भारत में उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के बाद दूसरे सर्वोच्च पद का धारी होता है। यह पद भारतीय संविधान के अनुसार उपयुक्त परिणामी है, जो लोकसभा और राज्य सभा के सदस्यों द्वारा चुना जाता है। उपराष्ट्रपति की कार्यकाल चार वर्ष का होता है और इसे राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान निर्वाचित किया जाता है। उपराष्ट्रपति का मुख्य कार्य भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुसार राज्यों के संचालन में सहायक होना है, साथ ही वे उच्च स्तरीय अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय कार्यों में भी भाग लेते हैं। उपराष्ट्रपति का पद गौरवपूर्ण है और यह भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आज के हमारे इस लेख में हम लोग इस बारे में जानकारी लेंगे की, भारत में उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?
भारत में उपराष्ट्रपति एक महत्वपूर्ण राजनीतिक पद है जो राष्ट्रपति के बाद दूसरा सबसे ऊँचा पद होता है। यह पद भारतीय संविधान के अनुसार एक प्रमुख संवैधानिक अधिकार होता है और उपयुक्त परिणामी है, जो लोकसभा और राज्य सभा के सदस्यों द्वारा चुना जाता है।
उपराष्ट्रपति का मुख्य कार्य भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुसार राज्यों के संचालन में सहायक होना है। वे राज्यों के गवर्नरों और राज्यपालों के साथ सम्बोधन और बैठकों में भाग लेते हैं। उपराष्ट्रपति की कार्यकाल चार वर्ष का होता है और इसे राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान निर्वाचित किया जाता है।
उपराष्ट्रपति का पद गौरवपूर्ण है और यह भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वे भारतीय संविधान की संरचना और नीतियों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के अनुपस्थिति के समय उसके कार्यों का अधिग्रहण करते हैं और राष्ट्रपति के साथ राजधानी भवन (राष्ट्रपति भवन) में कार्य करते हैं।
उपराष्ट्रपति की चुनौतियों में भारतीय संविधान के प्रावधानों का पालन करना शामिल है, जिसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच संविधानिक और राजनीतिक विवादों के समाधान की भूमिका होती है। उन्हें संविधान के साथ संबंधित कानूनों को अनुसरण करना पड़ता है और वे नेताओं और लोगों को संविधान के प्रावधानों का पालन करने के लिए प्रेरित करते हैं।
उपराष्ट्रपति भारतीय संघीय व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो भारतीय संघ के एक सदस्य के रूप में उपस्थित होते हैं। वे लोकसभा और राज्य सभा के सदस्यों के बीच अंतराल में उपस्थित होते हैं और अन्य विभागों के साथ सम्बोधन और संवाद में भी भाग लेते हैं।
उपराष्ट्रपति को स्वतंत्र रूप से अपनी निर्देशक कार्यक्षमता को प्रदर्शित करने की अनुमति होती है, हालांकि वे राष्ट्रपति की निर्देशनाओं और सुझावों का सम्मान करते हैं। उपराष्ट्रपति की भूमिका और कार्यक्षमता का महत्वपूर्ण हिस्सा है जो भारतीय राजनीति में उच्च स्तरीय संरक्षक के रूप में काम करते हैं।
उपराष्ट्रपति की कार्यकाल के दौरान, वे भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण प्रावधानों को प्रमोट करते हैं और देश के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास को बढ़ावा देते हैं। उन्हें अपने कार्यों में न्याय, नैतिकता, और प्रगति के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में देखा जाता है और वे राष्ट्रीय स्तर पर और विदेश में भारतीय राजनीति और संस्कृति का उत्कृष्ट दूत होते हैं।
भारत में उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?
भारत में उपराष्ट्रपति का चुनाव विशेष तरीके से आयोजित किया जाता है जो भारतीय संविधान के निर्धारित प्रावधानों के अनुसार होता है। उपराष्ट्रपति का चयन एक विशेष मतदान प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है जिसमें लोकसभा और राज्य सभा के सदस्य भाग लेते हैं। इस प्रक्रिया को विस्तार से निम्नलिखित रूप में समझा जा सकता है:
- प्रारंभिक चरण:
- उपराष्ट्रपति का चुनाव प्रारंभ होता है जब वर्तमान उपराष्ट्रपति की कार्यकाल समाप्त होती है, या उनके पद से इस्तीफा देने की स्थिति उत्पन्न होती है।
- उपराष्ट्रपति के पद के लिए चुनाव आयोजित करने के लिए राष्ट्रपति एक अधिसूचना जारी करते हैं।
- नामांकन:
- उपराष्ट्रपति के पद के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू होती है। राष्ट्रपति उम्मीदवारों को नामांकित करने के लिए एक समय सीमा और नियम तय करते हैं।
- नामांकन पत्र:
- उम्मीदवारों को अपनी नामांकन की जानकारी के साथ एक नामांकन पत्र जमा करना होता है।
- नामांकन की पुष्टि:
- नामांकन की समय सीमा के बाद, चुनाव आयोजन संचालक (जो अक्सर विदायक निर्देशक बोर्ड होता है) नामांकन पत्रों की पुष्टि करता है।
- मतदान:
- उपराष्ट्रपति के चयन के लिए लोकसभा और राज्य सभा के सदस्यों के मतदान की प्रक्रिया आयोजित की जाती है। इसमें राज्य सभा के सदस्यों के मतदान की गणना भी की जाती है।
- मतगणना:
- मतदान के बाद, मतगणना प्रक्रिया शुरू होती है। मतगणना के दौरान, लोकसभा और राज्य सभा के सदस्यों द्वारा दिए गए मतों की गणना की जाती है और जीते हुए उम्मीदवार का नाम घोषित किया जाता है।
- आधिकारिक घोषणा:
- आधिकारिक रूप से उपराष्ट्रपति का चयन किसी विशेष समय के दौरान राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। वह जो उम्मीदवार अधिकारी रूप से चयनित होते हैं, वह उपराष्ट्रपति के पद को ग्रहण करते हैं।
- पद ग्रहण:
- चुने गए उपराष्ट्रपति ने पद ग्रहण करने के लिए राष्ट्रपति के सामने शपथ लेनी होती है। इसके बाद, उन्हें उपराष्ट्रपति के पद का कार्य संभालने का आदेश मिलता है।
इस प्रक्रिया में, लोकसभा और राज्य सभा के सदस्यों का महत्वपूर्ण योगदान होता है जो भारतीय संविधान की निर्धारित प्रावधानों के अनुसार उपराष्ट्रपति का चयन करते हैं। यह प्रक्रिया विचारशीलता, न्यायप्रियता, और पारदर्शिता के साथ संचालित होती है ताकि देश के सर्वोच्च पद का चयन विश्वसनीयता और समर्थ व्यक्तित्व के माध्यम से किया जा सके।
भारत में अब तक हुए उपराष्ट्रपति
भारत में अब तक कुल 14 उपराष्ट्रपतियों की नियुक्ति हुई है। ये हैं:
- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1952-1962)
- डॉ. जाकिर हुसैन (1962-1967)
- वी.वी. गिरि (1967-1969)
- गोपाल स्वामी (1969-1974)
- बी.डी. जति (1974-1979)
- मोहम्मद हफीज़ इब्राहीम (1979-1984)
- रामस्वरूप सिंह (1984-1987)
- शंकर डयाल शर्मा (1987-1992)
- के. आर. नारायणन (1992-1997)
- कृष्ण कांत (1997-2002)
- भैरों सिंह सेखावत (2002-2007)
- हमीद अंसारी (2007-2012)
- मोहम्मद हमीद अंसारी (2012-2017)
- वेंकैया नायडू (2017-2022)
- श्री जगदीप धनकड (2022 – वर्तमान)
भारत में उपराष्ट्रपति को दी जाने वाली सुविधाएं एवं वेतन
भारतीय उपराष्ट्रपति को कई प्रकार की सुविधाएं और लाभ प्रदान किए जाते हैं, जो उनके पद की महत्वपूर्णता को देखते हुए तैयार किए गए हैं। इन सुविधाओं के साथ-साथ, उन्हें एक उच्च वेतन भी प्रदान किया जाता है ताकि वे अपने कार्यों को समर्पित कर सकें।
- राष्ट्रपति भवन:
- उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति भवन में आवास की सुविधा प्रदान की जाती है, जो भारत की एक प्रतिष्ठित और अत्यंत विशाल निवास स्थल है।
- चालक और वाहन:
- उपराष्ट्रपति को एक सुरक्षित और आरामदायक वाहन और एक चालक प्रदान किया जाता है जो उन्हें उनके दौरों के लिए सुरक्षितता और सुविधा की आवश्यकताओं के साथ-साथ उपयुक्तता भी प्रदान करता है।
- कार्यालय स्थान:
- उपराष्ट्रपति को एक विशेष कार्यालय स्थान और स्टाफ प्रदान किया जाता है जो उन्हें उनके कार्य को समर्पित करने में सहायक होता है।
- सुरक्षा सुविधाएं:
- उपराष्ट्रपति को हाई प्रोफाइल और प्रभावशाली व्यक्तित्व के कारण उच्च स्तर की सुरक्षा सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
- उच्च स्तरीय चिकित्सा सेवा:
- उपराष्ट्रपति को उच्च स्तर की चिकित्सा सेवाएं प्रदान की जाती हैं, जिसमें उनकी सेहत और कल्याण की देखभाल शामिल होती है।
- विदेश यात्राओं की आवश्यक सुविधाएं:
- उपराष्ट्रपति को विदेश यात्राओं के दौरान उच्च स्तर की सुविधाएं प्रदान की जाती हैं, जिसमें विदेशी दूतावासों और अन्य संगठनों की सहायता शामिल होती है।
- सम्मानजनक वेतन:
- भारतीय उपराष्ट्रपति को एक सम्मानजनक और आकर्षक वेतन प्रदान किया जाता है जो उनके पद के महत्व को देखते हुए तैयार किया गया है।
- उच्च स्तर की सुरक्षा सुविधा:
- उपराष्ट्रपति को एक उच्च स्तर की सुरक्षा सुविधा प्रदान की जाती है ताकि उन्हें किसी भी संकट के समय में सुरक्षित रखा जा सके।
- अन्य लाभ:
- उपराष्ट्रपति को अन्य कई लाभ भी प्रदान किए जाते हैं जैसे कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ उनकी महत्वपूर्ण भूमिका, विभागीय कार्यक्षमता के लिए अलग विशेषज्ञ टीम का गठन, और अन्य।
इस प्रकार, भारतीय उपराष्ट्रपति को अनेक प्रकार की सुविधाएं और लाभ प्रदान किए जाते हैं जो उनके पद की महत्वपूर्णता को देखते हुए तैयार किए गए हैं। इन सुविधाओं का मकसद उन्हें उनके कार्यों को सहायक और सुविधाजनक बनाना है ताकि वे अपने कार्यों को समर्पित कर सकें और राष्ट्र की सेवा में अपना योगदान दे सकें।
भारतीय उपराष्ट्रपति को महीने के लिए वेतन दिया जाता है, जो वर्तमान में लागू वेतनमान एक लाख पचास हजार रुपये है। इसके अलावा, उन्हें अन्य लाभ और सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं, जो उनके पद की महत्वपूर्णता और कार्यक्षमता को ध्यान में रखते हुए तैयार किए गए हैं।
भारत में उपराष्ट्रपति पद राष्ट्र के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पद के रूप में महत्वपूर्ण है, जो संविधानिक और राजनीतिक अधिकारों के संभालन में सहायक होता है, साथ ही वह राष्ट्रपति के अभाव में उसके कार्यों का अधिग्रहण करता है। उपराष्ट्रपति द्वारा प्रतिपादित उच्च नैतिक मूल्यों, न्यायप्रियता, और समाज की सेवा की प्रोत्साहनीयता देश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।