Does the Moon Control the way Animals Behave? क्या चंद्रमा जानवरों के व्यवहार को नियंत्रित करता है?

यह काफी दिलचस्प सवाल है। हम अक्सर चंद्रमा के चलती है धरती पर होने वाले प्रभाव के बारे में पढ़ते हैं। जैसे कि ऋतु के बदलने, चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ज्वार भाटा का उठना। इन सारे प्रभाव के बारे में हम पहले से ही जानते हैं। लेकिन आज के हमारे इस लेख में हम या जानकारी लेंगे की Does the Moon Control the way Animals Behave? क्या चंद्रमा जानवरों के व्यवहार को नियंत्रित करता है?

अंधेरी रात में जंगल में रात के प्रकाश का एकमात्र स्रोत चंद्रमा होता है। चंद्रमा के प्रकाश के ऊपर ही जानवरों की चाल और उनके शिकार की पद्धति निर्भर करती है। यही नहीं वह कैसे प्रजनन करेंगे या वे एक दूसरे के साथ किस तरह से संवाद करेंगे, यह सारी चीजें चंद्रमा के प्रकाश के ऊपर ही निर्भर करती है।

बचपन से ही हमारी एक कल्पना रही है कि चंद्रमा हमारा चंदा मामा है। हम अक्सर कल्पना करते हैं कि चंद्रमा का एक चेहरा है जो हमारे पीछे पीछे चलता है। हालांकि, वास्तव में वह चेहरा केवल चंद्रमा में मौजूद बड़े-बड़े गड्ढों के कारण हमें दिखाई या कल्पना के जरिए हम देखते हैं। लेकिन जैसे जैसे हम बड़े होते गए वैसे वैसे हमें यह बात समझ में आ ही गई कि चंद्रमा किसी का भी अनुसरण नहीं करता है।

कृत्रिम प्रकाश की उपस्थिति में, चंद्रमा के प्रकाश के कारण जानवरों के व्यवहार और उनके प्रजनन एवं उनकी शिकार की पद्धति पर अत्यधिक प्रभाव देखने को नहीं मिलता। हां लेकिन जंगल जहां की रात में काफी अंधकार होता है, यह केवल एक मात्र रात में प्रकाश का स्रोत चंद्रमा ही है। जिस वजह से वह जंगली जानवरों के चलने का तरीका एवं उनकी शिकार की पद्धति को प्रभावित कर सकता है। तो, चलिए आज के हमारे इस लेख में हम इस बारे में जानकारी लेते हैं कि Does the Moon Control the way Animals Behave? क्या चंद्रमा जानवरों के व्यवहार को नियंत्रित करता है?

Does the Moon Control the way Animals Behave? क्या चंद्रमा जानवरों के व्यवहार को नियंत्रित करता है?

आगे बढ़ने से पहले चलिए हम ही वैसे छोटे जीव से शुरू करते हैं, जैसे कि एंटीलियंस के लारवा। एंटीलियन कीड़ों का एक समूह है जिनके लाडवा शिकारी होते हैं जो अपने शिकार को पकड़ने के लिए रीत में छेद करके बैठे रहते हैं।

चंद्रमा चक्र

वैज्ञानिक एवं शोधकर्ताओं की मानें तो यह पूर्णिमा के दिन इस तरह के कीड़े मकोड़े उसकी रोशनी में अधिक शिकार करते हैं। वे हर दिन नया गड्ढा बनाते हैं। और अमावस्या की रात में उनकी शिकार की प्रवृत्ति बदल जाती है। जैसे ही पूर्णिमा आते हैं गड्ढों के आकार बड़े हो जाते हैं और फिर अमावस्या आते-आते इनके गड्ढे सिकुड़ जाते हैं। वैज्ञानिक कहते हैं कि पूर्णिमा की रोशनी में इस तरह के कीड़े मकोड़े जिन्हें हम एंटिलियन कीड़े कहते हैं यह अधिक शिकार करते हैं।

अर्जेंटीना में किए गए एक शोध अध्ययन में पाया गया कि टैबीटी खरगोश और हिरण जैसे कुछ जानवर जिनकी दूर की दृष्टि काफी कम होती है वह चंद्रमा के पूर्णिमा में बड़े-बड़े घास के मैदानों में अधिक सक्रिय पाए गए। इस तरह से हम देख सकते हैं कि चंद्रमा की रोशनी किस तरह से जंगली जानवरों के शिकार की पद्धति को प्रभावित करती है।

चंद्रमा और जानवरों के संभोग व्यवहार

ऐसा देखा गया है कि जानवरों की प्रजनन करने के व्यवहार पर भी चंद्रमा के प्रकाश की रोशनी काफी प्रभावित करती है। मनुष्य की भांति ही जानवरों में भी एक जैविक घड़ी मौजूद होती है। चंद्रमा के प्रकाश के कारण यह जैविक घड़ी सक्रिय हो जाती है। जिससे कि जंगली जानवर प्रजनन एवं संभोग के लिए सक्रिय हो जाते हैं।

अमावस्या के दौरान बीज्जू जैसे जानवर अपने क्षेत्रों को चिन्हित करते हैं और पेशाब करते हैं। जिससे कि यह जानवर अपने संभावित साथी का पता लगा सके। इसी के साथ ही मुझसे अनावश्यक के अंधेरी रात में शिकारियों से भी बचे रहते हैं और उनके लंबे संभोग को करने के लिए आदर्श समय प्रदान करती है जो कि 60 से 90 मिनट तक चलने वाला होता है।

उल्लू की कुछ प्रजातियां जैसी की यूरेशियन ईगल उल्लू, पूर्णिमा के दौरान संभोग कॉल के मामले में और संभावित साथियों को अपने पंख दिखाने में अधिक सक्रिय हो जाते हैं। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि पूर्णिमा की रोशनी में उल्लू के पंख अधिक दिखाई देते हैं।

ग्रेट बैरियर रीफ का मांस स्पूनिंग चंद्रमा के कारण होने वाला सबसे शानदार प्रकृति घटनाओं में से एक है। स्पूनिंग (spawning) हमेशा पूर्णिमा का बाद अक्टूबर और दिसंबर के बीच होती है। चंद्र चक्र का उपयोग करते हुए यह चट्टान ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी पूर्वी तट से दूर प्रशांत महासागर में स्थित है और इसमें लगभग 400 प्रकार के प्रबल मौजूद है। चंद्र चक्र कोरल spawning के लिए एक ट्रिगर के रूप में काम करती है। जहां पर सभी कोरल प्रजनन के लिए एक ही समय में अपने अंडे और शुक्राणु छोड़ते हैं।

चंद्रमा का चंद्र चक्र में समय की भावना देता है इस प्रकार हम उन प्रजातियों का अध्ययन करते हैं जो केवल रात में विचर करते हैं। उदाहरण के लिए यूरोपीय नाइटवेयर के प्रवासन पैटर्न और दैनिक चक्रीय प्रवृत्तियों जो कि रात में ही होता है।

निष्कर्ष

चंद्रमा का प्रकाश की तीव्रता, चंद्रमा का गुरुद्वारस इन खिंचाव और ज्वार भाटा से लहरों के दिशा को नियंत्रित करना, जानवरों को प्रभावित करता है। तो या मनुष्य को भी प्रभावित क्यों ना करें?

वैज्ञानिकों ने विभिन्न स्थितियों में चंद्रमा के चरणों और मानव व्यवहार के बीच भी संभावित संबंधों को देखा है। जिसमें गर्भाधान, जन्म, हृदय संबंधित घटनाएं, मनोरोग, आक्रामकता, अपराध और यहां तक कि उत्थान और पतन भी शामिल है।

हालांकि इन सभी घटनाओं से संबंधित किसी भी तरह की वैज्ञानिक सिद्धांत मौजूद नहीं है। हालांकि एक मात्र एक अध्ययन है जो यह दिखाता है कि चंद्रमा की रोशनी से जीवो में क्या-क्या व्यवहार में परिवर्तन होते हैं।

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