पी.टी. उषा (P.T. Usha) (पिल्ळलकांदी थेक्केपरबिल उषा) का नाम तो आपने सुना ही होगा। इन्हें “उड़नपरी” नाम भी दिया गया है। पीटी उषा एक एथलीट है। जिन्होंने भारत के लिए कई सारे गोल्ड मेडल जीते हैं। इनके नाम कई सारे रिकॉर्ड भी है। यह भारत की पहली महिला तेज धावक जिन्होंने ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था, के नाम से जानी जाती है। इनका जीवन संघर्ष पूर्ण है। इन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से यहां तक कि सफलता प्राप्त की है। इस चलते कई लोग इन्हें अपना प्रेरणास्रोत भी मानते हैं। P. T. Usha Biography in Hindi
आज के हमारे इस लेख में हम लोग “उड़नपरी” पीटी उषा के जीवन के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करने वाले हैं। इन्होंने एथलीट में भारत का नाम रोशन किया है। बचपन में गरीबी, के बावजूद इस मुकाम तक पहुंच पाना हर किसी के बस में नहीं होता है। इसी चलते पीटी उषा कई सारी महिलाओं और लोगों के लिए एक प्रेरणा बन जाती है।
P. T. Usha Biography in Hindi – उड़नपरी पी.टी. उषा की जीवनी
पीटी उषा का जन्म 27 जून 1964 को केरल के कोंझीकोडे स्थान के पायोली गांव में हुआ है। उनके पिता का नाम श्री ई.पी.एम. पैठल था और मां का नाम लक्ष्मी था। इनकी दो बहने तथा एक भाई है।इनके पति का नाम श्रीनिवास तथा पुत्र का नाम उज्जवल है।
ओ.एम नांबियार ने पीटी उषा को नेशनल स्कूल गेम्स में दौड़ते हुए देखा था फिर उनके कैरियर को संवारा। उनके दौड़ने की शैली तथा प्रतिभा अद्भुत थी।
बचपन में बहुत ही खराब स्वास्थ्य तथा गरीबी से जूझने के बावजूद उन्होंने नांबियार तथा बालकृष्ण नैयर की प्रेरणा से अपने खिलाड़ी रूप में विकसित किया। यहां तक कि इस तेज धाविका को कभी “भारतीय ट्रैक की महारानी” तो “पायोली एक्सप्रेस” कहां गया। देश विदेश में अनेक स्वर्ण पदक जीतने के कारण उन्हें “Golden girl” के नाम से भी जाना जाता है। एक एक सीट के रूप में उनका कैरियर की शुरुआत साल 1979 से शुरू हुआ जब नेशनल स्कूल गेम्स में उन्होंने भाग लिया था। P. T. Usha Biography in Hindi
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहली बार उन्होंने साल 1980 में मॉस्को ओलंपिक में भाग लिया पर भी कुछ हासिल नहीं कर पाई थी। 1 साल 1983 में नई दिल्ली एशियाड में 100 मीटर और 200 मीटर की दौड़ में दो रजत पदक जीते हैं।वहीं साल 1983 में कुवैत में आयोजित एशिया ट्रैक एंड फील्ड चैंपियनशिप में एशिया का रिकॉर्ड तोड़ा तथा स्वर्ण पदक प्राप्त किया है। लॉस एंजेलिस में आयोजित हुई ओलंपिक में उन्होंने 400 मीटर की दौड़ के फाइनल में पहुंचने वाली प्रथम भारतीय महिला होने का गौरव भी प्राप्त है।
वही जकार्ता में हुई छठी A.F.C, में पीटी उषा ने 5 स्वर्ण पदक जीते थे। सियोल में आयोजित 10 में एशियाई गेम में पीटी उषा को चार स्वर्ण तथा एक रजत पदक मिला था। ट्रैक एंड फील्ड की सभी प्रतियोगिता में पीटी उषा ने सब पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए। साल 1986 में अटलांटा ओलंपिक में अंतिम बार भाग लिया। खेलों के प्रति अत्यधिक समर्पण होने के कारण पीटी उषा ने साल 1991 में विवाह के बाद केवल 1992 में ओलंपिक में भाग नहीं लिया अन्यथा यह सभी प्रतियोगिताओं में लगातार भाग लेती रही और स्वर्ण पदक दिलवा करके भारत को गौरव को बढ़ाती रही है। P. T. Usha Biography in Hindi
पीटी उषा ने अभी तक 101 अंतरराष्ट्रीय पदक जीते हैं। उन्होंने दक्षिण रेलवे में अधिकारी पद पर कार्यरत हैं। साल 1995 में उन्हें पदम श्री और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया है।
पीटी उषा को मिले सम्मान, पुरस्कार एवं उपलब्धियां
- साल 1980 मॉस्को ओलंपिक खेलों में भाग लिया कराची अंतर्राष्ट्रीय आमंत्रण खेलों में पांच स्वर्ण पदक प्राप्त किए हैं।
- साल 1981 में अंतर्राष्ट्रीय आमंत्रण खेलों में दो स्वर्ण पदक जीते हैं।
- साल 1983 में विश्व कनिष्ठ प्रतियोगिता सियोल में एक स्वर्ण पदक और एक रजत पदक जीता है। इसी साल नई दिल्ली में आयोजित हुई एशियाई खेलों में भी उन्होंने दो रजत पदक जीते हैं।
- साल 1983 में ही कुवैत में एशियाई खेलकूद प्रतियोगिता में एक स्वर्ण और एक रजत पदक जीता है।
- साल 1984 में संयुक्त राज्य अमेरिका में हुए खेलों में दो स्वर्ण पदक प्राप्त किया। लॉस एंजेलिस ओलंपिक में 400 मीटर बाधा दौड़ में हिस्सा लिया और कांस्य पदक से कुछ सेकंडो के लिए वंचित रह गई।
- साल 1985 चेक गणराज्य में ओलोमक में विश्व रेलवे खेलों में दो स्वर्ण और दो रजत पदक जीते हैं। उन्हें सर्वोत्तम रेलवे खिलाड़ी घोषित किया गया है।
- साल 1985 में ही उन्होंने लंदन में हुई खेलों में 500 मीटर बाधा दौड़ में रजत पदक जीता।कैनबरा के विश्वकप खेलों में 500 मीटर बाधा दौड़ में पांचवा स्थान और 500 मीटर दौड़ में आठवां स्थान प्राप्त किया। जकार्ता में हुई एशियाड खेलों में उन्होंने पांच स्वर्ण और एक कांस्य पदक भी जीता है।
- साल 1986 में मॉस्को की गुडविल में हुए खेलों में उन्होंने 500 मीटर में छठवां स्थान प्राप्त किया। सियोल के एशियाई खेलों में पांच स्वर्ण और एक रजत पदक जीता है। सिंगापुर के लाइंस दौड़ प्रतियोगिता में 3 स्वर्ण पदक भी जीते हैं।
- साल 1987 में सिंगापुर की एशियाई दौड़ कूद प्रतियोगिता में 3 स्वर्ण और दो रजत पदक जीते हैं। इसके अलावा कोल आलमपुर की मलेशिया फ्रीस्टाइल दौड़ प्रतियोगिता में 2 स्वर्ण पदक भी लिए हैं।
- साल 1988 सिंगापुर में हुई फ्रीस्टाइल दौड़ प्रतियोगिता में 3 स्वर्ण पदक लिए हैं।
- साल 1989 नई दिल्ली की एशियाई दौड़ कूद प्रतियोगिता में 5 स्वर्ण दो रजत पदक प्राप्त किए हैं। कोलकाता में अंतर्राष्ट्रीय आमंत्रण खेलों में तीन स्वर्ण पदक मिले हैं।
- साल 1990 बीजिंग एशियाई खेलों में तीन रजत पदक।
- साल 1994 हिरोशिमा एशियाई खेलों में एक रजत पदक और पुणे के अंतरराष्ट्रीय खेलों में एक कांस्य पदक जीता है।
- साल 1995 चेन्नई के दक्षिणी एशियाई खेलों में एक कांस्य पदक।
- साल 1997 और साल 1996 में अटलांटा ओलंपिक खेलों में भाग लिया और एक रजत पदक जीता है।
- साल 1999 काठमांडू के दक्षिणी एशियाई खेलों में 1 स्वर्ण और दो रजत पदक भी जीते हैं।
पीटी उषा को मिले पुरस्कार – P. T. Usha Biography in Hindi
पीटी उषा एक सफल एक सफल एथलीट रही है। एक एथलीट रहते हुए इन्होंने 101 से भी ज्यादा मेडल जीते हैं। साथ ही उन्होंने भारत को गौरवान्वित किया है। खेल के प्रति अपने समर्पण को देखते हुए, भारत सरकार ने उन्हें कई सारे सम्मान एवं उपलब्धियां दी है।
- अर्जुन पुरस्कार साल 1983
- इन्हें पदम श्री से भी सम्मानित किया गया है साल 1985।
- सर्वश्रेष्ठ रेलवे खिलाड़ी के लिए मार्शल टीटो पुरस्कार साल 1983, से लेकर साल 1994 तक।
- 30 अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार खेल में बेहतर प्रदर्शन के लिए।
- केरल खेल पत्रकार इनाम साल 1999।।