भारत सरकार द्वारा 34 साल बाद शिक्षा नीति पर बदलाव किया गया है। भारत में अभी तक जो प्रारूप स्कूली शिक्षा के लिए किया जाता था। उसके अंतर्गत एक कक्षा से 10 कक्षा तक की स्कूली शिक्षा, उच्चतर माध्यमिक शिक्षा के अंतर्गत 10 + 2, स्नातक शिक्षा के अंतर्गत 3 वर्षीय कोर्स, पर स्नातक के अंतर्गत 2 वर्षीय कोर्स थी। New Education policy 2020 in Hindi
29 जुलाई 2020 को भारत के शिक्षा मंत्री द्वारा नई शिक्षा नीति लाई गई है। इसके अंतर्गत मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम फिर से शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। 29 जुलाई को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया है। दौरान कई शिक्षा नीतियों को भी मंजूरी दी गई है। जिसमें स्कूली शिक्षा से लेकर के उच्च शिक्षा देने के लिए कई सारे बड़े बदलाव भी किए गए हैं।
नई शिक्षा नीति में टेन प्लस टू के प्रारूप को खत्म कर दिया गया है। अब इसे टेन प्लस टू से अलग करके नया प्रारूप तैयार किया गया है। जिसमें 5+3+3+4 किया गया है।
इसके अलावा भी नहीं शिक्षा नीति के अंतर्गत कई सारे बड़े फैसले लाए गए हैं। निजी स्कूलों के मनमाने ढंग से फीस बढ़ाने, के लिए कमर कसने, शिक्षा में गुणवत्ता, स्कूलों और कॉलेजों में एडमिशन के लिए कॉमन एडमिशन एंट्रेंस एग्जाम इत्यादि चीजों का भी प्रावधान किया गया है।
आज के हमारी इस लेख में हम यह जानेंगे कि नई शिक्षा नीति और पुरानी शिक्षा नीति में क्या क्या नीतियां थी। इसके अलावा New Education policy 2020 in Hindi पर क्या-क्या बदलाव किए गए हैं। आने वाली पीढ़ी को किस तरह का फायदा पहुंचेगा। इसके अलावा हम इनकी खामियों के बारे में भी बात करने वाले हैं।
New Education policy 2020 in Hindi
नई शिक्षा नीति 2020 क्या है?
29 जुलाई 2020 को भारत के शिक्षा मंत्री द्वारा नई शिक्षा नीति लाई गई है। इससे पहले भारत में 34 वर्ष पुरानी शिक्षा नीति चल रही थी।
पुरानी शिक्षा नीति के अंतर्गत कक्षा एक से कक्षा दसवीं तक की शिक्षा ग्रहण करने का प्ररूप था। इसके साथ ही उच्च माध्यमिक शिक्षा के लिए 10 + 2 रूप बनाया गया था। स्नातक एवं पर-स्नातक के लिए 3 वर्षीय एवं 2 वर्षीय कोर्स थे। यह हमारी पुरानी शिक्षा नीति व्यवस्था है।नए नियम के आ जाने के बाद इसमें कई सारे बदलाव किए गए हैं। इसमें सबसे बड़ा बदलाव उच्च स्तरीय शिक्षा के लिए किया गया है। जिसमें स्कूलों से 10 + 2 की व्यवस्था को हटा दिया गया है।उसके साथ में ही स्नातक एवं पर-स्नातक एवं शोध क्षेत्र में भी उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए कई सारे बदलाव किए गए हैं। आगे बढ़ने से पहले हम यह जान लेते हैं जी कौन-कौन से बदलाव नई शिक्षा नीति के अंतर्गत लाए गए हैं।
नई शिक्षा नीति के अंतर्गत निम्नलिखित बदलाव किया गया है
- उच्च शिक्षा में मल्टीपल एंट्री एवं एग्जिट का विकल्प दिया गया है।
- 5 साल का कोई कोर्स वालों एमफिल में छूट दी जाएगी।
- कॉलेज के एक्रीडिटेशन के अनुसार उसे Autonomous किया जाएगा।
- मेंटरिंग के लिए राष्ट्रीय मिशन।
- हायर एजुकेशन के लिए एक ही regulatory का निर्धारण किया गया है।
- सरकारी स्कूलों और प्राइवेट शिक्षा के मानक को सामान रखने के लिए नीति लाई गई है।
- इसके अंतर्गत लीगल एवं मेडिकल शिक्षा को शामिल नहीं किया गया है।
- इसके साथ ही नई शिक्षा नीति के अंतर्गत National research foundation की स्थापना की जाएगी।
- नई शिक्षा व्यवस्था के अंतर्गत तकनीकी शिक्षा पर जोर दिया जाएगा।
- दिव्यागजनो के लिए शिक्षा में बदलाव किया गया है।
- 8 क्षेत्रीय भाषाओं में e-course की शुरुआत की जाएगी।
स्कूली शिक्षा में क्या क्या बदलाव किया गया है?
नई शिक्षा नीति के अंतर्गत स्कूली शिक्षा के प्रारूप में भी बदलाव किया गया है। आने वाले समय में हमें स्कूल में कई सारे बदलाव देखने को मिल सकते हैं। जिसमें वर्तमान समय में चल रही स्कूली व्यवस्था एवं कोर्स के लिए निर्धारित समय पर भी बदलाव होगा। चलिए देखते हैं स्कूल व्यवस्था में कौन-कौन से बदलाव किया गया है।
- 3 से 6 साल के बच्चों के लिए early child care and education की व्यवस्था की जानी है।
- एनसीईआरटी द्वारा फाऊंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमैरेसी पर नेशनल मिशन शुरू किया जाएगा।
- नौवीं से 12वीं तक की पढ़ाई का प्ररूप बदल कर के 5+3+3+4 कर दिया जाएगा।
- बच्चों के लिए नए कौशल कोडिंग कोर्स की शुरुआत की जाएगी।
- Extra curricular activities को कोर्स के curriculum पर शामिल किया जाएगा।
- Vocational शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है इस चलते कक्षा 6 से ही वोकेशनल शिक्षा शुरू हो जाएगी।
- पुरानी नीति के अंतर्गत केवल एक बार ही बोर्ड परीक्षा की व्यवस्था की गई थी। लेकिन New Education policy 2020 in Hindi के अंतर्गत स्कूली शिक्षा के अंतर्गत दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित की जाएगी।
- रिपोर्ट कार्ड में life skills को भी शामिल किया जाएगा।
- साल 2030 तक हर बच्चे के लिए शिक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
प्रतियोगिता परीक्षाओं में क्या बदलाव किया गया है?
NTA (National test for admission) के अंतर्गत देश में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए संस्थानों में एडमिशन हेतु common entrance exam लागू किया जाएगा।
इसके अंतर्गत उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाले लोगों के लिए केवल एक ही परीक्षा के माध्यम से वे अन्य संस्थानों के लिए दाखिला के लिए अर्जी दे सकते हैं।
व्यस्क शिक्षा पाठ्यक्रम के लिए स्कूल के घंटे और सार्वजनिक पुस्तकालय स्थानों से परे स्कूल परिसर का उपयोग जो संभव हो और अन्य समुदाय सगाई और गतिविधियों के लिए एआईसीटीई से लैस होगा।
शिक्षा के साथ कौशल के विकास में भी ध्यान दिया गया है
नई शिक्षा नीति के अंतर्गत शिक्षा के साथ-साथ कौशल विकास के क्षेत्र पर भी काफी ध्यान दिया गया है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित नई व्यवस्था की गई है।
- 3 से 18 वर्ष के बच्चे शिक्षा का अधिकार कानून के दायरे में आएंगे।
- कला, संगीत, शिल्प, लेख, खेल, योगा जैसे सामुदायिक सेवा जैसे विषय पाठ्यक्रमों में शामिल किए जाएंगे।
- बच्चों में जीवन जीने के जरूरी कौशल को विकसित करने पर जोर दिया जाएगा।
- वही टीचिंग, लर्निंग और असेसमेंट में तकनीकी को बढ़ावा देने के लिए जोर दिया गया है।
- इसके साथ ही e-learning और online course को बढ़ावा देने के लिए इसमें पारदर्शिता लाया जाएगा।
नई शिक्षा नीति के अंतर्गत सख्त किए जाएंगे नियम कानून?
नई शिक्षा नीतिके अंतर्गत सरकारी एवं प्राइवेट या निजी संस्थानों के लिए भी कानूनी व्यवस्था एवं नियम सख्त किए जाने को लेकर के कई सारे नियम बनाए गए हैं। इसके अंतर्गत निम्नलिखित कार्य किए जाएंगे:-
- निजी स्कूलों को मनमाने ढंग से फीस वसूलने के लिए कानून बनाए जाएंगे।
- उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए एक ही नियामक तय किया जाएगा।
- विवि व उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए common entrance exam की व्यवस्था की जाएगी।
- इसके अंतर्गत उच्च शिक्षा हासिल करने वाले विद्यार्थियों को अलग-अलग संस्थानों में एक ही कोर्स के लिए अलग-अलग परीक्षा देने की जरूरत नहीं है।
- National educational technology forum की स्थापना की जाएगी।
- रिसर्च में जाने वालों के लिए 4 साल की और जो नौकरी में जाना चाहते हैं उनके लिए 3 साल की डिग्री की व्यवस्था की जाएगी।
नई शिक्षा नीति (New Education policy 2020 in Hindi) के अंतर्गत यह सारे बदलाव किए गए हैं। इससे भारतीय शिक्षा व्यवस्था को एक नई दिशा मिलने की उम्मीद की जा रही है। आने वाला वक्त बताएगा कि शिक्षा व्यवस्था भारतीय विद्यार्थियों के लिए कितनी लाभप्रद साबित होने वाली है। नई शिक्षा व्यवस्था शिक्षा नीति 1986 की शिक्षा नीति की जगह लागू किया जाना है।