Chanakya facts in Hindi : भारत के इतिहास में आचार्य चाणक्य का महत्वपूर्ण स्थान है।150 भारत छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित था और विदेशी शासक सिकंदर भारत पर आक्रमण करने के लिए भारतीय सीमा तक आ पहुंचा था, तब चाणक्य ने अपनी नीतियों भारत की रक्षा की थी। चाणक्य के बारे में कई आश्चर्यजनक और रोचक तथ्य भी है जिनके बारे में आप जरूर जानना चाहेंगे।
चाणक्य के पैदा होते ही यह बात जैन मुनि ने लोगों को बता दी थी कि चाणक्य किस तरह से आचार्य बनेंगे, और यह बात आगे चलकर सत्य भी साबित होती थी, खैर इस बात को हम अभी नीचे जान ही लेंग, तो चलिए जानते हैं आचार्य चाणक्य के बारे में कुछ रोचक तथ्य :-
चाणक्य के बारे में रोचक तथ्य – interesting fact about Chanakya in Hindi
- आचार्य चाणक्य जी का जन्म 371 ईसा पूर्व में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
- आचार्य चाणक्य जी ने अपने समय के सबसे विद्वान और ज्ञानी इंसान थे।
- आज भी दुनिया की सभी नीति चाणक्य नीति पर ही आधारित होती है।
- आचार्य चाणक्य जी को दवा के साथ-साथ खगोल विज्ञान का भी बहुत शौक था।
- चाणक्य के बनाए गए वसूल ओं से ही मौर्य साम्राज्य उस समय का सबसे बड़ा समराज बना था।
- चाणक्य जी ने राज्य चलाने के लिए अर्थशास्त्र पर महारत हासिल की थी।
- आचार्य चाणक्य किसी भी इंसान के चेहरे को देख कर बता सकते थे कि सामने वाला व्यक्ति क्या सोच रहा है।
- आचार्य चाणक्य ऐसे पहले विचारक थे जिन्होंने कहा था कि राज्य का एक अपना संविधान होना चाहिए।
- चाणक्य ने जिस तक्षशिला विश्वविद्यालय में अपनी पढ़ाई की थी वह अब अफगानिस्तान में है।
- आचार्य चाणक्य जी ने अपने भोजन में जहर की कुछ मात्रा मिलाते थे ताकि वह चंद्रगुप्त के किसी भी शत्रु के जहरीले वार से बच सके।
- हालांकि यह बात बाद में गलत साबित हुई थी लेकिन बिंदुसार के माता की हत्या का झूठा आरोप लगने पर इन्होंने अपने पद का त्याग कर दिया था।
- आचार्य चाणक्य के पिता का नाम चाणक था, जो कि एक शिक्षक थे वही चाणक्य जी का नाम चाणक्य पड़ा था।और इनका गोत्र कोटिल था जिससे इनका दूसरा नाम कौटिल्य पड़ा था।
- आचार्य चाणक्य जी जब भी कोई प्लान बनाते तो वह बहुत दूर की सोच कर प्लान बनाते थे और साथ ही में हर प्लान के साथ एक दूसरा प्लान भी होता था।
- आचार्य चाणक्य की मौत का दो कारण बताएं जा रहा है, पहला कारण चाणक्य ने भोजन व पानी को त्याग कर अपनी इच्छा से शरीर को छोड़ दिया था, और दूसरा कारण आचार्य चाणक्य जी एक पर पढ़ यंत्र के शिकार हुए और उनकी मौत हो गई।
- चाणक्य जी जब पैदा हुए थे तब उनके मुंह में केवल एक ही दांत था, यानी कि जन्म के साथ ही उनके मुंह में एक दांत उपस्थित था।जिसे देखकर जैन मुनियों ने भविष्यवाणी की थी कि यह लड़का राजा बनेगा लेकिन यह बात सुनकर चाणक्य के माता-पिता घबरा गए और कहा कि उनका पुत्र एक जैन मुनि या फिर आचार्य बने तो फिर आप इसके दांत को निकाल दो। यह राजा का निर्माता बनेगा।
आचार्य चाणक्य की मौत कैसे हुई?
आचार्य चाणक्य की मौत के बारे में कई तरह के बातें व उल्लेख मिलता है। कहते हैं कि वह अपने सभी कार्यों को पूरा करके बाद में एक भी एक रथ पर सवार होकर के मगत से दूर जंगलों में चले गए थे उसके बाद में कभी नहीं लौटे। कुछ लोगों के अनुसार उन्हें मगध की रानी हेलेना ने जहर देकर मार दिया था।
लेकिन इसके पीछे सच क्या है? इसे जानने के लिए हमें इतिहास को पन्नों को फिर से पलट करके देखना होगा। क्योंकि आचार्य चाणक्य की मौत को लेकर के कई कहानियां प्रचलित है। लेकिन कौनसी सच है यह कोई नहीं जानता है। आचार्य चाणक्य की मृत्यु कैसे हुई थी इसको लेकर के लोगों के बीच में 2 कहानियां प्रचलित है। लेकिन इन दोनों कहानियों में से कौन सी सच है यह कह पाना बहुत ही मुश्किल है।
पहली कहानी
कहा जाता है कि चंद्रगुप्त मौर्य के मरने के बाद आचार्य के अनुशासन तले राजा बिंदुसार सफलतापूर्वक अपना शासन चला रहा था। लेकिन इसी काल में वह परिवारिक संघर्ष, षड्यंत्र का सामना भी कर रहे थे। कहते हैं कि परिवार और राज दरबार की कुछ लोगों ने आचार्य चाणक्य की मौर्य साम्राज्य के प्रति इतनी करीबी पसंद नहीं थी। उनमें से एक का नाम राजा बिंदुसार का मंत्री सुबंधु का था जोकि आचार्य चाणक्य को मौर्य साम्राज्य से दूर रखना चाहता था।
बिंदुसार का मंत्री सुबंधु ने आचार्य चाणक्य तो मारने के लिए कर कई षड्यंत्र भी किए थे। उसने राजा बिंदुसार के मन में कई गलतफहमियां भी उत्पन्न की थी। उन्होंने बिंदुसार को यह गलतफहमी उत्पन्न कर आई थी कि उनकी माता की मृत्यु के पीछे का कारण आचार्य चाणक्य ही हैं।
इस चलते राजा बिंदुसार और आचार्य चाणक्य के बीच में धीरे-धीरे दूरियां बढ़ने लगी थी।यह दूरियां इतनी बढ़ गई कि आचार्य चरक ने महल छोड़कर जाने का फैसला कर लिया और एक दिन चुपचाप अपने घोड़े पर सवार होकर के जंगलों की तरफ चले गए।
आचार्य चाणक्य के जाने के बाद में एक दाई ने राजा बिंदुसार को उनकी माता की रहस्यमई मौत के बारे में बताया, उस डाई ने बिंदुसार को बताया कि आचार्य चाणक्य उनके पिता चंद्रगुप्त को खाने में हर रोज थोड़ी-थोड़ी मात्रा में जहर देते थे, ताकि चंद्रगुप्त के शत्रु जब भी उन्हें जहर देकर के मारने की कोशिश करें तो, जहर बेअसर हो जाए। लेकिन एक दिन की बात है कि यह विषैला खाना उनकी माता ने गलती से खा लिया जो उस समय गर्भवती थी। और बिंदुसार उस समय अपनी माता के पेट में थे। विषैला खाना खाते साथी उनकी माता का तबियत खराब होना शुरू हो गया था। जब आचार्य को इस बात का पता चला तो वे तुरंत रानी के घर को काटकर उसमें से शिशु को बाहर निकाल लेते हैं और इस तरह राजा के वंश की रक्षा करते हैं।दाई आदि कहती है कि यदि चाणक्य ऐसा नहीं करते तो आज आप मगध के राजा नहीं होते।
जब राजा बिंदुसार को दाई से यह सत्य बात पता चली तो उन्होंने आचार्य के सिर पर लगा दाग हटाने के लिए उन्हें महल में वापस लौटने को कहा, लेकिन आचार्य ने इंकार कर दिया उन्होंने तमाम उम्र उपवास करने की ठान ली और अंत में अपने प्राण त्याग दिए।
दूसरी कहानी
आचार्य चाणक्य की मृत्यु के बारे में दूसरी कहानी यह कहती है कि, आचार्य चाणक्य को जिंदा जला दिया गया था। इस कहानी के मुताबिक बिंदुसार के मंत्री सुबंधु ने आचार्य को जिंदा जलाने की कोशिश की थी, जिसमें वह सफल भी हुए। हल्की ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार आचार्य चाणक्य ने खुद प्राण त्याग दिए थे या फिर वह किसी षडयंत्र का शिकार हुए थे यह आज तक साफ नहीं हो पाया है।
आज भी उन लोगों के बीच में यह 2 कहानियां काफी प्रचलित है। लेकिन आचार्य चाणक्य की मृत्यु किस तरह से हुई इसके सबूत आज तक नहीं मिल पाया है। आचार्य चाणक्य के जीवन को लेकर के 1 कई शोध भी किए गए,लेकिन आचार्य चाणक्य की मृत्यु के बारे में कोई भी ऐतिहासिक दस्तावेज इत्यादि चीजें प्राप्त नहीं हुई। आचार्य चाणक्य वाकई में एक महान विद्वान और ज्ञानी होने के साथ-साथ एक महान अर्थशास्त्री भी थे।
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