History of Plastic? प्लास्टिक का आविष्कार और इतिहास?

History of Plastic? प्लास्टिक का आविष्कार और इतिहास? हम से प्रत्येक लोग अपने घरेलू कार्य के लिए कभी ना कभी प्लास्टिक का इस्तेमाल तो हमने जरूर किया होगा। हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं। जहां हमें प्लास्टिक से बहुत से लाभ मिलते हैं तो वहीं इसके नुकसान भी हैं। प्लास्टिक क्या है?, प्लास्टिक का इतिहास क्या है?, What is the History of Plastic?, प्लास्टिक का निर्माण कैसे किया जाता है? इसके अलावा प्लास्टिक से होने वाले लाभ एवं हानि के बारे में भी हम अपने इस लेख में चर्चा करने वाले हैं।

जैसा कि हमने आप सभी लोगों को ऊपर बताया कि हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं। जहां हमें प्लास्टिक से लाभ मिलता है। तो इसके नुकसान भी हैं। प्लास्टिक ने आधुनिक दुनिया के विकास में काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। दुनिया भर में ऐसे बहुत से वस्तुएं हैं जिनका निर्माण प्लास्टिक की सहायता से किया जाता है। जैसे सस्ते बर्तन, वाटर प्रूफ प्लास्टिक, घर में इस्तेमाल होने वाली सजावट की चीजें, तकनीकी क्षेत्र में एक अवरोध चालक के रूप में भी प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता है। हर साल 3 जुलाई को पूरे विश्व में प्लास्टिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज की हमारी इस लेख में हम प्लास्टिक के इतिहास और उससे संबंधित विषयों के बारे में विस्तार से चर्चा करने वाले हैं। आगे बढ़ने से पहले हमें इस बारे में जानकारी लेना बेहद जरूरी है कि आखिर प्लास्टिक क्या होती है?

What is Plastic? प्लास्टिक क्या है?

प्लास्टिक (Plastic) एक तरह का पॉलीमर होता है जो विभिन्न पदार्थों से मिलाकर बना होता है। प्लास्टिक उच्च गुण धार वाले कार्बनिक पदार्थ हैं जिन्हें किसी उत्प्रेरक की उपस्थिति में उचित ताप तथा दाब पर अपने मनचाहे आकृति में बदला जा सकता है।

प्लास्टिक को हम गरम और प्रेशर की मदद से अति आवश्यकता अनुसार मनचाहे आकार दे सकते हैं। जब भी प्लास्टिक के बने उत्पादों को बनाया जाता है तो यह एक प्रकार का पदार्थ प्रक्रिया से पहले ठोस अवस्था में होते हैं। इसे गर्म करके तरल अवस्था में लाया जाता है। फिर से सांचे में डालकर के ठंडा करके वापस ठोस अवस्था में लाया जाता है। इस तरह से हमें किसी भी प्लास्टिक से बड़े वस्तु की प्राप्ति होती है।

औद्योगिक उत्पादों के निर्माण के लिए उपयुक्त सिंथेटिक या सिंथेटिक कार्बन को साधारण रूप में हम प्लास्टिक कहते हैं। सनसिटी कार्बनिक अना का अर्थ व सामग्री की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए हम प्लास्टिक शब्द का इस्तेमाल करते हैं। प्लास्टिक आमतौर पर उच्च आणविक भार के पॉलीमर होते हैं।

प्लास्टिक एक यूनानी शब्द है। जिसका अर्थ ढालना या बदलना होता है। सीधे शब्दों में कहें तो हम प्लास्टिक को किसी भी आकार रूप या रेखा में बदल सकते हैं। जिसका अर्थ वेडिंग के लिए उपयुक्त है।

प्लास्टिक कितने तरह के होते हैं?

प्लास्टिक को मुख्यतः दो प्रकार में बांटा जा सकता है। प्लास्टिक को संरचना के आधार पर दो तरह में बांटा गया है।

  1. थर्मोप्लास्टिक
  2. थर्मोस्टेटस

थर्मोप्लास्टिक :- यहां वह प्लास्टिक होती है जो गर्म करने पर विभिन्न रूप में बदली जा सकती है। जैसे कि पॉलिथीन, पॉलिप्रोपिलीन, पॉली विनाइल क्लोराइड इत्यादि।

थर्मोसेटिंग या थर्मोस्टेट :- यह वह प्लास्टिक होती है जो गर्म करने पर सेट हो जाती है। जैसे कि यूरिया, फॉर्मल डिहाइड, पोली यूरिथल।

इसी तरह उपयोग के आधार पर भी प्लास्टिक को दो समूहों में बांटा जा सकता है।

  1. कम घनत्व वाली प्लास्टिक
  2. घनत्व वाली प्लास्टिक

इनका उपयोग कवरिंग मटेरियल के रूप में, कैरी बैग के रूप में किया जाता है। कम घनत्व वाले प्लास्टिक का उपयोग हम विभिन्न तरह के प्लास्टिक उत्पाद बनाने के लिए करते हैं। इनका वजन भी काफी कम होता है।

अधिक घनत्व वाले प्लास्टिक का इस्तेमाल हम सुंदर बैग या कंटेनर के लिए करते हैं। प्लास्टिक का इस्तेमाल हम वापस से कर सकते हैं। यानी कि हम उपयोग में लाए गए प्लास्टिक का इस्तेमाल फिर से किसी दूसरे उत्पाद को बनाने के लिए कर सकते हैं।

प्लास्टिक का निर्माण बहुलीकरण तथा संघनन अभिक्रिया द्वारा होती है। बहुलीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें एक ही पदार्थ के बहुत से अन्य भिन्न पदार्थ के बहुत से अनु को मिला करके बहुलक बनाया जाता है। बहुलक का अनुभव पदार्थों के अणु भार का गुणांक होता है। सामान्य तौर पर प्रक्रिया आश्रित पदार्थ दर्शाते हैं। संघनन क्रिया है जिसमें एक ही या भिन्न पदार्थ के दो या अधिक अनु आपस में मिलकर के बहुलक बनाते हैं।

History of Plastic? प्लास्टिक का आविष्कार और इतिहास?

प्लास्टिक का अविष्कार का जनक लियो बैंकलैंड को माना जाता है। जिन्होंने मात्र 43 साल की उम्र में, एक रसायनिक अभिक्रिया की थी इस रसायनिक अभिक्रिया में उन्होंने फिनोल और फॉर्मल डिहाइड नामक रसायनों का प्रयोग करके एक नए पदार्थ की खोज की। जिसे कार्बनिक सिंथेटिक का नाम दिया गया था। जिसे हम आज प्लास्टिक के नाम से जानते हैं। उन्होंने अपने प्रयोग के दौरान पहला कम लागत वाला कृत्रिम रेसिंग बनाया जो दुनिया भर में अपनी जगह बनाने वाला प्लास्टिक बन गया। प्लास्टिक के जनक लियो बेकलैंड के नाम से ही प्लास्टिक को अन्य नाम बैकलाइट के नाम से भी जाना जाता है।

जैसे ही प्लास्टिक का अविष्कार हुआ यह बनते साथ दुनिया के बाजारों में आ गया। बाजारों में इसका तेजी से फैल ना के पीछे क्या कारण था कि उसकी लागत काफी कम थी। साथ में यह टिकाऊ धार एवं मजबूत भी हुआ करती थी। इसी वजह से लोगों द्वारा पूरी दुनिया में जमकर प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया।

प्लास्टिक का आविष्कार अमेरिका में वर्ष 1960 में बेल्जियम मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक लियो बेकलैंड द्वारा किया गया था। उस समय उन्होंने इस प्लास्टिक को बैकलाइट नाम दिया था। उनका जो अविष्कार जहां विज्ञान के लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ, वही प्लास्टिक हमारे वातावरण को वर्तमान समय में खराब करने के लिए भी जिम्मेदार है।

लियो बेकलैंड द्वारा बनाई गई या प्लास्टिक भविष्य के लिए काफी अहम साबित होने वाली थी। इनकी यह खोज मानवता के साथ-साथ विज्ञान एवं तकनीकी क्षेत्र में भी क्रांति लाने वाला था। पूरी तरह से सिंथेटिक तत्व बैकलाइट से जल्द ही पंखे, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक चीजों में, इसका इस्तेमाल होना शुरू हो गया। प्लास्टिक के अविष्कार के साथ ही हमारी दुनिया प्लास्टिक युग का आगाज हो चुका था।

बैक लाइट के अस्तित्व में आने के बाद यह दुनिया के कई देशों के वैज्ञानिकों ने इस तरह के प्रयोग में लग गए जिससे कि नए तरह का प्लास्टिक बनाया जा सके। इन प्रयोगों का ही नतीजा है कि हम नायलॉन, पॉलीएथिलीन, पॉलीथिन जैसे अन्य प्लास्टिक तत्वों के बारे में जान सकते हैं। यह बात दौर था जब तकरीबन हर देश में नए तरह के प्लास्टिक तत्व बनाने की होड़ लगी हुई थी।

छोटे-छोटे सामानों से लेकर के हवाई जहाज और कई बड़ी गाड़ियों के कलपुर्जे भी इसकी मदद से बनाए जाने लगे थे। इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू हुआ तो इस पर आने वाली कम लागत और लोगों के लिए इसकी सहायता ने इसे खूब लोकप्रिय कर दिया और साल 1930 के दशक तक पूरी संस्कृति ही बदल गई।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान प्लास्टिक की मांग में कुछ कमी आई। ऐसा इसलिए था क्योंकि युद्ध के हालात में प्लास्टिक से कहीं अधिक जरूरी अन्य चीजें बन चुकी थी। लेकिन तू युद्ध की समाप्ति के बाद ही कुछ वर्षों में प्लास्टिक उद्योग से जुड़ी कई कंपनियां विज्ञापन के जरिए लोगों को यह बताने में कामयाब रही कि इसकी कई अच्छाइयां है और यह लोगों के लिए सहज और कम लागत में तरह के उत्पाद बनाकर के दे सकती है। जिसकी वजह से प्लास्टिक के सामान लोगों के घर एवं बाजारों में भर गए थे।

प्लास्टिक के सामानों से बाजार और लोगों के घर भर जाने से दुनिया भर में कचरे का ढेर लग गया था। जो वर्तमान समय में हमारे पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है। प्लास्टिक को जलाने से कई तरह की खतरनाक गैस निकलती है जिससे कि वायु प्रदूषण होने का भी खतरा होता है। इसके साथ ही यह मनुष्य के अलावा विभिन्न जानवरों को भी नुकसान पहुंचा सकती है।

प्लास्टिक से होने वाली हानियां?

जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया है कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। जहां प्लास्टिक ने हमारे विज्ञान एवं तकनीकी को और अधिक आगे बढ़ाने में मदद की, वही प्लास्टिक का अत्यधिक प्रयोग हमारे वातावरण को प्रदूषित कर रहा है।

एक सर्वे के मुताबिक भारत जैसे देश में हर रोज लगभग 17000 टन प्लास्टिक का उत्पादन होता है जिसमें से लगभग 10000 टन प्लास्टिक को एकत्रित किया जाता है और बाकी को बैग, कुर्सी टेबल, बाल्टी इत्यादि चीजें के रूप में उपयोग के बाद कचरे में फेंक दिया जाता है।

यही कचरा हमारे धरती और वायुमंडल को बहुत ही बुरी तरह से प्रभावित करता है। नदियों के प्रदूषण से समुद्र भी प्रदूषित होता जा रहा है और इसके पीछे मुख्य वजह है प्लास्टिक का अत्यधिक प्रयोग। प्लास्टिक का नदियों एवं नालियों में फेंक आ जाना जल प्रदूषण का कारण बनता है। जिस वजह से जलीय जीव जंतुओं जैसे की मछली आदि प्रदूषण के कारण मर जाती है। इधर-उधर फेंका हुआ प्लास्टिक का कचरा जानवरों द्वारा खा लिया जाता है जिस वजह से उनकी मौत हो सकती है।

लोगों द्वारा उपयोग में नहीं लाए गए प्लास्टिक को बाद में जला दिया जाता है। जिससे कि जलाने पर कई तरह के हानिकारक गैस निकलती है। और हमारे वातावरण को प्रदूषित करती है। हमारा वातावरण प्रदूषित होने से वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है। जिससे लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

प्लास्टिक से होने वाले लाभ

जहां प्लास्टिक से हमें बहुत से हानि होते हैं। वही प्लास्टिक का उपयोग सही तरीके से किए जाने पर यह हमारे विज्ञान एवं तकनीकी के लिए काफी लाभकारी सिद्ध होता है। प्लास्टिक के निम्नलिखित लाभ है।

  • प्लास्टिक का उपयोग कंप्यूटर, टेलीविजन, पैकेजिंग और परिवहन के क्षेत्र में बहुत से वस्तुओं को बनाने के लिए किया जाता है।
  • प्लास्टिक से बने उत्पाद हल्के, टिकाऊ और आसानी से किसी भी आकार में बदले जा सकने वाले होते हैं।
  • प्लास्टिक का इस्तेमाल ज्यादा पानी की बोतल, आदि बनाने के लिए किया जाता है।
  • प्लास्टिक एक कुचालक होता है। इस वजह से इसका इस्तेमाल कई क्षेत्रों में किया जाता है।
  • प्लास्टिक के कुचालक होने की वजह से इसका इस्तेमाल औद्योगिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में किया जाता है।
  • अत्यधिक तापमान को आसानी से झेलना। प्लास्टिक के इस गुण की वजह से इसका इस्तेमाल बर्तन बनाए जाने वाले हैंडल के लिए भी किया जाता है। प्लास्टिक हल्की होती है वह सस्ती होती है इसलिए इसका उपयोग बहुत ज्यादा किया जाता है।
  • प्लास्टिक का उपयोग बिजली के तारों को विद्युत रोधी बनाने के लिए भी किया जाता है।
  • रसोई घर की वस्तुओं के हैंडल के ऊपर प्लास्टिक का कवर चढ़ाया जाता है क्योंकि यहां बहुत अधिक तापमान को झेल सकती है।
  • खेती में सिंचाई के साधन के तौर पर प्लास्टिक के पाइप का इस्तेमाल किया जाता है।
  • इन सभी चीजों के अलावा प्लास्टिक का इस्तेमाल चिकित्सा के क्षेत्र में भी किया जाता है। प्लास्टिक कुचालक होने के साथ-साथ जल्दी किसी भी दूसरे रसायन से अभिक्रिया नहीं करती है। इस वजह से इसका इस्तेमाल चिकित्सा के क्षेत्र में भी होता है।
  • चिकित्सा के क्षेत्र में प्लास्टिक का इस्तेमाल ऑपरेशन के उपकरण, गोली दवाइयां के कवर बनाने आदि में किया जाता है।

 

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