“Vijay Hazare” विजय हजारे इनका नाम तो आपने जरूर सुना होगा। अगर आप क्रिकेट खेल प्रेमी है, तो इनके नाम से “विजय हजारे ट्रॉफी” मैच भी आयोजित किया जाता है। आज हम अपने इस लेख में महान क्रिकेटर रहे विजय हजारे के जीवन के बारे में विस्तृत से जानकारी लेंगे। Vijay Hazare Biography in Hindi
विजय हजारे ने सबसे पहले महाराष्ट्र की तरफ से रणजी ट्रॉफी में 18 वर्ष की उम्र में हिस्सा लिया था। इन्हें उस समय एक सुरक्षात्मक बल्लेबाज की संज्ञा भी दी गई थी। इंग्लैंड, के लोग विजय हजारे की बल्लेबाजी इतने प्रभावित हैं कि उन्होंने यह धरना रखी थी कि “जो स्थान ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट में ब्रैडमैन को प्राप्त है इंग्लैंड में ग्रेस को प्राप्त है वही अस्थान भारत में क्रिकेट में हजारे को मिलना चाहिए”। विजय हजारे रोमन कैथोलिक परिवार में पैदा हुए थे। उन्होंने क्रिकेट में बल्लेबाजी करते हुए 2000 से भी अधिक रन बनाने के साथ साथ गेंदबाजी में भी 20 विकेट अपने नाम किए थे।इससे बढ़कर यह गौरवशाली बात है कि भारत ने सबसे पहले उन्हीं के नेतृत्व में अपनी पहली टेस्ट विजय प्राप्त की थी। उनके सम्मान में ही घरेलू मैदान पर आयोजित की जाने वाली एक ट्रॉफी का नाम “विजय हजारे ट्रॉफी” दिया गया है।
Vijay Hazare Biography in Hindi – विजय हजारे की जीवनी
महान क्रिकेटर विजय हजारे (Vijay Hazare) का जन्म 11 मार्च 1915 में हुआ था। इन्होंने महाराष्ट्र की तरफ से पहली रणजी ट्रॉफी मात्र 18 वर्ष की आयु में हिस्सा लेकर के खेला था। इनके बल्लेबाजी को देख कर के लोगों ने इन्हें सुरक्षात्मक बल्लेबाज की संज्ञा भी दी थी। एनी की कप्तानी में भारत ने पहली बार टेस्ट सीरीज में विजय प्राप्त की थी।
विजय हजारे, को टेस्ट क्रिकेट में प्रवेश के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा था। इस दौरान जुड़े विश्व युद्ध के कारण उनके क्रिकेट केरियर के 10 बेहतरीन वर्ष भी बर्बाद हो गए थे। लेकिन साल 1946 में उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ हो रहे मैच में फिर से एक बार मौका मिला। लेकिन इससे पहले साल 1937 से साल 1938 तक इंग्लैंड की लॉर्ड टेनिस की टीम के खिलाफ अनाधिकृत टेस्ट मैचों में खेलते रहे। वहीं साल 1945 विषय में ऑस्ट्रेलिया में हुई सीरीज के खिलाफ तीन टेस्ट मैचों में पहली एवं तीसरी राष्ट्रीय मंडल टीमों के खिलाफ भी कुल मिलाकर के 17 अनाधिकृत टेस्ट मैच खेलते रहे।
साल 1946 में हुए इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैचों में विजय हजारे ने पहले टेस्ट मैच में क्रमांक 31 एवं 34 रन ही बनाए थे, इसके अलावा उन्होंने इस मैच में 2 विकेट भी लिए थे।
विजय हजारे (Vijay Hazare) का क्रिकेट कैरियर
विजय हजारे द्वारा एडिलेड ओवल में सबसे यादगार पारी खेली गई। भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ साल 1946 से 1947 की संखला का चौथा टेस्ट मैच खेलते हुए इस टेस्ट मैच में भारत के एक पारी तथा 16 रन से हारी हुई परंतु हजारे ने दोनों पारियों में शतक जमाया था। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुए इस टेस्ट मैच में उन्होंने क्रमश 116 और 145 रन बनाए थे। इतने रन बनाकर के ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हजारे को काफी प्रशंसा भी मिली थी। उनके प्रदर्शन को देखकर के लोग यह कहते थे कि हजारे एक ऐसे बल्लेबाज है जो उस समय लिंडवाने और किथमिलर जैसे गेंदबाज के सामने पूरे विश्वास के साथ बल्लेबाजी कर सकते हैं।
उस मैच को आज भी याद किया जाता है। उस समय ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी डॉन ब्रैडमैन कर रहे थे। ऑस्ट्रेलिया ने अपनी प्रथम पारी में 674 रन का विशाल स्कोर बनाया था। दूसरी तरफ भारतीय टीम 5 विकेट पर मात्र 133 रन ही बना सकी थी। ऐसे में पढ़कर के साथ विजय हजारे ने 188 रन की मैराथन साझेदारी निभाई किंतु पूरे भारतीय टीम 381 रन पर ही बिखर गया।दूसरी पारी में हजारे एकमात्र प्रतिरोध के रूप में उभरे और भारतीय टीम ने 277 रन पर आउट हुई। भारत में दोनों पारियों में शतक बनाने का श्रेय हजारे को ही दिया जाता है।
विजय हजारे के आलोचक यह मानते थे कि विजय हजारे काफी धीमी गति से खेलते हैं।साल 1991 से साल 1992 तक उन्होंने अपने पहले दोनों टेस्ट मैचों में शतक बनाया लेकिन अत्यंत धीमी रफ्तार से। अपने जीवन का सर्वोच्च स्कोर 164 रनों का था जो उन्होंने 8 घंटे 35 मिनट बल्लेबाजी करके बनाए थे। वहीं मुंबई टेस्ट मैचों में 155 रन बनाए जो उन्होंने 5 घंटों में बनाए थे। वही तीज भी खेले लेकिन अपवाद स्वरूप 1946 में हुए हॉलर के खिलाफ बड़ौदा के तरफ से खेलते हुए उन्हें 288 रन बनाने में मात्र 140 मिनट का समय लगा था। कुछ खेल समीक्षा उनके खेल से काफी निराश थे। लेकिन कुल मिलाकर उनकी तकनीक पर किसी ने उंगली उठाने की हिम्मत नहीं की। इस चलते विजय हजारे अपनी क्रिकेट खेल की तकनीकी को लेकर के भारतीय क्रिकेटरों के बीच काफी लोकप्रिय भी हुए थे।
विजय हजारे का क्रिकेट केरियर और व्यक्तिगत जानकारी
पूरा नाम | विजय सैमुअल हजारे (Vijay Samuel Hazare) |
जन्म | 11 मार्च 1915, सगाली, मुंबई प्रेसिडेंसी ब्रितानी भारत |
मृत्यु | 18 दिसंबर 2004, उम्र 89 वर्ष, बड़ौदा गुजरात भारत |
बल्लेबाजी की शैली | दक्षिणी हस्थ |
गेंदबाजी की शैली | दक्षिणी हस्थ मध्यम गेंदबाज |
प्रतियोगिता | टेस्ट मैच | प्रथम श्रेणी |
मैच | 30 | 238 |
रन बनाए | 2192 | 18740 |
औसत बल्लेबाजी | 47.65 | 58.38 |
शतक और अर्ध शतक | 7/9 | 60/73 |
उच्चतम स्कोर | 164 नाबाद | 316 नाबाद |
गेंद की | 2840 | 38 हजार 447 |
विकेट | 20 विकेट | 595 विकेट |
औसत गेंदबाजी | 24.61 | |
एक पारी में 5 विकेट | 0 | 27 बार |
मैच में 10 विकेट | 0 | तीन बार |
श्रेष्ठ गेंदबाजी | 4/29 | 8/90 |
कैच/स्टांप | 11/- | 166/- |
राष्ट्रीय पक्ष | भारत | भारत |
विजय हजारे सरल और शर्मीले स्वभाव के व्यक्ति थे। जिसकी वजह से वह कप्तान होने के बावजूद भी अधिक चर्चित नहीं थे। भारत ने पहले टेस्ट विजय उन्हीं की कप्तानी में हासिल की थी। यद्यपि इस विजय का श्रेय वीनू मांकांड और गुलाम अहमद को उम्दा स्पिन गेंदबाजी के लिए दिया गया, विजय हजारे ने अपने क्रिकेट कैरियर में कई सारे कीर्तिमान स्थापित किए हैं। साल 1946 से साल 1947 के बीच में बड़ोदरा की ओर से खेल कर होलकर के खिलाफ चौथे विकेट की साझेदारी में 577 रन जोड़कर के विश्व रिकॉर्ड कायम किया था। इसके साथ ही नववी विकेट हेतु नगरवाला के साथ में 245 रन का विश्व रिकॉर्ड भी बनाया था। उन्होंने कुल मिलाकर 59 शतक बनाए हैं।
साल 1992 के टेस्ट श्रृंखला के अंतर्गत इंग्लैंड के विरुद्ध पहले टेस्ट मैच के दौरान चौथे विकेट के लिए उन्होंने 222 रन, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1947 में छठे विकेट के लिए 188 रन और पाकिस्तान के खिलाफ साल 1992 में उमर गिर के साथ 177 रन बनाए हैं। इस महान क्रिकेटर की मृत्यु 18 दिसंबर 2004 को हो गई। ऐसे तो क्रिकेट खेल में हजारों की संख्या में खिलाड़ी अपनी ख्याति तथा रिकॉर्ड हासिल कर चुके हैं। लेकिन भारतीय क्रिकेट इन्हें महान खेल और खिलाड़ी के रूप में सदा याद रखेगा।