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प्रणव मुखर्जी जीवनी – Biography of Pranab Mukherjee

भारत के 13वें राष्ट्रपति के रूप में प्रणब मुखर्जी को जाना जाता है। 31 अगस्त, 2020 को पंचतत्व में विलीन हो गए। आइए जानते हैं उनके जीवन के बारे में Biography of Pranab Mukherjee – प्रणब मुखर्जी की जीवनी, आत्मकथा, जन्म, राजनीतिक कैरियर, किताब, भारत रत्न, और उनके अचीवमेंट के बारे में।

प्रणब मुखर्जी जीवनी – Biography of Pranab Mukherjee

आरंभिक जीवन

प्रणव मुखर्जी जो भारत के 13 राष्ट्रपति रहे थे, उनका पूरा नाम प्रणव कुमार मुखर्जी है। इनका जन्म पश्चिमी बंगाल के वीरभूम जिले में किरनाहर शहर के निकट स्थित मिराती गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

उनके पिता का नाम कामदा किंकर मुखर्जी और माता का नाम राजलक्ष्मी मुखर्जी था। उनके पिता कामदा किंकर मुखर्जी कांग्रेस पार्टी मैं साल 1920 में सक्रिय रहे थे। उनके पिता एक सम्मानित स्वतंत्रता सेनानी रहे थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन की खिलाफत के परिणाम स्वरूप 10 वर्षों से अधिक जेल की सजा भी काटी थी।

प्रणब मुखर्जी ने अपनी आरंभिक शिक्षा बीरभूम के सुरी विद्यासागर कॉलेज में शिक्षा हासिल की, जो उसने कोलकाता विश्वविद्यालय से संबंध था। 10 अक्टूबर 2008 को प्रणब मुखर्जी और अमेरिकी विदेश सचिव कोडोलीजा राइस ने धारा 123 समझौते पर हस्ताक्षर किया। भारत के 13वें राष्ट्रपति का पदभार संभालने से पहले, वे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और अफ्रीका विकास बैंक के प्रशासक बोर्ड के सदस्य भी रह चुके थे। साल 1984 में उन्होंने आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक से जुड़े ग्रुप-24 की बैठक की अध्यक्षता भी की थी। साल 1995 के बीच उन्होंने सार्क मंत्री परिषद सम्मेलन की अध्यक्षता की। Biography of Pranab Mukherjee

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Pranab Mukherjee का राजनीतिक जीवन की शुरुआत साल 1969 में कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सदस्य के रूप में शुरू हुआ था। 1982 से 1984 तक कई कैबिनेट पदों के लिए चुने जाते रहे और साल 1982 में भारत के वित्त मंत्री बने ।

भारत में अब तक 14 राष्ट्रपति का चुनाव हो चुका है। प्रणव मुखर्जी भारत के 13 राष्ट्रपति के रुप में महामहिम प्रणव मुखर्जी विराजमान रहे। प्रणब मुखर्जी भारत के राष्ट्रपति बनने से पहले मनमोहन सिंह की सरकार में वित्त मंत्री बने थे। प्रणव जी भारत के आर्थिक मामलों, संसदीय कार्य,बुनियादी सुविधा व सुरक्षा समिति में वरिष्ठ नेता भी रहे है।

प्रणब मुखर्जी की शिक्षा

प्रणब मुखर्जी ने शुरुआती पढ़ाई तो आपने गृह नगर राजस्थानी स्कूल से ही पूरी की थी। लेकिन आगे की पढ़ाई उन्होंने सुरी बीरभूम के विद्यासागर कॉलेज से राजनीतिक शास्त्र एवं इतिहास में स्नातक करते हुए पूरी की थी।प्रणव जी ने कानून की पढ़ाई के लिए कोलकाता में एंट्री की और कोलकाता यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। Biography of Pranab Mukherjee

प्रणब मुखर्जी केरियर एवं राजनीतिक जीवन

अपने कैरियर की शुरुआत प्रणब मुखर्जी ने पोस्ट एंड टेलीग्राफ ऑफिस से शुरू की थी। जहां पर वह एक क्लर्क थे। साल 1963 में विद्यासागर कॉलेज में वे राजनीतिक शास्त्र के प्रोफेसर बन गए और साथ ही साथ देशभर में एक डाक पत्रकार के रूप में कार्य करने लगे।

प्रणब मुखर्जी ने अपनी राजनीतिक जीवन की शुरुआत साल 1969 मे शुरू किया, उन्होंने कांग्रेस से टिकट प्राप्त करके राज्यसभा के सदस्य बने। वे लगातार 4 सालों तक इस पद पर चयनित हुए। वे थोड़े ही समय में इंदिरा जी के चहेते बन गए थे। साल 1973 में इंदिरा जी के कार्यकाल के दौरान वे औद्योगिक विकास मंत्रालय में उप मंत्री बन गए। साल 1975 से साल 1977 किस समय आपातकालीन स्थिति के दौरान प्रणब मुखर्जी पर बहुत से आरोप भी लगाए गए। लेकिन इंदिरा गांधी जी की सत्ता में आने के बाद में क्लीन चिट मिल गया। इंदिरा गांधी जी के प्रधानमंत्री के कार्यालय के दौरान प्रणव जी ने सन 1983 से लेकर के 1984 तक वित्त मंत्री का पदभार संभाला।

इंदिरा गांधी की मृत्यु के पश्चात, राजीव गांधी प्रणव दा के संबंध इतने अच्छे नहीं रहे थे।राजीव गांधी ने अपने कैबिनेट मंत्रालय में उन्हें वित्त मंत्री बनाया था। लेकिन राजीव गांधी से मतभेद के चलते प्रणब मुखर्जी ने अपनी एक अलग ही पार्टी “राष्ट्रीय समाजवादी पार्टी” बना करके अलग हो गए। साल 1985 मैं प्रणब मुखर्जी पश्चिम बंगाल में कांग्रेस समिति के अध्यक्ष भी रहे। फिर साल 1989 में उन्होंने राजीव गांधी से फिर से सुला कर ली और वह एक बार फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए। Biography of Pranab Mukherjee

राजीव गांधी से उनका नहीं बनने के पीछे यह कारण भी बताया जाता है कि इंदिरा गांधी की मृत्यु के पश्चात प्रणव मुखर्जी अपने आप को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते थे। लेकिन उनकी मृत्यु के पश्चात सभी राजीव गांधी से उम्मीद करने लगे थे। पीवी नरसिम्हा राव का प्रणब मुखर्जी के राजनीतिक जीवन को आगे बढ़ाने में बहुत बड़ा योगदान रहा है। पीवी नरसिम्हा राव जी जब प्रधानमंत्री थे तब उन्होंने प्रणब मुखर्जी की योजना आयोग का प्रमुख बना दिया था। थोड़े समय बाद उन्होंने केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और विदेश मंत्रालय का कार्यभार संभाला।

साल साल 1999 से साल 2012 तक प्रणब मुखर्जी केंद्रीय चुनाव आयोग के अध्यक्ष रहे। साल 1997 में प्रणब मुखर्जी को भारतीय संसद ग्रुप द्वारा उत्कृष्ट संसद का किताब दिया गया। तपन मुखर्जी बहुत से लोगों के लिए मैटर बन गए और उन्होंने उसी समय यह बताया कि किस तरह से उन्होंने इंदिरा गांधी जी के साथ काम किया। राजनीति के सारे दांव पेच सोनिया को प्रणव जी ने ही सिखाएं थे।

साल 2004 में प्रणब मुखर्जी ने जंगीपुर से चुनाव लड़ा और वहां से जीत हासिल की, लोकसभा सदस्य बन गए। इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में यूपीए की सरकार बनी। प्रधानमंत्री पद को छोड़ करके वे रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री,वित्त मंत्री और लोकसभा में पार्टी के नेता के रूप में उन्होंने सराहनीय कार्य किया। इस दौरान मनमोहन सिंह जी को प्रधानमंत्री बनाया गया, कहते हैं अगर उस समय प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री बनाया जाता तो आज देश के विकास के क्षेत्र में बहुत आगे होता। प्रणब मुखर्जी मनमोहन सिंह जी के बाद कांग्रेस से दूसरे बड़े नेता थे। प्रणब मुखर्जी को कांग्रेस पार्टी का संकटमोचक भी कहा जाता है। उन्होंने कई बार कांग्रेस की डूबती नैया को किनारे भी लगाया। साल 1985 में प्रणब मुखर्जी पश्चिमी बंगाल कांग्रेस समिति के सदस्य रहे, 2010 में उन्होंने किसी मतभेद के चलते अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति के रूप में

साल 2012 में प्रणब मुखर्जी पी ए संगमा को 70% वोटों से हराकर के राष्ट्रपति के पद के लिए चुने गए। प्रणब मुखर्जी पहले ऐसे बंगाली शख्स है जो राष्ट्रपति बने थे। बना जी ने गांधी परिवार को करीब से देखा था, उनका इंदिरा गांधी से काफी करीबी रिश्ता था। जबकि राजीव गांधी से उनके रिश्ते इतने अच्छे नहीं रहे, लेकिन बाद में उन्होंने उनसे सलाह मशवरा भी कर ली थी। इसके बावजूद उनकी पत्नी सोनिया गांधी से प्रणव जी ने अच्छे संबंध रखें और राजनीतिक जीवन में उनका साथ दिया है। प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने तक का सफर इतना आसान नहीं रहा है।राष्ट्रपति बनने तक के सफर में उन्होंने कई सारे उतार-चढ़ाव देखे हैं। अपने जीवन के 40 साल भारतीय राजनीति को देने के बाद और कई सारे उतार-चढ़ाव देखने के बाद वे राष्ट्रपति के पद के लिए चुने गए।

प्रणब मुखर्जी का स्वभाव एवं उनके द्वारा लिखी गई किताबें

प्रणब मुखर्जी को पढ़ने, लिखने, बागवानी और संगीत का काफी शौक था। प्रणब मुखर्जी लिखने का भी काफी शौक रखते थे। उन्होंने कई सारी किताबें भी लिखी जो राजनीति और उनके जीवन में रहे उतार-चढ़ाव से संबंधित थी। उनकी कुछ प्रमुख किताबें इस प्रकार है:- Biography of Pranab Mukherjee

  • The Coalition Years
  • The Dramatic Decade : Pradeep Indira Gandhi Years
  • The Turbulent Years
  • Thoughts and reflection
  • Beyond survival
  • Selected speeches
  • Challenge before the nation/Saga of Struggle and Sacrifice
  • Selected speeches

प्रणब मुखर्जी सम्मान एवं अवॉर्ड्स

साल 2019 यानी कि पिछले साल प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न पुरस्कार से नवाजा गया है। इससे पहले उन्होंने अपने जीवन में कई सारे उपलब्धियां भी हासिल की है जो इस प्रकार है।

  • साल 2008 में देश के दूसरे बड़े सम्मान ‘पदम श्री’ से सम्मानित किए गए.
  • साल 2010 में पंडित जी को एक रिसर्च के बाद ‘finance minister of the year for Asia’ के लिए अवार्ड दिया गया।
  • साल 2011 में Walter Hamilton University द्वारा प्रणब मुखर्जी को डायरेक्टर की उपाधि से भी सम्मानित किया गया है।
  • प्रणव जी विदेश में भी उपलब्धि प्राप्त करने वाले व्यक्ति बन गए थे। साल 2013 में बांग्लादेश सरकार की ओर से वहां के दूसरे सबसे बड़े अवॉर्ड ‘Bangladesh liberation war honour’ सीबी सम्मानित किया गया।
  • साल 1984 में विश्व के सबसे अच्छे वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने उपलब्धि हासिल की थी। यही नहीं साल 1997 में सबसे अच्छे संसद के रूप में भी उन्हें सम्मानित किया गया है।
  • साल 2012 में विश्व अरराय टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी और असम विश्वविद्यालय की ओर से उन्होंने ऑनरी लिस्ट पुरस्कार से नवाजा गया है।
  • साल 2013 में ढाका विश्वविद्यालय में मुखर्जी ने बांग्लादेश के राष्ट्रपति के द्वारा कानून की डायरेक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

प्रणब मुखर्जी जी की मृत्यु

पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का 31 अगस्त 2020 को स्वास्थ्य खराब होने की वजह से देहवसान हो गया है। प्रणब मुखर्जी को 10 अगस्त को दोपहर 12:00 बजे गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उसी दिन उनके मस्तिक में जमे खून को हटाने के लिए उनकी सर्जरी की गई थी। इसी दौरान उनकी खून जांच से यह भी पता चला कि उनकी कोरोना जांच पॉजिटिव आई है।

प्रणव दा का पिछले कुछ महीनों से स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा था। जिसके चलते उन्हें सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हाल ही में कुछ दिन पहले खबर आ रही थी कि पन्ना जी की हालत काफी गंभीर है वह कोमा में चले गए हैं। और बाद में उन्हें वेंटिलेटर में भी रखा गया। 31 अगस्त 2020 को उन्होंने अंतिम सांसे ली उनका देहवसान हो गया।

प्रणब मुखर्जी के बारे में रोचक जानकारी

  1. भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति बनने के पश्चात कई दया याचिकाओं प्राप्त की जिनमें से उन्होंने साथ याचिकाओं को पूरी तरह से रद्द कर दिया। इसमें मुंबई हमले का आतंकवादी कसाब की दया याचिका भी शामिल थी।
  2. जब राष्ट्रपति बने तब पूर्व कम्युनिस्ट लीडर सोमनाथ चटर्जी ने प्रणव दा को भारत के ‘statesman’ का नाम दिया।
  3. प्रणव जी पहले बंगाली थे जिन्हें इस पद पर विराजमान रहने का मौका मिला।
  4. प्रणव जी ने अपने 40 वर्ष के बारे में एक डायरी लिखी है जिसे प्रणव जी के मरने के बाद प्रकाशित किया जाएगा।
  5. साल 1986 में मुखर्जी ने पश्चिम बंगाल में एक नई कांग्रेस पार्टी बनाई जिसका नाम था राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस पार्टी, हालांकि बाद में यह राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के साथ ही जुड़ गई।

भारत के पूर्व राष्ट्रपति रहे प्रणब मुखर्जी ने भारत की राजनीति में अपना एक अहम योगदान दिया है। इनके कार्य को कभी भी नहीं बुलाया जा सकता है और उन्हें सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से भी सम्मानित करने का फैसला बहुत ही सही फैसला था।

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