भूकंप जब भी आता है तो अपने साथ तबाही लेकर आता है। इतिहास का सबसे विनाशकारी भूकंप 23 जनवरी, 1556 को चीन के शानक्सी में आया था। इसे इतिहास का सबसे विनाशकारी भूकंप माना जाता है। इस भूकंप में लगभग 8,30,000 लोग मारे गए थे। दुनिया का हर देश कभी ना कभी भूकंप के चलते वहां तबाही हुई है। कुछ ऐसे भी देश है जहां साल में दो-तीन बार भूकंप आते हैं। जब भी भूकंप आता है, भारी नुकसान चुकाना पड़ता है। आज के हमारे इस लेख में हम इस बारे में जानकारी लेंगे, की What Causes an Earthquake? भूकंप कैसे आती है? भूकंप क्या है?
हम सभी लोगों को इस बारे में जानकारी है कि भूकंप के कारण धरातल या धरती हिलने लगती है। जिसके चलते धरती पर निर्मित विभिन्न भवन एवं इमारत है नष्ट हो सकते हैं। भारत में भी कई बार भूकंप आया है जिसने पूरे भारत में तबाही मचा दी थी। भारत में सबसे खतरनाक भूकंप जोन के रूप में, सीस्मिक जोन 5 माना जाता है।
भूकंप की दृष्टि से यह जोन भारत देश का सबसे खतरनाक जोन है। इस क्षेत्र की तीव्रता 8 से 9 होती है। इस क्षेत्र के अंतर्गत भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र आता है। क्षेत्र के अंतर्गत जम्मू कश्मीर, उत्तरांचल के क्षेत्र हिमाचल प्रदेश, गुजरात का कच्छ जिला, बिहार एवं अंडमान निकोबार द्वीप समूह शामिल है।
साल 1934 में, नेपाल और बिहार में एक भूकंप आया था। जिससे भारतीय इतिहास का सबसे विनाशकारी भूकंप माना जाता है। इसकी तीव्रता 8 की थी। यह भूकंप 15 जनवरी 1934 को आया था।
आज के हमारे इस लेख में हम इसी बारे में जानकारी लेने वाले हैं, की What Causes an Earthquake? भूकंप कैसे आती है? भूकंप क्या है? इन सबके अलावा हम इस से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में भी जानकारी लेंगे।
What is Earthquake? भूकंप क्या है?
भूकंप को साधारण भाषा में परिभाषित किया जाए, तो हम यह कह सकते हैं कि भूकंप पृथ्वी का कंपन है जब ऊर्जा की अचानक रिहाई के परिणाम स्वरूप धरती हिलने लगती है।
यह अचानक रिलीज, जिसे भूकंपीय लहर के रूप में भी जाना जाता है, धरती के आंतरिक कोण में चट्टानों के अचानक टूटने के कारण होता है। अधिकांश भूकंप वहां आते हैं जहां टेक्टोनिक प्लेट एक दूसरे से मिलते हैं। जहां पर एक लंबी रेखा या पहाड़ी का निर्माण होता है। लेकिन, ऐसा भी देखा गया है कि भूकंप ज्वालामुखी विस्फोट, भूस्खलन और मानव निर्मित विस्फोट के कारण भी हो सकता है।
यह विशेष रूप से तब हो सकता है जब पृथ्वी के स्थल मंडल में चट्टान अचानक से गति करने लगती है। ज्वालामुखी इसका एक प्रमुख उदाहरण है जब सतह के नीचे दबे हुए चट्टान अलावा बंद करके ज्वालामुखी से बाहर निकलते हैं। इससे अचानक विस्फोट भूकंपीय रंग बनता है। जिसके परिणाम स्वरूप भूकंप आता है।
फॉल्ट लाइन का भूकंप से क्या लेना देना है?
भ्रंश रेखाएं वाह रे काय है जो पृथ्वी की सतह के नीचे के चट्टान या खंडों में नीचे की तरफ फ्रैक्चर या ऊपर की तरफ धंशा होता है। फॉल्ट लाइन या भ्रंश रेखाएं नाटक रूप से अलग अलग हो सकती है। कुछ 1 से 2 इंच जितनी छोटी या हजारों मील तक लंबी हो सकती है।
अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में कुछ सबसे बड़ी फॉल्ट लाइन देखने को मिलती है। जिनमें से 7 प्रमुख इस तरह की रेखा, सैन फ्रांसिस्को की खाड़ी में देखने मिलते हैं।
पृथ्वी की सतह में इन दरारों का मतलब है कि जब टेक्टोनिक प्लेट से कोई हलचल होती है तो चट्टान से तल टक्कर के टूटने और गिरने की संभावना होती है जिससे कि भूकंप आता है।
जैसे-जैसे फॉल्टलाइन या भ्रंश रेखाएं और भी चौड़ी या बड़ी होती जाएंगी, वैसे वैसे ही भूकंप की संभावना भी और अधिक बढ़ती जाती है। उदाहरण के तौर पर कैलिफ़ोर्निया में यदि प्रशांत और उत्तरी अमेरिकी प्लेट के बीच थोड़ी सी भी हलचल होती है तो इस भ्रंश रेखा के साथ चट्टानों की गति और टूट-फूट हो सकती है। जिससे इस क्षेत्र में भूकंप आने की संभावना अधिक होती है।
What is a seismic wave? भूकंपीय तरंग क्या है?
भूकंपीय तरंगे उस उर्जा का नाम है जो अचानक गति होने पर पृथ्वी की परतों से होकर गुजरती है। हम 4000 से अधिक वर्षों से भूकंप को रिकॉर्ड करते आ रहे हैं। आधुनिक समय में इन ऊर्जा तरंगों को मापने के लिए एक यंत्र जिसे सीस्मोमीटर कहते हैं जिसका उपयोग हम करते हैं।
भूकंपीय तरंगे पृथ्वी के आंतरिक पर तो हुआ सतह पर चलने वाली ऊर्जा की तरंगे होती है। जो भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, बड़े भूस्खलन, पृथ्वी के अंदर मैग्मा की हिलावट और कम आवृत्ति या फ्रीक्वेंसी की ध्वनि ऊर्जा वाले मानवकृत विस्फोटों से उत्पन्न होता है।
सीस्मोमीटर (Seismometer) जिसे हिंदी में भूकंपलेखी भी कहते हैं एक ऐसा यंत्र है जो भूकंप के कारण पृथ्वी में उत्पन्न होने वाली तरंगों की गति को चित्रित रूप में प्रदर्शित करता है। इसकी माप का पैमाना रिक्टर होता है।
इस उपकरण का इस्तेमाल ना केवल भूकंप का पता लगाने और उसकी भविष्यवाणी करने के लिए किया जाता है। बल्कि, इसका उपयोग पृथ्वी की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए भी किया जाता है।
सरल शब्दों में, यह एक स्प्रिंग से जुड़े वजन का उपयोग करके पृथ्वी के ऊपर और नीचे की गतिविधियों को मापने का काम करता है। जो जमीन में कंपन जा दोलन के आधार पर ऊपर और नीचे जाएगी। इस यंत्र से एक पेन जुड़ा हुआ होता है जो हर बार वजन बढ़ने पर दोलन से कागज पर रिकॉर्ड करता है।
What is a tremor? धरातलीय कंपन क्या होता है?
हमने भूकंप के अलावा कंपन शब्द को भी कई बार सुना होगा। असल में जहां एक गैर भूकंप भूकंपीय गड़गड़ाहट के रूप में वर्णित किया जाने वाला शब्द है। यह कभी-कभी संकेत दे सकते हैं कि भूकंप आ रहा है और इन्हें पूर्वाभास के रूप में जाना जाता है।
लेकिन इसे एक विश्वसनीय संकेत के रूप में नहीं कहा जा सकता है। लेकिन, कई बार ऐसा भी देखा गया है कि बड़ा भूकंप आने से पहले इस तरह की कंपन पैदा होती है। जो किसी बड़े भूकंप का भविष्यवाणी कर सकने में सक्षम भी हो सकती है।
हम भूकंप को कैसे मापते हैं?
भूकंप को पूरे दुनिया में रिक्टर स्केल पर मापा जाता है। चार्ल्स रिक्टर ने साल 1935 में रिक्टर स्केल का आविष्कार किया और यह मापने का सार्वभौमिक तरीका बन गया है कि भूकंप कितना मजबूत और तीव्र है।
रिक्टर स्केल संख्याओं का एक समूह है, जिसका उपयोग भूकंप की शक्ति को बताने के लिए किया जाता है और यह एक लघु गणितीय पैमाना है।
उदाहरण के लिए, 3.0 तीव्रता वाला भूकंप 2.0 के स्कोर वाले भूकंप के आयाम का लगभग 10 गुना होता है। पैमाने का उपयोग एक सीस्मोमीटर के साथ किया गया था जो लगभग 62 मील दूर से भूकंप का पता लगा सकता था। रिक्टर पैमाने पर प्रत्येक स्तर के लिए आयाम में 10 के एक कारक की वृद्धि होती है।
रिक्टर स्केल का पैमाना का उपयोग यह तय करने के लिए किया जाता है कि पृथ्वी की सतह पर प्रभाव डालने वाला कोई भी कार्य कितना शक्तिशाली है। इसका एक उदाहरण इतिहास की कुछ निश्चित घटनाओं में देखा जा सकता है जिन्हें पैमाने का उपयोग करके दर्ज किया गया है।
उदाहरण के लिए, हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु बम विस्फोट 2008 में यूनाइटेड किंगडम के लंकाशायर मैं आए भूकंप दोनों को रिएक्टर पैमाने पर मापा गया था। जिसमें दोनों ही तरह से उत्पन्न कंपन की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 5 मापी गई थी। जो यह दर्शाता है कि इससे उत्पन्न भूकंप 32 किलोटन भूकंपीय ऊर्जा के बराबर थी।
सबसे ज्यादा भूकंप किस देश में आते हैं?
सबसे ज्यादा भूकंप जापान देश में रिकॉर्ड किया गया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जापान दुनिया के सबसे भूकंपीय सक्रिय जगहों में से एक में स्थित है।
दुनिया में सबसे घना भूकंपीय नेटवर्क जापान के नीचे स्थित है। जिसका अर्थ है कि अन्य क्षेत्रों की तुलना में नियमित रूप से भूकंप का अनुभव होने की अधिक संभावना होती है।
इतिहास के सबसे घातक भूकंप कौन कौन से हैं?
आप सोच सकते हैं कि अब तक का सबसे विनाशकारी भूकंप कितना बड़ा होगा। ऐतिहासिक रूप से दर्ज किया गया सबसे घातक भूकंप 23 जनवरी, 1556 को शानक्सी प्रांत चीन में दर्ज किया गया है।
इस भूकंप में लगभग 8,30,000 लोगों की मृत्यु हो गई थी। साल 1930 में जब रिक्टर स्केल का आविष्कार किया गया था। तब वैज्ञानिकों ने या भविष्यवाणी की थी कि यह भूकंप कितनी तीव्रता का हो सकता है।
वैज्ञानिकों के पूर्व अनुमान के अनुसार यह सुझाव दिया गया कि रिक्टर पैमाने में इस भूकंप की तीव्रता 8.0 से 8.3 के बीच रहा होगा। इसके आकार के अन्य कारक भूकंप को अधिक घातक बना सकते हैं। परिवेश और सुरक्षा जैसी चीजें भूकंप से होने वाली मौतों की संख्या को डर जाएंगी।
तीव्रता के हिसाब से सबसे बड़ा भूकंप कौन सा है?
रिक्टर पैमाने पर अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड किया गया भूकंप 1960 में चिली मे वाल्डीवीया, में आया भूकंप था, जिसकी तीव्रता 9.5 मापी गई थी।
इस तीव्रता पर आए भूकंप के चलते वहां सुनामी भी आई थी। जिसमें कुल मिलाकर लगभग 5700 लोग मारे गए थे। रिकॉर्ड में दर्ज दूसरा सबसे बड़ा भूकंप 2004 का हिंद महासागर भूकंप था जिसके चलते विनाशकारी सुनामी आई थी। इस भूकंप की तीव्रता 9.3 रिक्टर स्केल पर मापी गई। इस भूकंप के चलते भारत, श्रीलंका, थाईलैंड और इंडोनेशिया में लगभग 230000 लोगों की जान चली गई थी।
भूकंप पृथ्वी की परतों के अचानक चलने का परिणाम है। जो निर्मित ऊर्जा को भूकंपीय तरंगों का निर्माण करने का कारण बनता है।
धरती की इस प्रकृतिक विनाशकारी कृत्य से कोई नहीं बच सकता है। लेकिन अब उनकी तैयारी करके इनसे कुछ हद तक बचाव कर सकते हैं। जैसे-जैसे तकनीकी विकसित हुई है भूकंप को मापने, उसकी भविष्यवाणी करने और उससे निपटने की क्षमता हाल ही के वर्षों में हम विकसित कर पाए हैं।
इसका मतलब यह है कि ज्यादातर मामलों में भूकंप मानवता के लिए उतना विनाश नहीं करते जितना कि उन्होंने एक बार किया है। लेकिन फिर भी उन्हें अनदेखा करना मानव इतिहास के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है। जब तक हमारी यह धरती ही रहेगी तब तक हम भूकंप का अनुभव करते रहेंगे।