अक्सर ट्रेन पर चढ़ते हुए आपने अपने आप से कभी या सवाल तो जरूर पूछा होगा कि ट्रेन के पहिए धातु और कार के पहिए रबड़ के क्यों बने होते हैं? Why are Train Wheels Metal And Car Wheels Rubber? अगर आपने सोचा भी होगा तो आपने ऐसा क्यों होता है? इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं ली होगी। आज के हमारे इस लेख में हम इसी बारे में चर्चा करने वाले हैं।
हमारे चारों ओर अलग-अलग तरह के वाहन मौजूद है। यह वाहन अलग-अलग प्रकार से कार्य भी करते होंगे। इनकी काम करने की तकनीक भी अलग अलग होगी।
अगर हम अपने चारों ओर नजर दौड़ाई जाए तो हमें सड़क पर चलने वाली कारें, बसें और मोटरसाइकिल दिखेंगी। आखिर क्यों सड़क में चलने वाली इन वाहनों के पहिए रबड़ के बने हुए होते हैं। क्या आपने कभी सोचा है? इनके पहिए रबड़ से क्यों बने हुए होते हैं?
दूसरी ओर पटरियों पर चलने वाली ट्रेन और मेट्रो ट्रेन धातु के पहियों का उपयोग करते हैं। ट्रेन के पहियों के ऊपर किसी भी प्रकार का रबड़ नहीं होता। तो हम इन विभिन्न प्रकार के वाहनों के लिए विभिन्न प्रकार के पहियों का इस्तेमाल क्यों करते है?
तो चलिए हम यह जानते हैं कि ट्रेन के पहिए धातु और कार के पहिए रबड़ के क्यों बने होते हैं? Why are Train Wheels Metal And Car Wheels Rubber?
ट्रेन के पहिए धातु और कार के पहिए रबड़ के क्यों बने होते हैं? Why are Train Wheels Metal And Car Wheels Rubber?
इससे पहले कि हम सीधे ट्रेन और कार के पहियों के बारे में चर्चा करें, आइए हम कुछ कारक की पहचान करें जो यह तय करते हैं कि पहियों का उपयोग किस तरह से किया जाना चाहिए।
घर्षण
किस तरह के पहिये को परिवहन के साधन की जरूरत है यह तय करने में घर्षण सबसे महत्वपूर्ण कारक माना जाता है। घर्षण बल का एक रूप होता है। आमतौर पर घर्षण का अनुभव तब होता है जब एक वस्तु की सतह दूसरे वस्तु की सतह के संपर्क में आती है।
प्रत्येक वस्तु दूसरी वस्तु की गति के विपरीत दिशा में दूसरे वस्तु की सतह पर बल लगाती है। हम जानते हैं कि घर्षण जितना कम होता है यानी संपर्क में आने वाली दो वस्तुएं जितनी चिकनी होती है उतनी ही तेजी से वे एक दूसरे के ऊपर चढ़ती जाती है।
Speed ( गति )
अलग-अलग वाहन अलग-अलग गति से यात्रा करने के लिए बने हुए होते हैं। कितनी तेजी से यात्रा करनी चाहिए साथ ही कितनी देर तक ऐसी गति से यात्रा करनी चाहिए यह तय करने में एक भूमिका निभाता है कि किस तरह के पहिए का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
इलाके (Terrain)
यह भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कि हम अपने वाहन को किस तरह के इलाके में चलाते हैं। इसके लिए हम एक तरह के वाहन का चुनाव करते हैं जो उस तरह के इलाके में चल सके।
विभिन्न इलाकों में परिवहन के लिए विभिन्न साधनों की आवश्यकता होती है और इस प्रकार विभिन्न प्रकार के पहियों की भी जरूरत पड़ती है।
तो ट्रेन को धातु के पहियों की आवश्यकता क्यों होती है? So why do trains need metal wheels?
अगर आपने ट्रेन को देखा होगा तो आपने यह भी देखा होगा कि ट्रेन को उच्च गति पर लंबी दूरी की यात्रा तय करनी पड़ती है। ऐसी परिस्थिति में हमें ऐसे पहियों का उपयोग करना होगा जो इन सभी शर्तों को पूरा करती हो।
सबसे पहले, एक ट्रेन के पहियों के लिए घरसन कम से कम होना चाहिए। एक ट्रेन रेल पर यात्रा करती है जो पूरी तरह से एक समान और चिकनी होती है। क्योंकि मार्ग में कोई भी किसी तरह का गड्ढा या छेद नहीं होता। इसीलिए ट्रेन का उद्देश उच्च गति बनाए रखना होता है।
एक ट्रेन बहुत ही तेज गति से चलने में सक्षम होती है, यदि उसके पहिए और रेल के बीच बहुत कम घर्षण हो, जो पहिए को चिकनी धातु से बना करके प्राप्त किया जाता है। रेल और पाइए दोनों धातु के बने होते हैं और एक दूसरे के खिलाफ चिकने होते हैं। यह घर्षण को काफी हद तक कम कर देती है। असल में देखा गया है कि स्टील रेल पर स्टील पटरियों का उपयोग करने पर घर्षण 85% से 99% तक कम किया जा सकता है।
ट्रेन को अचानक रुकने की जरूरत नहीं होती है जो आमतौर पर उनके अपने भले के लिए होता है। क्योंकि उनमें इतना भार और गति होता है। इस कारण से उन्हें घर्षण उत्पन्न करने वाले पहियों की आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए घर्षण को कम करने और गति बनाए रखने के लिए धातु के पहियों का इस्तेमाल किया जाता है।
ट्रेन भी बहुत भारी होती है अगर इसकी तुलना आपके छोटे से कार से की जाए तो एक ट्रेन का इंजन और उसका डब्बा आपके कार से 50 से 100 गुना अधिक भारी होता है। रबड़ के पाहये को चलाने के लिए बहुत अधिक मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती है। आपकी कार के इंजन से उत्पन्न अधिकांश ऊर्जा बल रबड़ के पहियों को घुमाने में चला जाता है।
अब अगर ट्रेन के पहिए रबड़ के बने होते हैं तो ट्रेन को चलाने के लिए इंजन को भारी मात्रा में ऊर्जा और बल खर्च करने की जरूरत होगी। क्योंकि इसका वजन बहुत ही ज्यादा होता है। किसी वस्तु का भार बढ़ने पर घर सन भी बढ़ता है जिससे रबड़ के टायर और भी अधिक घर्षण की वजह से घिसने लगेंगे।
देखा जाए तो अगर हम ट्रेन में रबड़ के टायर का इस्तेमाल करेंगे तो हमें बहुत ही ज्यादा इंधन की आवश्यकता पड़ेगी साथ ही में ट्रेन के चक्के को बार-बार बदलना पड़ेगा। जो थोड़ा नामुमकिन सा लगता है। इस वजह से ट्रेन के लिए रबड़ के पहियों का उपयोग करना व्यावहारिक नहीं है।
कार में तब रबड़ के पैसों का इस्तेमाल क्यों किया जाता है?
ट्रेन के विपरीत, जो केवल रेल की पटरी पर चलती है। कोई कार या मोटर वाहन सड़क पर और कभी-कभी उबड़ खाबड़ सड़क पर भी चलती है । तो कभी गड्ढों से भरी सड़कों पर भी कार को चलाना पड़ता है। तो कहीं सड़क के नाम पर केवल मिटटी भरी पड़ी है।
इस तरह की सड़कों के लिए कार या मोटर वाहन के पहियों को अत्यधिक ग्रिप की आवश्यकता होती है। जिससे कि वह सड़क पर अपनी पकड़ बनाए रख सके। अगर सड़क और पहिए के बीच में पकड़ या घर्षण नहीं होगा तो गाड़ी को संभाल पाना मुश्किल होता है।
जिन सड़कों और जमीनों से वाहन गुजरते हैं वह भी टायर को लगातार नुकसान पहुंचाते हैं। लेकिन धातु के पहियों को बार-बार बदलना बहुत महंगा होता है। रबड़ के टायर बदलने के लिए तुलनात्मक रूप से सस्ते होते हैं और ऐसी परीक्षण स्थितियों में अधिक समय तक चलते हैं।
कारों को भी ट्रेन की तुलना में अधिक बार और अधिक तेजी से ब्रेक लगाने और रोकने की आवश्यकता होती है। इसलिए रबड़ टायरों का इस्तेमाल कार, बस और मोटरसाइकिल में किया जाता है।
क्योंकि कार को केवल एक निश्चित गति बनाए रखने की आवश्यकता होती है और वे ट्रेन की तरह भारी नहीं होती है। रबड़ के टायर उन्हें गति प्राप्त करने से नहीं रोकते हैं और इंजन की ऊर्जा को बर्बाद नहीं करते हैं। जैसा कि ट्रेन के मामले में होता है।
निष्कर्ष
ऐसे बहुत से कारक हैं जो विभिन्न प्रकार के वाहनों के लिए उपयोग किए जाते हैं। जो वाहन में लगने वाले पहियों के प्रकार को प्रभावित करते हैं। लेकिन उनमें सबसे अधिक महत्वपूर्ण है पहियों में लगने वाला घर्षण।
क्योंकि ट्रेन को बहुत अधिक वजन के साथ लगातार तेज गति से यात्रा करने की जरूरत होती है। इसलिए उन्हें कम घर्षण की आवश्यकता होती है जो धातु के पहियों द्वारा प्रदान की जा सकती है। जबकि कार को किसी भी तरह के इलाके और सभी प्रकार की सड़कों पर चलना पड़ता है। जिसमें अधिक घर्षण की आवश्यकता होती है। जिसे रबड़ के टायर का इस्तेमाल करके दिया जाता है।