अगर आप एक छोटे-मोटे व्यापारी हैं। अपने बैंक से लोन ले रखा है या फिर बैंक में आपका cash credit खाता है। तो आप हर साल जरूर अपने cash credit A/c को renewal करने के लिए stock statement और balance sheet तो जरूर जमा करते होंगे। या फिर आप किसी छोटे-मोटे व्यापारी ही क्यों ना हो और आपको अपना बैलेंस शीट कैसे बनाना है? इस बारे में जानकारी चाहिए तो आप सही जगह आए हैं। इसके अलावा अगर आपके व्यापार के लिए Balance sheet का अध्ययन आप कैसे कर सकते हैं? उसके बारे में भी हम अपने इस पोस्ट में बताने वाले हैं। What is Balance sheet in Hindi – बैलेंस शीट क्या है?
इसके अलावा भी अगर आप किसी कंपनी के शेयर खरीदने चाहते हैं और उसमें लोंग टर्म इन्वेस्टमेंट करने के बारे में सोच रहे हैं। ऐसी स्थिति में अगर आपको उस कंपनी का Balance sheet का अध्ययन करना है? तो आपको उसका बैलेंस शीट का विश्लेषण करना होगा। इससे आप उस कंपनी की फाइनेंसियल स्थिति कैसी है?पिछले गत वर्षों में उस कंपनी ने किस तरह से प्रदर्शन किया है? आगे उस कंपनी के व्यापार पर कितना growth होगा? इन सारी चीजों के बारे में आप आसानी से अध्ययन कर सकते हैं? तभी जाकर के आप एक अच्छे कंपनी के शेयर खरीदने के लिए आगे बढ़ सकते हैं।
इसके अलावा भी अगर आप खुद का कोई बिजनेस शुरू करना चाहते हैं। तो भी आपको बैलेंस शीट से संबंधित जानकारी होना जरूरी है। या फिर आपका पहले से व्यापार है तो भी आपको बैलेंस शीट से अपने व्यापार की स्थिति, अपने व्यापार में हुए नुकसान, अपने व्यापार में हुए लाभ, आपके द्वारा कितना देनदारी पिछले वर्ष बचा है? इन सारे चीजों का अध्ययन करने के लिए Balance sheet के बारे में आपको पता होना चाहिए। तो, चलिए जानते हैं कि Balance sheet in Hindi – बैलेंस शीट क्या है?
Balance sheet in Hindi – बैलेंस शीट क्या है?
Balance sheet से मतलब यह है कि एक ऐसा statement जो कि एक निश्चित तारीख या जिसमें किसी अवधि निश्चित अवधि पर व्यवसाय की वित्तीय स्थिति को प्रकट करता है। यदि संक्षेप में समझा दो बैलेंस शीट व्यापार की आर्थिक स्थिति का विवरण देता है।
संक्षेप में, Balance sheet किसी एक निश्चित तारीख या समय या अवधि पर किसी व्यापारी या संगठन की संपत्तियां, देनदारी और पूंजी ( share capital) के विवरण को बैलेंस शीट (balance sheet) जाते हैं।
ज्यादातर मामलों में देखा जाता है कि इसे लोग अपने व्यापार से संबंधित इसी वर्ष के अंत में या वित्तीय वर्ष के अंत में बनाया जाता है। दूसरे शब्दों में,इसे Profit and Loss account यानी कि लाभ हानि खाते भी कहते हैं।
किसी भी बैलेंस शीट के विश्लेषण (analysis) कर के आप उस बैलेंस शीट से संबंधित कंपनी या संस्थान का “वित्तीय विवरण” का पता लगा सकते हैं। की कंपनी यह संस्थान की संपत्ति, shareholders equity, liabilities इत्यादि चीजों के बारे में एक रिपोर्ट प्रदर्शित करता है। बैलेंस शीट किसी भी कंपनी के फाइनेंसियल स्थिति को दर्शाता है।
Balance sheet की सहायता से आप कुल वित्तीय विवरण की जानकारी ले सकते हैं
यदि आप किसी बिजनेस की शुद्ध संपत्ति जाना चाहते हैं। अर्थात उस बिजनेस में कुल कितनी इनकम और खर्च हुए हैं तो आप इसका पता बैलेंस शीट के अध्ययन से कर सकते हैं। Net worth अर्थात निवल मूल्य व राशि होती है। जो कंपनी के मालिक या इन्वेस्टर को सभी liabilities (देनदारी) में कटौती करने के बाद प्राप्त होता है।
किसी भी कंपनी की Net worth को liabilities एवं asset के बीच के अंतर से पता किया जा सकता है।
Balance Sheet
बैलेंस शीट किसी भी व्यापार में बहुत ही उपयोगी होता है क्योंकि या उसके संचालन को बनाए रखने के लिए पर्याप्त कार्यशील पूंजी है।
बैलेंस शीट से मतलब यह है कि एक ऐसी निश्चित तारीख पर व्यवसाय की वित्तीय स्थिति को प्रकट करता है। अर्थात बैलेंस शीट व्यापार की आर्थिक स्थिति का विवरण देता है।
साजन शब्दों में कहते हैं कि एक निश्चित समय पर एक व्यापार या संगठन या संपत्तियां, देनदारियों और पूंजी के विवरण को बैलेंस शीट कहते हैं। आमतौर पर इसे कंपनियां संगठन के वित्तीय वर्ष के अंत में बनाया जाता है। बैलेंस शीट को प्रॉफिट एंड लॉस अकाउंट यानी कि लाभ और हानि के बाद तैयार किया जाता है।
बैलेंस शीट के 2 पक्ष होते हैं:-
- Liabilities (दायित्व)
- Asset (संपत्ति पक्ष)
कोई भी बैलेंस शीट संपत्ति (Assets) और दायित्व यानी कि liabilities दोनों के पक्षों को जोड़ करके बनता है।अगर दोनों पक्षों का योग बराबर नहीं है तो इसका अर्थ है कि general entries या ledger entry में कहीं गलती हुई है।
बैलेंस शीट किसी भी कंपनी या व्यापार की किसी विशेष स्थिति को बता सकने में सक्षम होता है। इसका उद्देश्य एक निश्चित समय में कंपनी के मालिक को सही वित्तीय विवरण बताना है ताकि वह भविष्य में अपनी कंपनी के आगे के काम को निर्धारित कर सके।
बैलेंस शीट में 2 पक्ष होते हैं जिसमें से बाय पक्ष को capital and liabilities (पूंजी व दायित्व पक्ष) कहा जाता है तथा दाएं पक्ष को Assets and properties (संपत्ति और जायदाद) कहा जाता है। जैसा कि आप नीचे इस चित्र में देख सकते हैं।
Capital and Liabilities बाय पक्ष पर आने वाले निम्नलिखित चीजें होती है
Share capital (अंश पूंजी) इस चीज के अंतर्गत निम्नलिखित तरह की पूंजी को दिखाया जाता है:-
- Equity share capital (समता अंश पूंजी)
- Preference share capital (पूर्वाधिकार अंश पूंजी)
Secured loans (सुरक्षित ऋण) :- इसके अंतर्गत निम्नलिखित दायित्वों को दिखाया जाता है:-
- Debenture (ऋण पत्र)
- Bonds (बंधन)
- Bank loan(बैंक अधिकोष ऋण)
- Mortgage loan (बंधक ऋण)
Current Liabilities (चालू दायित्व):- इसके अंतर्गत निम्नलिखित अल्पकालीन दायित्व को लिखा जाता है:-
- Creditor (लेनदार)
- Bank overdraft
- Outstanding expenses
- Advance income (अग्रिम आय)
Reserve and Surplus income (संचित एवं अधिकाय) इसके अंतर्गत निम्नलिखित तरह के लाभों को लिखा जाता है:-
- General reserve (सामान्य संचित)
- Capital reserves (पूंजी संचित)
- Profit and loss credit (लाभ हानि जमा)
- Security premium (प्रतिमूर्ति पर ब्याज)
- Share Forfeiture (अंशु का हरण)
Provision (प्रावधान) :- इसके अंतर्गत निम्नलिखित प्रावधानों को लिखा जाता है:-
- Provision for Bad Debts (अप्राप्य के लिए प्रावधान)
- Provision for Taxation (कर के लिए प्रावधान)
- Provision for Repairs (मरम्मत ई के लिए प्रावधान)
Assets and Properties Side यानी कि दाएं पक्ष में आने वाले मदों को निम्न शिर्षकों के अंतर्गत दिखाया जाता है
- Fixed Assets (स्थाई संपत्ति)
- Current Assets (चालू संपत्ति)
- Miscellaneous Expenditure (विविध व्यय)
Fixed Assets (स्थाई संपत्ति) :- जिस संपत्ति में बराबर परिवर्तन नहीं होता है, उसके अंतर्गत निम्नलिखित मंदों को रखते हैं:-
- Land and Building
- Trade Mark’s
- Plant and Machinery
- Furniture and Fixture
- Loose Tool
- Goodwill
Current Assets (चालू संपत्ति) :- किसी भी संपत्ति में अगर बराबर परिवर्तन होता रहता है तो उसे चालू संपत्ति के अंतर्गत दिखाया जाता है। चालू संपत्ति के अंतर्गत निम्नलिखित चीजों को सम्मिलित किया जा सकता है।
- Cash
- Bank
- Stock
- Investment
- Debtors
- Prepaid expenses
- Accrued income
Miscellaneous Expenditure (विविध व्यय) :- इसके अंतर्गत अवास्तविक संपत्तियों को दिखाया जाता है। जैसे कि कुछ खर्च एवं हानियों को तत्काल संपत्ति के रूप में दिखाया जाता है परंतु धीरे-धीरे यह सारी profit and loss account पर जाकर के समाप्त हो जाती है। इसके अंतर्गत आप इन्हें शामिल कर सकते हैं।
- प्रारंभिक व्यय (Preliminary expenses)
- अंशो के निर्गमन पर कटौती (discount on issue of share)
- ऋण पत्रों के निर्गमन पर कटौती (discount on issue of debentures)
- ऋण पत्रों के निर्गमन पर व्यय (expenses on issue of share)
- Profit and loss debit
ऊपर आपको हमने यह जानकारी उपलब्ध कराई है कि किसी भी बैलेंस शीट पर दाएं पक्ष और बाएं पक्ष पर आप कौन-कौन सी चीजों को रख सकते हैं। दोनों ही तरफ के मद बराबर होते हैं जिस चलते हम इसे बैलेंस शीट कहते हैं।
Balance sheet के फायदे
जैसा कि हमने बताया ऊपर, अगर आप एक छोटे व्यापारी हैं तो आप अपने बैलेंस शीट के जरिए अपने व्यापार में होने वाले लाभ एवं हानि का अंदाजा बड़ी आसानी से लगा सकते हैं। आप इस बारे में भी पता कर सकते हैं कि आपकी व्यवसाय किस प्रकार चल रही है। इसके अलावा अगर आप शेयर बाजार में निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं तो आप विभिन्न कंपनियों के बैलेंस शीट को देख कर के उनमें निवेश करने के बारे में सोच सकते हैं।
यदि आप भी शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो आप स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड किसी भी कंपनी के बैलेंस शीट का अध्ययन कर सकते हैं। उसी के बाद आप यह निश्चय कर सकते हैं कि उस कंपनी के शेयर आपको खरीदना चाहिए कि नहीं।
बैलेंस शीट को हिंदी में तुलन पत्र या चिट्ठा भी कहते हैं। मगर हम यहां बैलेंस शीट शब्द का ही प्रयोग करेंगे क्योंकि आप प्रचलित है। बैलेंस शीट क्या ध्यान से आप व्यापार संगठन की संपत्ति, देनदारी और पूंजी के विवरण को अध्ययन कर सकते हैं।
निष्कर्ष
दोस्तों आज के हमारे इस लेख में हमने आपको Balance sheet in Hindi के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई है। उम्मीद करता हूं कि आज के हमारे इस लेख से आपको जरूर कुछ नया सीखने को मिला होगा।