Biography of Deepinder Goyal – दीपिंदर गोयल की जीवनी

भारत में पिछले दो-तीन साल में फूड डिलीवरी जैसे मार्केट में काफी उछाल आया है। जब भी फूड डिलीवरी जैसे टाटा व्यास मार्केट की बात आती है तो हमारे मन में सबसे पहला नाम Zomato का ही आता है। अगर आप अपने घर से कहीं बाहर हैं, और देर रात आपको भूख लग जाए तो आप अपना खाना का आर्डर Zomato से ही देते हैं। जमेटो जैसी कंपनी को बनाने के पीछे दीपेंद्र गोयल का हाथ है। आज के मरीज लेट में हम Biography of Deepinder Goyal – दीपिंदर गोयल की जीवनी के बारे में जानेंगे।

फूड डिलीवरी जैसे क्षेत्र में भारत में एक विशाल संभावित बाजार है, इसके बावजूद इस उद्योग में केवल दो या तीन ब्रांडी आपको देखने में मिल जाएंगे। वर्तमान समय में सभी के मुंह में एक ही कंपनी का नाम है वह है Zomato । इस कंपनी के पीछे दीपेंद्र गोयल जी का हाथ है। दीपेंद्र गोयल जी इस कंपनी के संस्थापक के रूप में जाने जाते हैं। आज हम उनके जीवन के बारे में अपने इस लेख में चर्चा करने वाले हैं। इसके साथ ही हम उनकी सफलता की कहानी पर भी चर्चा करेंगे।

Biography of Deepinder Goyal – दीपिंदर गोयल की जीवनी

Zomato एक भारतीय रेस्टोरेंट एग्रीगेटर है जो लगभग हर भारतीय शहर में खाना डिलीवर करता है। जोमैटो एक रेस्टोरेंट के लिए एक संपूर्ण संदर्भ प्रदान करता है। मेनू से लेकर के समीक्षा हो तक, याह एक रेस्टोरेंट के आसपास केंद्रित सभी पहलुओं को शामिल करता है।

जब भी आपको कभी रात में भूख लगती है तो आप जमेटो से ही खाना ऑर्डर करना पसंद करते हैं। इसके साथ ही आपके मन में यह भी ख्याल आ रहा होगा कि जोमैटो जैसे कंपनी के संस्थापक कौन है। जोमैटो जैसे कंपनी को बनाने के पीछे दीपेंद्र गोयल और पंकज चड्ढा का हाथ है।

दोनों ने मिलकर के इस स्टार्टअप की योजना बनाई थी। धीरे-धीरे जोमैटो जैसा कंपनी ने अपनी उपस्थिति वैश्विक स्तर पर दर्ज की है। उन्होंने अन्य देशों में अपना पैर जमाने के लिए विदेशी प्रतिस्पर्धा सहित विविध देशों में लगभग 12 स्टार्टअप का अधिग्रहण किया है। वर्ष 2014 में जमेटो ने Gastronauci, पोलैंड में चल रही है एक रेस्टोरेंट सेवा और Cibando, जो एक इटालियन रेस्टोरेंट सेवा है का अधिग्रहण 60 मिलियन डॉलर में किया था।

दीपिंदर गोयल एक मध्यवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं। इनकी परवरिश मामूली सी हुई है। इन्होंने प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, भोजन में उनकी सूची एक ऐसे उद्यम की कल्पना करने के लिए एक प्रोत्साहन थी जो लोगों को मोबाइल ऐप के जरिए सुबह से लेकर के शाम तक फूड डिलीवरी कर सके। जिसमें नाश्ता से लेकर के रात का खाना शामिल हो।

घर से खाना ऑर्डर करना शुरू में आसान नहीं था। ऑनलाइन खाना ऑर्डर करने के लिए, किसी को समीक्षा हो और रेटिंग के बारे में किसी भी जानकारी के बिना कई रेस्टोरेंट्स में से एक को चुनना पड़ता था। खाने और खाने की डिलीवरी पर छूट और ऑफर लगभग आपको ना के बराबर दी जाती थी।

आईआईटी दिल्ली से स्नातक करने के बाद दीपेंद्र गोयल जनवरी 2006 में एक वरिष्ठ सहयोगी सलाहकार के रूप में बैन एंड कंपनी में शामिल हो गए। बैन के साथ अपने कार्यालय के दौरान उन्होंने foodiebay.com की स्थापना की जो बाद में zomato.com बन गया। बैन एंड कंपनी में, सभी को अपना आर्डर देने के लिए लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ता था। बैन , पंकज में दीपेंद्र और उनके सहयोगी, खाना ऑर्डर करने के दौरान खर्च की गई समय को बचाने के लिए एक रचनात्मक समाधान लेकर के आए।

यह तब की बात है जब दोनों ने एक कंपनी इंटरनेट का उपयोग करके बैन कर्मचारी के लिए खाना ऑर्डर करने के लिए एक वेबसाइट बनाने का फैसला किया। उनके आश्चर्य के लिए, वेबसाइट एक हीर थी और इसे भारी ट्रैफिक मिला। दीपेंद्र ने एक ऐसा अवसर देखा जो खाद तकनीक उद्योग में क्रांति ला सकता है।

दीपेंद्र गोयल और जोमैटो का सफर

दीपेंद्र गोयल के विचार ने फूड इंडस्ट्री में एक क्रांति लाना शुरू कर दिया था। इस नए स्टार्टअप को शुरू करने के लिए ना तो उनके सहयोगी होने और ना ही उनके कर्मचारियों ने कुछ सोचा और जल्दी से जल्दी एक ब्रांड Zomato के नाम से इस कंपनी की शुरुआत हुई।

अनेक प्रयोग और उससे मिली प्रतिक्रियाओं के बाद, उन्हें सूची में और रेस्टोरेंट जोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। साल के अंत तक पूरे भारत कोलकाता दिल्ली मुंबई जैसे बड़े शहरों में कई सारे रेस्टोरेंट जोमैटो जैसी कंपनी के साथ जुड़ गए। डिलीवरी तक काम करने के लिए पूरे भारत भर में कई सारे आवेदन इन को मिलने लगे। वर्ष 2010 में इनका स्टार्टअप पुणे और बेंगलुरु में ग्राहकों को सेवा देना शुरू कर दिया।

धीरे धीरे जोमैटो कंपनी ने पूरे भारत में अपना पैर पसारा, अब आप अधिकांश हर छोटे शहर जोमैटो के फूड डिलीवरी का आनंद उठा सकते हैं।

दीपेंद्र गोयल का आरंभिक जीवन

दीपिंदर गोयल का जन्म पंजाब के मुख्तसर में हुआ है। इनके माता-पिता दोनों ही शिक्षक हैं। इसी वजह से एक घर में पढ़ाई का माहौल बना रहता था। दीपेंद्र गोयल को गणित में काफी गहरी दिलचस्पी थी। इसलिए, अपनी आरंभिक शिक्षा पंजाब सही करने के बाद वे इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी मैं इंजीनियरिंग करने के लिए दिल्ली चले गए। दीपेंद्र ने 2005 में IIT से मैथ्स एंड कंप्यूटिंग में इंटीग्रेटेड एमटेक की डिग्री हासिल की है। अपनी डिग्री पूरी करने के बाद दीपेंद्र ने कंसल्ट फॉर्म बैन एंड कंपनी में बतौर कंसलटेंट नौकरी कर ली।

नौकरी के दौरान दीपेंद्र गोयल ने देखा कि ऑफिस लंच के दौरान उनके सहकर्मी कैफिटेरिया में मेनू देखने के लिए काफी लंबी कतार लगाकर के अपनी बारी का इंतजार करते थे। इससे उनका काफी ज्यादा वक्त बर्बाद हो जाता था। इंजीनियर होने के नाते जीवन को आसान बनाने के लिए हमेशा से टेक्नोलॉजी के उपयोग की हिमायत करने वाले दीपेंद्र ने साथियों की एक मुश्किल को हल करना और उनका समय बचाने के लिए मेनू स्कैन करके उन्हें ऑनलाइन उपलब्ध करवाने का फैसला लिया। इस साइट को देखते ही देखते कहीं ट्राफिक मिलने लगे थे। यहीं से दीपेंद्र गोयल ने एक बिजनेस आइडिया आया और उन्होंने एक ऐसी वेबसाइट और मोबाइल ऐप बनाने का फैसला किया जहां लोगों को अपने शहर के बेहतरीन रेस्टोरेंट्स है संबंधित जानकारी आसानी से उपलब्ध हो सके।

दीपेंद्र के किस आइडिया को उनके सहकर्मी पंकज चड्डा ने खूब सराहा और उनके साथ मिलकर के साल 2008 में नौकरी के दौरान ही दीपेंद्र ने पंकज के साथ ऑनलाइन फूड पोर्टल foodibay.com की स्थापना की। इस पोर्टल को बनाने के पीछे का उद्देश्य था कि यूजर्स के लिए लोकेशन कीमत और लोकप्रियता के आधार पर रेस्टोरेंट खोजना और भी आसान हो जाए।

वर्ष 2009 के अंत तक आते-आते यह छोटी सी पोर्टल के कारोबार में इजाफा हुआ और यूजर से अच्छे फीडबैक मिलने के बाद उन्होंने इसे आगे बढ़ाने का सुझाव मिला। इस दौरान उनकी पत्नी को भी दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षक की नौकरी मिल गई थी। पत्नी की तरफ से मिली आर्थिक मदद और कारोबार की रफ्तार ने दीपेंद्र को अपना नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। इसके बाद दीपेंद्र ने बिजनेस पर अपना ध्यान केंद्रित किया। दीपेंद्र और पंकज ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और फूल टाइप जोमैटो को विस्तार देने में जुट गए।

और इस तरह जमेटो धीरे-धीरे पूरे भारत में अपना पैर पसारना शुरू कर दिया। जोमैटो कंपनी आज पूरे भारतवर्ष में छोटे से बड़े शहरों को फूड डिलीवरी का काम करती है। और इस क्षेत्र में या कंपनी अग्रणी कंपनी बन करके खड़ी हुई है।

दीपेंद्र गोयल का संघर्ष एवं एक प्रेरणा के रूप में

शुरुआती समय में देवेंद्र गोयल को काफी संघर्ष करना पड़ा था। दीपेंद्र की शुरुआती बाधा उनके परिवार से आई, जोबा में अपनी एक स्थाई नौकरी छोड़ने और एक नया स्टार्टअप शुरू करने के लिए काफी मुश्किल भरा था। बाद में उनकी पत्नी कंचन जोशी को दिल्ली विश्वविद्यालय में एक शिक्षक की नौकरी मिल गई थी। जिससे दीपेंद्र को काफी आर्थिक सहायता मिली। तब उन्हें यह हौसला मिला कि वह अपनी नौकरी छोड़ देंगे और अपना पूरा ध्यान अपने बिजनेस जोमैटो को विस्तार करने में लगा देंगे।

दीपेंद्र की पत्नी कंचन जोशी, आईआईटी में उनकी सहपाठी थी। शुरुआत में उन्होंने दीपेंद्र गोयल को इसके लिए मना किया। उन्होंने उनसे कहा कि इस तरह का स्टार्टअप चलाना काफी कठिन है। इसके अलावा उनकी आर्थिक स्थिति को भी ध्यान में रखना था। लोगों द्वारा इस स्टार्टअप को मिले अच्छे फीडबैक के चलते, और इससे होने वाले अच्छे आए के चलते दीपेंद्र गोयल ने अपने नौकरी से इस्तीफा देने का फैसला किया। उनके दोस्त पंकज चड्डा और दीपेंद्र गोयल ने नौकरी छोड़ दी। और इस कंपनी को विस्तार करने के लिए काम करने लगे।

वर्ष 2010 तक इस कंपनी ने पूरे भारत के बड़े शहरों में अपना पाव पसार लिया था। बड़े शहरों में स्टार्टअप स्थापित करने के बाद दीपेंद्र ने संचालन में टीम की सहायता के लिए अन्य आईआईटियन गुंजन पाटीदार को काम पर रखा। foodibay.com खिलाने में उनका व्यस्त समय था क्योंकि उस समय लोगों के लिए यह अवधारणा एकदम ही अलग थी और अज्ञात थी। उन्हें अपनी कंपनी को आगे तक ले जाना था। बढ़ती मांग और समय पर फूड की डिलीवरी इनके प्लान में सबसे ऊपर थी।

जैसे-जैसे कंपनी का विस्तार होता गया। वैसे वैसे इनकी कर्मचारियों की संख्या भी पूरे भारत में बढ़ती चली गई। इस तरह से जोमैटो कंपनी ने पूरे भारत में ही नहीं वैश्विक स्तर पर अपनी नीव बना ली। इनका यह संघर्ष कई सारे लोगों को प्रेरणा देता है। आप को बड़ी सफलता हासिल करने के लिए लगातार काम करने की जरूरत है।

धीरे-धीरे इस इंडस्ट्री में काफी उछाल देखने को मिला। खाने की डिलीवरी और ऑर्डर इन के चलन ने भारत में तूफान ला दिया था। जोमैटो के लिए यह अच्छा मौका था। साल 2011 में अपने शुरुआती फंडिंग के बाद से उन्हें कई निवेशकों द्वारा वित्त पोषित किया गया और 2018 में एक बड़ी कंपनी का दर्जा हासिल कर लिया। उन्होंने 3.9 बिलीयन डॉलर के पोस्ट मनी वैल्युएशन पर $660 मिलियन के प्राथमिक वित्त पोषण दौर को बंद करके 2020 को समाप्त कर दिया।

टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में तेजी से विकास के साथ ही, Zomato ने अपने तरीकों को भी बदला और Android, ios और Windows एप्लीकेशन लॉन्च किए। बढ़ती लोकप्रियता ने चेन्नई हैदराबाद और अहमदाबाद जैसे शहरों में अपने बिजनेस को आगे बढ़ाया। विस्तार के बाद, जमे तो कंपनी ने सिटी बैंक के साथ सहयोग किया जिसे ” सिटीबैंक जोमैटो रेस्टोरेंट गाइड” नाम दिया गया था।

दीपेंद्र गोयल के मार्गदर्शन में कंपनी ने दुबई, यूएई, श्रीलंका, यूनाइटेड किंगडम, दक्षिण अफ्रीका, फिलीपींस और न्यूजीलैंड जैसे देशों में अपना विस्तार किया। वित्तीय वर्ष 2011 और 2012 के दौरान जमेटो मीडिया प्राइवेट लिमिटेड ने 2.04 करोड़ के राजस्व की सूचना दी। वहीं वर्ष 2012 से 2013 तक इस कंपनी ने 11.38 करोड़ रुपए का मुनाफा दर्ज किया था।

धीरे-धीरे जमेटो की लोकप्रियता लोगों के बीच में बढ़ती जा रही थी। Zomato की वेबसाइट पर लगभग 2.5 मिलियन विजिटर आते हैं। और खाने की डिलीवरी के लिए आर्डर देते हैं। वर्ष 2014 पहुंचते-पहुंचते इनका कारोबार 68.5 मिलियन डॉलर के आस पास पहुंच गया। वहीं 2015 में यह बढ़कर के 96.7 करोड़ रुपए हो गया।

जितेंद्र गोयल प्रेरणा के रूप में

दीपेंद्र गोयल ने अपने सा कर्मियों के लिए एक उदाहरण स्थापित करके दिखाया कि किसी भी बिजनेस को कैसे बढ़ाया जा सकता है। 24 घंटे काम करना कभी आसान नहीं होता है, खासकर जब माता-पिता पर एक अच्छी तरह से तय की गई नौकरी छोड़ने का दबाव होता है।

उनके मार्गदर्शन में Zomato कंपनी को कई सारे पुरस्कार मिले हैं। जिनमें से अधिकांश उपयोगकर्ता की पसंद है – जो ग्राहकों की संतुष्टि को साबित करता है। निराशा और संकट के निम्नतम समय से उठकर पूरे दुनिया में अपना व्यापार का विस्तार करना एक क्रांति ही है। इसे आप कोई आसान उपलब्धि नहीं मान सकते हैं। यही चीज दीपेंद्र गोयल ने करके साबित किया है। आज बड़े शहरों में कई लोग जोमैटो के बिना अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। उन्हें खाना चाहे नाश्ता हो जमेटो के द्वारा ही ऑर्डर देना पड़ता है। इस तरह से आप देख सकते हैं कि दीपेंद्र गोयल लोगों के लिए एक प्रेरणा है। जिन्होंने कड़ी मेहनत और संघर्ष से कंपनी की स्थापना की है।

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