आप में से बहुत सारे लोग, इंटरनेट पर पैसों की बचत एवं उनका निवेश करने के लिए विभिन्न तरह की स्कीम के बारे में जरूर पढ़ते होंगे। आपने इंटरनेट पर या समाचार पत्रों में चिट फंड के बारे में पढ़ा होगा। आज के हमारे इस लेख में हम किसी के बारे में चर्चा करने वाले हैं, What is Chit Fund? चिटफंड क्या है?
चिटफंड एक आवर्ती बचत योजना है जो कि भारत में काफी पुरानी फंड में से एक है और वह भारतीय वित्तीय प्रणाली का एक हिस्सा भी है। चिटफंड को दूसरे शब्द इसेचिट, चिट्ठी या कुरी के नाम से भी जाना जाता है। चिटफंड बचत और उधार दोनों के लिए एक बहुत ही बढ़िया फंड है। अगर आप इसे एक बचत इंस्ट्रूमेंट की तरह दिखते हैं तो भी यह बहुत ही बढ़िया फंड है।
What is Chit Fund? चिटफंड क्या है?
भारत जैसे देश में चिटफंड का उपयोग काफी पुराने समय से किया जा रहा है। चिटफंड का अभ्यास भारत में एक बचत योजना के रूप में किया जाता है। चिटफंड को एक कंपनी द्वारा प्रबंधन किया जाता है, इस तरह की कंपनी को चिट फंड अधिनियम की धारा 1982 के अंतर्गत परिभाषित किया जाता है। चिटफंड अधिनियम 2012 की धारा 2 के अनुसार उचित का मतलब है लेन देन जो चाहे चिट, चिटफंड, चिट्ठी या कुड़ी किताब से भी जानते हैं।
साधारण शब्दों में कहें तो चिटफंड अधिनियम, 1982 की धारा 2(B) मे किसी भी कंपनी को परिभाषित किया गया है। इसके अंतर्गत चिटफंड कंपनी या अर्जेंट फंड स्कीम का मतलब होता है कि कोई व्यक्ति या सेक्स या कोई समूह या पड़ोसी आपस में वित्तीय लेनदेन के लिए एक समझौता करते हैं। इस समझौते में एक निश्चित रकम या कोई चीज एक तय वक्त पर किस्तों में जमा की जाती है और परिपक्वता की अवधि पूरी होने पर इस राशि को ब्याज के साथ में लौट आना होता है।
भारत जैसे देश में चिटफंड जैसी कंपनियों का रेगुलेशन चिटफंड अधिनियम 1982 के तहत ही किया जाता है। इस कानून के अंतर्गत चिटफंड कारोबार का पंजीकरण एवं उसका निबंधन राज्य सरकार ही कर सकती है। चिटफंड अधिनियम 1983 के सेक्शन 61 के तहत किसी भी चिटफंड कंपनी को रजिस्टर करने के लिए रजिस्ट्रार की नियुक्ति सरकार द्वारा ही की जाती है। कई चिटफंड के मामलों में कार्रवाई और निर्धारण का अधिकार रजिस्ट्रार के पास और संबंधित राज्य के राज्य सरकार के पास में होता है।
How Chit Fund Works? चिटफंड कैसे काम करता है?
बड़े शहरों से लेकर के छोटे कस्बों तक चिटफंड जैसी कंपनी काफी ज्यादा लाभ कम आती है। इसके पीछे वजह यह है कि इन कंपनियों का बिजनेस ऐसे एजेंटों के जरिए होता है जो अपने आसपास के लोगों, रिश्तेदारों को जानते हैं और उन्हें चिट फंड में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
चिटफंड कंपनी ग्रामीण और बड़े शहरों दोनों ही जगह काफी सक्रिय रहते हैं। बाजार में पहले उनके एजेंट हर महीने या हर साल जमा पैसे पर दुगने या 3 गुने अपने मुनाफे का लालच देते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो चिटफंड जैसे कंपनी में एजेंट अपने ग्राहकों को ललचाऊ योजनाओं के जरिए कम समय में अधिक मुनाफा और अमीर बनने का दावा करते हैं।
जिसके चलते बड़ी संख्या में लोग इस तरह के चिट फंड स्कीम के तहत अपने पैसों को लगा देते हैं। इसके अलावा चिटफंड कंपनी अपने विज्ञापन में बड़े-बड़े बुकलेट, बड़े फिल्म हस्तियां, बड़े-बड़े नेताओं के साथ अपने फोटो छपवा देते हैं जिसके कारण निवेशक कंपनी और उनके एजेंटों के ऊपर भरोसा कर लेते हैं। और चिटफंड कंपनियों में अपने पैसे लगाते हैं।
चिटफंड की कार्यप्रणाली :- चिटफंड स्कीम के अंतर्गत सर कल को से लेकर के गांव तक के लोग इसमें समूह के रूप में जुड़े हुए होते हैं। जो समय समय पर निवेशकों की संख्या के बराबर अवधि के लिए चिट मूल्य का योगदान देते हैं और इस तरह से जमा की गई राशि उस व्यक्ति को दी जाती है जिससे यह लकी ड्रॉ या मत या नीलामी के माध्यम से चुनते हैं।
नीलामी के जरिए जिस व्यक्ति को सबसे कम बोली लगाई जाती है उसी व्यक्ति को पैसा दिया जाता है। इस तरह से पूरी नीलामी की प्रक्रिया को रिवर्स नीलामी के नाम से जाना जाता है। इस तरह से जिसे तंबोली लगाने पर नीलामी मिलती है वह बोली दाता द्वारा छोड़ी गई राशि को फोरमैन के कमीशन और अन्य शुल्क के कटौती के बाद में अपने सदस्यों के बीच में समान रूप से बांट देता है। इस तरह से मिली राशि को प्रत्येक सदस्य के बीच में बांटना लाभांश कहलाता है। राशि का दावा करने के बाद भी विजेता बोली लगाने वाले को निवेश जारी रखना होता है।
चिटफंड जैसी कंपनियों में निवेशकों की संख्या हर महीने निर्धारित तिथि पर शुरू की जाती है जिसमें कस्टमर पोर्ट पर अपने मासिक किस्त का योगदान करते हैं। फिर दोबारा एक खुली नीलामी की जाती है जिसमें चिटफंड कंपनी के सदस्य मूल रूप से बोली लगाते हैं। जो ग्राहक सबसे कम राशि लेने के लिए तैयार होता है उसे विजेता घोषित किया जाता है और उसे महीने के लिए चिटफंड की राशि मिल जाती है।
चिटफंड के पीछे नीलामी का फंडा क्या है?
चिटफंड जैसी कंपनियों के बीच में होने वाली नीलामी के फंडे को समझने के लिए हम इसे एक उदाहरण के जरिए समझाना चाहते हैं।
उदाहरण :- मान लेते हैं कि किसी चिटफंड योजना के अंतर्गत 100 सदस्य जुड़े हुए हैं। प्रत्येक सदस्य इसमें ₹500 जमा करता है। ₹500 हर महीने इस फंड के तहत जमा करने पर हर महीने के ₹50000 जमा होते हैं। जब नीलामी की घोषणा की जाती है तो जो सदस्य चिटफंड योजना के अंतर्गत जमा रकम सबसे कम राशि घर ले जाने के लिए बोली लगाता है तो वह सदस्य जीत जाता है।
मान लेते हैं कि 100 सदस्य बोली लगाते हैं। जिसमें से कुछ सदस्य ₹49000, कुछ ₹48000, तो कुछ ₹45000 का बोली लगाते हैं। मान लेते हैं कि सबसे कम बोली ₹44000 की लगाई गई। देखा जाए तो विजेता सदस्य बोली लगाने वाले उस महीने की कुल चिटफंड मूल्य का केवल ₹44000 स्वीकार करने के लिए सहमत होता है तो शेष राशि जो लगभग ₹6000 होती है आयोजकों की फीस इत्यादि चीजें घटाने के बाद बाकी बचे 99 सदस्यों के बीच बांट दी जाती है।
History of Chit Fund? चिटफंड का इतिहास
चिटफंड भारत में चलने वाली बहुत ही पुरानी फंड प्रणाली में से एक है। अब इस फंड प्रणाली का इस्तेमाल विदेशों में भी पैसों को इकट्ठा एवं उनका निवेश करने के लिए किया जाता है। इसकी शुरुआत भारत में ही हुई है।
कई साल पहले भारत के केरला राज्य के गांव में एक छोटे से किसान के समूह द्वारा एक अनूठी योजना संचालित की गई थी। जिसके अंतर्गत किसान अनाज की एक निश्चित मात्रा समय-समय पर एक चयनित ट्रस्टी को सौंप देते थे। वहां ट्रस्टी उस अनाज के एक हिस्से को अपने लिए रख लेता था और बचा हिस्सा समूह के एक सदस्य को अपने सामाजिक प्रतिबद्धताओं और दूसरी जरूरत को पूरा करने के लिए दे देता था। किसान जिस अनाज का हिस्सा प्राप्त करते थे उस अनाज का निश्चित मात्रा देने का कार्य जारी रखना पड़ता है जब तक सब के हर सदस्य को अपना हिस्सा नहीं मिल जाता। अतिरिक्त लाभ प्राप्त करने पर उनके भीतर प्रतियोगिता उत्पन्न होने लगी। कई सदस्य क्रम में जल्दी मौका पाने के लिए अनाज का एक निश्चित भाग त्यागना चाहते थे। इसलिए एक नीलामी आयोजित की गई और सबसे कम बोली लगाने वाले को ही मौका दिया जाता था।
वहीं भारत में जब हम चिटफंड जैसी योजनाओं के बारे में पढ़ते हैं। तब हम इसके इतिहास के बारे में भी जानने के लिए इच्छुक होते हैं। जो हमें इसके इतिहास के कई पहलुओं से जोड़ते हैं। आदिम सभ्यताओं के अनुसार एक किताब जो एडिट जेमिमा द्वारा लिखा गया था जिसमें मालबार कुरी का जिक्र मिलता है। जो प्राचीन द्रविड़ काल के अस्तित्व के बारे में बताती है। जिसमें चिटफंड का भी जिक्र मिलता है, इस किताब के अनुसार भारत में शुरू की गई चिटफंड चीन में होने वाले एक लॉटरी जैसी प्रणाली से काफी मेल खाता है। इसी तरह का प्रचलन हम दूसरे एशियाई देशों में भी देखते हैं जिसमें मयमार और श्रीलंका आदि देश शामिल है।
चिटफंड लोगों को वास्तविक जरूरतों को शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में पूरा करता है। यह कई लोगों के लिए बचत का एक माध्यम के रूप में भी कार्य करता है। तमिल में चिट, और चिट्टी और कुरी सब का इस्तेमाल होता है। चिट शब्द का अर्थ होता है एक कागज का टुकड़ा। आंध्र प्रदेश में या चिट्टी के नाम से जाना जाता है। तमिलनाडु में चिटफंड के ब्रज नायक मैया मोरी के रूप में जाने जाते हैं। मोया एक ऐसा पद है जहां पर लोग पैसे इकट्ठा करते हैं और मुरी का मतलब होता है रिवाज। इस पूरी प्रणाली के तहत एक गांव या इलाके का एक समूह, जो एक दूसरे को जानते हैं। समूह के एक व्यक्ति की जरूरत को पूरा करने के लिए एक साथ शामिल होकर अपने संसाधनों का संचय करते हैं। उस समय कुछ अच्छी तरह से परिभाषित किए गए जरूरतें होती थी जैसे की भूमि की खरीदारी, घरों के निर्माण और मवेशियों की खरीदारी आदि जो प्रणाली के तहत निर्धारित की जाती थी। धीरे-धीरे इस पूरे प्रणाली में परिवर्तन आया और आज हम इसे चिटफंड के नाम से ही जानते हैं। साथ ही में इसके प्रणाली में भी परिवर्तन आया, अब इसमें पैसों का इस्तेमाल किया जाता है।
चिटफंड के लाभ
- चिटफंड बचत और उधार की एक प्रणाली है। चिटफंड आपको बचत के साथ-साथ उधार उधार लेने के लाभ भी देता है।
- चिटफंड योजना में शामिल होना काफी आसान होता है। इसके अंतर्गत आपको आपके पहले किस्त भुगतान करने के बाद आप तुरंत उधारी ले सकते हैं।
- इसमें किसी भी तरह का कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं होता। आप उधारी लेने के बाद जितनी राशि हर महीने जमा करते हैं उतने ही राशि आपको जमा करते रहने होगा।
- वर्तमान समय में ज्यादातर चिट फंड कंपनी संगठित होती है।
- कोई सवाल नहीं आपको उधार लिए गए पैसों का उपयोग करने के उद्देश को प्रकट करने की किसी भी तरह की कोई आवश्यकता नहीं है।
- चिटफंड पर निवेश करने से आप कभी भी आपातकालीन नकद राशि आसानी से निकाल सकते हैं और उसका उपयोग कर सकते हैं।
- अभीदाताओं को एक लाभांश मिलता है जो विभिन्न जमा योजनाओं में बचाए गए धन पर अर्जित ब्याज की तुलना में अधिक होता है।
- कम ब्याज का भुगतान यह गए उधारी पर दिया जाता है। इस ब्याज का निर्धारण भी चिटफंड के सदस्यों द्वारा किया जाता है। यह प्रत्येक नीलामी में अलग अलग हो सकती है।
- आप अपने चिटफंड का उपयोग अपनी इच्छा अनुसार किसी भी कार्य के लिए कर सकते हैं। जैसे की शादी, खरीदारी, चिकित्सा, बच्चों की शिक्षा इत्यादि।
दोस्तों आज के हमारी इस लेख में हमने आप सभी लोगों को इस बारे में जानकारी दी है कि What is Chit Fund? चिटफंड क्या है? इसके साथ ही हमने इसके इतिहास के ऊपर में भी नजर डाला है। उम्मीद है कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। इससे संबंधित अगर आपकी कुछ सवाल एवं सुझाव है तो आप हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके बता सकते हैं।