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राजा राममोहन राय

राजा राममोहन राय भारतीय समाज सुधारक, विद्वान, और समाजशास्त्री थे। वे 19वीं सदी के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यमी और समाज सुधारक थे। उन्होंने समाज में अंधविश्वास, बलात्कार, सती प्रथा, और दाह-संस्कार जैसे अनेक कुरीतियों के खिलाफ लड़ा। राममोहन राय ने भारतीय समाज को पश्चिमी विचारधारा और वैज्ञानिक गणित की शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षा परिस्थितियों की सुधार के लिए काम किया। उन्होंने सत्याग्रह, धर्मनिरपेक्षता, स्वतंत्रता, और मानवाधिकारों की आजादी को प्रोत्साहित किया।

राजा राममोहन राय का जन्म 22 मई 1772 को बंगाल के राधनगर, भारत में हुआ था। उनके पिता का नाम रामकांत राय था जो एक ब्राह्मण पंडित थे। राममोहन राय को गुरुकुल में पढ़ाया गया, जहां उन्होंने संस्कृत, बंगाली, और अंग्रेजी भाषाओं का अध्ययन किया।

उनका शिक्षा में उत्कृष्ट रुचि थी और वे विद्वान् बनने के लिए उत्साही थे। बाद में राय ने कई भारतीय और पश्चिमी शास्त्रों का अध्ययन किया और उनके विचारों को विकसित किया।

राजा राममोहन राय को समाज सुधारक के रूप में पहचाना जाता है। उन्होंने भारतीय समाज में अंधविश्वास, सामाजिक असमानता, और अन्य कुरीतियों के खिलाफ लड़ा।

राममोहन राय की मृत्यु 27 सितंबर 1833 को लंदन में हुई, जहां उन्होंने भारतीय समाज के लिए लड़ने के लिए विदेश जाते समय बीमार हो गए थे। उनका योगदान भारतीय समाज में सुधार के क्षेत्र में अद्वितीय था, और उन्हें “महात्मा” का उपनाम भी दिया गया।

राजा राममोहन राय का संक्षिप्त जीवन परिचय

राजा राममोहन राय का संक्षिप्त जीवन परिचय
जन्म तिथि 22 मई 1772
जन्म स्थान राधनगर, बंगाल, भारत
पिता का नाम रामकांत राय
शिक्षा गुरुकुल
प्रमुख कार्य समाज सुधारक, विद्वान, फिलांथ्रोपिस्ट
मृत्यु तिथि 27 सितंबर 1833
मृत्यु स्थान लंदन, यूनाइटेड किंगडम

राजा राममोहन राय, भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण और प्रभावशाली व्यक्ति थे जिनका योगदान समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। उनका जन्म 22 मई 1772 को बंगाल के राधनगर में हुआ था। उनके पिता का नाम रामकांत राय था, जो एक ब्राह्मण पंडित थे। राममोहन राय को गुरुकुल में पढ़ाया गया, जहां उन्होंने संस्कृत, बंगाली, और अंग्रेजी भाषाओं का अध्ययन किया। उनकी उत्कृष्ट बुद्धिमत्ता, शिक्षा में रुचि, और नैतिकता का प्रदर्शन उन्हें एक अद्वितीय व्यक्ति बनाता है।

राममोहन राय ने भारतीय समाज को अंधविश्वास, सामाजिक असमानता, सती प्रथा, और अन्य कुरीतियों के खिलाफ जागरूक किया। उन्होंने विभिन्न लेखों, पत्रिकाओं, और भाषणों के माध्यम से जनता को जागरूक किया और समाज को सुधारने के लिए प्रेरित किया।

राममोहन राय को भारतीय समाज के विविध क्षेत्रों में उनके योगदान के लिए याद किया जाता है। उन्होंने शिक्षा, स्त्री सम्मान, धर्मनिरपेक्षता, और मानवाधिकारों की रक्षा के क्षेत्र में अपने सोच का प्रसार किया।

राममोहन राय की एक और महत्वपूर्ण योगदान उनका अंग्रेजों के साथ संवाद रहा है। उन्होंने अंग्रेजों के साथ संवाद के माध्यम से भारतीय समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय समाज को पश्चिमी विचारधारा और वैज्ञानिक गणित की शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षा परिस्थितियों की सुधार के लिए काम किया।

राममोहन राय की मृत्यु 27 सितंबर 1833 को लंदन में हुई, जहां उन्होंने भारतीय समाज के लिए लड़ने के लिए विदेश जाते समय बीमार हो गए थे। उनका योगदान भारतीय समाज में सुधार के क्षेत्र में अद्वितीय था, और उन्हें “महात्मा” का उपनाम भी दिया गया।

राजा राममोहन राय की विचारधारा और कार्यक्षेत्र बहुत व्यापक थे। उनके सोचने का तरीका, उनका उद्दीपन और उनका समाज में परिवर्तन लाने के प्रयास आज भी हमें प्रेरित करते हैं। उन्होंने अपने जीवन के दौरान अपनी बुद्धिमत्ता, उत्कृष्टता, और उत्साह के साथ समाज को समृद्धि की ओर ले जाने का प्रयास किया।

राजा राममोहन राय का योगदान

राजा राममोहन राय ने भारतीय समाज में अपने महत्वपूर्ण योगदानों के माध्यम से समाज को सुधारने और विकास के लिए कई प्रभावशाली कदम उठाए। यहाँ उनके भारतीय समाज में योगदान के 20 मुख्य पहलू हैं:

  1. अंधविश्वास और अस्वीकृति के खिलाफ उनकी चुनौती: राममोहन राय ने अंधविश्वास, पुरानी कुरीतियों, और बलात्कार के खिलाफ आवाज उठाई।
  2. सती प्रथा के खिलाफ लड़ा: उन्होंने सती प्रथा के खिलाफ अभियान चलाया और इसे समाप्त करने के लिए प्रयास किया।
  3. सामाजिक असमानता के खिलाफ आंदोलन: राममोहन राय ने विभिन्न विषयों में सामाजिक असमानता के खिलाफ आंदोलन चलाए।
  4. शिक्षा का प्रचार: उन्होंने शिक्षा के महत्व को समझाने और लोगों को शिक्षित करने के लिए काम किया।
  5. विदेशी शिक्षा का प्रोत्साहन: राय ने भारतीयों को पश्चिमी विचारधारा और वैज्ञानिक गणित की शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षा परिस्थितियों की सुधार के लिए प्रयास किया।
  6. धर्मनिरपेक्षता का प्रचार: उन्होंने धर्मनिरपेक्षता को प्रोत्साहित किया और समाज में सभी धर्मों की समानता को बढ़ावा दिया।
  7. भारतीय समाज में आधुनिकता का प्रमोट: राय ने भारतीय समाज को आधुनिकता की ओर ले जाने के लिए प्रयास किया।
  8. महिला सशक्तिकरण: उन्होंने महिलाओं के शिक्षा और समाज में भागीदारी को प्रोत्साहित किया।
  9. साहित्यिक योगदान: राममोहन राय ने विभिन्न विषयों पर गंभीर साहित्यिक योगदान किया, जिसमें विज्ञान, धर्म, और सामाजिक विषय शामिल थे।
  10. जागरूकता उत्थान: राय ने जनता को जागरूक करने और समस्याओं को सुलझाने के लिए प्रयास किया।
  11. समाज में सुधारों का प्रोत्साहन: राममोहन राय ने समाज में विभिन्न सुधारों को प्रोत्साहित किया, जैसे कि साक्षरता, स्वच्छता, और स्वास्थ्य सुविधाएं।
  12. राजनीतिक सुधार: उन्होंने राजनीतिक सुधारों को प्रोत्साहित किया और समाज को न्याय की ओर ले जाने के लिए प्रयास किया।
  13. साहित्यिक योगदान: राममोहन राय ने भारतीय साहित्य के क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान किए, जैसे कि उनकी पत्रिका “संवाद कोमुदी”।
  14. विद्वान और तत्वज्ञान: राममोहन राय एक प्रमुख विद्वान और तत्वज्ञान थे, जिन्होंने विभिन्न विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
  15. भारतीय संस्कृति की रक्षा: राय ने भारतीय संस्कृति, परंपरा, और विरासत की रक्षा की।
  16. विश्वास की सजगता: उन्होंने लोगों को धार्मिक और मानविक विश्वास में सजग रहने के लिए प्रेरित किया।
  17. समाज में संगठन: राममोहन राय ने समाज में संगठन को प्रोत्साहित किया और समाज को सामाजिक सुधारों के लिए एकजुट किया।
  18. अंग्रेजों के साथ संवाद: उन्होंने अंग्रेजों के साथ संवाद के माध्यम से भारतीय समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  19. स्वतंत्रता के प्रोत्साहन: राय ने स्वतंत्रता की लड़ाई में भाग लिया और लोगों को स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया।
  20. दरिद्रता के खिलाफ लड़ा: उन्होंने दरिद्रता के खिलाफ अपने संघर्ष का निरंतर संघर्ष किया और गरीबों की मदद करने के लिए काम किया।

राजा राममोहन राय और सती प्रथा

राजा राममोहन राय ने भारतीय समाज को सती प्रथा के खिलाफ उत्तेजित किया और इसे समाप्त करने के लिए प्रयास किया। सती प्रथा एक पुरानी भारतीय परंपरा थी जिसमें एक विधवा महिला अपने पति की अंतिम अंतिमा के समय अपनी जीवन को धारण करती थी। इस प्रथा के अनुसार, यदि पति का देहांत हो जाता तो पत्नी को भी उसके साथ आत्महत्या करनी चाहिए था।

राममोहन राय ने सती प्रथा के खिलाफ अपने लेखों, भाषणों, और समाज में चल रहे आंदोलनों के माध्यम से आवाज बुलंद की। उन्होंने सती प्रथा को एक मानवाधिकारों की उल्लंघना माना और इसे समाप्त करने के लिए सरकार से योजनाएं बनाने की मांग की।

राममोहन राय का योगदान सती प्रथा के खिलाफ लड़ाई में विशेष महत्वपूर्ण था। उन्होंने सती प्रथा के निर्मूलन के लिए अपने विचारों को समाज में फैलाया और लोगों को जागरूक किया। उनके प्रयासों और दृढ़ संघर्ष के फलस्वरूप, सती प्रथा को बंद करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने 1829 में सती प्रथा का निषेध घोषित किया।

राममोहन राय के योगदान का नतीजा यह था कि भारतीय समाज ने सती प्रथा को समाप्त कर दिया और महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा में सुधार हुआ। उनके प्रयासों ने एक नई सोच और एक नई समाजिक अवस्था की शुरुआत की, जिसमें महिलाओं को उनके अधिकारों की सम्मान और सुरक्षा मिली।

राममोहन राय का सती प्रथा के खिलाफ लड़ाई में योगदान उनके युवा और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत रहा है। उनकी शौर्यगाथा सती प्रथा के खिलाफ उनके संघर्ष की प्रेरणा और उनकी आत्महत्या के खिलाफ विरोध के लिए एक निष्ठावान संघर्षी के रूप में भारतीय इतिहास में दर्शाया जाता है। राममोहन राय के योगदान ने महिलाओं के स्थान में समानता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया और भारतीय समाज में समाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन की संभावनाओं को बढ़ावा दिया।

सती प्रथा

सती प्रथा भारतीय समाज में एक पुरानी प्रथा थी जिसमें एक विधवा महिला अपने पति के मृत्यु के बाद अपने आपको जीवनधारा से बाहर करती थी, अकेलापन और असहायता के साथ अपने पति के प्यार की बिना कुछ करने का तात्पर्य था। यह प्रथा प्राचीन भारतीय समाज में महिलाओं के स्थान और भूमिका के संदर्भ में एक प्रतिस्थापना थी।

सती प्रथा के कई कारण थे, जैसे कि समाज में महिलाओं की असमानता, पति के साथ महिलाओं के समर्थन की अभाव, और धार्मिक आदिकार का आदर करना। इस प्रथा का प्रचलन भारतीय समाज में प्राचीन काल से ही था और इसे धार्मिक आदिकारों और समाज में महिलाओं की स्थिति को सुरक्षित रखने का माध्यम माना गया।

हालांकि, सती प्रथा ने कई समाज में विवाद और आलोचना भी उत्पन्न की। यह अत्यंत कठिन और अमानवीय प्रथा थी जो महिलाओं को आत्महत्या के रूप में प्रेरित करती थी। इसके अलावा, इस प्रथा ने महिलाओं को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित किया और उन्हें समाज में उनकी अहम भूमिका से वंचित किया।

सती प्रथा का उत्थान करने वाले संदर्भ और कारणों के बावजूद, इसे आलोचित किया गया और इसके खिलाफ अधिकांश समाज ने आंदोलन किया। निरंतर विरोध और अगणित आंदोलनों के बाद, अंततः 1829 में ब्रिटिश सरकार ने सती प्रथा को निषेधित कर दिया। इस समाप्ति के बाद, महिलाओं को उनके अधिकारों की सुरक्षा में सुधार हुआ और उन्हें उनकी आत्मनिर्भरता की स्थिति मिली।

सती प्रथा ने भारतीय समाज के विकास की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया और महिलाओं के स्थान में समानता की ओर एक प्रारंभिक प्रयास किया। इसके खत्म होने के बाद, भारतीय समाज में महिलाओं के समर्थन, समानता, और सम्मान के लिए एक नई दिशा तय हुई।

राजा राममोहन राय ने सती प्रथा के खिलाफ लड़ाई में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। यहाँ उनके द्वारा सती प्रथा के लिए किए गए कुछ प्रमुख काम हैं:

  1. आलोचना और जागरूकता: राममोहन राय ने सती प्रथा की आलोचना की और समाज को इस अमानवीय प्रथा के खिलाफ जागरूक किया।
  2. लेखन के माध्यम से प्रचार: उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से सती प्रथा के खिलाफ लेख लिखे और लोगों को जागरूक किया।
  3. आंदोलनों का समर्थन: राय ने सती प्रथा के खिलाफ आंदोलनों का समर्थन किया और उन्हें प्रोत्साहित किया।
  4. सरकार से मांग: उन्होंने सती प्रथा को समाप्त करने के लिए सरकार से मांग की और उसे बंद करने के लिए कानूनी कदम उठाने की बात की।
  5. शिक्षा के माध्यम से जागरूकता: राममोहन राय ने शिक्षा के माध्यम से समाज को सती प्रथा के खिलाफ जागरूक किया।
  6. धर्मनिरपेक्षता का प्रचार: उन्होंने सती प्रथा के खिलाफ धर्मनिरपेक्षता को प्रोत्साहित किया और समाज में समानता की बात की।
  7. समाज में चर्चाएं: राममोहन राय ने समाज में सती प्रथा के बारे में चर्चाएं की और जनता को इसके बुरे प्रभावों के बारे में जानकारी दी।
  8. महिलाओं के अधिकारों की रक्षा: उन्होंने महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने के लिए सती प्रथा के खिलाफ लड़ा।
  9. विदेशी दबाव का प्रतिकार: राय ने विदेशी दबाव के बावजूद सती प्रथा के खिलाफ अपने आंदोलन को जारी रखा।
  10. सती प्रथा की निषेधित करार लेने का समर्थन: राममोहन राय के प्रयासों के बाद, ब्रिटिश सरकार ने 1829 में सती प्रथा को निषेधित करने का कदम उठाया।

राजा राममोहन राय के प्रयासों और योगदान का परिणामस्वरूप, सती प्रथा जैसी अमानवीय प्रथा को समाप्त करने में महत्वपूर्ण बदलाव लाया गया। उन्होंने इस पुरानी प्रथा के खिलाफ आंदोलन चलाया, जागरूकता फैलाई, और सरकार से मांग की। उनके निरंतर प्रयासों और दृढ़ संघर्ष के परिणामस्वरूप, ब्रिटिश सरकार ने 1829 में सती प्रथा को निषेधित कर दिया।

राममोहन राय के योगदान ने न केवल समाज को उत्तराधिकारित किया बल्कि महिलाओं को भी उनके अधिकारों की सुरक्षा में सुधार किया। उनके प्रयासों से महिलाओं को आत्मनिर्भरता और समाज में समानता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया गया। उनके योगदान का महत्व सिर्फ भारतीय समाज में ही सीमित नहीं था, बल्कि यह एक विश्वव्यापी संघर्ष था जो मानवता के मूल्यों और महिलाओं के अधिकारों की सम्मान के लिए लड़ा गया।

इस प्रकार, राजा राममोहन राय ने अपने समाज में समाजिक और धार्मिक सुधारों की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया और सती प्रथा जैसी अमानवीय प्रथा को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके प्रेरणास्त्रोत और निर्मल इच्छाशक्ति ने समाज में एक नई सोच और एक नई समाजिक अवस्था की शुरुआत की, जो महिलाओं को उनके अधिकारों की सम्मान और सुरक्षा मिली।

राजा राममोहन राय के राजनीतिक विचार

राजा राममोहन राय एक प्रख्यात राजनीतिक विचारक और समाज सुधारक थे, जिन्होंने भारतीय समाज के विकास और परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण योगदान किया। उनके राजनीतिक विचारों में समाज की समृद्धि, धार्मिक सहिष्णुता, विदेशी शासन के खिलाफ विरोध, और भारतीय संस्कृति के संरक्षण को लेकर विशेष महत्व था।

  1. समाज की समृद्धि: राममोहन राय ने समाज के विकास और समृद्धि के लिए शिक्षा, स्वदेशी उत्पादन, और सामाजिक न्याय को प्रमुखता दी। उन्हें समाज में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और धार्मिक समृद्धि का संतुलन महत्वपूर्ण था।
  2. धार्मिक सहिष्णुता: राममोहन राय ने धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा दिया और समाज में धार्मिक विविधता का समर्थन किया। उनका उद्देश्य धार्मिक एकता और समानता को प्रमोट करना था।
  3. विदेशी शासन के खिलाफ विरोध: राममोहन राय ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध किया और भारतीय स्वार्थ की रक्षा की। उन्होंने विदेशी शासन के अधिकारों की लड़ाई में सक्रिय रूप से भाग लिया।
  4. भारतीय संस्कृति के संरक्षण: राममोहन राय ने भारतीय संस्कृति, भाषा, और ऐतिहासिक धरोहर की संरक्षण को महत्व दिया। उन्होंने भारतीय संस्कृति को विदेशी प्रभावों से सुरक्षित रखने का प्रयास किया।

राममोहन राय के राजनीतिक विचार भारतीय समाज में समाजिक परिवर्तन और स्वतंत्रता की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके विचारों और कार्यों ने भारतीय समाज को आधुनिकता की दिशा में अग्रसर किया और उसे स्वतंत्रता की ओर अग्रसर किया।

राजा राममोहन राय के अनमोल विचार

राजा राममोहन राय के अनमोल विचार:
 
1. “शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण धन है, जो कभी भी हमसे छीना नहीं जा सकता।” – “Education is the most important wealth that can never be taken away from us.”
 
2. “सत्य, न्याय, और धर्म के प्रति समर्पण हमेशा सच्चे महान लोगों का गुण होता है।” – “Dedication to truth, justice, and righteousness is always the mark of truly great people.”
 
3. “विज्ञान और धर्म के बीच मेलजोल बनाने के लिए योग्य तरीका हमें हमारी संस्कृति को पुनः संजीवन देने के लिए है।” – “Finding a harmonious balance between science and religion is the right way to revitalize our culture.”
 
4. “धर्म का सही मतलब है, अपने कर्तव्यों को समझना और उन्हें पूरा करने का इच्छुक होना।” – “The true meaning of religion is understanding one’s duties and being eager to fulfill them.”
 
5. “समाज के समृद्धि का आधार, उसके शिक्षित और संस्कृतिसंगत नागरिकों की संख्या है।” – “The foundation of society’s prosperity lies in the number of its educated and culturally enlightened citizens.”
 
6. “समाज के सबसे कमजोर सदस्यों की उन्नति ही समाज की विकास और समृद्धि का मापदंड होती है।” – “The progress and prosperity of society are measured by the upliftment of its weakest members.”
 
7. “ज्ञान से ही महानता की प्राप्ति होती है, और यह सबसे उच्च मानव सद्गुण है।” – “Greatness is attained through knowledge, which is the highest virtue of humanity.”
 
8. “जीवन में सफलता का एकमात्र रास्ता, निष्ठा और परिश्रम है।” – “The only path to success in life is dedication and hard work.”
 
9. “समाज का उद्धार उसके नागरिकों के समर्थन और सहानुभूति के अंतराल में निहित है।” – “The salvation of society lies in the gap between its citizens’ support and compassion.”
 
10. “सत्य, धर्म, और न्याय के प्रति आत्मसमर्पण हमेशा समृद्धि और खुशहाली की राह होता है।” – “Dedication to truth, righteousness, and justice is always the path to prosperity and happiness.”

राजा राममोहन राय एक ऐतिहासिक व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय समाज में सुधार और परिवर्तन की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके विचार, आंदोलन, और कार्यों ने भारतीय समाज को स्वतंत्रता, समाजिक सुधार, और धार्मिक सहिष्णुता की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रेरणा दी। उन्होंने धर्म, विद्या, और समृद्धि के लिए प्रतिबद्धता और समर्पण के माध्यम से एक समृद्ध और समान समाज की आवश्यकता को उजागर किया। राममोहन राय के योगदान ने भारतीय समाज को स्वतंत्रता की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया और उसे एक नए दिशा में अग्रसर किया। उनकी चिंतनशीलता, साहस, और समर्थन ने उन्हें एक योगदानकर्ता और समाज सुधारक के रूप में याद किया जाता है।

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