हमारा देश उन सारे देशों में शुमार है जिनके पास में अपनी खुद की मिसाइल तकनीक है। अभी तक हमारे देश में कई सारे नाभिकीय विस्फोट किए जा चुके हैं। सबसे पहला नाभिकीय विस्फोट का परीक्षण 18 मई 1974 में राजस्थान के पोखरण नामक जगह में किया गया था । इस विस्फोट का श्रेय देश के जाने माने वैज्ञानिक राजा रमन्ना (Raja Ramanna) और उनके सहयोगियों को दिया जाता है। इन सभी कार्यों की नींव देने का श्रेय डॉक्टर भाभा को जाता है क्योंकि देश में नाभिकीय क्रियाओं की नींव डॉक्टर भाभा ने डाली थी। डॉक्टर राजारमन की यह पहली सफलता नहीं थी बल्कि देश के कई नाभिकीय रिएक्टर में उनके कार्यों का विशेष योगदान रहा है। इन्होंने अप्सरा, साइरस,पूर्णिमा आदि नाभिकीय रिएक्टरओं की स्थापना में बहुत बड़ा योगदान दिया है। आज के हमारे इस लेख में हम डॉ. राजा रमन्ना के जीवन के बारे में विस्तृत जानकारी देने वाले हैं। Raja Ramanna Biography in Hindi
डॉ. राजा रामन्ना की जीवनी – Raja Ramanna Biography in Hindi
राजा रामन्ना (Raja Ramanna) का जन्म 28 जनवरी 1925 को हुआ था। जो कि भारत के एक परमाणु वैज्ञानिक थे। श्री राजा रमन्ना का जन्म कर्नाटका के टुमकुर में हुआ था। वह भारत के प्रथम परमाणु परीक्षण के सूत्रधार भी माने जाते हैं। उनके पिता का नाम रमन्ना और माता का नाम रुक्मणी था। राजा रमन्ना को बचपन से ही संगीत में काफी दिलचस्पी रही थी। जिसके बाद उनके माता-पिता ने उन्हें परंपरागत पश्चिमी संगीत से अवगत कराया था। श्री राजा रमन नाथ की प्रारंभिक शिक्षा बेंगलुरु के बिशप कॉटन बॉयज स्कूल से प्रारंभ हुई। यहां पर उन्होंने मुख्यता साहित्य और परम पारीक संगीत की शिक्षा ग्रहण की। उसके बाद उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से भौतिक विज्ञान में बी.एस.सी की डिग्री हासिल की।
साल 1947 में, परंपरागत संगीत में B.A की डिग्री हासिल की। इसके बाद वे मुंबई विश्वविद्यालय में भौतिकी पढ़ने के लिए चले आए, यहां से उन्होंने भौतिक विज्ञान में M.sc की डिग्री ली। इसके साथ ही संगीत में M.mus की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद साल 1952 में रमन्ना को राष्ट्रमंडल छात्रवृत्ति मिली जिसके उपरांत वे डॉक्टरेट करने के लिए इंग्लैंड चले गए। उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय से किंग्स कॉलेज में डॉक्टर के लिए दाखिला लिया और साल 1954 में ‘परमाणु भौतिकी” (nuclear physics) में अपना डॉक्टरेट पूरा किया।
इंग्लैंड में उन्होंने अपना शोध एटॉमिक एनर्जी रिसर्च इस्टैब्लिशमेंट (Atomic Energy Research Establishment) में किया जहां उन्होंने ‘न्यूक्लियर फ्यूल साइकिल’ और “न्यूक्लियर रिएक्टर डिजाइनिंग” में निपुणता हासिल की। संगीत में उनकी गंभीर रूचि थी और इंग्लैंड प्रवास के दौरान उन्होंने यूरोपीय संगीत का खूब आनंद लिया और पश्चिमी दर्शन के बारे में भी पड़ा और जाना। पश्चिमी संगीत और सभ्यता में राजा रमन्ना की रूचि और उत्साह जीवन पर्याप्त रही और भारत लौटने के बाद उन्होंने अपने आप को प्रतिभावन पियानो वादक को जैसा परंपरागत किया। उन्होंने भारत और विदेशों में कई संगीत कार्यक्रम में परंपरागत यूरोपीय गीत का प्रदर्शन किया। साल 1956 में पाकिस्तान के ‘नेशनल कॉलेज ऑफ आर्ट्स’ और ‘नेशनल अकैडमी आफ परफॉर्मिंग आर्ट्स’ के बुलाए जाने पर उन्होंने वहां क्लासिकल पियानो पर एक भाषण दिया और अपनी कला का प्रदर्शन भी किया था। Raja Ramanna Biography in Hindi
भारत वापसी और परमाणु कार्यक्रम में भागीदारी
लंदन विश्वविद्यालय से पीएचडी Ph.d की डिग्री लेने के बाद उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (Tata Institute of Fundamental Research) में अध्यापन का कार्य शुरू किया था। यहां पर वे ऑफिसर के पद पर नियुक्त किया गया। इसके बाद उन्होंने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के निदेशक पद का प्रभार संभाला।
डॉराजा रामन्ना भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा प्रारंभ किए गए देश के ‘परमाणु कार्यक्रम’ से जुड़े हुए सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक थे। साल 1954 में इंग्लैंड से डॉक्टर करने के बाद वे भारत लौट आए और डॉक्टर होमी जहांगीर बाबा के नेतृत्व में भाभा एटॉमिकरिसर्च सेंटर (Bhabha Atomic Research Centre) में सबसे पहले एक वरिष्ठ तकनीकी दल में नियुक्त हो गए। उनके कार्य को देखते हुए साल 1958 में उन्हें इस कार्यक्रम का चीफ डायरेक्टरी ऑफिसर नियुक्त किया गया।डॉक्टर होमी जहांगीर बाबा के दुखद मौत के बाद उन्हें इस कार्यक्रम का मुखिया बना दिया गया और साल 1974 में उनके नेतृत्व में भारत में पहला परमाणु परीक्षण किया था। जिसके बाद से डॉक्टर राजारमन को अंतरराष्ट्रीय स्तर में भी काफी प्रसिद्धि मिली। उनकी इस उपलब्धि को देखते हुए उन्हें पदम विभूषण से भी सम्मानित किया गया। Raja Ramanna Biography in Hindi
साल 1978 में, इराक के तत्कालीन राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने राजा रमन्ना के सामने इराक के लिए परमाणु बम बनाने का प्रस्ताव रखा पर उन्होंने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और भारत वापस लौट आए। अपने कैरियर के बाद के दिनों में राजा रमन्ना ने सख्त नीतियों को बनाने की वकालत की ताकि परमाणु प्रसार रोका जा सके। उन्होंने ‘अंतर्राष्ट्रीय भौतिक सम्मेलन’ में भाग लेने के लिए पाकिस्तान की भी यात्रा की और परमाणु भौतिकी पर भाषण दिया। इसके साथ ही उन्होंने भारत-पाकिस्तान के मध्य शांति स्थापित करने के प्रयासों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। Raja Ramanna Biography in Hindi
डॉ राजा रामन्ना को मिले पुरस्कार एवं सम्मान – Raja Ramanna awards
- साल 1968 में, पदम श्री से सम्मानित किया गया।
- साल 1973 में, पदम विभूषण से भी सम्मानित किया गया।
- साल 1975 में पदम भूषण से भी सम्मानित किया गया।
- डॉ राजा रामन्ना राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं।
- उन्हें संगीत में काफी रूचि थी, उन्होंने संगीत में M.mus भी किया था। इस चलते उन्होंने कई सारे स्टेज परफॉर्मेंस भी दिए थे। जिसके लिए उन्हें कई विश्वविद्यालयों ने सम्मान भी दिया था।
- डॉक्टर होमी बाबा जहांगीर के मृत्यु के पश्चात भाभा एटॉमिक सेंटर के निदेशक का पदभार इन्होंने ही संभाला था।
रुचि
डॉक्टर राजा रामन्ना बहु मुखी प्रतिभा वाले व्यक्ति थे। परमाणु भौतिकी के साथ-साथ संगीत और दर्शन में भी उनकी गहरी रुचि थी।वे पियानो बजाने में बहुत परंपरागत थे और देश-विदेश में कई सारे समारोह में अपनी कला का प्रदर्शन भी उन्होंने किया था। संगीत उनके दिल के बहुत करीब था और इस विषय पर उन्होंने एक पुस्तक भी लिखी थी – “द स्ट्रक्चर ऑफ म्यूजिक इन रागा एंड वेस्टर्न सिस्टम‘ (The Structure of Music in Raga and Western System) इसके अलावा उन्होंने एक और पुस्तक जो उनकी आत्मकथा थी “इयर्स ऑफ़ पेलेगरीमेस” भी साल 1991 में लिखी थी।
मृत्यु
24 सितंबर, 2004 को डॉ राजा रमन्ना की मृत्यु हो गई। मृत्यु के समय उनकी आयु 79 वर्ष थी।