दोस्तों, नोबेल पुरस्कार विश्व का सबसे महानतम पुरस्कारों में से एक गिना जाता है। नोबेल पुरस्कार प्रतिवर्ष उन व्यक्तियों को दिया जाता है, जोकि भौतिकी, रसायन विज्ञान, साहित्य, चिकित्सा शास्त्र, अर्थशास्त्र और शांति के क्षेत्रों में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
हर साल नोबेल पुरस्कार प्रदान किया जाता है। यदि किसी विषय में एक से अधिक व्यक्ति पुरस्कार के योग्य पाए जाते हैं तो तो पुरस्कार की राशि सभी व्यक्तियों में समान रूप से विभाजित कर दी जाती है। इस तरह हर साल नोबेल पुरस्कार का वितरण किया जाता है। इस पुरस्कार की स्थापना अल्फ्रेड बेन्हार्ड नोबेल (Alfred Bernhard Nobel) ने की थी, जिन्हें विस्फोटक विज्ञान का जन्मदाता माना जाता है।
अल्फ्रेड नोबेल ने ही डायनामाइट नाम के विस्फोटक का आविष्कार किया था। इस विस्फोटक से उन्होंने इतना धन कमाया कि जब उनकी मृत्यु हुई हुई तब उन्होंने $9000000 की धनराशि छोड़ दी, मरते समय इन्होंने अपना वसीयतनामा में लिखा की इस धनराशि को बैंक में जमा कर दिया जाए और इससे प्राप्त होने वाले ब्याज को हर वर्ष भौतिक विज्ञान, रसायन शास्त्र, चिकित्सा शास्त्र, साहित्य और शांति के क्षेत्र में विश्व भर में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले लोगों को इस धनराशि से पुरस्कृत किया जाए।
आज हम इस पुरस्कार को नोबेल पुरस्कार के नाम से जानते हैं। इस पुरस्कार का आरंभ साल 1901 मैं शुरू किया गया था। नोबेल पुरस्कार के अंतर्गत इस धनराशि के अतिरिक्त एक स्वर्ण पदक तथा एक सर्टिफिकेट भी प्रदान किया जाता है।
अलफ्रेड नोबेल का जन्म
नोबेल पुरस्कार के संस्थापक अलफ्रेड नोबेल का जन्म स्टॉकहोम स्वीडन में 21 अक्टूबर, 1833 को हुआ था।इनके पिता का नाम एमानुएल नोबल जो कि एक गरीब किसान परिवार के व्यक्ति थे। जिन्होंने सेना में एक इंजीनियरिंग के पद पर आसीन थे।अल्फ्रेड नोबेल ने अपने पिता एमानुएल से ही इंजीनियरिंग के मूल सिद्धांतों को समझा था। अल्फ्रेड नोबेल को भी अपने पिता की तरह ही इंजीनियरिंग में काफी दिलचस्पी थी इसके साथ वे अनुसंधान में काफी दिलचस्पी रखते थे। अलफ्रेड नोबेल के दो बड़े भाई रॉबर्ट और लुडविग की भांति इनकी प्रारंभिक शिक्षा भी अपने घर से ही आरंभ हुई थी।
साल 1842 में अलफ्रेड नोबेल का परिवार स्टॉकहोम से पीटर्सबर्ग अपने पिता के पास चला गया था। उस टाइम अलफ्रेड नोबेल एक दक्ष रसायन यज्ञ थे। अल्फ्रेड नोबेल 16 वर्ष की उम्र में ही अंग्रेजी , फ्रेंच, जर्मनी, रूसी और स्वीडिश भाषा बड़ी अच्छी तरह से बोल लेते थे।साल 18 सो 50 के आसपास उन्होंने रूस छोड़ दिया।
इसके बाद 1 वर्षों तक उन्होंने पेरिस में रसायन शास्त्र का अध्ययन किया और 4 वर्षों तक जो निरीक्षण की देखरेख में संयुक्त राज्य अमेरिका में अध्ययन किया, अपनी पढ़ाई के दौरान अल्फ्रेड नोबेल वापस पिट्सबर्ग लौटने पर अपने पिता के साथ फैक्ट्री में काम करने लगे, कामकाज में अपने पिता का हाथ बताते हुए साल 1859 में इनकी पिता की फैक्ट्री की दिवालिया निकल गया।
अल्फ्रेड नोबेल के पिता की फैक्ट्री का दिवालिया निकलने के बाद अल्फ्रेड नोबेल वापस अपने पिता के साथ स्वीडन आ गए। यहां का नोबेल ने विस्फोटों का प्रयोग अपना आरंभ किया।स्टॉकहोम के पास हैरेनबर्ग नाम का एक जगह था जहां अल्फ्रेड नोबेल और उनके पिता दोनों ने मिलकर के विस्फोटकों के ऊपर अपना अनुसाधन के लिए एक छोटी सी वर्कशॉप बनाई थी, इसके बाद अल्फ्रेड नोबेल और उनके पिता मिलकर के नाइट्रोग्लिसरीन जैसे विस्फोटक यहां पर बनाते थे।
बड़े दुर्भाग्य की बात है कि साल 18 सो 64 में इनके वर्कशॉप में 1 दिन भीषण दुर्घटना घटित हुई। नाइट्रोग्लिसरीन के विस्फोटक के कारण सारा वर्कशॉप फट गया और इसी दुर्घटना में उनके छोटे भाई की और उनकी फैक्ट्री में काम करने वाले 4 मजदूरों की मौत हो गई।इस दुर्घटना के बाद सूजन सरकार बहुत ही ज्यादा नाराज थी और उन्होंने इस वर्कशॉप को बंद करने की भी आज्ञा दे दी थी। लेकिन अल्फ्रेड नोबेल ने पुनः इस वर्कशॉप को स्थापित करने की आज्ञा स्वीडन सरकार से ली, उस समय कई लोग अल्फ्रेड नोबेल को पागल मानने लगे थे, और यहां तक कि अल्फ्रेड नोबेल को पागल विज्ञानिक करार दे दिया गया था।
ठीक है इस घटना के एक महीने बाद नोबेल के पिता को पैरालिसिस हो गया जिसमें वह अपने बाकी जीवन के लिए बेकार हो गए। इससे नोबेल बिल्कुल अकेले हो गए।अल्फ्रेड नोबेल ने नॉर्वे और जर्मनी में अपनी फैक्ट्री स्थापित करने की योजना बनाई परंतु नाइट्रोग्लिसरीन के घातक और विस्फोटक गुण में वह कोई परिवर्तन नहीं कर पाए थे।
जो दुर्घटना अलफ्रेड नोबेल के वर्कशॉप में नाइट्रोग्लिसरीन के विस्फोट होने पर हुई थी वैसे ही घटनाएं और भी कई विस्फोटक वाली फैक्ट्रियों पर हो रहा था। जर्मनी में नोबेल की फैक्ट्री खतरनाक विस्फोट से उड़ गई थी। इसके साथ-साथ पनामा का एक समुद्री जहाज भी विस्फोट का शिकार हुआ था। ऐसे ही कई विस्फोट सेंट फ्रांसिस्को, न्यूयॉर्क और ऑस्ट्रेलिया में भी हुए थे।
आखरी में बेल्जियम और फ्रांस ने अपने देश में नाइट्रोग्लिसरीन बनाने पर पाबंदी लगा दी थी। स्वीडन ने इसके फ्रंट पर और ब्रिटेन ने भी इसके इस्तेमाल पर सरकारी पाबंदी रोक लगा दी थी।
डायनामाइट का आविष्कार
इन सब पाबंदीयो से नोबेल को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा था, साल 18 सो 66 में एक घटना घटित हुई,1 दिन नाइट्रोग्लिसरीन के एक डिब्बे से बाहर रिसाव हो रहा था यह डिब्बा किसलगुर नामक मिट्टी से ढका हुआ था।अल्फ्रेड नोबेल ने देखा कि इस मिट्टी में अवशोषित हो जाने के बाद नाइट्रोग्लिसरीन को इस्तेमाल करना अधिक सुरक्षात्मक था। इस दशा में यह विस्फोटक झटके लगने पर भी नहीं पड़ता था।
इस प्रकार नोबेल को नाइट्रोग्लिसरीन किस तरह से हैंडल किया जाए इसके बारे में जानकारी प्राप्त हो गई थी आप यह कह सकते हैं कि उन्हें नाइट्रोग्लिसरीन को किस तरह से हैंडल करना है इसके बारे में पता चल गया था। लेकिन इस विधि से इस विस्फोटक की शक्ति केवल 25% तक कम की जा सकती थी। इस विस्फोटक का नाम अल्फ्रेड नोबेल ने डायनामाइट रखा।
इसके बाद नोबेल के अनेक कार्य खाने विकसित होते गए।नाइट्रोग्लिसरीन के निर्माण से और उसकी बिक्री से नोबेल के भाग्य का सितारा बुलंदियों को छूने लगा। साल 1887 में उन्होंने बैलेंस डाइट नाम के विस्फोटक पदार्थ खोज निकाला था। यह पदार्थ धुआं रहित नाइट्रोग्लिसरीन पाउडर था।इस पाउडर को अनेक देशों ने बारूद के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।
अल्फ्रेड नोबेल ने अपने जीवन में विस्फोटकों पर 100 से भी अधिक पेंडेंट प्राप्त किए थे। सारी दुनिया में उनके नाम की धूम मच गई थी। इन विस्फोटकों से उन्होंने अपार धन अर्जित किया था। 10 दिसंबर, 1896 में जब नोबेल की मृत्यु हुई तो उन्होंने $9000000 की धनराशि छोड़ी जिसका ब्याज अब हर वर्ष नोबेल पुरस्कार के रूप में दिया जाता है। यह पुरस्कार स्टॉकहोम मनोबल की पुण्यतिथि पर वितरित किया जाता है। विश्व का बच्चा बच्चा आज उनके नाम से परिचित है।
अल्फ्रेड नोबेल एकांत प्रिय व्यक्ति थे और वे जीवन भर अविवाहित ही रहे, जीवन के अधिकतर वर्ष में वे रोग ग्रस्त रहे। विश्व में वे इतने प्रसिद्ध हुए की 102 वे तत्व का नाम उन्हीं के नाम पर नोबेलियम रखा गया है।स्वीडन में एक बहुत ही प्रसिद्ध संस्थान है जिसका नाम नोबेल स्टीट्यूट ऑफ स्वीडन रखा गया है। जब तक धरती पर जीवन है तब तक भी शायद इस महान विज्ञानिक को बुलाया ना जा सकता है।
नोबेल पुरस्कार के बारे में रोचक तथ्य
- नोबेल पुरस्कार की शुरुआत, बारूद बनाने वाले अल्फ्रेड नोबेल के नाम पर रखी गई है।
- नोबेल पुरस्कार शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा पुरस्कार है। अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार की शुरुआत साल 1968 में हुई थी।
- अल्फ्रेड नोबेल ने मरने से पहले अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा एक ट्रस्ट के लिए रख दिया था।उनकी इच्छा थी कि इन पैसों के ब्याज से हर साल उन लोगों को सम्मानित किया जाए जिन्हें मानव जाति के लिए सबसे कल्याणकारी पाया गया है। यह पैसे स्विस बैंक में जमा है और इन्हीं की ब्याज से हर साल नोबेल पुरस्कार दिया जाता है।
- साल 1961 करके 2015 तक कुल 573 नोबेल पुरस्कार बांटे गए हैं।अभी तक पांच ऐसे लोगों को नोबेल प्राइज मिल चुका है जिनके पास भारतीय नागरिकता है और तीन ऐसे लोगों को जो भारतीय मूल के हैं।
- नोबेल पुरस्कार भौतिकी, रसायन विज्ञान, साहित्य, चिकित्सा और विज्ञान, अर्थशास्त्र इत्यादि का पुरस्कार नोबेल प्राइज स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम मैं दिया जाता है, लेकिन नोबेल शांति पुरस्कार नॉर्वे की राजधानी ओस्लो मैं दिया जाता है।
- एक नोबेल पुरस्कार ज्यादा से ज्यादा 3 लोगों को ज्वाइन रूप से दिया जा सकता है इससे ज्यादा को नहीं।
- सबसे कम उम्र की नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला युसूफजई है,जिसने मात्र 17 साल की उम्र में नोबेल शांति पुरस्कार जीता है।
- आज की तारीख तक धरती पर सिर्फ दो इंसानी है है ऐसे जिन्हें नोबल पुरस्कार और ऑस्कर दोनों मिले हैं। पहला ‘George Bernard Shaw’ जिसने 1925 में साहित्य में नोबेल और 83 साल की उम्र में 1938 में ऑस्कर जीता था। दूसरा बॉब डिलन जिसे 2000 में ऑस्कर और 2016 में साहित्य में नोबेल मिला था।
- चार लोगों को भी अभी तक दो बार नोबेल प्राइज मिल चुका है।लेकिन इस दुनिया में मैडम क्यूरी एकमात्र ऐसी महिला हुई जिसे 2 बार नोबेल प्राइज दिया गया। साल 1930 में फिजिक्स में, रेडियो एक्टिविटी समझने के लिए और दूसरा साल 1911 में केमिस्ट्री में पोलो नियम व रेडियम की खोज करने के लिए। मैडम क्यूरी के परिवार को अब तक पांच नोबेल पुरस्कार मिल चुके हैं। इनके परिवार को नोबेल मशीन के नाम से भी जाना जाता है।
- इतिहास में दो बार ऐसा भी हुआ है कि किसी ने अपना नोबेल मेडल ही भेज दिया हो, दरअसल 1962 में डीएनए स्ट्रक्चर खोजने वाले गेम्स वाटसन ने अपना नोबेल मेडल ₹300000000 में भेज दिया था। दूसरा 1988 में फिजिक्स में नोबेल पुरस्कार हासिल करने वाले Leon M. Lederman ने 5.2 कर रुपए में अपना मेडल भेज दिया था। अपना नोबेल प्राइज मेडल बेचने के पीछे उनकी मुख्य कारण बीमारी थी।
- इतिहास में दो बार ऐसा हुआ है कि किसी ने नोबेल प्राइज ही लेने से मना कर दिया हो। साल 1964 में Jean Paul Sartre, ने साहित्य और 1973 में Le Duc Tho ने शांति का नोबेल पुरस्कार लेने से मना कर दिया था।
- अगर नोबेल पुरस्कार लेने वाले देशों के बारे में बात की जाए तो विश्व में अमेरिका ऐसा पहला देश से जहां के लोगों ने सबसे ज्यादा नोबेल पुरस्कार जीते हैं। दूसरे नंबर पर जर्मनी, इसके बाद ब्रिटेन और फ्रांस का नंबर आता है।
- नोबेल जीतने वाले नामों की घोषणा पहले ही कर दी जाती है लेकिन नोबेल पुरस्कार हर साल 10 दिसंबर को ही दिया जाता है क्योंकि इसी दिन नोबेल पुरस्कार के संस्थापक अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु हुई थी।
- नोबेल पुरस्कार में क्या-क्या दिया जाता है? नोबेल पुरस्कार जीतने वाले विजेता को नोबेल डिप्लोमा, नोबेल मेडल, और नोबेल प्राइज के पैसे जो कि लगभग $1000000 होते हैं, दिया जाता है।
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नोबेल पुरस्कार क्यों शुरू किया गया था?
इसके पीछे बहुत ही दिलचस्प घटना है, दरअसल साल 1888 की बात है, जब एक बार अखबार में अल्फ्रेड नोबेल के मरने की खबर छपी थी। जबकि असलियत में उनकी भाई की मौत हुई थी। अखबार में लिखा गया था “मौत के सौदागर की मौत” अकबर ने डायनामाइट का आविष्कार की बहुत निंदा की थी, अपने ही मौत की खबर पढ़ करके अल्फ्रेड नोबेल को गहरा सदमा लगा था। तब उन्होंने सोचा क्या मौत के बाद दुनिया उन्हें इसी नाम से पुकारेगी? इसलिए उन्होंने एक वसीयत लिखी जिसमें उसने अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा एक ट्रस्ट के नाम कर दिया, और यह ऐलान कर दिया कि हर साल इस संपत्ति का हिस्से का ब्याज पुरस्कार के रूप में भौतिकी, रसायन शास्त्र, चिकित्सा शास्त्र, साहित्य और अर्थशास्त्र में प्रमुख योगदान करने वाले लोगों को पुरस्कार के रूप में दे दिया जाए। इस तरह से नोबेल पुरस्कार की शुरुआत की गई।
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Nice article
Alfred nobel ke bare me achhi jankari di gayi hai.