What is sustainable economy – सतत अर्थव्यवस्था क्या है?

एक सतत अर्थव्यवस्था लोगों के लिए जीवन की अच्छी गुणवत्ता प्रदान करती है। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को बदलना एक चुनौती है जिसके लिए साहसिक नेतृत्व और कार्रवाई के लिए हमें एक मजबूत प्रतिबद्धता की आवश्यकता है। स्वतंत्र आर्थिक विकास आर्थिक विकास है जो मनुष्य की जरूरतों को पूरा करने का प्रयास करता है लेकिन इस तरह से जो प्राकृतिक संसाधनों और भविष्य की पीढ़ियों के लिए पर्यावरण को बिना हानि पहुंचाए हम एक सतत अर्थव्यवस्था के बारे में कल्पना कर सकते हैं। आज के हमारे इस लेख में हम इसी बारे में जानकारी लेंगे की, What is sustainable economy – सतत अर्थव्यवस्था क्या है?

सतत विकास एवं आर्थिक विकास सतत विकास का तात्पर्य केवल पर्यावरण का संरक्षण करना नहीं होता बल्कि इसने विकास एवं प्रीति की नवीन अवधारणा को उत्पन्न किया है। या विश्व के सीमित प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट किए बगैर तथा विश्व की धारणीयता क्षमता के साथ समझौता किए बगैर यह केवल विशेष लोगों को अधिकार नहीं देता बल्कि सभी के लिए निष्पक्ष एवं समाज अवसर प्रदान करता है। सतत अर्थव्यवस्था विकास एक प्रक्रिया है जिसमें आर्थिक राजस्व संबंधी व्यवसाय, किसी तथा उद्योग नीति को इस प्रकार निर्मित करने की कोशिश की जाती है जिससे विकास को सामाजिक, आर्थिक और परिस्थिति के रूप से संतुलित किया जा सके।

What is sustainable economy – सतत अर्थव्यवस्था क्या है?

सतत अर्थव्यवस्था, अर्ध विकसित देशों के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि विकास की गतिसील प्रक्रिया के रूप में इसको देखा जाता है। सतत विकास प्रकृति के साथ-साथ तटस्थ तथा स्व प्रेरित होता है। अगर आप इसे परिभाषित करें तो हमसे इस तरह से परिभाषित कर सकते हैं :-

आने वाली पीढ़ी की आवश्यकताओं से समझौता किए बिना, वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु विकास ही संधारणीय विकास, टिकाऊ विकास को ही सतत विकास के रूप में परिभाषित किया जाता है।

सतत अर्थव्यवस्था के अंतर्गत हम एक ऐसा विकास करते हैं जिसमें हम प्रकृतिक में मौजूद संसाधनों को अपने जरूरत के अनुसार कुछ इस प्रकार इस्तेमाल करते हैं, ताकि जो संसाधन हम अभी इस्तेमाल कर रहे हैं वह संसाधन आने वाली पीढ़ियों को इस्तेमाल करने के लिए बचा रहे।

हम तो जरूरतों के हिसाब से संसाधनों का उपयोग करते हैं। वैसे भी किसी महान व्यक्ति ने कहा है कि इस पृथ्वी पर सभी की आवश्यकता पूर्ति के लिए सब कुछ पर्याप्त मात्रा में है, लेकिन लालच के लिए किसी के लिए कुछ नहीं। इसका मतलब यह है कि हम अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लालच नहीं छोड़ते। संसाधनों को पर्याप्त मात्रा में उपयोग करना, तथा आने वाली पीढ़ियों के लिए बचत करना ही सतत विकास कहलाता है।

अर्थव्यवस्था को समाज से अलग नहीं किया जा सकता है, जहां उसका अभिन्न अंग है लेकिन इस तथ्य को काफी हद तक हम इंसान भूल चुके हैं कि अर्थव्यवस्था समाज का सिर्फ एक हिस्सा है। अर्थव्यवस्था और आर्थिक सोच को समाज को नहीं चलाना चाहिए, बल्कि इसके उद्देश्यों में समाज का समर्थन करना चाहिए। बदले में मानव समाज को उस पर्यावरण का को बचाने की कोशिश करनी चाहिए। अर्थशास्त्र ने प्रकृति पूंजी का ठीक से मूल्यांकन नहीं किया है। प्राकृतिक पूंजी का प्राकृतिक संसाधन है जो कि मनुष्य को अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आवश्यकता होती है। ताजा पानी, मिट्टी, मछली पालन, हवा आदि जैसी चीजें हैं। औद्योगिक क्रांति की शुरुआत के बाद से हर जगह मानव अर्थव्यवस्थाओं ने अपनी प्राकृतिक पूंजी को आय की तरह खर्च किया है। मानवता, विशेष रूप से मानवता के समृद्धि औद्योगिक हिस्से ने पर्यावरण को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है और ऐसे संसाधनों को हटा दिया है जिन्हें कभी बदला नहीं जा सकता।

एक स्थायी अर्थव्यवस्था क्या है?

एक आदर्श और टिकाऊ अर्थव्यवस्था हुआ है जो कम से कम साधनों का उपयोग और पर्यावरणीय नुकसान के साथ सामान्य कल्याण की सभी बड़ी मात्रा प्रदान करती हो। आर्थिक दृष्टि से, वास्तव में टिकाऊ होने के लिए, प्राकृतिक संसाधनों की संबंधी मांग संसाधनों की प्रकृति की नवीकरणीय आपूर्ति से कम होनी चाहिए।

लोगों को अक्सर या विश्वास दिलाया जाता है कि उनकी भलाई हार्दिक कारकों से संचालित होती है यह काफी हद तक सच नहीं है। अर्थव्यवस्था समाज का सिर्फ एक अंग है। इसका मूल उद्देश भलाई पैदा करने वाले वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करने के लिए श्रम और कच्चे माल जैसे संसाधनों को व्यवस्थित करना होता है।

सतत विकास एवं एक स्थायी अर्थव्यवस्था

सतत अर्थव्यवस्था का महत्व संपूर्ण मानव जाति के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि पृथ्वी पर प्रत्येक प्रकार की प्रकृतिक संसाधन उसके ऊपर केवल वर्तमान पीढ़ी का ही नहीं बल्कि आने वाले वीडियो का भी हक है। इसीलिए इन संसाधनों का अस्तित्व ही पृथ्वी पर समाप्त हो जाएगा तो वर्तमान पीढ़ी इसका उपयोग अच्छी तरह से नहीं कर पाएगी।

आने वाली जनरेशन इन संसाधनों का उपयोग नहीं कर पाएंगे जिससे कि उनका जीवन काफी कठिन हो जाएगा इसका पूरा उत्तर दायित्व हमारे ऊपर आ जाएगा। इसलिए हमारा परम कर्तव्य बनता है कि हम पृथ्वी पर उपस्थित सभी प्रकार की प्राकृतिक संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करें ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इसका लाभ उठा सकें और अपने जीवन को आसान बना सकें।

एक सतत विकास का निम्नलिखित उद्देश्य उन सभी के बारे में हम नीचे कुछ बिंदुओं द्वारा बता रहे हैं :-

  • लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा और आर्थिक रूप से मजबूत करना।
  • हमारे पर्यावरण एवं वातावरण को स्वच्छ एवं शुद्ध बनाए रखना।
  • आर्थिक विकास को बढ़ावा देना लेकिन इस बात का ध्यान रखना की प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित रूप से उपयोग किया जा सके।
  • कारण भंडार और भविष्य की अप्रत्यक्ष रूप से हानि पहुंचाए बिना प्रकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना और साथ ही साथ विकास के लिए आर्थिक विकास की तीव्र करने का लक्ष्य निर्धारित करना।

Why we need Sustainable Economy – हमें एक सतत अर्थव्यवस्था की आवश्यकता क्यों है?

जैसा कि हमने ऊपर आप सभी लोगों को इस बारे में जानकारी उपलब्ध कराई है, सतत अर्थव्यवस्था की विकास में हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने से बचना है। जिसे हम नीचे कुछ बिंदुओं द्वारा समझा रहे हैं।

  • हमें एक सतत अर्थव्यवस्था की जरूरत इसलिए है ताकि हम अपने पर्यावरण कोविना हानि पहुंचाए सतत विकास कर सकें। जिस तरह से देश और दुनिया में प्रदूषण बढ़ रहा है अगर उसे रोका नहीं जा सका तो एक दिन पूरी पृथ्वी से मनुष्य का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।
  • हमें अक्सर यह पढ़ाया जाता है कि पृथ्वी पर प्राकृतिक संसाधनों का अपार भंडार है, लेकिन अगर आप इन संसाधनों का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाएंगे तो आने वाली पीढ़ियों को उन संसाधनों का लाभ नहीं मिल पाएगा।
  • प्राकृतिक संसाधनों का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाने पर आने वाली पीढ़ियों का जीवन स्तर काफी दुर्गम और कठिन हो जाएगा इसलिए जी जनन को प्राकृतिक संसाधन हम विरासत के रूप में बेहतर कर सकते हैं इसलिए सतत विकास की और अर्थव्यवस्था की आवश्यकता है।
  • एक सतत अर्थव्यवस्था के अंतर्गत हमें प्रकृति का उपयोग ऐसे करना है कि उसकी कमी ना हो सके क्योंकि आप जानते हैं यदि आप किसी चीज का अधिक सेवन करते हैं तो उसके गंभीर परिणाम निश्चित रूप से आते हैं। इसीलिए वातावरण की सुरक्षा भी करनी जरूरी है।
  • जनसंख्या वृद्धि काफी तेजी से बढ़ रही है, इस तरह से प्राकृतिक संसाधनों का उचित तरीके से उपयोग नहीं किया गया तो उत्पादन को जैसे भोजन, पानी उर्जा और अन्य प्रकार के संसाधनों की भारी कमी हो सकती है।
  • एक सतत अर्थव्यवस्था के अंतर्गत सतत विकास से भीषण महामारी जैसी समस्याओं को रोका जा सकता है। क्योंकि आप जानते हैं कि दुनिया में कई प्रकार की महामारी आई है इसमें करोड़ों लोगों की जान चली गई और हाल के दिनों में आप लोगों ने देखा होगा कोरोना महामारी के कारण लाखों लोगों की जान चली गई थी इसलिए सतत विकास महामारी की समस्या का निवारण किया जा सकता है।

निष्कर्ष

आज के हमारे इस लेख में आपने क्या सीखा? आज के हमारे इस लेख में हमने आप सभी लोगों को इस बारे में जानकारी उपलब्ध कराई है कि, What is sustainable economy – सतत अर्थव्यवस्था क्या है? किसी भी देश के लिए सतत अर्थव्यवस्था क्यों जरूरी है इस बारे में भी हमने आप सभी लोगों को जानकारी दी है।

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