जब भी हमारे जहन में किसी अरबपति लोगों का ख्याल आता है, तो हम ऐसे लोगों के बारे में सोचते हैं जो आलीशान बंगले और अपनी खुद की प्राइवेट जेट पर घूमते हैं। उनके सामान और कपड़ों से लेकर के हर चीजें ब्रांडेड होती होगी ऐसा हम सोचते हैं। इसके अलावा हम यह भी सोचते हैं कि कोई अरबपति व्यक्ति के पास कितनी पावर होती होगी। जिससे कि वे दुनिया बदलने की ताकत रखते हैं । आज के हमारे इस लेख में हम भारत के एक ऐसे ही अरबपति जिनकी सादगी से पूरी दुनिया कायल है, जी हां! जिनका नाम रतन टाटा है। आज हम उनके जीवन Ratan Tata Life Story – रतन टाटा की जीवनी के बारे में बात करने वाले हैं।
अरबपति होने के बावजूद भी, जी काफी सादगी से रहते हैं। इनके कपड़ों का वार्डरोब वैसा ही है जैसे आपके पिता ऑफिस में पहनते हैं। वह अपनी कार खुद चलाते हैं, सार्वजनिक रूप से विशेष व्यवहार ना करने पर जोर देते हैं और हर समय एक विनम्र चेहरा रखते हैं। उनकी विनम्रता सिर्फ कैमरे के लिए नहीं है और सिर्फ एक अच्छी सार्वजनिक छवि बनाए रखने से परे हैं। रतन टाटा काफी सादगी भरी जिंदगी जीते हैं। आज हम इनके जीवन के बारे में जानकारी लेंगे तो शायद बहुत सारे लोगों को प्रेरणा देती है।
Ratan Tata Life Story – रतन टाटा की जीवनी
रतन टाटा एक ऐसा नाम है जो किसी भी पहचान का मोहताज नहीं है। यह टाटा ग्रुप के चेयरमैन हैं । इसी के साथ ही यह भारत के सबसे अमीर व्यक्तियों में भी गिने जाते हैं। एक सफल उद्योगपति होने के साथ-साथ यह एक महान इंसान और बहुत सारे लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं।
भारत में सबसे बेहतर और सर्वश्रेष्ठ अध्यक्ष के रूप में पहचाने जाने वाले रतन टाटा, हमेशा सामाजिक और लोगों की कल्याण और अपने व्यवस्था एक लाख से ऊपर रखने वाले व्यक्ति हैं। 73 साल की उम्र में, वह भारत के सबसे बड़े समूह में से एक का नेतृत्व करते हैं। वर्तमान समय में टाटा ग्रुप के अंतर्गत 100 से भी अधिक कंपनियां शामिल है। जिन की कुल कमाई 67 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
रतन टाटा ने साल 1990 में टाटा संस के चेयरमैन के रूप में टाटा ग्रुप में अपनी जगह बनाई थी। साल 2016 में कंपनी के अंतरिम चेयरमैन बने थे। उनके कार्यकाल के दौरान टाटा समूह महान ऊंचाइयों पर पहुंचा। उनके कार्यकाल के दौरान टाटा ग्रुप ने 40 गुना से भी अधिक अपनी नेटवर्क बढ़ा ली थी। इतने बड़े उद्योगपति होने के बावजूद भी रतन टाटा सीधी-सादी एवं सादगी भरी जिंदगी जीना पसंद करते हैं। आज के हमारे इस लेख में चलिए हम उनके जीवन के बारे में जानते हैं।
Early life of Ratan Tata – रतन टाटा की आरंभिक जीवन
रतन टाटा का जन्म 1937 में मुंबई में भारत के सबसे समृद्ध उद्योगपति परिवार में से एक में हुआ था। इन के दादाजी का नाम जमशेदजी टाटा है, जिन्हें टाटा ग्रुप के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। जिन्होंने स्वतंत्रता के बाद भारत में औद्योगिकरण का बीड़ा उठाया। रतन टाटा वस्तु कला और संरचनात्मक इंजीनियरिंग का अध्ययन करने के लिए अमेरिका में कॉर्नर विश्वविद्यालय चले गए और बाद में अवध विश्वविद्यालय से उन्होंने एमबीए की डिग्री हासिल की।
वापस भारत लौटने पर टाटा समूह के भावी अध्यक्ष होने के बावजूद, उन्होंने टाटा स्टील डिवीजन में ब्लू कॉलर कर्मचारियों के साथ काम करते हुए अपने कैरियर की शुरुआत एकदम निचले स्तर से की थी।
साल 1971 में, टाटा द्वारा नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी लिमिटेड (NELCO) का प्रभारी निदेशक नियुक्त किया गया, जिसे पुनरुद्धार की सख्त जरूरत थी और रतन टाटा ने जैसे ही इस कंपनी पर शामिल हुए उन्होंने इस कंपनी के लिए बेहतरीन काम किया।
साल 1990 में उन्होंने टाटा समूह की कमान संभाली और नए युग में सफलतापूर्वक प्रतिस्पर्धा करने के लिए आधुनिक कृत समूह की व्यवसायिक विधियों में सुधार की एक श्रृंखला की शुरुआत की। टाटा ग्रुप के चेयरमैन की कमान संभालने के बाद रतन टाटा ने सभी टाटा ग्रुप की कंपनियों को एकजुट करने का काम किया। इसी दौरान उन्होंने भारत की सबसे सस्ती कार पहली कंपैक्ट कार नैनो को भी लांच किया। नैनो दुनिया में सबसे अधिक आर्थिक रूप से उत्पादित कार मे से एक है। रतन टाटा के दिमाग की उपज थी कि उन्होंने टाटा की नैनो कार बनाई, इसके पीछे उनका मकसद दिया था कि भारतीय लोग दोपहिया वाहनों में यात्रा करते हैं और उनकी सुरक्षा के लिए उन्होंने तरह की कार की डिजाइन की थी।
रतन टाटा की उपलब्धियां
रतन नवल टाटा, जो हाल ही में 84 वर्ष के हो गए हैं ने साल 2012 में अपनी सेवानिवृत्ति तक टाटा समूह को चेयरमैन के रूप में संभाला है। इसके बाद 2017 में अंतरिम अध्यक्ष के रूप में इन्होंने टाटा समूह का नेतृत्व किया। रतन टाटा को कई सारे पुरस्कार एवं सम्मान से नवाजा गया है।
उद्योगपति श्री रतन नवल टाटा को पदम भूषण और पदम विभूषण भारत सरकार द्वारा सम्मानित किया गया है। यह दोनों ही पुरस्कार भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च पुरस्कारों में से एक में गिना जाता है।
रतन टाटा की सबसे बड़ी उपलब्धि में से एक कोरस ग्रुप के अलावा टेटली , देवी मोटर्स की ट्रक मैन्युफैक्चरिंग आर्म और जैगवार लैंड रोवर जैसे अधिग्रहण के साथ टाटा ब्रांड को वैश्विक बनाना था।
आईटी सेवा फॉर्म, TCS, 2004 में रतन टाटा के नेतृत्व के दौरान सार्वजनिक हुई। रतन टाटा के कार्यालय के दौरान Auto फार्म उद्योग टाटा मोटर्स को न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया गया था। उसके बाद नैनो कार आई, जो उन्हीं के दिमाग की उपज थी। उनके कार्यकाल के दौरान, टाटा ग्रुप का राजस्व 40 गुना से अधिक और इसका मुनाफा 50 गुना से भी अधिक बढ़ गया था।
रतन टाटा और उनके सामने चुनौतियां
रतन टाटा के सामने एक सबसे बड़ी चुनौती तबाही जब वे टाटा समूह के कार व्यवसाय को बचाने के लिए फोर्ड जैसी कंपनी के नेतृत्व में शामिल हो गए थे। लेकिन यह सौदा नहीं हो पाया इसके बाद रतन टाटा ने कार उद्योग को बढ़ावा देने की दिशा में काम करना शुरू किया।
साल 2008 में, ठीक 9 साल बाद जब फोर्ड कंपनी की दिवालिया निकल गई तब रतन टाटा ही थे जिसने कंपनी के जैगवार लैंड रोवर के अधिग्रहण को 2 बिलियन डॉलर से अधिक में सील करने में कामयाबी हासिल की। चुनौतियों से उभरने की उनकी शक्ति का और सबूत 26 11 के आतंकी हमले के दौरान आया जब उन्होंने ताज होटल के बाहर पीड़ितों की मदद करने के प्रयासों का नेतृत्व किया। उनके द्वारा कहे गए शब्द अद्भुत करने वाले थे, ” यदि आप तेजी से चलना चाहते हैं, तो अकेले चले। अगर आप दूर तक चलना चाहते हैं, तो साथ में चलें।” उनके यह विचार कई सारे लोगों को प्रेरणा देती है।
रतन टाटा ने हमें शायद नए उद्यमों और संभावित तकनीकी मैप उत्सुकता दिखाई है। उन्होंने हमेशा नए स्टार्टअप और नेक्स्ट जनरेशन टेक्नोलॉजी में कई छोटे और बड़े निवेश किए हैं। उन्होंने अमेरिकन एक्सप्रेस के साथ बिटकॉइन वेंचर आबरा परवीन निवेश किया है।
इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में वंचित वर्ग को स्वस्थ पेयजल उपलब्ध कराने की योजना चलाने के लिए पुणे के कुछ डिजाइनरों के साथ सहयोग किया। इसका परिणाम स्वच्छ है जो स्वदेशी रूप से डिजाइन किया गया sub-1000 के नाम से जाना जाता है। जिसका इस्तेमाल जल शोधक वाटर प्यूरीफायर के रूप में किया जाता है। जिसे स्वदेशी रूप से डिजाइन किया गया तकनीक क्या सकते हैं।
टाटा मोटर्स द्वारा गुजरात में अपने विनिर्माण संयंत्र से तिगोर इलेक्ट्रिक वाहन का पहला बैच भी तैयार करके उसे मार्केट में लाया गया। सस्ते दामों पर इलेक्ट्रिक कार मुहैया कराने वाली टाटा मोटर्स कंपनी ने पूरी दुनिया में अपना नाम कमाया है।
रतन टाटा कि जीवन को अगर देखा जाए तो उसे अपने सभी अर्थों में एक सच्चे नेता के रूप में उभर कर के सामने आते हैं। वह हमेशा व्यवसायिक लाभ से पहले एक मानवीय चेहरा रखने में विश्वास रखते हैं। वह ग्रामीण भारत में गुणवत्तापूर्ण जीवन, शिक्षा प्रदान करने वाली कई परोपकारी गतिविधियों में भी शामिल है।
उन्हें अपने जीवन काल में बड़ी पहचान मिली है। साल 2000 में, भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्म भूषण से अलंकृत किया गया है और साल 2008 में उन्हें पदम विभूषण से नवाजा गया था। इसके अलावा उन्हें ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी आफ वारविक और एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बैंकॉक से मानद डॉक्टरेट सहित कई अंतरराष्ट्रीय सामानों से भी सम्मानित किया जा चुका है।
उनकी कुल नेटवर्क 300GBP मिलियन से भी अधिक है। लेकिन टाटा समूह के विशाल समूह में उनका केवल 1% से भी कम का स्वामित्व है। टाटा समूह के अधिकांश शेयर गई धार्मिक ट्रस्ट के स्वामित्व में है जो कई परोपकारी गतिविधियों को स्पॉन्सर करते हैं।
एक उल्लेखनीय इंसान और उद्योगपति होने के बावजूद रतन टाटा कभी भी फोबर्स के अरबपतियों की सूची में कभी शामिल नहीं हो पाए।
निष्कर्ष
आज के हमारे इस लेख में हमने आप सभी लोगों को, Ratan Tata Life Story – रतन टाटा की जीवनी के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई है। रतन टाटा एक उद्योगपति होने के बावजूद भी एक सीधी एवं सादगी भरी जिंदगी जीना पसंद करते हैं। टाटा समूह ग्रुप के चेयरमैन और दुनिया के सबसे अमीर आदमियों में से होने के बावजूद भी इनकी सादगी कई सारे लोगों को प्रेरणा देती है।
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