भाईचुंग भुटिया “Baichung Bhutia” भारत के जाने-माने फुटबॉल खिलाड़ियों में से एक में जाने जाते हैं। इन्होंने भारतीय फुटबॉल टीम को दुनिया भर में अपनी एक अलग पहचान दिलाई है। भारत में भाईचुंग भुटिया महान फुटबाल खिलाड़ियों में से एक में गिने जाते हैं। इन्होंने भारतीय फुटबॉल टीम का नाम रोशन किया है। बल्कि, इन्होंने फुटबॉल जगत में भारत जैसे देश को एक अलग ही पहचान दिलाई है। आज के हमारे इस लेख में हम बाईचुंग भुटिया के जीवन के बारे में विस्तृत जानकारी देने वाले हैं। Biography of Baichung Bhutia in Hindi
Biography of Baichung Bhutia in Hindi – बाईचुंग भुटिया की जीवनी
बाईचुंग भुटिया का जन्म 15 दिसंबर 1976 को सिक्किम भूटिया वंश के एक सेवा निर्मित भारतीय फुटबॉल खिलाड़ी है। जो स्ट्राइकर के रूप में खेलते हैं। बाईचुंग भुटिया को भारतीय फुटबॉल टीम को विश्व भर में एक अलग पहचान दिलाने के लिए जाना जाता है। फुटबॉल में उनकी शूटिंग कौशल की वजह से उन्हें अक्सर सिक्किमी स्नैप्पर नाम दिया जाता है।
सुप्रसिद्ध भारतीय खिलाड़ी आईएम विजयन ने भूटिया को भारतीय फुटबॉल के लिए एक भगवान का उपहार बताया है। भाईचुंग भुटिया के बड़े भाई का नाम चेवांग भुटिया है। भाईचुंग भुटिया और उनके भाई दोनों ही बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाई की। इसके बाद 2004 में उनका विवाह हुआ लेकिन किन्ही कारणों से साल 2015 में उनका तलाक भी हो गया। बाइचुंग भूटिया ने हाल ही में “हमारो सिक्किम पार्टी” की स्थापना भी की है।
बाईचुंग भुटिया ने i-league फुटबॉल टीम ईस्ट बंगाल क्लब में अपने कैरियर की शुरुआत किया था। इसके बाद वह साल 1999 में इंग्लिश क्लब भरी में शामिल हो गए, वह यूरोपीय क्लब के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर करने वाले पहले भारतीय फुटबॉल खिलाड़ी बन गए और मोहम्मद सलीम के बाद यूरोप में पेशेवर रूप से खेलने वाले खिलाड़ी बने। इसके बाद उन्होंने मलेशिया फुटबॉल क्लब पैराक फ. ए के लिए भी खेले थे। अनेक अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल सम्मान में नेहरू कप, एलजी कप, एएफसी टूर्नामेंट चैलेंज इत्यादि में शामिल हुए। और उन्होंने कई सारे फुटबॉल टूर्नामेंट भी जीते हैं। वह भारत के सबसे ज्यादा टोपी पाने वाले खिलाड़ियों में से एक हैं उनके नाम पर 104 अंतरराष्ट्रीय कैप है। और नेहरू कप 2009 में उन्होंने अपनी 100 वं अंतरराष्ट्रीय केप प्राप्त किया।
मैदान के बाहर बाइचुंग भूटिया (Baichung bhutia) टेलीविजन कार्यक्रम झलक दिखला जा को जीतने के लिए भी जाने जाते हैं। उस दौरान उनके तबके क्लब मोहन बागान के साथ उनका बहुत बड़ा विवाद भी पैदा हो गया था और वह पहले भारतीय खिलाड़ी थे जिन्होंने तिब्बती स्वतंत्रता आंदोलन के समर्थन में ओलंपिक मशाल रिले कब है इस कार्य किया था। भारतीय फुटबॉल में अपने योगदान देने के लिए उनके सम्मान में भूटिया के नाम पर एक फुटबॉल स्टेडियम भी है। उन्हें अर्जुन पुरस्कार और पदम श्री जैसे कई पुरस्कार से भी नवाजा गया है।
अक्टूबर 2010 में, उन्होंने कार्लोस क्वियरोज और नाईकी द्वारा फुटबॉल के साथ साझेदारी में दिल्ली में बाइचुंग भुटिया फुटबॉल स्कूल की स्थापना की। साल 2011 में, बाइचुंग भूटिया ने अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से अपनी सेवानिवृत्ति की घोषणा की और उनका विदाई मैच 10 जनवरी 2012 को दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में ब्रायन म्यूनिख के खिलाफ भारत की राष्ट्रीय टीम के साथ था। Biography of Baichung Bhutia in Hindi
Early life of Baichung Bhutia – बाईचुंग भुटिया का प्रारंभिक जीवन
बाइचुंग भूटिया का जन्म 15 दिसंबर 1976 को सिक्किम के एक छोटे से गांव तिनकिताम मैं हुआ था। भाईचुंग भुटिया फुटबॉल के अलावा उन्हें अन्य खेलो मैं भी काफी रूचि थी। इस चलते हुए अपने स्कूली जीवन में बैडमिंटन, बास्केटबॉल, एथलीट के रूप में अपने स्कूल का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं।
बाईचुंग भुटिया से बड़े उनके दो भाई भी है। चेवांग और बोम बोम भूटिया उनकी एक बहन भी है जिसका नाम कैली भूटिया है। उनके माता-पिता जो, कि पेशे से किसान थे को शुरू शुरू में उनका खेलना पसंद नहीं था। उनके पिता की मृत्यु होने के बाद उनके चाचा, कर्म भुटिया से प्रोत्साहन के बाद उन्होंने सेंट जेवियर स्कूल, पाकजोंग, ईस्ट सिक्किम में अपनी शिक्षा शुरू कर दी और 9 साल की उम्र में उन्होंने गंगटोक में ताशी नामग्याल अकादमी में भाग लेने के लिए एक भारतीय खेल प्राधिकरण से एक फुटबॉल छात्रवृत्ति जीती।
इसके बाद उन्होंने अपने गृह राज्य सिक्किम में कई सारे स्कूल और स्थानीय लोगों के लिए खेलना शुरू कर दिया था। जिसमें गंगटोक स्थित ब्वॉय क्लब शामिल था, जो कर्मा द्वारा चलाया जाता था। इसके बाद साल 1992 के सुब्रतो कप में उनका काफी बेहतर प्रदर्शन रहा जहां उन्हें “बेस्ट प्लेयर” का पुरस्कार भी जीता था। इसके बाद पूर्व भारत के गोलकीपर भास्कर गांगुली ने उनकी प्रतिभा देखी और उन्हें कोलकाता फुटबॉल में शामिल होने में मदद की। इसके बाद साल 1993 में, मात्र 16 वर्ष की आयु में उन्होंने पेशेवर ईस्ट बंगाल F.C Kolkata Club मैं शामिल हो गए। इसके बाद उन्होंने अपनी स्कूल भी छोड़ दी।
दो साल बाद , उनको J.C.T MILES में खेलने का मौका मिला, और उस टीम ने साल 1996 से साल 1997 की सीजन में इंडियन नेशनल फुटबॉल लीग जीती थी। उस लीग में बाइचुंग भूटिया शीर्ष गोलकीपर रहे थे और उन्होंने नेहरू कप में उनके अंतरराष्ट्रीय पदार्पण के लिए चुना गया था। उन्होंने साल 1996 में भारतीय प्लेयर ऑफ द ईयर का खिताब अपने नाम किया। Biography of Baichung Bhutia in Hindi
साल 1997 में, ईस्ट बंगाल F.C CLUB में वापस लौट गए। इसके बाद भाईचुंग भूटिया ईस्ट बंगाल और मोहन बंगाल के बीच स्थानीय डर्बी मैं पहली हैट्रिक लगाने का गौरव प्राप्त हुआ और साथ ही उनकी टीम साल 1997 के फेडरेशन कप सेमीफाइनल में मोहन बागान पर 4-1 से जीत हासिल की। साल 1998 से लेकर के साल 1999 के सत्र में टीम के कप्तान बाइचुंग भुटिया को चुना गया। इसके अलावा साल 1999 में ही उन्हें अर्जुन पुरस्कार मिला। इसके साथ ही वे ऐसे 19वें फुटबॉलर बन गए जो भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय खेलों में उत्कृष्ट उपलब्धि हासिल करने वाले किसी भी फुटबॉलर या एथलीट को दिया गया है।
बाईचुंग भुटिया का विदेशी टीम में खेलना
भाईचुंग भुटिया को विदेशों में खेलने के लिए कई सारे आमंत्रण भी मिले हैं। भाईचुंग भुटिया, के लिए ऐसा भी माना जाता है कि उन्हें विदेशों में खेलने के लिए सीमित अवसर दिया गया है। 30 सितंबर साल 1999 को, उन्होंने इंग्लैंड के ग्रेटर मैनचेस्टर में बरी के लिए खेलने के लिए विदेश की यात्रा की। इसी के साथ भाईचुंग भुटिया मोहम्मद सलीम के बाद व यूरोप में पेशेवर रूप से खेलने वाले दूसरे भारतीय फुटबाल खिलाड़ी बन गए।
उन्होंने इंग्लैंड की क्लब के साथ 3 साल का करार किया था। इसके साथ ही वह किसी भी विदेशी क्लब के लिए खेलने वाले पहले भारतीय फुटबॉल खिलाड़ी भी बने। इसके बाद भुटिया फुलहम, वेस्ट ब्रोमविच अल्बेनिया और एस्टन विला के परीक्षणों में सफल रहे।शुरुआत में उन्हें वीजा प्राप्त करने में काफी कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ा था आखिरकार उन्हें वीजा मिल ही गया और उन्होंने अपना पहला मैच कार्डिफ़ सिटी के खिलाफ 3 अक्टूबर साल 1999 में खेला।
उस मैच में, बाइचुंग भुटिया, आयन लासन के विकल्प के रूप में आए और उन्होंने बड़ी के दूसरे गोल में हिस्सा लिया जो डारन बल्क द्वारा किया गया था। उसके बाद भूटिया की वाली ने फुटबॉल को उनके पास पहुंचा दिया। विदेशी क्लब के लिए खेलते हुए उन्होंने पहला गोल 15 अप्रैल 2000 को गोल चेस्टरफील्ड के खिलाफ इंग्लिश लीग में दादा था। इसके बाद उन्हें घुटने में चोट आ गई, जिसके बाद उन्होंने इतनी ज्यादा मैच भी नहीं खेली।
साल 2002 में, भुटिया वापस भारत लौट आए और 1 वर्ष के लिए मोहन बागान के लिए खेला। हालांकि शुरुआती सीजन उतनी अच्छी नहीं रही क्योंकि भूटिया सीजन की शुरूआत में घायल हो गए थे और उसी जन्म में फिर से खेलने में नाकाम रहे। इसके बाद वह फिर से इस बंगाल क्लब लौट आए। Biography of Baichung Bhutia in Hindi
भाईचुंग भुटिया का संक्षिप्त जीवन परिचय
पूरा नाम | भाईचुंग भुटिया (Baichung Bhutia) |
खेल | फुटबॉल खिलाड़ी |
उपनाम | सिक्किमी स्नैप्पर |
भाई बहन | दो बड़े भाई चेवांग और बोम बोम भुटिया, एक बहन कैली भूटिया |
पहला फुटबॉल मैच | साल 1993, 16 वर्ष की आयु में ईस्ट बंगाल क्लब |
टेलीविजन कार्यक्रम | झलक दिखला जा, जीते हैं |
भाईचुंग भुटिया को मिले सम्मान | साल 2008 में, पदम श्री से सम्मानित |
अर्जुन पुरस्कार | साल 1999, अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित |
विदेशी क्लब में खेला | इंग्लिश क्लब बरी, साल 1999 |
खेल से सन्यास | साल 2011 अगस्त, खेल से संन्यास |