हमारी आकाशगंगा बहुत विशाल है। हमारी आकाशगंगा में बहुत से अनसुलझे रहस्य मौजूद है। जिनके बारे में आज भी हमें किसी तरह की कोई जानकारी नहीं है। भले ही हम पृथ्वी पर रहते हैं और इसके बहुत सारे चित्र मानचित्र ओं के रूप में देख सकते हैं। हमारे दिमाग के लिए वास्तव में यह समझने का कोई तरीका नहीं है कि हमारा ग्रह वास्तव में कितना विशाल है। ठीक, इसी तरह हमारा आकाशगंगा भी बहुत ही बड़ा है। हमारे इस आकाशगंगा में एक ग्रह है बृहस्पति, आज हम अपने इस लेख में किसी के बारे में बात करने वाले हैं। विज्ञान की दुनिया में बहुत से मिथक भी मौजूद है जिसमें से एक मिथक यह भी है Could Jupiter Be A Star? क्या बृहस्पति एक तारा हो सकता है?
हमारी आकाशगंगा वास्तव में एक इतना विशाल है हम बस इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि हम इतने बड़े विशाल आकाशगंगा में एक छोटे से ग्रह पृथ्वी में रहते हैं। लेकिन हमारे छोटे ग्रह की तुलना में बड़े ग्रह भी मौजूद है, और कुछ तारे इन ग्रहों से छोटे भी है।
हमारा सूर्य हमारे सौरमंडल के किसी भी ग्रह से 100 गुना बड़ा है। पृथ्वी इसके बगल में एक छोटी सी बिंदी के रूप में दिखाई देती है जरा नीचे दी गई तस्वीर को देखिए।
बृहस्पति कई मायनों में सूर्य के समान है और यह अपने सभी सहोदर ग्रहों की तुलना में बहुत बड़ा है। ऐसे में यह प्रश्न मन में आना लाजमी है कि क्या बृहस्पति सूर्य के समान एक तारा हो सकता है? क्या कभी बृहस्पति ग्रह कोई तारा बन सकता है। ऐसे ही सवालों के जवाब आज हम अपने इस लेख में देने वाले हैं।
Could Jupiter Be A Star? क्या बृहस्पति एक तारा हो सकता है?
इस बारे में चर्चा करने से पहले, हमें इस बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी है कि तारा क्या होता है? इसी के बाद हम यह जानेंगे कि क्या कभी बृहस्पति तारा हो सकता है?
तारा वास्तव में क्या है?
बहुत ही सरल शब्दों में, एक तारा गरम केस का एक गोला होता है जो कि प्रकाश का उत्सर्जन करता है। गैस ज्यादातर हाइड्रोजन और हीलियम से बनी हुई होती है, और यह गैस गुरुत्वाकर्षण बल के द्वारा एक साथ जुड़ी हुई होती है।
तारों का प्रकाश, ऊष्मा और ऊर्जा इसके मूल में उत्पन्न होते हैं। जहां हाइड्रोजन परमाणु को हीलियम परमाणु बनने के लिए फ्यूज किया जाता है। यह एक प्रक्रिया होती है जिसमें परमाणु संलयन के रूप में जाना जाता है। इस प्रक्रिया से अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा निकलती है यही वजह है कि तारे इतने चमकीले होते हैं।
तारों का जन्म कैसे होता है?
ऐसा माना जाता है कि तारे का जन्म अंतरतरकीय बादलों में पाए जाने वाले पदार्थ से बना होता है। यह बादल क्या है और दूध से बने हुए होते हैं और कभी-कभी यह अपने गुरुत्वाकर्षण से दूर भी हो जाते हैं।
जो पैसा होता है तो बादल से जुड़ी हुई गैस बहुत तेजी से घूमने लगते हैं। अंतरिक्ष में या किसी मलबे की तरह दिखाई देता है। यह अधिक से अधिक गैसों और अन्य सामग्रियों को बादल द्वारा बाहर निकाला जाता है और इसके चारों ओर इंटरस्टेलर क्लाउड मैटर की कतई जिसके साथ एक छोटा सा कोर बनता है।
कोर गैस से बने हुए होते हैं और जब परमाणु संलयन का प्रक्रिया शुरू होता है तो हाइड्रोजन का पर्याप्त द्रव्यमान इसमें मौजूद होता है तो बाहरी डिस्क को यह फेंक देती है। जबकि कोर बना रहता है और एक तारे के रूप में मौजूद रहता है।
ग्रह कैसे बनते हैं?
एक ग्रह का जन्म उस पदार्थ से होता है जो कौर के चारों ओर डिस्क में मौजूद रहती है। किस पदार्थ के छोटे छोटे हिस्से एक दूसरे से चिपक जाते हैं क्योंकि वह नवगठित तारे के चारों ओर घूमते हैं। अंत में वे इतने बड़े हो जाते हैं कि एक ग्रह में बदल जाते हैं।
सूर्य और बृहस्पति कितने समान है?
बृहस्पति एक गैसीय ग्रह है। इसकी सता पृथ्वी जैसी ठोस बिल्कुल भी नहीं है। सूर्य और अधिकांश तारे के समान या हाइड्रोजन और हीलियम जैसी गैसों से मिलकर के बना है।
बृहस्पति विशाल है अगर पृथ्वी से इसकी तुलना की जाए तो पृथ्वी से यह 11 गुना बड़ा है और 318 गुना अधिक विशाल है। यह न केवल हमारे ग्रह से अधिक विशाल है बल्कि वास्तव में यह हमारे सौर मंडल के सभी ग्रहों की तुलना में अधिक विशाल है। अगर हमारे आकाशगंगा में मौजूद सभी ग्रह की तुलना बृहस्पति से की जाए तो यह सभी ग्रह की तुलना में 2.5 गुना अधिक विशाल है।
वहीं जब हम तारों के बारे में बात करते हैं तो आपको इस बारे में जानकारी होना चाहिए कि तारों का घनत्व काफी कम होता है। सूर्य का घनत्व 1.41 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर होती है, जबकि पृथ्वी का घनत्व 5.51 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर है।
बृहस्पति ग्रह का घनत्व 1.33 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर है जो लगभग सूर्य के घनत्व के काफी करीब है। यहां तक कि विशाल ग्रह की गैसियस संरचना भी सूर्य के समान ही है। अगर हम बृहस्पति ग्रह के संरचना के बारे में बात करें तो यह भी सूर्य के समान ही हाइड्रोजन और हीलियम से बनी हुई है।
हमारे सौरमंडल में मौजूद बृहस्पति ग्रह में 73% हाइड्रोजन और 24% हीलियम मौजूद है। वही जब हम इसकी तुलना सूर्य से करते हैं तो सूर्य में भी लगभग 71% हाइड्रोजन और 27% हिलियम मौजूद है। इसी वजह से बहुत से लोग यह भी मानते हैं कि बृहस्पति ग्रह कभी तारा हो सकता है।
बृहस्पति ग्रह क्यों एक तारा नहीं हो सकता है?
तो यदि बृहस्पति सूर्य के समान है और यदि यह आकार में भी बहुत बड़ा है। ( बृहस्पति ग्रह हमारे आकाशगंगा में मौजूद कुछ तारों से भी बड़ा है) ऐसा ही एक तारा जो 600 प्रकाश वर्ष दूर है और मोटे तौर पर शनि ग्रह के आकार का है। तो क्या बृहस्पति ग्रह भी तारा हो सकता है।
मैंने इस बारे में पहले ही जिक्र किया था कि तारे में उर्जा निर्माण की प्रक्रिया बहुत महत्वपूर्ण होती है। नाभिकीय संलयन के जरिए किसी भी तारे में हाइड्रोजन गैस प्रतिक्रिया करके हिलियम गैस बनाती है। इस पूरी प्रक्रिया में काफी ऊर्जा बाहर निकलती है। लेकिन बृहस्पति ग्रह के पास इतना द्रव्यमान नहीं है कि वह एक कोर बना सके जो परमाणु संलयन प्रतिक्रिया शुरू कर सके। बिना परमाणु संलयन प्रतिक्रिया के बृहस्पति ग्रह कभी भी एक तारा नहीं बन सकता है।
इसीलिए भले ही यह लगभग सभी पहलुओं में हमारे सूर्य के समान हो, लेकिन इसके कोर में परमाणु संलयन प्रतिक्रिया शुरू करने में असमर्थता इस ग्रह और एक तारे के बीच की रेखा को पार करने से रोकती है।
Could Jupiter Be A Star? क्या बृहस्पति एक तारा हो सकता है?
अब आपको इस सवाल का जवाब मिल गया होगा। कभी भविष्य में बृहस्पति ग्रह की तारे बनने की संभावना काफी कम है। बृहस्पति ग्रह अतिरिक्त द्रव्यमान को कहीं से भी प्राप्त नहीं कर सकता है। हमारे सौरमंडल में कोई अतिरिक्त अंतरतारकीय पदार्थ मौजूद नहीं है जिससे विशाल ग्रह अपने द्रव्यमान को बढ़ाने के लिए चुस सकता है।
शुरुआती समय में सभी ग्रहों के निर्माण के दौरान भले ही कुछ पदार्थ या बादल बच गए हो, लेकिन वह पर्याप्त नहीं होंगे। कम से कम एक भूरा बौना तारा बनने के लिए ( तारा और ग्रह के बीच का एक स्थिति जिसे बोना तारा कहा जाता है।) इसे अभी भी अपने खुद के वर्तमान दर अभिमान का लगभग 13 गुना अधिक द्रव्यमान हासिल करने की जरूरत है। तभी बृहस्पति ग्रह एक तारे का रूप ले सकता है।