How Mutual Fund Works? म्यूच्यूअल फंड कैसे काम करता है?

वर्तमान समय में लोग म्यूच्यूअल फंड के जरिए, निवेश करना काफी पसंद करते हैं। म्यूचल फंड ऐसे कम आय वाले व्यक्तियों के लिए भी काफी जरूरी है जो उन्हें वित्तीय रूप से सक्षम बनाती है। देखा जाए तो म्यूच्यूअल फंड काफी लोकप्रिय निवेश के विकल्प में से एक है। किसी भी चीज पर निवेश करने से पहले हमें उसके बारे में जानकारी होना भी काफी जरूरी है। आज हम अपने इस लेख में यह जानेंगे कि How Mutual Fund Works? म्यूच्यूअल फंड कैसे काम करता है?

इस आर्टिकल को पढ़ने से पहले आपको इस बारे में भी जानकारी होना अति आवश्यक होती है कि म्यूच्यूअल फंड क्या होता है? अगर आपको इसके बारे में विस्तृत जानकारी चाहिए तो आप हमारे आर्टिकल म्यूच्यूअल फंड क्या होता है? इस पर क्लिक करके आप विस्तार पूर्वक पढ़ सकते हैं।

Mutual fund क्या है? इसमें आप कैसे निवेश कर सकते हैं?

ऊपर दी गई आर्टिकल को पढ़ने के बाद ही आपको हमारे इस आर्टिकल को पढ़ना चाहिए। तभी जाकर के आप यह समझ पाएंगे कि कोई भी म्यूच्यूअल फंड किस प्रकार से कार्य करती है। तो चलिए हम यह जानते हैं कि म्यूच्यूअल फंड कैसे काम करता है।

How Mutual Fund Works? म्यूच्यूअल फंड कैसे काम करता है?

चलिए फिर भी अगर आप हमारे आर्टिकल में पहुंच चुके हैं तो हम आप को संक्षिप्त रूप से यह बता देते हैं कि म्यूच्यूअल फंड क्या होता है?

म्यूच्यूअल फंड स्टॉक मार्केट में निवेश करने का एक अप्रत्यक्ष तरीका होता है। एक म्यूच्यूअल फंड में अनेक निवेशक मिलकर अपने पैसों का निवेश करते हैं। इन पैसों को फंड मैनेजर द्वारा मैंनेज किया जाता है।

प्रत्येक म्यूच्यूअल फंड स्कीम अलग-अलग उद्देश के अनुसार लांच किया जाता है। अपने उद्देश्यों को जानकर कि म्यूचुअल फंड मैनेजर इसे मैनेज करते हुए अपनी रणनीति बनाते हैं। और इसी के अनुसार ही स्टॉक मार्केट में निवेश किया जाता है। इसी आधार पर हम तुलना करते हैं कि कौन सी म्यूच्यूअल फंड कितनी जोखिम भरी होती है। फंड मैनेजर निवेशकों के पैसों को सही जगह निवेश करके उनके लिए अच्छा खासा लाभ अर्जित करने के लिए प्रयासरत रहते हैं।

Mutual Fund Launch – म्यूच्यूअल फंड को लॉन्च कैसे किया जाता है?

म्यूच्यूअल फंड को मार्केट में लॉन्च करने के लिए, किसी भी फंड हाउस द्वारा सबसे पहले NFO लॉन्च किया जाता है। NFO का फुल फॉर्म ‘New Fund Offer’ होता है। किसी भी म्यूचल फंड को NFO के माध्यम से ही लॉन्च किया जाता है।

म्यूच्यूअल फंड जिस उद्देश्य के साथ कार्य करेगी इसकी घोषणा भी NFO के जरिए ही की जाती है। म्यूचल फंड निवेशकों के लिए सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के निवेश का एक बेहतरीन साधन है। छोटी बचत करने वालों के लिए रेगुलर निवेश का यह आसान तरीका होता है। SIP के अंतर्गत रेगुलर निवेश लंबे समय तक किया जाए तो अच्छा खासा फंड बनाने में मदद मिल सकती है।

म्यूचल फंड की किन उद्देश्यों के साथ कार्य करेगी इन सारी चीजों के बारे में जानकारी न्यू फंड ऑफर के अंतर्गत ही दी जाती है। ओपन एंडेड म्युचुअल फंड में NFO के बंद हो जाने के बाद भी आप इस पर निवेश कर सकते हैं। लेकिन, क्लोज एंडेड म्युचुअल फंड में न्यू फंड ऑफर के समाप्त होने के बाद कोई भी निवेश नहीं किया जा सकता है। न्यू फंड हाउस के अंतर्गत निवेश करने से पहले निवेशक को फंड हाउस की रेपुटेशन, फंड के लक्ष्य और निवेश की लागत और उसमें आपको कितना जोखिम होगा इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए ही निवेश करना चाहिए।

इकट्ठा की गई धनराशि को निवेश करना

किसी भी म्यूच्यूअल फंड में बहुत सारे निवेशक मिलकर के पैसा जमा करते हैं जिससे कि फंड हाउस के पास एक बहुत बड़ी मात्रा में धन राशि इकट्ठा हो जाती है।

इस धनराशि को निवेश करने का पूरा दायित्व फंड मैनेजर के हाथों में होता है। फंड मैनेजर एक प्रोफेशनल पैसों को मैनेज करने वाला होता है जो फंड हाउस की तरफ से उस फंड को मैनेज करने के लिए नियुक्त किया जाता है। इन्हीं सेवाओं के बदले में फंड हाउस निवेशक से म्यूचुअल फंड एक्सपेंस रेशों चार्ज के रूप में लेती है।

फंड मैनेजर निवेशकों के पैसों को शेयर मार्केट, सरकारी बॉन्ड्स एवं सिक्योरिटी इत्यादि चीजों में निवेश करते हैं। जैसे से अब फंड में और पैसा आता जाता है फंड मैनेजर वैसे ही उन पैसों को विभिन्न तरह के इंस्ट्रूमेंट में निवेश करता जाता है।

फंड मैनेजर स्टॉप सुनने में काफी एक्सपर्ट होते हैं और वे इसके लिए लगातार रिसर्च भी करते रहते हैं। अगर फंड मैनेजर कोई शेयर अंडरपरफारमेंस के अंतर्गत निवेश कर देता है तो उस तरह के शेयर पर कड़ी नजर रखी जाती है। शेयर अगर अच्छा प्रदर्शन नहीं करता तो विकल्प के तौर पर वह उस शेयर में लगाए गए पैसों को किसी दूसरे शेयर में निवेश कर देते हैं।

म्यूचुअल फंड में निवेश

एक क्लोज एंडेड म्युचुअल फंड में न्यू फंड ऑफर की अवधि समाप्त हो जाने के बाद निवेश नहीं किया जा सकता है। लेकिन, ओपन एंडेड म्युचुअल फंड स्कीम में न्यू फंड ऑफर के समाप्त हो जाने के बाद भी निवेश कर सकते हैं। ओपन एंडेड म्युचुअल फंड में कोई भी व्यक्ति SIP या lump-sum पैसों का निवेश आसानी से कर सकता है।

म्यूच्यूअल फंड खरीदने के बहुत से तरीके होते हैं जिनके माध्यम से निवेशक म्यूचुअल फंड में अपने पैसा लगा सकते हैं जैसे कि आप सीधे प्रत्यक्ष रूप में AMC कंपनी की वेबसाइट से जाकर के या फिर किसी मोबाइल एप्लीकेशन की सहायता से या किसी एजेंट की सहायता से म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं।

आपने जितनी भी राशि म्यूचुअल फंड में निवेश की है वह आपके म्यूच्यूअल फंड फंड के पोर्टफोलियो में दिखाई देने लगेगी। अपना पोर्टफोलियो देखने के लिए आप अपने फंड हाउस की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर की भी इसे वेरीफाई कर सकते हैं।

म्यूचुअल फंड में एक्सपेंसिव रेशियो के रूप में निवेश करने की लागत काफी कम होती है। यह अनुपात आमतौर पर 1 से 2% के आसपास होता है। म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए आपको अलग से किसी तरह का भुगतान नहीं करना पड़ता। यह भुगतान आपके लाभ से काट लिया जाता है।

कोई भी व्यक्ति याद निवेशक के पास कई सारे विकल्प होते हैं जिससे कि वह आसानी से म्यूचुअल फंड में निवेश कर सके। आप म्यूचुअल फंड में निवेश प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप दोनों ही तरह से कर सकते हैं। प्रत्यक्ष रूप में आप रेगुलर प्लान की उपेक्षा थोड़ा कम एक्सपेंस रेश्यो देना होता है। इसकी वजह से अगर आप लंबी अवधि के लिए प्रत्यक्ष प्लान लेते हैं तो इसमें आपको अधिक लाभ और रिटर्न देखने को मिलता है।

म्यूच्यूअल फंड में निवेश अकोको यूनिट का आवंटन

यदि कोई निवेशक म्यूचुअल फंड में अपने प्रश्नों को लगाता है तो उसे अपने निवेश के बदले में म्यूच्यूअल फंड हाउस द्वारा कुछ यूनिट जारी की जाती है। इस यूनिट का आवंटन NAV (Net Assets Value) के आधार पर की जाती है। चली हम इसे एक उदाहरण द्वारा समझते हैं।

मान लीजिए कि आपने XYZ कंपनी का म्यूचुअल फंड ₹10000 निवेश करके खरीदा है। और उस दिन म्यूच्यूअल फंड के प्रति NAV की कीमत ₹1000 होगी तो आपको कुल मिलाकर के 10 यूनिट दी जाएगी।

म्यूचल फंड मार्केट में नव की कीमत, म्यूचल फंड के परफॉर्मेंस के आधार पर की जाती है। यह इसकी कीमत स्थिर नहीं होती, इसकी कीमत में लगातार उतार-चढ़ाव होता रहता है। SIP के मामले में अगर हर एसआईपी इंस्टॉलमेंट के बाद प्राप्त यूनिट आपके म्यूच्यूअल फंड फोलियो में क्रेडिट कर दी जाती है।

म्यूचुअल फंड में निवेश और रोटेशन

किसी भी म्यूच्यूअल फंड स्कीम में लगातार निवेश किया जाता है। जब तक म्यूच्यूअल फंड स्कीम ओपन एंडेड स्कीम होती है यह प्रक्रिया नियमित रूप से चलती रहती है।

यही वजह है कि आजकल मार्केट में ज्यादातर ओपन एंडेड स्कीम ही देखने को मिलते हैं। नए निवेशक को के साथ जुड़कर के फंड मैनेजर नए स्टॉक, नए बॉन्ड खरीदते हैं। वहीं अगर किसी निवेशक की रिडेंप्शन रिक्वेस्ट आती है तो उसको पूरा करने के लिए फंड मैनेजर पोर्टफोलियो का कुछ हिस्सा भेज देते हैं।

म्यूचुअल फंड में कितना लाभ

म्यूचल फंड मैनेजर म्यूच्यूअल फंड निवेशकों के लिए उनकी गोल के मुताबिक निरंतर रूप से अलार्म निकालने की कोशिश में प्रयासरत रहते हैं। फंड मैनेजर निवेशकों के पैसों को जिन जिन सिक्योरिटीज और शेयर बाजार में लगाते हैं उन्हीं के प्रदर्शन के आधार पर म्यूच्यूअल फंड पर निवेश करने वाले लोगों का लाभ निकाला जाता है।

म्यूच्यूअल फंड के रिटर्न NAV के जरिए निकाले जाते हैं जिसकी गणना प्रत्येक ट्रेडिंग डे के अंत में की जाती है। अगर किसी दिन स्टॉक मार्केट, सरकारी बांड या म्यूचुअल फंड का निवेश किया गया है उनका प्रदर्शन अच्छा है तो उस दिन NAV की वैल्यू बढ़ जाती है। ठीक उसी तरह किसी दिन अगर शेयर मार्केट या सरकारी बॉन्ड ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया तो उस दिन इसकी कीमत में गिरावट आती है।

म्यूच्यूअल फंड के ग्रोथ प्लान में आपको होने वाला प्रॉफिट वापस सभी इन्वेस्ट कर दिया जाता है। जिससे उस प्रॉफिट पर भी आपको लाभ मिलता है। जबकि म्यूच्यूअल फंड डिविडेंड प्लान में होने वाला प्रॉफिट निवेशकों को एक निश्चित अंतराल में वापस डिविडेंड के रूप में लौटा भी दिया जाता है।

म्यूचल फंड में निवेश करके आप कैपिटल अप्रिशिएसन और डिविडेंड के रूप में लाभ कमाते हैं। इस प्रकार देखा जाए तो म्यूचुअल फंड में निवेश एक निरंतर प्रक्रिया होती है। इसमें निवेश लाभ लगातार चलती रहती है।

म्यूच्यूअल फंड रिडेंप्शन

जब आपको म्यूच्यूअल फंड निवेश की गोल प्राप्त हो जाए तो आपके पैसों की आवश्यकता हो तो अपनी म्यूच्यूअल फंड को बड़ी आसानी से रिडीम भी करवा सकते हैं।

अगर आपने म्यूचुअल फंड निवेश को 1 वर्ष के भीतर ही बेचा है तो आपको समानता 1% का एग्जिट लोड देना होता है। एसआईपी के मामले में प्रत्येक इंस्टॉलमेंट से 12 महीने तक एग्जिट लोड रहता है। अगर आपने कोई यूनिवर्स 1 जनवरी 2021 को खरीदी है तो वह 31 दिसंबर 2021 तक एग्जिट लोड के दायरे में आएगा।

आपने किसी भी प्लेटफार्म से अपना म्यूच्यूअल फंड क्यों ना लिया हो? आप बड़ी आसानी से उसमें निवेश करके उसे रिडीम करवा सकते हैं। रिडेंप्शन की राशि आपके म्युचुअल फंड फोलियो से लिंक प्राइमरी बैंक अकाउंट में 2 से 3 दिनों के भीतर जमा कर दी जाती है।

आवश्यकता पड़ने पर आप अपने संपूर्ण पोर्टफोलियो मे राशि एक ही बार में निकाल सकते हैं या फिर आप आंशिक रूप से थोड़ी थोड़ी करके निकाल सकते हैं। जिस दिन आपने रिडेंप्शन रिक्वेस्ट दी है उस ट्रेडिंग डे की Net Assets Value के आधार पर मैच्योरिटी की राशि आपको दे दी जाती है।

चलिए मान लेते हैं कि आपके पास 500 यूनिट उस दिन थे। प्रति यूनिट वर्तमान समय में ₹100 है। उस दिन आपने रीडम्स रिक्वेस्ट डाला तो उस हिसाब से आपको कुल ₹50000 (500×100₹) होंगे।

हमने ऊपर आपको इस बारे में सभी जानकारी दी है कि किस तरह से म्यूच्यूअल फंड कार्य करती है। आप इसे अंदाजा लगा सकते हैं कि आपको क्या म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए या नहीं? विभिन्न बिंदुओं को देखने के बाद यह कहा जा सकता है कि म्यूचुअल फंड में निवेश करना आपके लिए लंबे समय में लाभकारी सिद्ध होगा।

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दोस्तों में, facttechno.in का संस्थापक हूं। मैं अपनी इस ब्लॉग पर टेक्नोलॉजी और अन्य दूसरे विषयों पर लेख लिखता हूं। मुझे लिखने का बहुत शौक है और हमेशा से नई जानकारी इकट्ठा करना अच्छा लगता है। मैंने M.sc (Physics) से डिग्री हासिल की है। वर्तमान समय में मैं एक बैंकर हूं।

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