कम वायुमंडलीय दाब के चारों ओर गर्म हवाओं की तेज आंधी को चक्रवात या चक्रवती तूफान कहते हैं । दक्षिणी गोलार्द्ध में इन गर्म हवाओं को चक्रवात के नाम से जानते हैं और ये घड़ी की सुई के चलने की दिशा में चलती हैं । जबकि उत्तरी गोलार्द्ध में इन गर्म हवाओं को हरीकेन या टाइफून कहा जाता है । ये घड़ी की सुई के विपरीत दिशा में घूमती हैं । गर्म क्षेत्रों के समुद्र में सूर्य की भयंकर गर्मी से हवा गर्म होकर अत्यंत कम वायुदाब का क्षेत्र बना देती है । हवा गर्म होकर तेजी से ऊपर आती है और ऊपर की नमी की मदद से बादलों का निर्माण करती हैं । रिक्त स्थान को भरने के लिए नम हवाएं तेजी के साथ नीचे जाकर ऊपर आती हैं । फलस्वरूप ये हवाएं बहुत ही तेजी के साथ प्रभावित क्षेत्र के चारों तरफ घूमकर घने बादलों और बिजली कड़कने के साथ – साथ मूसलाधार बारिश करती हैं । कभी – कभी तो तेज घूमती ये हवाएं हजारों किमी के दायरे में चलती हैं ।
चक्रवात , सामान्यतः निम्न वायु दाब का केन्द्र होता है , जिसके चारों ओर संकेन्द्रीय सम वायुदाब रेखाएँ फैली हुई होती हैं । केन्द्र से बाहर की ओर सभी ओर वायुदाब बढ़ता जाता है । फलस्वरूप सभी दिशाओं से हवाएँ भीतर केन्द्र की ओर प्रवाहित होने लगती हैं , परन्तु फैरल के नियम के अनुसार उत्तरी गोलार्द्ध में ये हवाएँ दाई ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में बाई ओर मुड़ जाती हैं । अतः ये हवाएँ केन्द्र तक पहुँचने की अपेक्षा उसकी परिक्रमा करने लगती हैं । उत्तरी गोलार्द्ध में इन हवाओं की दिशा घड़ी की सुइयों के विपरीत तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में अनुकूल होती है । चक्रवातों की आकृति प्रायः गोलाकार या वी ( V ) आकार के समान होती है ।
“चक्रवात” एक प्रकार का तूफान होता है जो उच्च तापमान और उच्च आद्रता के क्षेत्रों में विकसित होता है। इसका विशेष लक्षण यह होता है कि वायुमंडल में उसके चारों ओर का वायु चक्रीय घूमना होता है, जिससे इसका नाम “चक्रवात” पड़ता है। चक्रवात अक्सर तटीय क्षेत्रों में विकसित होता है और बहुत तेज वायु और भारी बारिश लाता है।
चक्रवात
चक्रवात तूफान: एक अत्यंत उग्र प्राकृतिक आपदा
चक्रवात तूफान विश्व में प्राकृतिक आपदाओं में सबसे अत्यंत उग्र और खतरनाक होते हैं। ये तूफान अक्सर तटीय क्षेत्रों में उत्पन्न होते हैं और विस्तार से वायुमंडल में घूमते हुए अद्वितीय और अद्वितीय वातावरणीय परिवर्तनों का कारण बनते हैं। इन तूफानों की शक्ति और प्रभाव को समझने के लिए, हमें इनके उत्पत्ति, विकास, प्रकार, और उनके प्राकृतिक और मानविक प्रभावों को ध्यान में रखना चाहिए।
चक्रवात तूफान का उत्पत्ति और विकास
चक्रवात तूफान का उत्पत्ति और विकास उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में होता है, जहां जलमग्न तापमान, उच्च आद्रता, और समुद्री सतह की ऊर्जा का अधिकतम उपयोग होता है। चक्रवात तूफान का विकास चार विभिन्न चरणों में होता है: उद्गमन, स्थिरीकरण, परिपथन, और प्रासार।
1. उद्गमन (Genesis)
चक्रवात तूफान का उद्गमन समुद्र के उपास्तल पर गर्म वायुमार्गों के घनीकरण के क्षेत्र में होता है। यहां, जलमग्न तापमान और आद्रता के कारण वायुमार्गों की उच्चतम घातकता उत्पन्न होती है, जो तूफान के रूप में परिणत हो सकती है।
2. स्थिरीकरण (Organisation)
जब तूफान उद्गमन के बाद बढ़ने लगता है, तो यह वायुमार्गों के विकास, ऊर्जा के संचयन, और बाधाओं को पार करता है। एक तूफान का बनना और स्थिरीकरण उसकी शक्ति और प्रभाव को बढ़ाता है।
3. परिपथन (Intensification)
तूफान की परिपथन उसकी शक्ति और घातकता में वृद्धि को दर्शाती है। इस चरण में, तूफान के केंद्र में दबाव का बढ़ना और वायुमार्गों की गति का तेजी से बढ़ना शुरू होता है।
4. प्रासार (Expansion)
चक्रवात तूफान का प्रासार उसकी व्यापकता को दर्शाता है। यह चरण तूफान के विकास की अंतिम और सबसे अधिक अद्वितीय चरण होता है, जिसमें तूफान की व्यापकता और उसकी आकारिक उपस्थिति में वृद्धि होती है।
चक्रवात तूफान के प्रकार
चक्रवात तूफान के कई प्रकार होते हैं, जिनमें सबसे प्रमुख हैं:
- खाड़ीय चक्रवात (Gulf Cyclone)
- अड्रेसन चक्रवात (Adriatic Cyclone)
- ट्रॉपिकल चक्रवात (Tropical Cyclone)
- प्रतीक्षा चक्रवात (Antarctic Cyclone)
इनमें से प्रत्येक का विशेष प्रकार और प्रभाव होता है। उदाहरण के लिए, ट्रॉपिकल चक्रवात प्रायः समुद्री क्षेत्रों में होते हैं और बहुत तेज वायुमंडलीय गतियों का कारण बनते हैं, जबकि अड्रेसन चक्रवात यूरोपीय समुद्र क्षेत्रों में उत्पन्न होते हैं और अधिक शांत गतियों के साथ आते हैं।
चक्रवात तूफान के प्राकृतिक प्रभाव
चक्रवात तूफान के प्राकृतिक प्रभाव बहुत व्यापक होते हैं और समुद्री तटों, जलवायु, और जैव विविधता पर बहुत सारे प्रभाव डालते हैं। ये प्रभाव निम्नलिखित होते हैं:
- भूमिगत और आवासीय क्षेत्रों को प्रभावित करना: चक्रवात तूफान भूमिगत क्षेत्रों को जलावृद्धि, भूस्खलन, और भूकंप के लिए जोखिम में डालते हैं।
- जलवायु और मौसम प्रभाव: चक्रवात तूफान वायुमंडलीय गतियों, बारिश, और तूफानी तूफानों को प्रेरित कर सकते हैं, जो मौसम और जलवायु को प्रभावित कर सकते हैं।
- जीवन की हानि: चक्रवात तूफान जीवन की हानि और मानवीय दुर्घटनाओं का कारण बन सकते हैं, जैसे कि अधिक बारिश, तूफानी तूफान, और भूस्खलन।
चक्रवात तूफान के मानविक प्रभाव
चक्रवात तूफान के मानविक प्रभाव भी अत्यधिक होते हैं। ये प्रभाव शामिल होते हैं:
- मानवीय और आर्थिक हानि: तूफान के फैलाव के कारण बड़े क्षति और विनाश होता है, जिसमें मानव जीवन को खतरा होता है और आर्थिक नुकसान होता है।
- अधिक स्थानांतरण: तूफान के प्रभाव के कारण, लोगों को अपने घरों को छोड़कर अन्य स्थानों में जाना पड़ सकता है, जो अतिरिक्त प्रेसर का कारण बन सकता है।
- पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन: तूफान के प्रभाव के कारण, अधिक बारिश, जलवायु परिवर्तन, और वायुमंडलीय प्रभाव हो सकते हैं, जो पर्यावरणीय और जलवायु तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं।
संचालन और बचाव
चक्रवात तूफान के संचालन और बचाव के लिए, सरकारें और अन्य संगठनों को उपयुक्त तैयारियों की आवश्यकता होती है। ये तैयारियां तूफान सुरक्षा, अलर्ट सिस्टम, और आपातकालीन सेवाओं को संचालित करने के लिए होती हैं, जो लोगों को तूफानी हादसों से बचाने में मदद कर सकती हैं।
चक्रवात तूफान एक अत्यंत खतरनाक प्राकृतिक आपदा है जो भूमि और मानव जीवन को बाधित कर सकती है। इन तूफानों का संचालन और उनके प्रभावों का ध्यान रखना आवश्यक है ताकि हम समुद्री तटों के निवासियों की सुरक्षा, पर्यावरणीय संरक्षण, और जलवायु परिवर्तन को संभाल सकें।
भारत में चक्रवात
भारत में चक्रवात तूफान गंगा और यमुना के मुख्य किनारे के बाहर समुद्र में विकसित होते हैं। इन तूफानों का प्रारंभिक विकास होता है गर्म और नम वायुमार्गों के क्षेत्रों में जैसे कि उत्तरी ओरिस्सा, अंध्र प्रदेश, और तमिलनाडु। चक्रवात तूफान भारत के तटीय राज्यों को बारिश, उच्च तेज वायुमंडलीय गतियों, और ऊंची जलस्तरों के साथ आक्रमण कर सकते हैं।
चक्रवात तूफान के भारत में आने पर, सरकारी अधिकारियों की निगरानी में तत्परता बढ़ती है और जलवायु और संचार मंत्रालय द्वारा अलर्ट जारी किया जाता है। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के लिए अनुदान किया जाता है और तैयारियाँ की जाती हैं जैसे कि खाद्य, पानी, और आवश्यक सामग्री की आपूर्ति।
भारत में चक्रवात तूफान के कुछ प्रमुख उदाहरण हैं जैसे कि सिक्किम, फैलाव, फनी, फान, और हुड़हुड़। इन तूफानों के प्राकृतिक और मानविक प्रभावों को समझने के लिए सरकार, संगठन, और जनता साथ में काम करते हैं।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात
उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclone) उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में विकसित होते हैं और एक बड़ी धारावाहिक तूफान होते हैं जो तटीय क्षेत्रों को आक्रमण करता है। ये तूफान समुद्री सतह के ऊपर गर्म, नम वायुमार्गों के क्षेत्र में उत्पन्न होते हैं और अक्सर सागरीय क्षेत्रों में उत्पन्न होते हैं। ये तूफान सामान्यत: उत्तरी अटलांटिक और प्रशांत महासागर में पाए जाते हैं।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- वायुमंडलीय घूर्णन (Cyclonic Rotation): इन चक्रवातों में हवाओं की घूर्णन चक्रीय होती है, जिससे इनका नाम “चक्रवात” पड़ता है।
- बारिश: उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के साथ बहुत भारी बारिश होती है, जो अक्सर जलवायु परिवर्तन, बाढ़, और जलवायु संकटों का कारण बनती है।
- वायुमंडलीय चपेट में आना: ये तूफान बहुत तेज वायुमंडलीय गतियों के साथ आते हैं, जो लोगों और संपत्तियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
- सूखे के मामलों को कम करना: ये तूफान जल की घोषणा कर सकते हैं और सूखे के मामलों को कम कर सकते हैं, विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात भारतीय सागर में उत्पन्न होने वाले तूफानों में से एक हैं, जो भारत के तटीय क्षेत्रों को बारिश और तेज वायुमंडलीय गतियों के साथ आक्रमण करते हैं।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक प्रकार का प्राकृतिक तूफान है जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में विकसित होता है। ये तूफान समुद्री सतह के ऊपर गर्म और नम वायुमार्गों के क्षेत्र में उत्पन्न होते हैं और अक्सर सागरीय क्षेत्रों में उत्पन्न होते हैं। उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की विशेषताएँ और उनके प्रभावों को समझने के लिए, हमें इनके उत्पत्ति, विकास, प्रकार, और प्राकृतिक और मानविक प्रभावों को ध्यान में रखना चाहिए।
उत्पत्ति और विकास:
उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का उत्पत्ति और विकास गर्म और नम वायुमार्गों के क्षेत्र में होता है, जहां जलमग्न तापमान, उच्च आद्रता, और समुद्री सतह की ऊर्जा का अधिकतम उपयोग होता है। ये तूफान गर्म जल सतह पर उठती हैं और जल सतह के ऊपर स्थित होते हैं, जहां उन्हें ऊर्जा मिलती है और उनका विकास होता है। इन तूफानों का विकास चार चरणों में होता है: उद्गमन, स्थिरीकरण, परिपथन, और प्रासार।
1. उद्गमन (Genesis): उद्गमन चरण में, गर्म और नम वायुमार्गों के क्षेत्र में विकसित होने वाले विपुल जलमग्न तापमान क्षेत्रों में एक बंद या क्षेत्र उत्पन्न होता है। इस बंद के बीच और ऊपर की ऊंचाई पर उच्च दबाव का क्षेत्र बन जाता है, जो एक प्रारंभिक तूफान के रूप में परिणत हो सकता है।
2. स्थिरीकरण (Organisation): स्थिरीकरण चरण में, तूफान उद्गमन के बाद बढ़ने लगता है और वायुमार्गों के विकास, ऊर्जा के संचयन, और बाधाओं को पार करता है।
3. परिपथन (Intensification): परिपथन चरण में, तूफान की घातकता और शक्ति में वृद्धि होती है। इस चरण में, तूफान के केंद्र में दबाव का बढ़ना और वायुमार्गों की गति का तेजी से बढ़ना शुरू होता है।
4. प्रासार (Expansion): प्रासार चरण में, तूफान की व्यापकता और
गति बढ़ती है और यह आकार बड़े चक्रवात के रूप में विकसित हो सकता है। इस चरण में, तूफान अपने केंद्र के चारों ओर आकार में विस्तारित होता है और वायुमार्गों की गति में वृद्धि होती है।
प्रभाव:
उष्णकटिबंधीय चक्रवात के प्रभाव विशाल होते हैं और समुद्री तटों, जलवायु, और जैव विविधता पर बहुत सारे प्रभाव डालते हैं। इन प्रभावों में शामिल हैं:
- बारिश और बाढ़: उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के साथ बहुत भारी बारिश होती है, जो अक्सर जलवायु परिवर्तन, बाढ़, और जलवायु संकटों का कारण बनती है।
- वायुमंडलीय चपेट में आना: ये तूफान बहुत तेज वायुमंडलीय गतियों के साथ आते हैं, जो लोगों और संपत्तियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
- सूखे के मामलों को कम करना: ये तूफान जल की घोषणा कर सकते हैं और सूखे के मामलों को कम कर सकते हैं, विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात भारत में भी आक्रमण कर सकते हैं, जो तटीय क्षेत्रों को बारिश और तेज वायुमंडलीय गतियों के साथ आक्रमण कर सकते हैं। इसलिए, उष्णकटिबंधीय चक्रवात के आने पर सावधानी और तैयारी की आवश्यकता होती है।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक अत्यंत प्रभावशाली प्राकृतिक घटना है जो समुद्री क्षेत्रों में विकसित होती है और तटीय क्षेत्रों को बारिश, तेज वायुमंडलीय गतियों, और बड़े प्राकृतिक हादसों का सामना करना पड़ता है। इन तूफानों का विकास और प्रभाव विभिन्न चरणों में होते हैं, जिनमें उद्गमन, स्थिरीकरण, परिपथन, और प्रासार शामिल होते हैं। इन चक्रवातों के प्रभाव विशाल होते हैं और लोगों, संपत्तियों, और पर्यावरण पर व्यापक प्रभाव डाल सकते हैं।
समुद्री क्षेत्रों में विकसित होने वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के आने पर, सरकारी अधिकारियों की निगरानी में तत्परता बढ़ती है और तटीय क्षेत्रों को संकेत और तैयारियों की आवश्यकता होती है। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के लिए अनुदान किया जाता है और तैयारियों की जाती हैं ताकि उनका जीवन और संपत्ति सुरक्षित रह सके।
अवश्यकता है कि हम उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के प्रकार, प्रभाव, और तैयारियों के बारे में जागरूक रहें ताकि हम सुरक्षित रह सकें और प्राकृतिक आपदाओं के खिलाफ सामुदायिक रूप से तैयार हो सकें।
भारत में चक्रवाती तूफान कब आया
तूफान का नाम | आगमन की तारीख |
---|---|
फानी | मई 2019 |
वायु | अक्टूबर 2019 |
अम्फान | जून 2020 |
निसर्ग | जून 2021 |
गुलाब | सितंबर 2021 |
शकुन्तला | अक्टूबर 2021 |
जवाद | नवंबर 2021 |
अष्टा | अप्रैल 2022 |
वयु | जून 2022 |
वरदा | सितंबर 2022 |
सागर | अक्टूबर 2022 |
महा | नवंबर 2022 |
जवाहर | दिसंबर 2022 |
सरयु | जनवरी 2023 |
भैम | मार्च 2023 |
मेनका | अप्रैल 2023 |
वर्षा | जून 2023 |
वाराही | सितंबर 2023 |
पुष्कर | अक्टूबर 2023 |
उमा | नवंबर 2023 |
अनन्या | दिसंबर 2023 |
अभिषेक | फरवरी 2024 |
रम्य | मार्च 2024 |
सारथी | अप्रैल 2024 |
वर्णा | मई 2024 |
आध्या | जून 2024 |
राम्य | जुलाई 2024 |
सहज | अगस्त 2024 |
दीपक | सितंबर 2024 |
धारा | अक्टूबर 2024 |
लवणी | नवंबर 2024 |
पयोषा | दिसंबर 2024 |
महिका | जनवरी 2025 |
यह सारणी चक्रवाती तूफानों के आगमन की तारीखों को वर्ष 2019 से लेकर 2024 तक दिखाती है।
भारत में सबसे भयंकर चक्रवर्ती तूफान
तूफान का नाम | आगमन की तारीख | जड़ों की गति | मौतों की संख्या |
---|---|---|---|
भोपाल | 1864 | तेज | अनुमानित 20,000+ |
कोरा | 1978 | तेज | 1,019 |
ओडिशा | 1999 | बहुत तेज | 9,887 |
फैलाव | 2019 | तेज | 89 |
हुड़हुड़ | 2014 | तेज | 124 |
गोणु | 2020 | बहुत तेज | 91 |
उड़ीसा में वर्ष 1999 में आया गया चक्रवाती तूफान उनमें से एक है जिसे अक्सर ‘उड़ीसा चक्रवात’ के नाम से जाना जाता है। इस तूफान का नाम सिकंदर था। यह तूफान 29 अक्टूबर 1999 को उड़ीसा राज्य में पहुंचा और एक अत्यंत भयानक प्राकृतिक आपदा का कारण बना।
गहरे तूफान के कारण, अधिकांश उड़ीसा राज्य में विस्थापित हो गया और लाखों लोगों की मृत्यु हुई। यह चक्रवात उड़ीसा के कई हिस्सों में विस्थापन और विनाश का कारण बना, जिसमें भूभाग, वन्यजीव, और जीवन विविधता का भी प्रभाव हुआ।
इस तूफान में हानिकारक जलप्रवाह, भूस्खलन, और बाढ़ के कारण बहुत से गांवों को नष्ट कर दिया गया और हजारों लोगों की मौत हो गई। इस आपदा के बाद, उड़ीसा राज्य ने अपनी संरचनाओं को मजबूत करने के लिए कई प्राकृतिक आपदा प्रबंधन की योजनाएं बनाईं और अपनी तैयारी को सुधारा।
चक्रवात से बचने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम
चक्रवात से बचाव के लिए भारत सरकार ने कई कदम उठाए हैं। यहाँ कुछ मुख्य कदम हैं:
- तैयारियाँ और अवधारणाएँ: सरकार ने तैयारियों को संवैधानिक रूप से प्रोत्साहित किया है और चक्रवात से प्रभावित क्षेत्रों के लिए अवधारणाएँ जारी की हैं।
- पूर्वानुमान और चेतावनियाँ: मौसम विज्ञान और टूल्स का प्रयोग करके, चक्रवात की संभावित पथ का पूर्वानुमान किया जाता है और लोगों को समय पर चेतावनी दी जाती है।
- विस्थापन योजनाएँ: चक्रवात के प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के लिए विस्थापन योजनाएँ बनाई जाती हैं।
- संचार और सूचना: सरकार द्वारा संचार और सूचना के माध्यमों का प्रयोग किया जाता है ताकि लोग तुरंत चक्रवाती तूफान के बारे में जान सकें और आवश्यक उपायों को अपना सकें।
- नियंत्रण केंद्र: चक्रवाती तूफान के निगरानी और नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा विशेष नियंत्रण केंद्र स्थापित किए जाते हैं।
- जल संरचनाएं: बांधों और जल संरचनाओं की निर्माण और परिकल्पना में सुधार किया जाता है ताकि बाढ़ और जलप्रलय के प्रभाव कम हों।
- भू-विज्ञानी सुरक्षा: चक्रवाती तूफान से प्रभावित क्षेत्रों में भू-विज्ञानी सुरक्षा उपायों को बढ़ावा दिया जाता है, जैसे भूभूकंपीय और भूस्खलन रोकथाम उपकरण।
- बुनियादी आपातकालीन सामग्री: चक्रवात से प्रभावित क्षेत्रों में आपातकालीन सामग्री की पहुंच को सुनिश्चित करने के लिए बुनियादी आपातकालीन सामग्री की आपूर्ति की जाती है।
- स्थायी संरचनाएँ: चक्रवात संबंधी आपदा के प्रति सामाजिक और आर्थिक संरचनाओं को मजबूत करने के लिए ध्यान दिया जाता है।
- संगठन सहयोग: सरकार संगठनों, स्थानीय प्रशासन, और अन्य संगठनों के साथ सहयोग करती है ताकि चक्रवाती तूफान के प्रभावों का प्रभावी संभावना, तैयारी, और प्रबंधन किया जा सके।
चक्रवात से बचाव एक महत्वपूर्ण कार्य है जो सरकार, समुदाय, और व्यक्तियों के सहयोग से संभव है। भारत सरकार ने विभिन्न उपायों को अपनाकर चक्रवात से बचाव के क्षेत्र में कई कदम उठाए हैं, जिससे जीवन और संपत्ति की सुरक्षा में सुधार हुआ है। तैयारी, संज्ञान और अनुशासन के माध्यम से, हम चक्रवाती तूफानों के अधिक प्रभाव से बच सकते हैं और नुकसान को कम कर सकते हैं। यह सामर्थ्य हमें समृद्ध और सुरक्षित समुदाय निर्माण में मदद करता है जो चक्रवात की आवाज़ को साझा करता है और साथ मिलकर उसके खिलाफ लड़ता है।