कोविड-19 महामारी के दौरान देश भर की सकल घरेलू उत्पाद पर भारी गिरावट देखने को मिली है। भारतीय अर्थव्यवस्था भी इससे अछूती नहीं रही है। भारत की Indian Current GDP भी गिर कर के -23.9% तक पहुंच गया है। इसका हमारे अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है?
अर्थव्यवस्था आने वाले समय यानी कि साल 2021 और साल 2022 में क्या बदलाव हो सकते हैं। आम इंसान पर इसका क्या प्रभाव पड़ने वाला है?इन सारे विषयों पर हम आज के अपने इस लेख पर चर्चा करने वाले हैं।
इसके अलावा हम भारत के Indian GDP by State के बारे में भी जानकारी लेंगे। हम यह भी देखेंगे कि World Bank Indian GDP के बारे में क्या प्रेडिक्शन करती है। इन सारे विषयों पर जाने से पहले हम इस बात की जानकारी लेंगे की सकल घरेलू उत्पाद क्या होती है? इसका किसी भी अर्थव्यवस्था पर असर क्या होता है?
What is GDP in Hindi – सकल घरेलू उत्पाद क्या है? Indian current GDP
GDP का फुल फॉर्म या पूर्ण Gross Domestic Product होता है, हिंदी में हम इसे सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं।
Gross Domestic Product किसी भी अर्थव्यवस्था को मापने या उसके प्रदर्शन को देखने की एक बुनियादी माप है। इसके अंतर्गत 1 वर्ष के अंदर किसी भी देश या राष्ट्र की सीमा के भीतर सभी आयात एवं निर्यात और सेवाओं का बाजार मूल्य है। जीडीपी को आप 3 तरीके से परिभाषित कर सकते हैं।
पहला :- एक निश्चित समय अवधि में ज्यादातर 1 साल की या 365 दिन एक देश के भीतर उत्पादित सभी अंतिम माल और सेवाओं के लिए किया गया कुल व्यय के बराबर किसी भी देश की सकल घरेलू उत्पाद होती है।
दूसरा :- यह किसी भी एक देश के भीतर एक अवधि में सभी उद्योगों के द्वारा उत्पादन की प्रतीक अवस्था पर कुल वधित मूल्य और उत्पादों पर सब्सिडी रहित करके योग्य के बराबर होती है।
तीसरा :- यह एक अवधि में देश में उत्पादन के द्वारा उत्पन्न आय के योग्य के बराबर है। यानी कि कर्मचारियों की क्षतिपूर्ति की राशि, उत्पादन पढ़कर और सब्सिडी रहित आयात और सकल परिचालन अधिशेष।
जीडीपी यानी कि सकल घरेलू उत्पाद को मापने के लिए ज्यादातर इस्तेमाल किया जाने वाला तरीका expenditure method है। इस तरीके से आप आसानी से किसी भी देश की जीडीपी को निकाल सकते हैं।
GDP(सकल घरेलू उत्पाद) = उपभोग+सकल निवेश+सरकारी खर्च+(निर्यात-आयात) or
GDP = C + I + G + (X – M)
Indian current GDP – आम नागरिकों पर असर
भारत के सकल घरेलू उत्पाद याद जीडीपी की विकास दर कोविड-19 की शुरुआती महीनों में तिमाही में जबरदस्त गिरावट देखी गई। केंद्र सरकार की सांख्यिकी मंत्रालय के अनुसार साल 2020-21 के वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के बीच विकास दर गिरकर के -23.9 प्रतिशत रहेगी। इसके अलावा यह भी माना जा रहा है कि देशव्यापी लॉकडाउन के चलते सकल घरेलू उत्पाद पर पहली तिमाही में 18% तक गिरावट देखी जाएगी।
किसी भी देश की जीडीपी पर गिरावट के चलते उसका सीधा असर आम नागरिकों पर पड़ता है। इससे आप यह अंदाजा लगा सकते हैं कि जीडीपी गिरने के साथ-साथ लोगों की प्रति व्यक्ति आय पर भी असर पड़ता है। कंपनी एवं उद्योग की उत्पादन क्षमता में भी कमी आती है। इसके अलावा बेरोजगारी भी बढ़ सकती है।
जीडीपी से पता चलता है कि साल भर में अर्थव्यवस्था ने कितना अच्छा या खराब प्रदर्शन किया है। अगर जीडीपी डाटा सुस्ती को दिखाता है,तो इसका यह मतलब है कि देश की अर्थव्यवस्था स्वस्थ हो रही है और देश ने इसे पिछले साल के मुकाबले पर्याप्त सम्मान का उत्पादन नहीं किया है और सेवा क्षेत्र में भी गिरावट रही है।
आम नागरिकों पर क्या असर होगा?
जैसा कि हमने बताया जीडीपी किसी भी देश की आर्थिक सेहत को मापने का सबसे जरूरी पैमाना होता है। भारत में सकल घरेलू उत्पाद की गणना हर तीसरे महीने यानी की तिमाही आधार पर की जाती है। वर्तमान समय में भारत की Indian current GDP गिर कर के शून्य से नीचे 23.9% पर पहुंच गया है।
सकल घरेलू उत्पाद में गिरावट की वजह लोग कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन को मान रहे हैं। GDP के अंतर्गत मुख्य तौर पर 8 औद्योगिक क्षेत्र आते हैं। इसमें कृषि, खनन, मैन्युफैक्चरिंग, बिजली, कंस्ट्रक्शन रक्षा, व्यापार और अन्य सेवाएं के आंकड़े जुड़ जाते हैं। कोविड-19 के दौरान इन 8 क्षेत्रों में 9.6% की गिरावट दर्ज की गई है। सकल घरेलू उत्पाद में गिरावट से आम इंसानों पर काफी प्रभाव पड़ता है।
- जीडीपी पर गिरावट दर्ज होने पर प्रति व्यक्ति की औसत आमदनी कम हो जाती है। अप्रैल से जून के बीच पूरी तरह से देश में कोविड-19 को लेकर के लोग डाउन रहा था। आने वाले समय में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या बढ़ जाएगी। लोग खर्च करने से ज्यादा बचत करने पर विश्वास करेंगे। इसका असर युवाओं पर भी हो सकता है क्योंकि रोजगार के अवसर कम हो जाएंगे।
- कोविड-19 मे लॉक डाउन की वजह से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के हालात काफी बद से बदतर हो चुके हैं। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में लगभग 40 फ़ीसदी की गिरावट देखी गई है। वही कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में 50.2% की गिरावट आई है।
- इसका असर सीधे उद्योग पर दिखेगा। उद्योग एवं कंपनियों की उत्पादन क्षमता में गिरावट आएगी। इस क्षेत्र से जुड़े रोजगार में कमी भी देखी जा सकती है। इस क्षेत्र में लाखों लोगों की नौकरियां दांव पर लग गई है। अगर अर्थव्यवस्था मंदी में जा रही है तो बेरोजगारी का खतरा बढ़ जाता है। नई नौकरियां मिलने में भी कमी हो जाती है और लोगों को निकाले जाने का सिलसिला तेज हो जाता है।
- कोविड-19 में लॉक डाउन की वजह से व्यापार, होटल, परिवहन लंबे समय तक बंद रहे। इन तीनों क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों पर जीडीपी गिरने का असर ज्यादा हो सकता है।
- जीडीपी गिरने के साथ-साथ अन्य औद्योगिक क्षेत्र में भी मंदी का दौर शुरू हो जाएगा। जिसके चलते नौकरियों में कटौती, बढ़ती महंगाई और देश की आर्थिक वृद्धि दर में कमी दिखाई देगी।
- आम लोगों की प्रति व्यक्ति आय तो गिरेगी ही, वही रुपया अन्य विदेशी रुपयों की तुलना में गिरावट दर्ज करेगा।
भारतीय सकल घरेलू उत्पाद पर गिरावट के चलते आम इंसानों पर काफी ज्यादा असर पड़ने वाला है। हम ने यहां पर कुछ मुख्य बिंदुओं को बताया है जिनका सर हर शख्स के पर GDP पर गिरावट के दौरान असर डालेगा।
भारतीय राज्यों की सकल घरेलू उत्पाद – Indian GDP by State
आइए अब हम एक नजर डालते हैं और जानते हैं कि भारतीय राज्यों की सकल घरेलू उत्पाद कितनी है।
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भारतीय राज्य कि यह सकल घरेलू उत्पाद आप देख सकते हैं। वर्ल्ड बैंक के अनुसार भारत की वर्तमान GDP ₹231.85 लाख करोड़ US$3.3 trillion है। वही जो बीजेपी की सरकार आई थी तो केंद्र सरकार ने 5 साल में US$ 5 TRILLION जीडीपी का लक्ष्य रखा था। महाराष्ट्र की जीडीपी लगभग₹30 लाख करोड़ के आसपास है और यह जितने भी भारतीय राज्य हैं उनमें सबसे ऊपर है।
दूसरे दूसरे और तीसरे नंबर पर तमिलनाडु और गुजरात का स्थान आता है। भारत में अंडमान और निकोबार की जीडीपी सबसे कम है। सभी केंद्र शासित प्रदेश में सबसे अधिक जीडीपी दिल्ली की है। सिक्किम, नागालैंड, मिजोरम और अंडमान और निकोबार इस सूची में निचले राज्यों में है।
साल 2020 में जीडीपी में भारी गिरावट – Indian Current GDP
जीडीपी के नए आंकड़े यह बताते हैं कि साल 1996 के बाद भारतीय जीडीपी में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई है। साल 2020 में जीडीपी दर -23.9 फ़ीसदी गिरावट देखी गई है।इन आंकड़ों पर मंत्रालय ने कहा है कि कोरोनावायरस महामारी के कारण आर्थिक गतिविधियों के अलावा आंकड़ा इकट्ठा करने के तंत्र पर भी असर पड़ा है।मंत्रालय ने कहा है कि 25 मार्च से देश में लॉकडाउन लगाया गया था जिसके बाद आर्थिक गतिविधियों पर रोक लगाई गई। और 6 महीनों तक भारत में अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चौपट रहा है। यह वजह हो सकती है कि भारतीय जीडीपी पर गिरावट दर्ज की गई।