जो भी हम कोई चाइनीस मूवी देखते हैं तो हमें चाइनीस मूवी में कराटे, कुंग फू और ताइकांडो जैसी लड़ाइयां देखने को मिलती है। बहुत कम लोग मार्शल आर्ट के अन्य प्रकारों को भी जानते होंगे। वास्तव में आज कई अलग-अलग प्रकार की मार्शल आर्ट दुनिया में मौजूद है। जिनमें से प्रत्येक की एक अलग अलग लड़ाई शैली होती है। इनमें से बहुत सारे लोगों को इस बारे में भी जानकारी नहीं होती है कि कराटे, कुंग फू और ताइक्वांडो के बीच में क्या अंतर है, और यह भी नहीं समझ पाते कि मार्शल आर्ट क्या है? आज के हमारे इस लेख में हम इसी बारे में जानकारी उपलब्ध कराने वाले हैं कि What is martial Arts? मार्शल आर्ट क्या है?
What is martial Arts? मार्शल आर्ट क्या है?
मार्शल आर्ट एक तरह का खेल है जो हमला करने और बचाव करने से संबंधित रखता है। दूसरे शब्दों में, मार्शल आर्ट युद्ध के बारे में है। हालांकि, कुछ प्रकार के मार्शल आर्ट में हथियारों का भी प्रयोग किया जाता है। लेकिन अधिकांश मार्शल आर्ट मे आप बिना हथियार के अपने हाथों से ही लड़ते या मुकाबला करते हैं।
मार्शल आर्ट के दुनियाभर में इतने प्रकार हैं कि उनमें से बहुत से प्रकारों का नाम हम भी नहीं जानते? लेकिन भविष्य में इनकी संख्या भी बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है क्योंकि अधिक पेशेवर शैलियां मार्शल आर्ट में विकसित की जा रही है।
मार्शल आर्ट के लिए बहुत अधिक आत्मानुशासन की आवश्यकता होती है। हालांकि, मार्शल आर्ट के रूपों को सीखना मुश्किल है और आमतौर पर लोग उन्हें महारत हासिल करने में सालों लग जाते हैं, यह सब अत्यधिक प्रयास और मेहनत के फल स्वरुप ही कोई मार्शल आर्ट में अपनी महारत हासिल कर सकता है।
हम ऐसा कह सकते हैं? कि मार्शल आर्ट की शुरुआत करने से पहले हमें अपने पूरे शरीर में सामन्वय और लचीलापन लाने की जरूरत होती है। मार्शल आर्ट के जरिए आप अपनी पूरी बॉडी की वर्कआउट भी कर सकते हैं। आपके शारीरिक स्वास्थ्य को अच्छा रखने के अलावा मार्शल आर्ट आपकी मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार कर सकता है और आपको अच्छे आत्मरक्षा कौशल से लैस बना सकता है।
यदि आप सीखने में रुचि रखते हैं तो हम नीचे मार्शल आर्ट की एक सूची दे रहे हैं ताकि आप यह जान सके कि आपके लिए सबसे अच्छा मार्शल आर्ट का प्रकार कौन सा साबित होने वाला है।
Aikido – एकिडो
यह मार्शल आर्ट का एक प्रकार है। जिसे जापान में 1940 में विकसित किया गया था। इसके निर्माता मोरोही उशीबा (Morihei Ueshiba) है।
पूरी दुनिया में लोग, जापानी मार्शल आर्ट के विभिन्न शैलियों का अभ्यास करते हैं। इन्हीं मार्शल आर्ट के प्रकार में से एक है एकिडो , मार्शल आर्ट सीखने वाले एकिडो को ” जीवन ऊर्जा के साथ एकत्रित करने का तरीका” या ” सामंजस्यपूर्ण भावना का मार्ग” कहते हैं।
इसे विकसित और इसे बनाने वाले मोरोही उशीबा ने भी इसे ओ–सेन्सेई कह है। जिससे उन्होंने मार्शल आर्ट ज्ञान के साथ भारतीय और चीनी मान्यताओं को जोड़ा। इस प्रकार मार्शल आर्ट का यह प्रकार मानसिक आध्यात्मिक और शारीरिक प्रशिक्षण से संबंधित है।
Aikido, अपनी प्रतिद्वंदी को फेंकने, मारने और पिन करने पर ध्यान केंद्रित करता है। मार्शल आर्ट के इस प्रकार में ग्रेपलिंग और जॉइंट लॉकिंग भी काफी प्रचलित है। कभी-कभी, जापानी तलवारों और चाकू जैसी हथियारों के साथ भी इस मार्शल आर्ट को करना पसंद करते हैं।
अमेरिकी केनपो (Kenpo) कराटे
अमेरिकी स्टाइल के इस कराटे को वर्ष 1950 में विकसित किया गया था। मार्शल आर्ट का यह प्रकार संयुक्त राज्य अमेरिका में ऐड पार्कर (Ed Parker) द्वारा निर्माता एवं विकसित किया गया।
जैसा कि हम पहले ही इस बारे में चर्चा कर चुके हैं कि मार्शल आर्ट के कई प्रकार हैं। जो कि मार्शल आर्ट को अपनी मान्यताओं या प्रथाओं के साथ मिलाते हैं। मार्शल आर्ट का यह प्रकार अमेरिका में विकसित किया गया, इस वजह से इसे अमेरिकी केनपो (Kenpo) कराटे कहलाता है।
मार्शल आर्ट का यह अमेरिकी रूप हाथों से हाथों का मुकाबला और आत्मरक्षा रणनीति पर केंद्रित है। अमेरिकी केनपो (Kenpo) कराटे प्रतिक्रिया समय एक महत्वपूर्ण कारक माना जाता है। इस मार्शल आर्ट में आपको हम लोग का तुरंत जवाब देना होता है।
इस मार्शल आर्ट में स्थानांतरण रूपों के बीच में तेजी से हमले का जवाब देना होता है। इन रूपों के कुछ उदाहरण है जैसे शॉर्ट फॉर्म 1, शॉर्ट फॉर्म दो, लॉन्ग फॉर्म दो इत्यादि।
Arni’s (आर्निस)
Arni’s (आर्निस), मार्शल आर्ट का एक प्रकार है। इसे लगभग 1500 ईसवी के आसपास विकसित किया गया था। मार्शल आर्ट का जो प्रकार फिलीपींस देश में काफी लोकप्रिय है।
जैसा कि हम ऊपर जिक्र करते आ रहे हैं कि किसी ना किसी मार्शल आर्ट के प्रकार को किसी व्यक्ति द्वारा बनाया गया है। यहां एक मार्शल आर्ट के प्रकार को किसी दूसरे मार्शल आर्ट के प्रकार में विकसित किया गया हो। लेकिन, Arni’s (आर्निस) मार्शल आर्ट का कोई भी निर्माता या विकसित करने वाला नहीं है।
1500 के आसपास के दौरान, फिलीपींस के स्वदेशी लोगों ने भाले, तलवार और लाठी जैसे विभिन्न हथियारों से अपनी और अपनी भूमि की रक्षा की। माना जाता है कि इसी से Arni’s (आर्निस) मार्शल आर्ट का विकास हुआ है।
Arni’s (आर्निस) फिलिपिंस का राष्ट्रीय खेल और मार्शल आर्ट है। इसमें इस्तेमाल होने वाले यह हथियार लकड़ी के डंडे की या खंजर होते हैं। जबकि Arni’s (आर्निस) हथियार आधारित लड़ाई पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित करता है, हाथ से हाथ का मुकाबला अभी भी महत्वपूर्ण है। हाथापाई और हथियार निरस्तीकरण कुछ ऐसी तकनीक है जो आप इस तरह के मार्शल आर्ट में देख सकते हैं।
Boxing – मुक्केबाजी
मुक्केबाजी, को भी मार्शल आर्ट के एक केटेगरी में रखा जाता है। मुक्केबाजी भी मार्शल आर्ट का एक प्रकार ही है। इसका विकास वर्ष 688 ईसा पूर्व में किया गया था। इसका विकास प्राचीन ग्रीस में हुआ था। लेकिन मार्शल आर्ट के इस प्रकार मुक्केबाजी का निर्माता या इसे विकसित करने वाला कौन है इस बारे में इतिहास में किसी भी तरह की कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं है।
सभी प्रकार की मार्शल आर्ट में से, मुक्केबाजी सबसे लोकप्रिय मार्शल आर्ट में से एक में मानी जाती है। बॉक्सिंग एक ओलंपिक खेल है जिसका हर साल कई लोग इंतजार करते हैं।
पश्चिमी मुक्केबाजी, चित्र का बॉक्सिंग खेल है जो केवल घूंसे का उपयोग करके खेला जाता है। एक बॉक्सिंग मैच के दौरान एक रिंग के अंदर दो विरोधी 3 मिनट के राउंड के दौरान एक दूसरे पर घूंसे मारते हैं। रिंग के अंदर एक रात्रि मैच की देखरेख करेगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई फाउल ना हो सके।
मुक्केबाजी का मूल निर्माता अज्ञात है। इसकी उत्पत्ति का पता प्राचीन ग्रीस में लगाया जा सकता है, जहां यह प्राचीन ओलंपिक खेलों का हिस्सा था।
Brazilian Jiu-Jitsu – ब्राजीलियन मार्शल आर्ट जीटसु
ब्राजीलियन मार्शल आर्ट जीटसु (Brazilian Jiu-Jitsu – ब्राजीलियन मार्शल आर्ट जीटसु) को साल 1920 के आसपास ब्राजील में बनाया गया था। इसके निर्माता के रूप में Carlos Gracie, Oswaldo Gracie, आदि को जाना जाता है।
Brazilian Jiu-Jitsu – ब्राजीलियन मार्शल आर्ट जीटसु मार्शल आर्ट के प्रकार में से एक है। जो जमीनी लड़ाई पर केंद्रित है। इसका मतलब यह है कि या एक प्रकार के मार्शल कलाकार अपने प्रतिद्वंदी से जमीन पर निपटने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। जो कोई भी अपने प्रतिद्वंदी को जमीन पर ही पस्त कर देगा, वही मैच जीतेगा।
जबकि इस मार्शल आर्ट के लिए आपको अपने विरोधियों को नीचा दिखाना पड़ता है। कई लोग इसे एक अहिंसक खेल के रूप में देखते हैं। ब्राजीलियन मार्शल आर्ट में मार्शल कलाकारों को जमीन पर विरोधियों से निपटने के लिए कौण, दबाव, समय और उत्तोलन में महारत हासिल करनी होती है। इन सिद्धांतों को लागू करने से यह सुनिश्चित होता है कि विरोधी एक दूसरे को नुकसान ना पहुंचाएं या गलतियां ना करें।
इन सिद्धांतों के, छोटे लोग भी बड़े से बड़े विरोधियों को हरा सकते हैं। वास्तव में ब्राजील में विकसित हुई यह मार्शल आर्ट को ‘Gentle art’ के नाम से भी जाना जाता है।
Capoeira – कैपीरा
ब्राजील में ही विकसित यह भी एक मार्शल आर्ट का प्रकार है जिसे 1500 शताब्दी के आसपास ब्राजील में विकसित किया गया था। लेकिन इसके निर्माता कौन है? इस बारे में इतिहास में कोई भी किसी तरह की जानकारी उपलब्ध नहीं है।
कुछ प्रकार की मार्शल आर्ट युद्ध शैलियों को कलाबाजी के साथ जुड़ जाता है। जैसे कि आप Capoeira – कैपीरा को ही ले लें यह एक तरह से नृत्य और मार्शल आर्ट का एक सही मिश्रण है।
ब्राजील में गुलाम अफ्रीकी इस मार्शल आर्ट का अभ्यास करने वाले पहले व्यक्ति थे। एक कैपोइरिस्ट एक ऐसा व्यक्ति को संदर्भित करता है जो कि इससे संबंधित एक नृत्य के प्रकार का अभ्यास करता है। इसी से जोड़कर इसे Capoeira – कैपीरा नाम दिया गया है। मार्शल आर्ट के प्रकार को करने के लिए व्यक्ति में लचीलापन और चुस्त होना बेहद जरूरी होता है। इस तरह के मार्शल आर्ट में हैंड स्टैंड और सोमर साल्ट जैसे दावपेंच चले जाते हैं।
संगीत इस तरह के मार्शल आर्ट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। एक मैच में दो प्रतिद्वंदी संगीत के साथ अपनी चाल को समय देते हुए एक दूसरे पर प्रहार करने की कोशिश करते हैं। दोनों गायन और वाद्य यंत्र कैपोइरिस्टास के साथ होते हैं क्योंकि उनका सम्मान किया जाता है।
हमने ऊपर मार्शल आर्ट के विश्व भर में कुछ प्रमुख प्रकारों के बारे में आप सभी लोगों को जानकारी दी है। इन सबके अलावा मार्शल आर्ट के और भी बहुत सारे प्रकार हैं। अलग-अलग देशों में मार्शल आर्ट के प्रकारों को विकसित किया गया है जिस वजह से उन्हें वहां के लोगों द्वारा अपनाया गया है। भारत जैसे देश में भी मार्शल आर्ट के कई सारे प्रकार हमें देखने को मिलते हैं। जिनके बारे में हम नीचे जानकारी लेने वाले हैं।
भारत जैसे देश में मार्शल आर्ट के प्रकार
भारत जैसे देश में हमें मार्शल आर्ट के बहुत सारे प्रकार देखने को मिलते हैं। शायद इन सब भी मार्शल आर्ट में से किन्ही पर आपने भी गौर किया होगा। जैसे कि मणिपुर में थांग टा मार्शल आर्ट का ही एक प्रकार है, पश्चिमी बंगाल का लाठी खेल, पंजाब का गतका, केरला में खेले जाने वाला कलारीपयटू, मल्लखंब मध्य प्रदेश, सिलंबम तमिल नाडु, मुष्टी युद्ध बनारसी, काठी सामू आंध्र प्रदेश, पाईका आंकड़ा उड़ीसा इन सारे खेलों को भी मार्शल आर्ट के प्रकारों में रखा जाता है।
जैसा कि हम ऊपर आपको जानकारी दे चुके हैं कि हमारे भारत जैसे देश में भी मार्शल आर्ट के कई प्रकारों को लोगों द्वारा अभ्यास किया जाता है। अलग-अलग देशों में इन्हें अलग-अलग लोगों द्वारा विकसित किया गया है। जिसे हम यह कह सकते हैं कि मार्शल आर्ट के बहुत सारे प्रकार हैं।
भारत के प्रसिद्ध मार्शल आर्ट कला
थांग टा – मणिपुर
थांग टा मार्शल आर्ट का ही एक प्रकार है। द मार्शल आर्ट की एक प्रथा है इस तकनीक का इस्तेमाल ज्यादातर मणिपुर राज्य में अत्यधिक प्रचलित है। हाहूएन लैंगलॉन्ग मणिपुर की एक भारतीय मार्शल आर्ट है।
इस मार्शल आर्ट में प्राथमिक हथियार के रूप में थांग यानी की तलवार और टा यानी कि भाला का इस्तेमाल किया जाता है। बहुत सारे क्षेत्रों में इसके बदले ढाल और कुल्हाड़ी भी शामिल होती है।
लाठी खेल पश्चिमी बंगाल
ऐसे तो लाठी खेल पूरे भारतवर्ष में काफी ज्यादा है प्रचलित है। लाठी लड़ने के लिए तथा भारत में मार्शल आर्ट में इस्तेमाल किए जाने वाला एक प्राचीन लकड़ी का हथियार है।
पंजाब और बंगाल राज्य में मार्शल आर्ट में लाठी या छड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। लाठी खेल में अपनी उपयोगिता के लिए विशेष रूप से भारतीय गांवों में काफी लोकप्रिय है।
गतका – पंजाब
गतका एक परमपारीक मार्शल आर्ट रूप है जो सिख गुरुओं से जुड़ा हुआ है। यह तलवार और लाठी लड़ने के कौशल और आत्म नियंत्रण के साथ खेला जाता है।
माना जाता है कि इस मार्शल आर्ट की उत्पत्ति तब हुई थी जब 6 वें सिख गुरु हरगोबिंद ने मुगल काल के दौरान आत्मरक्षा के लिए कृपाण को अपनाया था। माना जाता है कि दो या दो से अधिक आ भाषियों के बीच लड़ाई की शैली गतका घातक शास्त्र विद्या का संस्करण है। तेज तलवारों की जगह लकड़ी के डंडे और ढाल द्वारा वर्तमान समय में इस युद्ध का मार्शल आर्ट के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
कई जगहों में इसे एक युद्ध तकनीकी के रूप में देखा जाता है। यह पहले गुरुद्वारों, नगर कीर्तन और अखाड़ों तक ही सीमित था। लेकिन अब यह वर्ष 2008 में गतका फेडरेशन ऑफ इंडिया के गठन के बाद खेल श्रेणी में शामिल कर लिया गया है। आज इसका उपयोग आत्मरक्षा और युद्ध कौशल दिखाने के लिए किया जाता है और यह सभी धर्मों और समुदायों के लोगों के लिए खुला है।