इंसान प्राचीन काल से ही पक्षियों की तरह आकाश में उड़ना चाहता है। जो भी किसी पक्षी को आकाश में उड़ते हुए इंसान देखता है तो उसके मन में भैया ख्याल जरूर आता होगा कि वह भी पंख लगा कर के आसमान में उड़ सके। आज के आधुनिक युग में आज हमारे पास में ऐसी अद्भुत तकनीकी आ गई है जिसकी सहायता से हम आसमान में आसानी से उड़ सकते हैं।लेकिन प्राचीन काल से अभी तक का हमारा यह सफर इतना आसान भी नहीं रहा है। हमने यहां तक पहुंचने में ही कई साल और कई मुश्किलों का सामना किया और आज हम इतने सक्षम हो पाए हैं कि हम हवाई जहाज, और दूसरे अत्याधुनिक उपकरणों को बना करके आसमान की ऊंचाई को छू सके। वायु यान से उड़ने का सपना इंसान का पहले से ही रहा है। आज हम अपने इस लेख में वायुयान का इतिहास के बारे में History of Aeroplane in Hindi के बारे में चर्चा करेंगे।
वायुयान का इतिहास – History of Aeroplane in Hindi
प्राचीन काल में जो इंसान ने पक्षियों को आसमान में उड़ते हुए देखा होगा, तो उनके मन में भी आसमान की ऊंचाइयों को छूने का मन जरूर किया होगा। तभी तो हम इंसान आज अत्याधुनिक विमानों का निर्माण करके आसमान की ऊंचाइयों को छू रहे हैं। बिना इच्छा एवं बिना सपने के हमारा यह सपना साकार नहीं हो सकता है।
प्राचीन संपन्न सभ्यता जैसे कि यूनान, बेबिलोना, मिस्र इत्यादि देशों के ग्रंथों में किसी ना किसी रूप में देवी-देवताओं को वायु में विचरण करने का विवरण हमें ग्रंथों से मिलता रहा है। यही नहीं हमें हमारे भारतीय सभ्यता में मौजूद कई सारे ग्रंथ हो पर भी इसका विवरण देखने को मिलता है। वायुयान का इतिहास – History of Aeroplane in Hindi
हमारे देश में रामायण, महाभारत और दूसरे ग्रंथों में पुष्पक विमान या अन्य वाहनों द्वारा आकाश यात्रा का विवरण आप सब ने भी जरूर पढ़ा होगा। विश्व की प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में अनेक स्थानों पर विमान का उल्लेख मिला है। भारत के महान मुनि भारद्वाज द्वारा रचित ‘वृहद विमान शास्त्र’ में विमान से संबंधित विवरण दिया गया है। माना जाता है कि इस पुस्तक में वायु,भूमि और जल में चलने वाले विमान और यहां तक कि विमानों की संरचना उनकी लंबाई चौड़ाई आदि चीजों का भी वर्णन किया गया है।
हमारे आधुनिक इतिहास में आधुनिक काल में सबसे पहले इटली के लियोनार्डो द विंसी ने सोलवीं सदी में एक उड़ने वाली मशीन की रूपरेखा तैयार की थी। जिसे साल 1678 में देश मार तथा साल 1742 में फ्रांस के मार्कस दी बाकीवेल द्वारा ऐसी ही एक मशीन बनाने का विवरण मिलता है।
19वीं सदी के आरंभ में इंग्लैंड के सर जॉर्ज कैली ने भी एक मशीन बनाकर के आकाश में उड़ने का प्रयास किया था। लेकिन यह सभी उड़ाने पूरी तरह से सफल साबित नहीं हुई थी।
इतने सारे प्रयास करने के बावजूद भी इंसान ने ऊंचाई आसमान में उड़ने का सपना नहीं छोड़ा। इंसान लंबी प्रयास के बावजूद अपने सपने को साकार करना चाहता था। इसलिए इंसान प्रयासरत रहा, उसने साल 1855 में फिर प्रयास शुरू किया। Albatross नाम के एक पक्षी की भांति जिसके लंबे लंबे पंख हुआ करते हैं, से प्रेरित होकर के एक मशीन बनाने की सोची और उसे घोड़ा गाड़ी के पहियों के साथ रस्सी से बांधकर के हवा में उड़ाया। इंसान का प्रयास यही तक नहीं रुका साल 1891 में जर्मनी के एक व्यक्ति ऑटो ने फिर प्रयास शुरू किया और कपड़ों की सहायता से एक बड़े आकार का बगैर इंजन वाला विमान बनाया। वे इस प्रयास में कुछ हद तक उड़ने में सफल रहे। पर बिना इंजन वाला विमान होने के चलते वे ज्यादा देर तक हवा में उड़ ना सके। वायुयान का इतिहास – History of Aeroplane in Hindi
राइट ब्रदर द्वारा प्रयास -Experiment of wright brother
कई लोगों द्वारा आसमान पर उड़ने का प्रयास करने के बाद दो अमेरिकी भाई जिन्हें राइट ब्रदर्स के नाम से जाना जाता है विलवर राइट और आरविल राइट ने मिलकर के 17 दिसंबर 1903 को उड़ने का एक सफल प्रयास किया, जिसके चलते दोनों को वायुयान का अविष्कारक भी माना जाने लगा।
राइट ब्रदर्स द्वारा इस यान में शक्तिशाली इंजन का इस्तेमाल किया गया था। राइट बंधुओं द्वारा बनाई गई इस वायुयान की लंबाई 21 फुट, पंखों का विस्तार लगभग 40 फुट, ऊंचाई 9 फुट और पूरे विमान का वजन 274 किलो था।राइट ब्रदर्स द्वारा बनाया गया मेहमान आसमान में 105 फुट की ऊंचाई तक उड़ा था। जो की हवा में 12 सेकंड तक रहा था।
राइट ब्रदर्स द्वारा निर्मित उड़ने वाली मशीन का स्वरूप आज के आधुनिक युग में बनाए गए विमानों के सामने बच्चे नजर आते हैं। आज के आधुनिक जमाने में बनाए गए विमान कई गुना बड़े, बहुत भारी शक्तिशाली और अधिक क्षमता रखने वाले विमान के रूप में बदल चुके हैं। वायुयान का इतिहास – History of Aeroplane in Hindi
अत्याधुनिक विमान – Modern Aeroplane
हमारा आकाश में उड़ने तक का सपना यही तक नहीं रुका, राइट ब्रदर्स द्वारा तो केवल इसकी शुरुआत की गई थी। अभी इसमें और भी कई सारे प्रयोग किए जाने बाकी थे।
कई सारी असफलताओं और कई सारी सफलताओं के बाद आज हम इस मुकाम पर पहुंचे हैं कि हमने अत्याधुनिक विमानों का निर्माण कर लिया है। जो कि कई गुना शक्तिशाली, भारी भरकम, दूरी तक का सफर करने वाले विमान बन चुके हैं।इसके अलावा भी वायुयान को हल्का एवं मजबूत बनाए रखने के लिए कई सारे हल्के धातु का भी उपयोग किया गया। आज हम एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक कुछ ही घंटों में सफर को वायुयान की सहायता से ही पूरा कर लेते हैं। वायुयान में किए गए इतने सारे प्रयोग के चलते ही हम आज ऊंचे आसमान में उड़ने में सक्षम हो पाए हैं। इसलिए यह भी जानना जरूरी है कि अत्याधुनिक वायुयान कैसे काम करते हैं?
आज का एक उन्नतशील वायुयान की संरचना
एक अत्याधुनिक वायुयान को बनाने के लिए, उसमें कई सारे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बदलाव किए गए जोकि निम्नलिखित है:-
- स्ट्रीमलाइंड विमान की संरचना :- विमान की उड़ान के लिए एक आवश्यक बात यह है कि विमान का लगभग प्रत्येक भाग इस प्रकार बनाया गया हो ताकि उसे वायु का प्रतिरोध कम से कम सहना पड़े। इसलिए विमान की संरचना स्ट्रीमलाइंड संरचना की जाती है। इस तरह की संरचना के उदाहरण है तैरती हुई पानी में मछली और आकाश में उड़ता हुआ पक्षी।
- हवाई जहाज पर लगने वाला बल :- उड़ने के समय हवाई जहाज पर चारों तरफ से बल कार्य करती है। या आप इसे यह कह सकते हैं कि किसी भी वायुयान पर चार प्रकार के बल लगते हैं जोकि लिफ्ट (lift), भार (weight), प्रणोद (trust) और घर्षण बल (drag) कहलाता है।
- इन्हीं चारों बलों के मिले-जुले योगदान के कारण कोई भी वायुयान वायु में ऊपर या नीचे जाता है। इन बल के चलते कोई भी वायु यान आसमान में उड़ सकने में सक्षम होता है।
- बरनौली का सिद्धांत और लिफ्ट :- किसी भी विमान को उड़ने के लिए वैज्ञानिक सिद्धांतों की आवश्यकता जरूर पड़ती है। बरनौली का सिद्धांत के चलते ट्रस्ट तथा लिफ्ट की उत्पत्ति इंजन की शक्ति से होती है तथा विमान पर वायु के प्रतिरोध के कारण करसन अथवा ड्रग उत्पन्न होता है। जिसके चलते वायुयान आकाश में उड़ती है।
हवाई जहाज पर लगने वाला बल – Force working on a Plane
किसी भी वायुयान को उड़ने के लिए उसके चारों तरफ बल लगता है। लिफ्ट (lift) का भार बराबर है तो विमान स्थिर ऊंचाई पर उड़ान भरता है। वही लिफ्ट का मारधाड़ से अधिक है तो विमान आरोही उड़ान (climb) करता है। जब लिफ्ट का मान भार से कम होता है तो विमान अवरोहण (Descent) करता है।
यदि उड़ान भरते समय प्रणोद तथा कर्षण बल बराबर है तो विमान एक समान गति प्राप्त कर लेता है अर्थात उसमें त्वरण (acceleration) या मंदन (deceleration) उत्पन्न नहीं होता है। जिसके चलते जब प्रणोद बल का मान कर्षण बल से अधिक होता है तो विमान तीव्र गति प्राप्त कर लेती है और हवा में उड़ने लगती है।। वायुयान का इतिहास – History of Aeroplane in Hindi
आज के आधुनिकतम वायुयान में उच्च तकनीकी के इंजन लगाए गए हैं। फिर भी वायुयानओं के इंजन को निम्न भागों में आप बांट सकते हैं:-
- पिस्टन इंजन :- आर्यन के दिनों में वायु यान के इंजन पिस्टन इंजन के सिद्धांत पर आधारित हुआ करते थे जो मोटर कार के इंजन जैसे होते थे तथा पेट्रोल से चलते थे। 4 स्ट्रोक इंजन के सिद्धांत पर यह कार्य करने वाला इंजन था। वैसे तो यह इंजन बुरे नहीं थे किंतु उनकी कुछ अपनी सीमाएं थी। इसलिए एक विशेष गति, आकार तथा भार से अधिक विमान को उनके द्वारा पूरा उड़ाना संभव नहीं था। पिस्टन इंजन के विमानों का योग लगभग 50 वर्षों तक सफलतापूर्वक चलता रहा। इसके बाद जेट इंजन का इस्तेमाल किया जाने लगा।
- जेट इंजन:- साल 1950 के आसपास व्यवसाय उड़ानों के लिए जेट इंजन या टर्बोजेट इंजन का प्रयोग किया जाना शुरू किया गया था। यह अपनी तिरुपति तथा ईंधन की कम खपत के कारण शीघ्र ही सारे विश्व में छा गए। आजकल सभी प्रमुख यात्री विमानों पर जेट इंजन का इस्तेमाल किया जाता है।
वायु यान पर किए गए इतने सारे प्रयोगों के बदौलत ही आज हम उसे आसमान में उड़ने में सक्षम हो पाए हैं। हमने बिना इंजन वाले वायुयान से लेकर के आधुनिक इंजन वाले वायुयान तक का सफर कई सदियों और कई सालों में पूरा किया है। और आज भी हम वायुयान को और भी बेहतर बनाने के लिए आधुनिक वैज्ञानिक प्रयोगों का इस्तेमाल कर रहे हैं। आने वाले वक्त में हम इसे और बेहतर और सुविधाजनक बना पाएंगे।