानों को उत्पादन के लिए संबोधित कीमत प्रदान करता है। यह न्यूनतम मूल्य सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है ताकि किसानों को न्यूनतम आय सुनिश्चित की जा सके और उन्हें उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों का आंदोलन क्यों?
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर किसानों का आंदोलन कई कारणों से प्रेरित हो सकता है। यहाँ कुछ मुख्य कारण हैं:
- आर्थिक असहायता: न्यूनतम समर्थन मूल्य को समाप्त कर देने से किसानों को आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर असर पड़ता है।
- उत्पादकता की कमी: न्यूनतम समर्थन मूल्य को किसानों के लिए प्रोत्साहित करने की अनुमति न देने से, किसानों की उत्पादकता पर असर पड़ सकता है। यह उन्हें उत्पादन कम करने और खेती को छोड़ने के लिए प्रेरित कर सकता है।
- अनियमित बाजार कीमतें: अनियमित बाजार कीमतें और मंदी की स्थिति में, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का महत्व अधिक महसूस होता है। वे अपने उत्पादों को वाणिज्यिक बाजार में बेचने के लिए इस निर्देशक कीमत की उम्मीद करते हैं।
- सरकारी नीति का विरोध: किसानों का आंदोलन अक्सर सरकारी नीतियों के खिलाफ होता है, जिसमें वे न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाने की मांग करते हैं।
- असमान अधिकार: किसान आंदोलन का अभियान अक्सर असमान अधिकार और सामाजिक न्याय के लिए होता है, जहां वे न्यूनतम समर्थन मूल्य की समानता और न्याय की मांग करते हैं।
- खेती की व्यवस्था: अधिकांश किसान आंदोलन खेती की व्यवस्था, बेहतर कृषि योजनाओं, और विकसित गाँवों के लिए लड़ते हैं। वे अधिक विकसित कृषि संरचना, सुधारित जल संसाधन प्रबंधन, और किसानों के हित में सरकारी नीतियों की मांग करते हैं।
इन सभी कारणों से किसानों का आंदोलन न्यूनतम समर्थन मूल्य के मामले में जारी रहता है। यह उनके आर्थिक, सामाजिक, और राजनीतिक हक की रक्षा करने का एक माध्यम होता है।
रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य
निम्नलिखित है रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य का विवरण:
- गेहूँ (Wheat): ₹2,015 प्रति क्विंटल
- चना (Chickpea): ₹5,100 प्रति क्विंटल
- सरसों (Mustard): ₹4,400 प्रति क्विंटल
- जौ (Barley): ₹1,525 प्रति क्विंटल
- मसूर (Lentil): ₹5,100 प्रति क्विंटल
- सेसम (Sesame): ₹7,307 प्रति क्विंटल
- कपास (Cotton): ₹5,515 प्रति क्विंटल (माध्यम स्तर का उत्पाद)
- मूंग (Moong): ₹7,196 प्रति क्विंटल
ये मूल्य भारत सरकार द्वारा निर्धारित किए गए हैं ताकि रबी फसलों के लिए किसानों को उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जा सके और उन्हें न्यूनतम आय सुनिश्चित किया जा सके।
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बनाए गए कानून
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर आधारित कई कानूनी प्रावधान हैं जो भारतीय किसानों को सुरक्षित करने और उन्हें न्यूनतम मूल्य प्राप्त करने में मदद करने के लिए बनाए गए हैं। यहां कुछ मुख्य कानूनी प्रावधान हैं:
- कृषि उत्पादों (नियंत्रण और मूल्य विकेन्द्रीकरण) अधिनियम, 2018: इस अधिनियम के तहत, सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को निर्धारित करने और उसे लागू करने का अधिकार होता है।
- किसानों (संरक्षण और कृषि सेवा) कानून, 2020: इस कानून के अनुसार, किसानों को उत्पादन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाता है और उन्हें उत्पादन से संबंधित समर्थन उपायों और सेवाओं की पहुंच प्रदान की जाती है।
- किसानों (विकास और कल्याण) कानून, 2020: इस कानून के तहत, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी दी जाती है और उन्हें कृषि उत्पादों के लिए स्थिर और अधिकतम मूल्य प्राप्त करने की सुनिश्चिती होती है।
- कृषि उत्पादों की अनुदान और मूल्य विकेन्द्रीकरण विनियमन अधिनियम, 2018: इस अधिनियम के तहत, कृषि उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को निर्धारित किया जाता है और उत्पादकों को उसका लाभ मिलता है।
- खेती के अधिकार कानून, 2020: इस कानून के तहत, किसानों को उत्पादन से संबंधित सुरक्षा और न्यूनतम मूल्य की गारंटी दी जाती है।
ये कानून भारतीय किसानों को स्थिरता, सुरक्षा, और न्याय की गारंटी प्रदान करते हैं और उन्हें उत्पादन से संबंधित समर्थन प्राप्त करने में मदद करते हैं।
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बनाए गए कानून की सूची एक सारणी द्वारा
कानून | साल | विवरण |
---|---|---|
कृषि उत्पादों (नियंत्रण और मूल्य विकेन्द्रीकरण) अधिनियम, 2018 | 2018 | इस अधिनियम के तहत, सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को निर्धारित करने और उसे लागू करने का अधिकार होता है। |
किसानों (संरक्षण और कृषि सेवा) कानून, 2020 | 2020 | इस कानून के अनुसार, किसानों को उत्पादन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाता है और उन्हें उत्पादन से संबंधित समर्थन उपायों और सेवाओं की पहुंच प्रदान की जाती है। |
किसानों (विकास और कल्याण) कानून, 2020 | 2020 | इस कानून के तहत, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी दी जाती है और उन्हें कृषि उत्पादों के लिए स्थिर और अधिकतम मूल्य प्राप्त करने की सुनिश्चिती होती है। |
कृषि उत्पादों की अनुदान और मूल्य विकेन्द्रीकरण विनियमन अधिनियम, 2018 | 2018 | इस अधिनियम के तहत, कृषि उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को निर्धारित किया जाता है और उत्पादकों को उसका लाभ मिलता है। |
खेती के अधिकार कानून, 2020 | 2020 | इस कानून के तहत, किसानों को उत्पादन से संबंधित सुरक्षा और न्यूनतम मूल्य की गारंटी दी जाती है। |
न्यूनतम समर्थन मूल्य कौन तय करता है?
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की निर्धारण प्रक्रिया भारतीय सरकार द्वारा की जाती है। यह निर्धारण कृषि मंत्रालय के नेतृत्व में की जाती है, जो देश के कृषि उत्पादन की विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लेता है।
MSP का मुख्य उद्देश्य किसानों को उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करना है और उन्हें न्यूनतम आय सुनिश्चित करना है। यह न्यूनतम मूल्य भाव वोलेटिलिटी से किसानों को बचाता है और उन्हें वाणिज्यिक बाजार के साथ बेहतर स्थिति में खड़ा करता है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य को निर्धारित करने में कई प्रमुख तत्व शामिल होते हैं, जैसे कि:
- उत्पादकता की प्रत्याशा: न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण करते समय, उत्पादकता की अनुमानित प्रत्याशा को ध्यान में रखा जाता है।
- खाद्य सुरक्षा: न्यूनतम समर्थन मूल्य के माध्यम से, खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कृषि उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा को बनाए रखने का प्रयास किया जाता है।
- बाजार संशोधन: बाजार संशोधन के माध्यम से, न्यूनतम समर्थन मूल्य की निर्धारण प्रक्रिया में विभिन्न बाजारों की स्थिति और प्रकृति का विश्लेषण किया जाता है।
- राजनीतिक मामले: किसानों के हित में, राजनीतिक और सामाजिक प्रक्रियाओं में समर्थन मूल्य की निर्धारण प्रक्रिया में सामाजिक और राजनीतिक दबाव भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
कुल मिलाकर, न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण एक संवेदनशील प्रक्रिया होता है जो कृषि उत्पादन की गुणवत्ता, खाद्य सुरक्षा, और किसानों की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है।
अक्सर कुछ पूछे जाने वाले सवाल
1. न्यूनतम समर्थन मूल्य का क्या मतलब है?
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) एक निर्धारित मूल्य होता है जिसे सरकार किसानों को उनकी उत्पादन कीमत से कम नहीं बेचने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए निर्धारित करती है। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को न्यूनतम आय सुनिश्चित करना है और उन्हें उत्पादन के लिए प्रेरित करना है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण भारतीय सरकार द्वारा किया जाता है और यह प्रति यूनिट किसानों को उनके उत्पाद के लिए दिया जाता है, जैसे कि प्रति क्विंटल अनाज या अन्य फसलों के लिए। इसका निर्धारण विभिन्न कृषि उत्पादों के लिए अलग-अलग होता है और यह बाजार के दबावों से किसानों को बचाने के लिए किया जाता है।
MSP के निर्धारण में कृषि उत्पादन की प्रत्याशा, बाजार संशोधन, खाद्य सुरक्षा, और राजनीतिक मामलों का ध्यान रखा जाता है। इससे किसानों को उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और उन्हें वाणिज्यिक बाजार के दबावों से बचाया जाता है।
कुल मिलाकर, न्यूनतम समर्थन मूल्य का मतलब है कि सरकार किसानों को उनके उत्पाद की कीमत से कम नहीं बेचने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिससे उन्हें न्यूनतम आय सुनिश्चित किया जा सकता है।
2. न्यूनतम समर्थन मूल्य को परिभाषित कीजिए
न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price, MSP) एक ऐसा मूल्य होता है जो सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है और किसानों को उनकी कृषि उत्पादन की न्यूनतम कीमत से कम नहीं बेचने के लिए सुनिश्चित करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। यह कृषि उत्पादन के लिए एक सुरक्षा नेट होता है, जो किसानों को बाजार के उतार-चढ़ावों से बचाने में मदद करता है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य का उद्देश्य किसानों को न्यूनतम आय सुनिश्चित करना है और उन्हें उत्पादन के लिए प्रेरित करना है। इसके माध्यम से, किसानों को विभिन्न कृषि उत्पादों के लिए निर्धारित मूल्य मिलता है, जिससे उन्हें अपने उत्पाद को बेचने के लिए विश्वसनीयता और स्थायित्व मिलता है।
MSP का निर्धारण कृषि मंत्रालय द्वारा किया जाता है, जिसमें विभिन्न कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्यों की निर्धारण की जाती है। इस प्रक्रिया में किसानों की उत्पादकता, बाजार की स्थिति, और खाद्य सुरक्षा जैसे तत्वों को ध्यान में रखा जाता है।
कुल मिलाकर, न्यूनतम समर्थन मूल्य का प्राथमिक उद्देश्य किसानों की सुरक्षा और सहारा प्रदान करना है, ताकि उन्हें न्यूनतम आय सुनिश्चित किया जा सके और वे कृषि उत्पादन में लगे रहें।
3. न्यूनतम समर्थन मूल्य से किसानों को क्या फायदा होता है?
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) किसानों को कई तरह के फायदे प्रदान करता है:
- न्यूनतम आय की गारंटी: MSP के द्वारा, किसानों को उनकी उत्पादन कीमत से कम नहीं बेचने की गारंटी मिलती है, जिससे उन्हें न्यूनतम आय सुनिश्चित होती है।
- बाजार संरक्षण: MSP उन किसानों को बाजार की उतार-चढ़ावों से बचाता है जो अक्सर उत्पादों को अधिक निकालने या बिक्री करने के लिए दबाव डालते हैं।
- विश्वसनीयता: MSP की मौजूदगी से, किसान अपने उत्पादों को बाजार में न्यूनतम मूल्य पर बेचने की विश्वसनीयता और स्थायित्व प्राप्त करते हैं।
- किसानों की सामर्थ्य और स्थिरता: MSP के द्वारा, किसानों को उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे उनकी सामर्थ्य और स्थिरता में सुधार होता है।
- खाद्य सुरक्षा: MSP के माध्यम से, खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाता है क्योंकि इससे कृषि उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा को बनाए रखने का प्रयास किया जाता है।
- सामाजिक सुरक्षा: MSP के माध्यम से, किसानों को सामाजिक सुरक्षा और आत्मविश्वास की भावना मिलती है क्योंकि उन्हें उत्पादन के लिए समर्थित किया जाता है।
कुल मिलाकर, MSP के माध्यम से किसानों को उत्पादन के लिए सुरक्षा, आत्मविश्वास, और समर्थन प्राप्त होता है जिससे उन्हें न्यूनतम आय सुनिश्चित होती है और वे खुदरा बाजार के दबावों से बच सकते हैं।
4. न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण कौन करता है?
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का निर्धारण भारतीय सरकार द्वारा किया जाता है। इसका निर्धारण कृषि मंत्रालय के नेतृत्व में किया जाता है, जो किसानों के हित में आवश्यक कदमों को लेते हैं। कृषि मंत्रालय के पास कृषि उत्पादों के लिए विभिन्न संदर्भों के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्यों को निर्धारित करने का अधिकार होता है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण कृषि मंत्रालय के अधीन समर्थन मूल्य आयोग (Commission for Agricultural Costs and Prices, CACP) द्वारा किया जाता है। CACP विभिन्न कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्यों की निर्धारण करता है, जिसमें खेती, बाजार की स्थिति, और खाद्य सुरक्षा के तत्वों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेता है।
सरकार ने किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी दी है ताकि वे अपने उत्पादों को न्यूनतम मूल्य पर बेचकर न्यूनतम आय सुनिश्चित कर सकें। इससे किसानों को खेती में लगाने का सहारा मिलता है और उन्हें अपने उत्पादों के लिए निश्चितता प्राप्त होती है।
5. न्यूनतम समर्थन मूल्य के नकारात्मक प्रभाव
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के नकारात्मक प्रभावों में कुछ निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:
- बजट का बोझ: MSP के निर्धारण के लिए सरकार को अधिक धनराशि की आवश्यकता होती है, जिससे बजट का बोझ बढ़ता है। यह फिसड्डी योजनाओं, सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों, और अन्य सेवाओं को प्रभावित कर सकता है।
- उत्पादन के लिए प्रेरणा की कमी: MSP के निर्धारण से, किसानों को उत्पादन के लिए प्रेरित किया जाता है, जो कई बार उत्पादन की वास्तविक डिमांड से अधिक होता है। इससे उत्पादन में अतिरिक्त बोझ डाला जाता है और पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ता है।
- बाजार प्रणाली के प्रभाव: MSP के निर्धारण से, बाजार प्रणाली पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है जिससे बाजार में असंतुलन बढ़ सकता है और उत्पादों की खरीद और बिक्री में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- सामाजिक न्याय के प्रभाव: MSP के निर्धारण से, बाजार में अधिक उत्पादों के आगमन के कारण किसानों को न्यायसंगत मूल्य नहीं मिल सकता, जिससे सामाजिक न्याय पर दबाव पड़ सकता है।
- कृषि सेक्टर की निजीकरण: MSP के अधिकतम उत्पादन के कारण, कृषि सेक्टर में निजीकरण की प्रक्रिया तेजी से बढ़ सकती है, जो सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को उत्पन्न कर सकती है।
ये कुछ नकारात्मक प्रभाव हैं जो MSP के निर्धारण के साथ आ सकते हैं, लेकिन सरकार के निर्णय में इन प्रभावों को समाहित करने के लिए उपाय किए जा सकते हैं।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) एक महत्वपूर्ण कृषि नीति है जो किसानों को उनकी उत्पादन कीमत से कम नहीं बेचने के लिए सुनिश्चित करती है। यह उन्हें न्यूनतम आय सुनिश्चित करती है और उत्पादन के लिए प्रेरित करती है। हालांकि, इसके नकारात्मक प्रभाव भी हैं, जैसे कि बाजट के बोझ का बढ़ना, बाजार प्रणाली पर दबाव, और कृषि सेक्टर की निजीकरण।
सरकार को इन नकारात्मक प्रभावों का समाधान करने के लिए नीतियों को संशोधित करने की जरूरत है, ताकि कृषि सेक्टर को समृद्धि, स्थिरता, और सामाजिक न्याय के साथ विकसित किया जा सके। विशेष रूप से, बाजार में समायोजितता, समर्थन प्रोत्साहन के साथ ग्रामीण क्षेत्रों के विकास, और किसानों की तकनीकी और व्यावसायिक क्षमता को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए। इसके साथ ही, संशोधित नीतियों के माध्यम से, सरकार किसानों के हित में उपाय कर सकती है और कृषि सेक्टर को सुधारने में मदद कर सकती है।