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What is Energy Economics? – उर्जा अर्थशास्त्र क्या है?

Energy Economics (ऊर्जा अर्थशास्त्र ) ऊर्जा संसाधन और ऊर्जा वस्तुओं का अध्ययन करता है और इसमें कई सारी चीजें शामिल है। जैसे कि फार्म और उपभोक्ताओं को आपूर्ति, रूपांतरण, परिवहन ऊर्जा संसाधनों का उपयोग करने और उसे करने के लिए प्रेरित करना इत्यादि चीजें शामिल होती है। आज के हमारे इस लेख में हम इसी बारे में बात करेंगे कि, What is Energy Economics? – उर्जा अर्थशास्त्र क्या है?

What is Energy Economics? – उर्जा अर्थशास्त्र क्या है?

Energy Economics जिसे हिंदी में, उर्जा अर्थशास्त्र भी कहते हैं। अगर हम इसे परिभाषित करें तो, ” यह एक विस्तृत वैज्ञानिक क्षेत्र है, जिसमें समाज में ऊर्जा की आपूर्ति व उपयोग से संबंधित विषयों का अध्ययन किया जाता है”।

ऊर्जा अर्थशास्त्र के अंतर्गत ऊर्जा सेवाओं की लागत और संबंधित मूल्यों को ध्यान में रखते हुए उस दक्षता को आर्थिक अर्थ दिया जाता है जिस पर ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकता है। ऊर्जा सेवाओं को उन कार्यों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो वंचित अंत सेवाओं या राज्यों को ऊर्जा उत्पन्न और प्रदान कर सकते हैं।

हालांकि, ऊर्जा सेवा की दक्षता तकनीकी एवं इंजीनियरिंग पर निर्भर करती है। ऊर्जा उत्पादन लक्ष्य के अंतर्गत प्रकाश, ऊष्मा और इंधन का उत्पादन करने के लिए आवश्यक ऊर्जा इनपुट को कब करना होता है। इसके अंतर्गत विचार किए जाने वाले मुख्य क्षेत्र परिवहन और भवन है। हालांकि जा मानव गतिविधियों के व्यापक पैमाने के लिए प्रासंगिक है। जिसमें सूक्ष्म आर्थिक स्तर और संसाधन प्रबंधन पर घरेलू और व्यवसाय शामिल है।

ऊर्जा अर्थशास्त्र वह क्षेत्र है जो ऊर्जा संसाधन और ऊर्जा के मानव उपयोग का अध्ययन करता है। वस्तुओं और उस उपयोग के परिणाम भौतिक विज्ञान शब्दावली में, “ ऊर्जा” कार्य करने की क्षमता है, उदाहरण के तौर पर सामग्री को उठाना, तेज करना या गर्म करना मैं आर्थिक शब्दावली ऊर्जा में सभी ऊर्जा वस्तुएं और ऊर्जा संसाधन शामिल होते हैं। वस्तुएं या संसाधन जो महत्वपूर्ण मात्रा में बहुत ही ऊर्जा का प्रतीक है और इस प्रकार प्रदान करते हैं कार्य करने की क्षमता।

ऊर्जा आर्थिक विकास का एक प्रमुख स्रोत है क्योंकि कई उत्पादन और खपत गतिविधियों में बुनियादी निवेश के रूप में ऊर्जा शामिल होती है। ऊर्जा के लिए सबसे महत्वपूर्ण आदान में से एक है आर्थिक विकास। भौतिक रूप से ऊर्जा का उपयोग आर्थिक रूप से संचालित होता है। उत्पादकता और औद्योगिक विकास और किसी भी आधुनिक अर्थव्यवस्था के संचालन के लिए ऊर्जा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

इस बारे में कई सारे अर्थशास्त्री यह तर्क देते हैं कि ऊर्जा कम से कम आधे औद्योगिक की के विकास के लिए जिम्मेदार है। लागत के दसवें अधिकतम का प्रतिनिधित्व करते हुए एक आधुनिक अर्थव्यवस्था में विकास उत्पादन के लिए ऊर्जा एक प्रमुख कारक माने जाती है।

कुछ विश्लेषकों का तर्क है कि एक ऊर्जा उपयोग मे वृद्धि सीधे सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि का कारण बनती है। साल 1970 के दशक में ऊर्जा संकट और उच्च स्तर की ऊर्जा कीमतों ने अर्थव्यवस्था को धीमा कर दिया था। 1970 के दशक के अंत से ऊर्जा की खपत और उसके बीच संबंध समय श्रृंखला में आधुनिक प्रगति का उपयोग करते हुए बड़े पैमाने पर आर्थिक विकास का अध्ययन किया गया।

कई सारे अध्ययन से यह पता चलता है कि ऊर्जा की खपत का उच्च प्राथमिक प्रभाव सीधे हमारी अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। ऊर्जा की खपत या ऊर्जा की खपत आर्थिक विकास के लिए वर्तमान समय में युवाओं की बड़ी भूमिका निभाती है।

Properties of Energy Resources and Energy Commodities – ऊर्जा संसाधन और ऊर्जा वस्तुओं के गुण

Energy Economics, के अंतर्गत भौतिक ऊर्जा, ऊर्जा संसाधन या की सभी महत्वपूर्ण मात्रा में अलग-अलग हो सकती है। जैसे कि रासायनिक उर्जा के अंतर्गत, तेल, प्राकृतिक गैस, कोयला, बायोमास आदि आते हैं। वही यांत्रिक ऊर्जा के अंतर्गत, हवा, गिरता हुआ पानी, तापीय ऊर्जा, विकिरण जिसमें सूर्य का प्रकाश, विद्युत ऊर्जा बनाने की क्षमता, परमाणु प्रतिक्रियाओं के माध्यम से ऊर्जा, कच्चा तेल इत्यादि चीजें आती है।

इसमें शामिल संसाधनों को नवीकरणीय या नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोत के रूप में बांटा जा सकता है।

Renewable Source of Energy – नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोत

इसके अंतर्गत ऐसे ऊर्जा के स्रोतों को रखा जाता है, जो प्राकृतिक स्रोत पर निर्भर करती है। इसमें सौर ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, पवन, ज्वार, जल बायोमास के विभिन्न प्रकार को शामिल किया जाता है।

इस तरह के ऊर्जा के स्रोतों को आसानी से समाप्त नहीं किया जा सकता है और इसे लगातार नवीनीकृत किया जा सकता है। नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन, ऊर्जा के परंपरागत स्रोत क्यों अपेक्षा काफी विस्तृत भू-भाग में फैले हुए हैं और यह सभी देशों को काफी आसानी से उपलब्ध हो सकते हैं। यह ना केवल पर्यावरण के लिए अनुकूल है बल्कि इनके साथ कई प्रकार के आर्थिक लाभ भी जुड़े हुए हैं।

Non-Renewable Source of Energy – अनवीकरणीय ऊर्जा के स्रोत

अनवीकरणीय ऊर्जा के संसाधन वैसे संसाधन होते हैं जिनका भंडार में प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा पुनर्स्थापना नहीं होता है। इस तरह के संसाधन मानवीय क्रियाकलापों द्वारा समाप्त हो सकते हैं तथा पुनः निर्माण होने में करोड़ों वर्ष की अवधि लग सकती है। इस तरह के ऊर्जा के संसाधन के अंतर्गत कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस आदि चीजें आती है।

साधारण शब्दों में अगर हम इसे परिभाषित करें तो इसके अंतर्गत ऐसे संसाधन जो एक बार उपयोग में आने के बाद नष्ट हो जाते हैं उन्हें दोबारा उपयोग में नहीं लाया जा सकता ऐसे संसाधनों को अनवीकरणीय ऊर्जा के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।

आर्थिक विकास में ऊर्जा की भूमिका

आर्थिक विकास के अंतर्गत मानवीय उपभोग की विधि वस्तुओं के उत्पादन में प्रगतिशील वृद्धि का भाव निहित रहता है। ऊर्जा किसी भी देश के विकास का इंजन होती है। किसी देश में प्रति व्यक्ति होने वाली ऊर्जा की खपत वहां के जीवन स्तर का भी सूचक है। हम यह कह सकते हैं कि आर्थिक विकास का भी ऊर्जा उपयोग के साथ एक मजबूत संबंध है। किसी भी अर्थव्यवस्था में बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता काफी जरूरी है।

ऊर्जा क्षेत्र में सतत विकास के लिए जरूरी है कार्यकुशलता में सुधार, ऊर्जा की बचत एवं संरक्षण तथा लगातार सुरक्षा। आर्थिक विकास के लिए ऊर्जा की आवश्यकता निरंतर बढ़ती जाएगी और जहां विद्युत आधार के विस्तार के लिए वित्तीय संसाधन सीमित हो जाएंगे वहां बेहतर ऊर्जा प्रबंधन ही ऊर्जा संबंधी एवं सुरक्षा संभावना होगी।

या गौर करने वाली बात है कि पिछले सौ 200 सालों में मनुष्य ने ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए पृथ्वी की सतह के नीचे दबे संसाधनों पर भरोसा किया है। लेकिन अब वक्त आ गया है कि सुरक्षित भविष्य के लिए सौर और पवन ऊर्जा जैसे उपलब्ध संसाधनों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग किया जा सके।

दुनिया की आबादी वर्तमान समय में 760 करोड़ के आसपास ए जो साल 2050 तक 900 करोड़ तक पहुंच सकती है। इस बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए संसाधनों की तेजी से खपत हो रही है। संभावित तौर पर सभी गैर नवीनीकरण ऊर्जा स्रोत निकट भविष्य में समाप्त हो जाएंगे। जिसका सर बड़ी से बड़ी अर्थव्यवस्था पर देखने को मिल सकता है।

भारत जैसे देश की बात करें तो या एक तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है और किसी भी अर्थव्यवस्था में ऊर्जा तथा वित्त इंधन का काम करती है। वित्त के अभाव में उर्जा आर्थिक प्रगति के रफ्तार को धीमा कर सकती है। हम देख सकते हैं कि किस तरह से ऊर्जा हमारे अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डालती है।

इसलिए किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के अंतर्गत Energy Economics के अध्ययन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके अर्थव्यवस्था पर प्रभाव काफी अधिक है। इसके साथ ही ऐसे विकल्प इंधन के शोध पर जोर देना होगा जिसमें मेथेनॉल, हाइड्रोजन आधारित इंधन, जेट्रोफा तेल और सेल गैस आदि भूमिका निभाते हो।

निष्कर्ष

आज के हमारे इस लेख में आपने क्या सीखा? आज के हमारे इस लेख में हमने आप सभी लोगों को इस बारे में जानकारी उपलब्ध कराई है कि, What is Energy Economics? – उर्जा अर्थशास्त्र क्या है? साथ ही साथ हमने अपने इस लेख में इस को परिभाषित भी किया है। ” यह एक विस्तृत वैज्ञानिक क्षेत्र है, जिसमें समाज में ऊर्जा की आपूर्ति व उपयोग से संबंधित विषयों का अध्ययन किया जाता है”।

आज के हमारी इस लेख के माध्यम से आपको यह अच्छी तरह से समझ में आ गया होगा कि ऊर्जा अर्थशास्त्र क्या है? इसके हमारे अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव है? उम्मीद करता हूं, आपको आज का हमारा यह लेख पसंद आया होगा। इससे संबंधित अगर आपकी कुछ सवाल एवं सुझाव है तो आप हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

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