जरा कल्पना कीजिए, अगर हमारे हाथों में टेलीफोन या स्मार्टफोन नहीं होता तो हम आसानी से दूर-दराज में रहने वाले अपने रिश्तेदारों से बात नहीं कर पाते। एलेग्जेंडर ग्राहम बेल, एक ऐसे विज्ञानिक हैं जिन्होंने हमें यह तोहफा दिया है। जिसकी मदद से हम अपने टेलीफोन की मदद से दुनिया के किसी भी कोने में बात कर सकते हैं। अलेक्जेंडर ग्राहम बेल (Alexander Graham Bell) एक ऐसे विज्ञानिक हुए जिन्होंने टेलीफोन का आविष्कार कर दुनिया को बहुत ही छोटा बना दिया है। आज के हमारे इस लेख में हम अलेक्जेंडर ग्राहम बेल के जीवन के बारे में जानेंगे। Biography of Alexander Graham Bell in Hindi
टेलीफोन के जनक एलेग्जेंडर ग्राहम बेल की जीवनी – Biography of Alexander Graham Bell in Hindi
अलेक्जेंडर ग्राहम बेल (Alexander Graham Bell) का जन्म इंग्लैंड के ईडन बारा में 3 मार्च 1847 को हुआ था। इनका पालन पोषण और शिक्षा दीक्षा मेसाचुट्स में हुआ था। केवल 25 वर्ष की उम्र में इन्होंने गूंगे बहरे के लिए एक स्कूल खोला था। खाली समय में अलेक्जेंडर ग्राहम बेल भारती भारती के यंत्रों पर कार्य करते थे। उन्हें यंत्रों को बनाना और उनकी कार्यप्रणाली को समझना काफी अच्छा लगता था।
2 जून साल 1875, की बात है जब एक दिन एलेग्जेंडर ग्राहम बेल अपने सहयोगी थॉमस वाटसन के साथ टैलीग्राफी पर काम कर रहे थे। उसी समय उनके दिमाग में तार से संदेश भेजने की बात आई थी। इस समस्या पर भी काम करते रहे, एक दिन एक कमरे में बैल थे और दूसरे में वाटसन। वाटसन ने तार पर उंगली मारी जिसकी आवाज बैल को दूसरे कमरे में सुनाई दी।इससे ग्राम बेल खुशी से भागते हुए वाटसन के पास आए और कहने लगे कि मैंने तुम्हारी उंगली की आवाज सुनी है। इसके बाद उन्होंने कुछ और प्रयोग किए।
एक दिन उन्होंने कहा “वाटसन वाटसन! यहां आओ मुझे तुम्हारी जरूरत है” ग्राहम बेल ने अपने बनाए गए टेलीफोन पर बोले गए यह पहले शब्द थे। उसके बाद साल 1876 में उन्होंने टेलीफोन का पेटेंट किया। वे अपने टेलीफोन में सुधार करने में लग गए थे। उन्होंने अपने टेलीफोन के विश्व के अनेक देशों में सफलता पूर्ण प्रदर्शन भी किया। इससे ग्राम बेल का नाम चारों और फैल गया था।
साल 1877 में, एलेग्जेंडर ग्राहम बेल ने शादी कर ली और दोनों पति पत्नी एक टेलीविजन सेट के साथ हनीमून के लिए निकल पड़े। हनीमून से लौटने के बाद ग्राहम बेल ने हाउस ऑफ कॉमंस की गैलरी में टेलीफोन लगाया और संसद में चल रही बहस का कुछ भाग खबरों के अखबार के एक दफ्तर में बैठे हुए स्टेनोग्राफर को बोला गया। साल 1877 मैं बर्लिन में स्थाई टेलीफोन लाइन बिछाई गई। साल 1878 में अलेक्जेंडर ग्राहम बेल अमेरिका पहुंचे तो टेलीफोन के क्षेत्र में काफी काम हो चुका था। थॉमस अल्वा एडिसन ने टेलीफोन में काफी सुधार किए थे।
साल साल 1915 तक कई हजारों मील लंबी टेलीफोन लाइन बिछाई जा चुकी थी। इस लाइन का उद्घाटन करने के लिए न्यूयॉर्क से एलेग्जेंडर ग्राहम बेल को बुलाया गया था। लाइन के किनारे पर एलेग्जेंडर ग्राहम बेल थे और दूसरे किनारे पर वाटसन। उद्घाटन में एलेग्जेंडर ग्राहम बेल ने शुरू में वही शब्द दोहराए कि वाटसन कृपया यहां आना मुझे आपकी जरूरत है।इसके जवाब में दूसरी और वाटसन की हंसी की आवाज आई। वाटसन कह रहे थे कि श्रीमान जी इस समय मैं आपके पास आने में असमर्थ हूं क्योंकि मैं आपसे कई मील दूर बैठा हूं। इस महान विज्ञानिक और अविष्कारक की मृत्यु साल 1922 में हो गई। एलेग्जेंडर ग्राहम बेल की मृत्यु के दिन पूरे अमेरिका में टेलीफोन 1 मिनट के लिए बंद रखा गया था।