दुनिया में टेक्नोलॉजी ने काफी तरक्की कर ली है। हम तकनीक के साथ आगे बढ़ना पसंद करते हैं। यह मनुष्य की स्वाभाविक मानसिकता है। हम अपनी पसंद की फोटो या किसी भी डॉक्यूमेंट या आर्टिकल को साधारण प्रिंटर की मदद से अपने कंप्यूटर के जरिए प्रिंट करते हैं। टेक्नोलॉजी काफी आगे बढ़ गई है। अब हम अपने मॉडल को 3D प्रिंटर की सहायता से प्रिंट भी कर सकते हैं। आज का हमारा यह लेख 3D प्रिंटर के ऊपर में ही है। आज के हमारे इस लेख में हम जानेंगे कि What is 3D printers? – 3D प्रिंटर क्या होती है?
देखा जाए तो कोई भी कलाकार अपनी फोटो को बेहतर से बेहतर बनाने के लिए काफी संघर्ष करते हैं। वास्तविक दुनिया की वस्तुओं को 3 डाइमेंशनल में दिखाना लोगों को बहुत ही ज्यादा लुभाता है। ज्यादातर समय इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका फोटो या स्केच को देखने में हमें किस प्रकार की प्रतिक्रिया है मिलती है। हां यह जरूर है कि अगर आप किसी भी फोटो या मॉडल को थ्री डाइमेंशनल बनाते हो तो वह काफी सुंदर दिखती है। प्रोटोटाइप होने से बेहतर और कुछ भी नहीं हो सकता है। एक ऐसा मॉडल जिसे आप छू सकते हैं, पकड़ सकते हैं और महसूस कर सकते हैं। केवल परेशानी यह गीत मॉडल को हाथ से बनाने में उम्र लग जाती है। लेकिन तकनीकी इतनी ज्यादा विकसित हो चुकी है कि हम ऐसे मॉडल को 3D प्रिंटर के माध्यम से बना सकते हैं। इस तरह के 3D प्रिंटर की कीमत के बारे में बात करें तो यह कम से कम 5 मिलियन डॉलर के आते हैं। इसमें इस्तेमाल होने वाला इंकजेट की तरह दिखने वाला मटेरियल काफी महंगा होता है। 3D प्रिंटर के लिए जो इंकजेट काम करता है वह मॉडल के परत दर परत 10 गुना गति तक और लागत का पांचवा हिस्सा बनाते हुए काम करती है।
What is 3D printers? – 3D प्रिंटर क्या होती है?
साधारण तौर पर हमारे घरों में मौजूद कंप्यूटर 2D मैं ही प्रिंट करने की क्षमता रखते हैं। 3D प्रिंटर थ्री डाइमेंशनल प्रिंटिंग करने में सक्षम होते हैं। 3D प्रिंटर किसी भी चीज को बनाने के लिए लगातार प्रक्रिया का इस्तेमाल करते हुए किसी मॉडल को बनाते हैं।
3D प्रिंटर को परिभाषित किया जाए तो 3D प्रिंटिंग एक ऐसी additive manufacturing है जिसमें एक डिजिटल फाइल को 3 – Dimensional ठोस वस्तु के रूप में बनाया जाता है।
3D प्रिंटर के आने से पहले, कंप्यूटर ऐडेड डिजाइन (CAD) और लेजर जैसे चीज होने से पहले, किसी भी मॉडल या प्रोटोटाइप को लकड़ी से बड़ी मेहनत से तराशा ज्यादा था या कार्ड या प्लास्टिक के छोड़ दो टुकड़ों के साथ बनाया जाता था। इन्हें बनाने में कई दिन या सप्ताह भी लग जाते थे और आमतौर पर इसमें काफी ज्यादा खर्चा होता था। परिवर्तन या परिवर्तन करना कठिन और समय लेने वाला कार्य होता है। खासकर अगर एक बाहरी मॉडल बनाने वाली कंपनी का उपयोग किया जा रहा था और यह डिजाइनरों को सुधार करने या अंतिम मिनट की टिप्पणियों को ठीक करने में उस समय काफी ज्यादा परेशानी होती थी। 3D प्रिंटर के आ जाने के बाद किसी भी प्रोटोटाइप को बड़ी आसानी से बनाया जा सकता है। इसमें समय भी कम लगता है।
How Does 3D Printing Works? 3D प्रिंटिंग कैसे काम करती है?
यह सब चीजें 3D मॉडल से शुरू होता है। अब शुरू से ही एक चीज बनाने का विकल्प चुनते हैं या इसे 3D लाइब्रेरी से डाउनलोड कर सकते हैं।
3D सॉफ्टवेयर :- कई अलग-अलग सॉफ्टवेयर टूल इंटरनेट पर उपलब्ध है। इनमें से कई टूल औद्योगिक ग्रेड के लिए ओपन सोर्स भी मौजूद है।
एक सामान्य 3D प्रिंटर काफी हद तक कंप्यूटर में इस्तेमाल होने वाले इंकजेट प्रिंटर जैसा ही होता है। यह फ्यूज डिस्पोजल मॉडलिंग (FDM) नामक विधि में एक ही क्षेत्र पर बार-बार प्रिंट करके, नीचे से ऊपर की ओर और एक बार में एक 3D मॉडल की एक परत बनाता है। पूरी तरह से स्वचालित रूप से इस तरह का प्रिंटर काम करती है। प्रिंटर 3D CAD ड्राइंग को दो आयामी, क्रॉस सेक्शनल परत में बदलकर घंटों की अवधि में एक मॉडल बनाता है। प्रभावी रूप से अलग-अलग 2D प्रिंट जो एक दूसरे के ऊपर बैठते हैं लेकिन बिना कागज के बीच में। सीधे शब्दों में कह दो 3D प्रिंटिंग में दो अलग-अलग 2D प्रिंटिंग की जाती है लेकिन यह प्रिंटिंग किसी कागज में नहीं बल्कि थ्री डाइमेंशनल होती है। 3D प्रिंटिंग में किसी INK इस्तेमाल करने के बजाए, एक के रूप में 3D प्रिंटर में प्लास्टिक या पाउडर की परतों को इस्तेमाल किया जाता है। उन्हें एक साथ यानी कि कठोर वस्तु के रूप में बनाने के लिए पराबैगनी प्रकाश के साथ फ्यूज करना होता है। इस तरह से कोई भी प्रोटोटाइप मॉडल हमारे पास ठोस थ्री डाइमेंशनल के रूप में प्रिंट होती है।
History of 3D Printing – 3D प्रिंटिंग का इतिहास
अगर 3D प्रिंटिंग के इतिहास के बारे में बात करें तो सबसे पहले 3D मॉडल 1980 के दशक में बनाया गया था। इस तरह की 3D प्रिंटिंग का इस्तेमाल सबसे पहले जापान के Hideo Kodama ने बनाया था। उन्होंने अपने प्रयोग में एक ऐसी सिस्टम विकसित करने का तरीका खोजने की कोशिश की जो प्रकाश द्वारा पॉलीमर आईज के गए वस्तुओं को परत दर परत दृष्टिकोण से प्रिंट करके ठोस वस्तु में बनाने की क्षमता रखता हो। लेकिन, Kodama इस तरह का प्रिंटर बनाने में सफल तो हुए लेकिन वे इसका पटेंट नहीं करवा पाए थे।
लेकिन फिर भी उन्हें इस तरह के 3D प्रिंटिंग या प्रिंटर के अविष्कारक के रूप में जाना जाता है। जो कि आधुनिक 3D प्रिंटर SLA का ही एक रूप था।
इसके कुछ साल बाद फ्रांस के कुछ शोधकर्ताओं ने एक ऐसी तिकड़ी लगाई की वह एक रैपिड प्रोटोटाइपिंग मशीन बनाएंगे। यहां पर उन्होंने मशीन में राल के बजाय, एक ऐसी प्रणाली बनाने की सोची जो लेजर का इस्तेमाल करते हुए प्लास्टिक या पाउडर को बना सके और सूखने पर ठोस में बदल सके।
लेकिन फ्रांस के एक शोधकर्ता भी इस तकनीक का पेटेंट नहीं करवा पाए। उसी साल चार्ल्स हल ने Stereolitography (SLA) के लिए पहला पेटेंट दायर किया था। यह एक अमरीकी फर्नीचर निर्माता और छोटे कस्टम भागों को बनाने वाले व्यक्ति थे। वर्ष 1986 में उन्होंने प्रौद्योगिकी के लिए अपना पेटेंट आवेदन जमा किया था, और 1988 में उन्होंने 3D सिस्टम कॉर्पोरेशन की स्थापना की। पहला वाणिज्य SLA 3D प्रिंटर SLA-1, उनकी कंपनी द्वारा वर्ष 1988 में बनाया गया था।
लेकिन, SLA 3D प्रिंटर इस दौरान खोजी गई एकमात्र 3D प्रिंटिंग करने वाली मशीन नहीं थी। इसी साल की यानी वर्ष 1988 में, टेक्सास विश्वविद्यालय में काल डेकार्ड (Carl Deckard) ने सिलेक्टिव लेजर सेटरिंग (SLS) तकनीक के लिए पेटेंट अपने नाम किया। इस प्रणाली में लेजर का इस्तेमाल करते हुए तरल के बजाय पाउडर को फ्यूज किया जाता था।
फ्यूज्ड डिपोजिशन मॉडलिंग (FDM) का भी लगभग उसी समय स्कॉट क्रैंप द्वारा पेटेंट कराया गया था। FDM, जिसे फ्यूज फिलामेंट फैब्रिकेशन भी कहा जाता है। SLS और SLA से इसे मायने में अलग है कि प्रकाश का उपयोग करने के बजाय, फिलामेंट को सीधे ग्राम नोजल से बाहर निकाला जाता है। आज हम देखते हैं कि जितने भी 3D प्रिंटर बाजार में मौजूद है उसमें इसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।
यह तीनों टेक्नोलॉजी सिर्फ केवल 3D प्रिंटिंग विधि नहीं है जो इस तकनीकी दुनिया में मौजूद है। लेकिन तीनों को मिलाकर के बिल्डिंग ब्लॉक्स के रूप में काम लिया जा सकता है जो कि आजकल के 3D प्रिंटर में देखा जा सकता है।
What kind of Ink Used in 3D printer? – किस तरह का इंक 3D प्रिंटर में इस्तेमाल किया जाता है?
जहां एक इंकजेट प्रिंटर लिक्विड इंक स्प्रे करके किस भी चीज को प्रिंट करती है, तो वही लेजर प्रिंटर ठोस पाउडर का उपयोग करता है, एक 3D प्रिंटर ना तो यह दोनों चीजें इस्तेमाल करती है। कोई भी 3D प्रिंटर में आप लिक्विड इंक या ठोस पाउडर का इस्तेमाल करते हुए कोई भी 3D मॉडल नहीं बना सकते हो।
आपको जिस चीज की जरूरत है वह है प्लास्टिक। एक 3D प्रिंटर अनिवार्य रूप से निकले हुए प्लास्टिक को एक छोटे नोजल के माध्यम से बाहर निकाल कर काम करता है जो कि कंप्यूटर नियंत्रण में ठीक से सारी प्रक्रियाओं को करने में सक्षम होता है।
3D प्रिंटर परत दर परत प्रिंट करता है, प्रीत होने के बाद इसे सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है ताकि 3D प्रिंटर द्वारा बनाया गया मॉडल सूखकर के ठोस हो जाए। इसके बाद अगली प्रिंट को फिर से परत दर परत प्रिंट करना होता है। इस प्रक्रिया में काफी समय भी लग सकता है। अंत में जो चीज आपको मिलती है वह एक 3D मॉडल है जो प्लास्टिक की बहुत सारी 2D लाइन एक दूसरे के ऊपर चढ़ाकर के बनी हुई होती है।
जब हम 3D प्रिंटर में प्लास्टिक के बारे में बात करते हैं तो हमारा मतलब आमतौर पर प्लास्टिक से ही होता है। लेकिन प्लास्टिक के भी बहुत सारे प्रकार होते हैं। इन प्लास्टिक में से कुछ प्लास्टिक को दोबारा रीसायकल किया जा सकता है। तो कुछ प्लास्टिक, एकदम अलग होते हैं चाहे वह किस रासायनिक तौर पर को या उनकी आंतरिक बनावट हो। इसीलिए हम लोग 3D प्रिंटिंग में थर्मोप्लास्टिक (Thermoplastic) का इस्तेमाल होता है।
थर्मोप्लास्टिक (Thermoplastic) क्या होता है?
थर्मोप्लास्टिक एक ऐसी प्लास्टिक या पॉलीमर होती है जो तापमान बढ़ने पर अधिक कोमल और गिरने पर अधिक ठोस हो जाती है। अधिकांश थर्मोप्लास्टिक का अनु भार काफी ऊंचा होता है और उनके पॉलीमर अणुओ में आपसी अंतर अणुक बल (Inter Molecular Force) द्वारा जोड़ने वाली संख्याओं से बनते हैं और तापमान बढ़ने से कमजोर हो जाते हैं। इस कारणवश थर्मोप्लास्टिक को गर्म करके उन्हें आसानी से गुंदा या तरल के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। इसे आसानी से किसी भी आकार में डाला जा सकता है और उसके रेशे भी आसान से बनाए जा सकते हैं। नायलॉन एक बहुत ही महत्वपूर्ण थर्मोप्लास्टिक का उदाहरण है।
लेकिन 3D प्रिंटिंग के लिए, जिस प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है उसे थर्मोप्लास्टिक कहा जाता है। थर्मोप्लास्टिक जो गर्म करने पर पिघलती है और वापस ठंडा करने पर ठोस हो जाती है। इसका उपयोग 3D प्रिंटिंग के लिए किया जाता है। आमतौर पर थर्मोप्लास्टिक की ABS (acrylonitrile butadiene styrene), PLA (Polylatic Acid) या PETG (Polythene gerephthalate glycol) का इस्तेमाल इंक के रूप में 3D प्रिंटिंग के लिए होता है।
ABS प्लास्टिक का इस्तेमाल आप कई सारे जगहों पर देख सकते हैं। अगर आप कार के अंदर बैठे हैं तो कार के आगे की डैशबोर्ड एबीएस प्लास्टिक से ही बनी होती है। वहीं अगर आपके घर में रेफ्रिजरेटर है तो उसके ऊपर भी एबीएस प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है। यहां तक की आपके कंप्यूटर पर लगे माउस, आपके कंप्यूटर के मॉनिटर के किनारे लगे हुए कैबिनेट इत्यादि चीजें भी एबीएस प्लास्टिक से ही बनी होती है।
लेकिन यहां पर सवाल यह आता है कि आखिर किस लिए ABS प्लास्टिक का इस्तेमाल 3D प्रिंटिंग के लिए किया जाता है? वास्तव में यह एक सिंथेटिक रबड़ है। जोकि ब्यूटाडीन स्टाइरीन के साथ एक कठोर तत्व प्लास्टिक का मिश्रण है। इसीलिए 3D प्रिंटिंग के लिए एकदम सही है। क्योंकि यह रूम टेंपरेचर में ठोस होता है और 100 डिग्री सेल्सियस से थोड़ा अधिक में पिघलता है। जो बहुत अधिक गर्मी के बिना प्रिंटर के अंदर पिघलने के लिए पर्याप्त ठंड भी मौजूद होती है और इतना गर्म होता है कि इसमें मुद्रित मॉडल प्रिंटिंग के बाद में ठोस दिखाई देते हैं। अगर वे धूप में छोड़े जाते हैं तो इतनी जल्दी पिघलती भी नहीं है। एक बार सेट हो जाने पर, इसे रेत से चिकना या आसानी से पेंट किया जा सकता है। ABS की एक और उपयोगी संपत्ति यह है कि या अपने कच्चे रूप में एक सफेद पीले रंग का होता है। इसे किसी भी रंग में बनाने के लिए इसे बहुत ही आसानी से रंग के साथ मिलाया जा सकता है। इसकी इसी खूबी के चलते इसका इस्तेमाल 3D प्रिंटिंग में किया जाता है।
Advantage and disadvantages of 3D printing
हर 3D प्रिंटर बनाने वाले इस बात का दावा करते हैं कि उनकी मशीन 10 गुना तेज और 5 गुना सस्ते हैं। यह उन लोगों के लिए काफी फायदेमंद है जो लोग अपना प्रोटोटाइप मॉडल कई दिनों के बदले कुछ ही घंटों में बनाना पसंद करते हैं।
लेकिन, हाई स्पीड 3D प्रिंटर अभी भी बाजार में काफी महंगे हैं। आमतौर पर अगर आप बढ़िया 3D प्रिंटर जिसमें सारी सुविधाएं उपलब्ध हो बाजार में खरीदने जाएंगे तो आपको $25000 से $50000 तक खर्चे करने पड़ सकते हैं। बाजार में आपको छोटे 3D प्रिंटर भी मिल जाएंगे। लेकिन यह प्रिंटर आप अपने घर में ही छोटे प्रोटोटाइप बनाने के लिए कर सकते हैं। ऑनलाइन मार्केट जैसे कि अमेज़न पर आपको 10 से ₹20000 तक में छोटे 3D प्रिंटर आसानी से मिल जाते हैं।
इसके अलावा बड़े 3D प्रिंटर जिन्हें खासकर शोध कार्यों के लिए एवं उद्योगों में इस्तेमाल करने के लिए किया जाता है उनकी कीमत अभी भी काफी ज्यादा है। इस तरह के महंगे 3D प्रिंटर की कीमत बाजार में $100000 से $500000 के बीच में होती है। आप अपने हिसाब से किसी भी 3D प्रिंटर जो आपके लिए उपयोगी है बाजार से खरीद सकते हैं।
3D प्रिंटर से बनाए गए मॉडल या प्रोटोटाइप आपके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले प्लास्टिक के ऊपर निर्भर करता है। इस पर चढ़ाए जाने वाले रंग कच्चा भी हो सकता है। 3D प्रिंटर से बनाए गए मॉडल या प्रोटोटाइप को तराशने की जरूरत होती है। एक बार तराशने के बाद आप इसमें रंग चढ़ा सकते हैं। आमतौर पर 3D मुद्रित मॉडल नए उत्पादों के रफ, शुरुआती विजुलाइजेशन के लिए बेहतर हो सकते हैं। अधिक परिष्कृत और बड़ी मशीनों का उपयोग हम बाद में कर सकते हैं जब डिजाइन को अंतिम रूप दे दिया गया हो। 3D प्रिंटिंग में सटीक सत्ता बनावट जैसी चीजें अधिक महत्वपूर्ण होती है।
Application of 3D printers – 3D प्रिंटर का इस्तेमाल कहां कहां किया जाता है?
3D प्रिंटर का इस्तेमाल किन क्षेत्रों में किया जा सकता है यह सवाल आपके मन में अवश्य ही रूप से आ रहा होगा। आप फोटोकॉपी का इस्तेमाल किसी किताब को छापने के लिए करते हैं। ठीक उसी तरह से 3D प्रिंटर का भी इस्तेमाल छोटे प्रोटोटाइप मॉडल को कॉपी करने के लिए किया जा सकता है। आधुनिक 3D प्रिंटिंग का आविष्कार लगभग 25 साल पहले हुआ था, लेकिन यह वास्तव में पिछले कुछ दशकों में ही वैश्विक स्तर पर उपयोग होना शुरू हुआ है। 3D प्रिंटिंग से जुड़ी अधिकांश मशीनें अभी भी अपेक्षाकृत उतनी कारगर नहीं है। फिर भी, 3D प्रिंटिंग के लिए उपयोग की सीमा बहुत ही आश्चर्यजनक है।
मेडिसिन के क्षेत्र में 3D प्रिंटिंग का इस्तेमाल
चिकित्सा के क्षेत्र में भी 3D प्रिंटिंग का इस्तेमाल बहुत ज्यादा किया जाता है। 3D प्रिंटर की सहायता से इंसान के शारीरिक अंग बनाने का काम कई दशकों से हो रहा है। चिकित्सा के क्षेत्र में प्रोटोटाइप मॉडल बना करके लोगों को इंसान के शारीरिक अंगों के बारे में जानकारी दी जा सकती है।
इसके अलावा वैज्ञानिक और डॉक्टर 3D प्रिंटिंग का इस्तेमाल शरीर के अंगों और ऊतकों को बदलने की क्षमता देने हेतु करना चाहते हैं। इसीलिए डॉक्टर 3D प्रिंटिंग का पता लगाने वाले शुरुआती लोगों में से एक है। इसलिए हमने 3D प्रिंटिंग की सहायता से कान, हाथ और पैर, मांसपेशियां, इसके साथ ही कृत्रिम अंग, त्वचा इत्यादि बनाने के लिए किया है। अभी भी 3D प्रिंटिंग का इस्तेमाल हम चिकित्सा क्षेत्र में कर रहे हैं।
हालांकि हम इंसान 3D प्रिंटिंग की सहायता से इंसान के बाहरी अंगों को बनाने में सफलता तो हासिल की है। लेकिन, हम आज भी इंसान के आंतरिक अंगों को जैसे कि दिल, फेफड़ा या लीवर इत्यादि चीजों को बनाने में सक्षम नहीं हो पाए हैं। इसे लेकर के अभी भी शोध कार्य चल रहे हैं। उम्मीद है कि आने वाले गत कुछ वर्षों में हम इसका इस्तेमाल भी इंसान के आंतरिक अंगों को बनाने के लिए कर पाएंगे।
एयरोस्पेस और रक्षा के क्षेत्र में
हवाई जहाजों का डिजाइन और परीक्षण एक जटिल और महंगा व्यवसाय है। किसी भी बड़ी हवाई जहाज पर 2.3 मिलियन उपकरण लगे हुए होते हैं। हालांकि कंप्यूटर मॉडल का उपयोग विमानों के व्यवहार के कुछ पहलुओं का परीक्षण करने के लिए किया जा सकता है।
इसके अलावा अन्य कुछ दूसरे पहलू के परीक्षण के लिए हमें प्रोटोटाइप की आवश्यकता होती है। जिसे हम 3D प्रिंटिंग की सहायता से बना सकते हैं। लेकिन वाली जी की हवाई जहाज मात्रा में बनाए जाते हैं, सैनिक विमानों के अत्यधिक अनुकूलित होने की संभावना होती है और 3D प्रिंटिंग कम मात्रा या एक बंद भाग को जल्दी और आसानी से बनाने के लिए काफी सस्ती होती है। इस चलते 3D प्रिंटिंग का इस्तेमाल एयरोस्पेस और रक्षा के क्षेत्र में किया जा सकता है।
एयरोस्पेस या अंतरिक्ष यान हवाई जहाज एरोप्लेन की तुलना में अधिक जटिल होते हैं और उनमें कुछ कमी भर पूरे मिशन को सफल बना सकते हैं। इसलिए अंतरिक्ष यान के परीक्षण के लिए बड़े प्रोटोटाइप की आवश्यकता होती है। इसे भी 3D प्रिंटिंग की सहायता से पूरा किया जा सकता है।
Visualization
हवाई जहाज या अंतरिक्ष यान का प्रोटोटाइप बनाना अधिक व्यापक उपयोग है 3D प्रिंटिंग का, लेकिन यह कल्पना करना कि कोई भी चीज तीन आयामों में किस तरह की दिखेगी यह जानने के लिए लोग 3D प्रिंटिंग का इस्तेमाल करते हैं।
हम इंसान उन चीजों को पसंद करते हैं जिन्हें हम देख और छू सकते हैं। तेजी से सटीक वास्तु शिल्प मॉडलिंग के लिए 3D प्रिंटर का उपयोग तेजी से किया जा रहा है। यद्यपि हामिद और कंक्रीट जैसी सामग्रियों में 3D प्रिंटिंग नहीं कर सकते हैं। लेकिन प्लास्टिक की एक विस्तृत श्रृंखला उपलब्ध है और हम इसकी सहायता से इमारत का एक ढांचा जरूर बना सकते हैं।
औद्योगिक और उपभोक्ता उत्पादों के प्रोटोटाइप और परीक्षण के लिए अब 3D प्रिंटिंग का भी व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है। क्योंकि कई रोजमर्रा की चीजें प्लास्टिक से बनी होती है। एक 3D प्रिंटेड मॉडल तैयार उत्पाद के समान दिख सकता है।
व्यक्तिगत तौर पर 3D प्रिंटिंग का प्रयोग
रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली बहुत सारी चीजें प्लास्टिक की बनी होती है। जैसे कि आपका हक टूथब्रश, या फिर चॉकलेट के ऊपर में प्लास्टिक रेपर इत्यादि। अगर आप चाहे तो 3D प्रिंटिंग का इस्तेमाल अपने व्यक्तिगत तौर पर रोजमर्रा की चीजों को बनाने के लिए कर सकते हैं।
भविष्य में हो सकता है कि 3D प्रिंटिंग का इस्तेमाल करते हुए आप अपनी रोजमर्रा की जरूरत की चीजों को खुद ही प्रिंटिंग करके बनाएं। आप कुछ आभूषण और फैशन के समान भी 3D प्रिंटिंग की सहायता से बना सकते हो।