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Mary Kom Biography in Hindi – भारतीय मुक्केबाज मैरी कॉम की जीवनी

भारतीय महिला मुक्केबाज, Mary Kom (मैरी कॉम) का नाम तो आपने सुना ही होगा। इनके ऊपर बॉलीवुड में एक फिल्म भी बनी है। इस फिल्म में मुख्य किरदार में आपको प्रियंका चोपड़ा नजर आई थी। मैरी कॉम ने महिला मुक्केबाजी में स्वर्ण पदक जीता है। मेरी कॉम का पूरा नाम मंगते चुगनेइजांग मैरी कॉम है। इसके अलावा भी मेरी कॉम को बहुत सारे नामों से जाना जाता है जैसे Magnificent Mary, boxing girl, golden boxing girl आदि।

मैरी कॉम को इन सारे नाम अपनी बॉक्सिंग की काबिलियत के चलते मिले हैं। मैरी कॉम का जन्म 1 मार्च 1983 को मणिपुर के चुडचनपुर जिले के कंग थाई में हुआ था। इनमें ज्यादातर लोग मेरी कॉम नाम से ही इस जानते हैं। यह भारतीय महिला मुक्केबाज है। वह मणिपुर भारत की मूल निवासी है।मैरी कॉम ने 8 बार विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता की विजेता भी रह चुकी है।

साल 2012 के लंदन ओलंपिक में उन्होंने कांस्य पदक जीता था।साल 2010 के एशियाई खेलों में कांस्य तथा 2015 के एशियाई खेलों में उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल किया है।

2 वर्षों के अध्ययन प्रोत्साहन अवकाश के बाद उन्होंने वापसी करके लगातार चौथी बार विश्व गैर व्यावसायिक बॉक्सिंग में स्वर्ण पदक जीता है। उनकी इस उपलब्धि से प्रभावित होकर के AIBA (ALL INDIA BOXING ADMINISTRATION) ने उनका नाम “Magnificent Mary” से संबोधित किया है।

इनके जीवन के ऊपर एक फिल्म भी बनी जिसका प्रदर्शन साल 2015 में हुआ। इस फिल्म में मुख्य किरदार प्रियंका चोपड़ा ने निभाया है। आज मैरी कॉम हर भारतीय महिला के लिए एक प्रेरणा बन गई है। उन्होंने कड़ी मेहनत से अपनी यह सफलता पाई है।

मैरी कॉम की जीवनी – Biography of Mary Kom in Hindi

मैरी कॉम का प्रारंभिक जीवन

मैरी कॉम का जन्म 1 मार्च 1983 को मणिपुर के चुराचंदपुर जिले में एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा Loktak Christian model school में हुआ है। आगे की पढ़ाई उन्होंने St. Xavier school से की है। अपने विश्वविद्यालय की डिग्री उन्होंने आदिम जाति हाई स्कूल, इंफाल से की लेकिन परीक्षा में भी फेल होने के बाद उन्होंने स्कूल छोड़ दिया फिर राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से परीक्षा दी।।बचपन से ही मैरीकॉम की रुचि खेलकूद में काफी ज्यादा थी। इसलिए बचपन से ही वह एक एथलीट बनना चाहती थी। Mary Kom biography

उनके मन में बॉक्सिंग के लिए आकर्षण सबसे पहले साल 1999 में उस समय उत्पन्न हुआ जब उन्होंने खुमान लंपक स्पोर्ट्स कंपलेक्स में कुछ लड़कियों को बॉक्सिंग रिंग में लड़कों के साथ बॉक्सिंग के दांव पर आजमा के देखा था। मैरी कॉम एक इंटरव्यू में यह बताती है कि “मैं वह नजारा देखकर स्तब्ध रह गई, मुझे लगा कि जब वे लड़कियां बॉक्सिंग कर सकती है तो मैं क्यों नहीं?” इसके बाद मैरी कॉम बॉक्सिंग में अपना करियर बनाने के लिए लग गई।

साल 2000 में जब मणिपुर राज्य की बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती और उनकी फोटो अखबार में छपी तब ही पिता एवं अन्य परिवार के सदस्यों को पता चला कि उनकी बेटी मुक्केबाज है। इसी बीच उनका विवाह के आनलर कॉम से कर दी गई उनके दो जुड़वा बेटे भी हैं।

साल 2002 में टर्की में आयोजित 45 किलोग्राम श्रेणी में गोल्ड मेडल उन्होंने जीता है। साल 2003 में भारत में आयोजित एशिया ह्यूमन बॉक्सिंग में भी गोल्ड मेडल जीता है। इसके बाद तो मैरी कॉम ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार नॉर्वे, ताइवान तथा रूस में गोल्ड मेडल जीती रही। डेनमार्क में हुई महिला बॉक्सिंग का में भी उन्होंने गोल्ड मेडल जीता।बच्चों को जन्म देने के बाद उन्होंने 2 साल का अंतराल लिया और साल 2008 में भारत में बॉक्सिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल प्राप्त किया। साल 2012 में प्रथम बार महिला बॉक्सिंग को स्थान मिला, मैरी कॉम ने भाग लिया तो ब्रॉन्ज मेडल ही जीत सकी। Mary Kom biography

उनके साथी मणिपुर बॉक्सर डिंगो सिंह की सफलता ने भी उन्हें बॉक्सिंग की और काफी ज्यादा आकर्षित किया।

मेरी कॉम की शादी ओन्लर कॉम से हुई है। उनके दो जुड़वा बच्चे भी हैं। उनके बच्चे होने के बाद भी उन्होंने बॉक्सिंग करने नहीं छोड़ी। मैरी कॉम ने साल 2001 में पहली बार नेशनल वूमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती है। अब तक उन्होंने 10 राष्ट्रीय खिताब जीत चुकी है।बॉक्सिंग में देश का नाम रोशन करने के लिए भारत सरकार ने उन्हें साल 2003 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया और साल 2006 में उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है। साल 2001 में ही उन्हें भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रतन पुरस्कार के लिए चुना गया था। Mary Kom biography

लंदन में समर ओलंपिक्स में समापन समारोह में उन्होंने भारतीय तिरंगा फहराया था। मणिपुर सरकार ने उन्हें ₹5000000 तथा 2 एकड़ जमीन इनाम में दी थी। अपने मुक्केबाजी के 2001 से 2012 के काल में मैरीकॉम द्वारा जीते गए मेडल्स की सूची बहुत लंबी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 18 मेडल जिनमें से 14 में फर्स्ट, तीन में सेकंड तथा एक में थर्ड स्थान प्राप्त किया है। राष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने 10 मेडल जीतने का श्रेय प्राप्त है।

मैरी कॉम की उपलब्धियां

  1. साल 2013 में स्पोर्ट्स के लिए पदम विभूषण
  2. साल 2003 में अर्जुन अवॉर्ड
  3. साल 2005 में पदम श्री
  4. साल 2009 में राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड
  5. साल 2007 में लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स
  6. साल 2008 में CNN-IBN तथा रिलायंस का रियल हीरोज अवार्ड
  7. साल 2008 में Pepsi Youth Icon award
  8. साल 2010 में सहारा स्पोर्ट्स अवॉर्ड
  9. अपनी उपलब्धियों के लिए मणिपुर सरकार के अतिरिक्त राजस्थान, असम, अरुणाचल सरकारों ने भी पुष्कर राशियां प्रदान की है। मिनिस्ट्री ऑफ ट्राइबल अफेयर्स की ओर से उन्हें ₹1000000 तथा नॉर्थ ईस्टर्न काउंसिल की ओर से 40 लाख रुपए की राशि भी दी गई है।
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