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मोबाइल फोन का इतिहास। मोबाइल फोन कैसे काम करता है?

आज के आधुनिक युग में मोबाइल फोन हमारे लिए बहुत ही ज्यादा जरूरी हो गई है। मोबाइल फोन या स्मार्टफोन हमारे दीनाचार्य का एक हिस्सा बन चुका है। कई बार तो ऐसा होता है की, हम किसी काम के लिए बाहर जा रहे हो और हम मोबाइल फोन घर ही में छोड़ दें तो हम अपने पेंट के जेब पर्स आदि टटोल ते रहते हैं। मन ही मन ऐसा लगता है जैसे मानो कुछ तो छूट ही गया है।

यह छोटी सी चीज हमारे लिए बहुत ही जरूरी सी चीज बन गया है। मोबाइल फोन या स्मार्टफोन को आपके सारे नामों से जानते हैं। जैसे कि – Cellphone,Cellular phone,Mobile telephone,Hand phone, और अब Smart phone।

मोबाइल फोन होता क्या है?

मोबाइल फोन एक ऐसा उपकरण है जिसका इस्तेमाल आवाज के डाटा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक एक लंबी दूरी तक एक विशेष नेटवर्क के माध्यम से भेजना और प्राप्त करने के लिए उपयोग में लाया जाता है।

आप इसे दूसरे शब्दों में भी यह समझ सकते हैं, यह एक ऐसा उपकरण है। जो कि बेतार है, जो किसी खास नेटवर्क के माध्यम से आवाज के डाटा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानांतरित करता है।

जहां आज के आधुनिक युग में इसका इस्तेमाल काफी ज्यादा बढ़ गया है। आवाज को स्थानांतरित करने के अलावा हम इसका उपयोग कई तरह से कर रहे हैं। जैसे की संक्षिप्त में संदेश भेजना (SMS), वीडियो या फोटो को एक स्थान से दूसरे स्थान भेजना (MMS), अब तो यहां तक कि हम लोग इसका इस्तेमाल इंटरनेट के तौर पर भी कर रहे हैं।

मोबाइल फोन का इतिहास

सबसे पहले मोबाइल फोन का अविष्कार के बारे में बात करते हैं। AT & T Laboratory के इंजीनियरों द्वारा साल 1947 में फोन बेस स्टेशन के रूप में पहला मोबाइल फोन का आविष्कार किया गया था। जो केवल एक सीमित दूरी तक एक काम करता था। इसके बाद सन 1960 के दशक में Bell Laboratory ने इसके ऊपर काम किया। और इस तरह से कमर्शियल रूप से मोबाइल फोन का दौर शुरू हुआ। सन 1950 तक मोबाइल फोन का प्रयोग केवल सिविल सर्विस के लिए यानी कि केवल आर्मी और सेना की सुरक्षा के लिए ही किया जाता था। आम आदमी के लिए स्मार्टफोन या मोबाइल फोन 1970 के दशक में उपलब्ध हुआ। Ohio, यूक्लिड के जॉर्ज स्वेइगार्ट को 10 जून 1969 में सबसे पहला वायरलेस फोन अमेरिका में पेंडेंट नंबर 3449750 जारी किया गया था।

Martin Cooper एक पहले अमेरिकन इंजीनियर है जिन्होंने लगभग 3 अप्रैल 1973 मैं विश्व का पहला मोबाइल फोन बनाया था। जो कि आम लोगों के लिए था। इस पहले मोबाइल फोन की वजन लगभग 2 किलो के आसपास थी। आपको थोड़ा सा आश्चर्य लगेगा लेकिन यह सच है। शुरुआती दौर पर आए कुछ मोबाइल फोन के वजन 2 किलो या उससे ज्यादा भी हुआ करते थे। आज के वर्तमान समय के मोबाइल फोन फेस की तुलना करें तो यह काफी भारी हुआ करते थे।

1980 के दशक के आसपास मोबाइल फोन रखना हाई स्टेटस का प्रतीक बन चुका था। भले ही इसका वजन इतना भारी क्यों ना था लोग इसे अपने साथ लेकर के घूमते थे। Martin Cooper ने उस जमाने के प्रसिद्ध मोबाइल फोन कंपनी Motorola के साथ मिलकर कई मोबाइल फोन बनवाएं। बाद में वह इस कंपनी के C.E.O भी बने थे। उनकी इस उपलब्धि के लिए उन्हें 2013 में Marconi पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

आज के आधुनिक युग में आपको कई तरह के मोबाइल फोंस बाजार में उपलब्ध दिखेंगे। इनमें से कई तो स्मार्टफोंस है, तो कुछ अलग अलग प्लेटफार्म में चलने वाले विंडोज फोन से लेकर के एंड्रॉयड फोन तक।

मोबाइल फोन कैसे काम करता है?

आज दुनिया भर में मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या लगभग 5 बिलियन तक पहुंच गई है। आज के इस स्मार्टफोन के दौर में हर व्यक्ति को इसकी अहमियत समझ में आ चुका है। मोबाइल फोन के इस्तेमाल से कोई भी व्यक्ति दुनिया के किसी भी कोने में मौजूद इंसान से बात कर सकता है। उससे लाइव वीडियो चैट कर सकता है। और बहुत से फोटो फाइल इमेजेस आदि चीजों को शेयर भी कर सकता है। इसकी उपयोगिता हमारे दैनिक जीवन में काफी बढ़ गई है। लेकिन कभी आपने यह सोचा है कि यह स्मार्टफोन या सेलफोन किस तरह से काम करते होंगे?

अगर आसान शब्दों में समझा जाए तो मोबाइल फोन two-Way radio सिग्नल रिसीवर डिवाइस है। जिसमें एक ट्रांसमीटर और दूसरा रिसीवर रेडियो होता है। जब आप किसी को फोन लगाते हैं तो इसमें मौजूद ट्रांसमीटर आपकी आवाज को इलेक्ट्रिक सिगनल में बदल देता है। इसके बाद इसे रेडियो वेव्स के रूप में नजदीकी टावर दक ट्रांसलेट कर दिया जाता है। इसके बाद सेल टावर का नेटवर्क आपके दोस्त के सेलफोन तक रेडियो वेव को भेज देता है। उसका सेल फोन या मोबाइल फोन उसे इलेक्ट्रिकल सिग्नल को कन्वर्ट करके आवाज में बदल देता है। ज्यादातर स्मार्टफोन या मोबाइल फोन डाटा को RADIO WAVES के रूप में एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानांतरित करते हैं।

Radio waves

रेडियो वेव्स चुंबकीय तरंगे होती है। जिन की फ्रीक्वेंसी 10 सेंटीमीटर से लेकर के 100 किलोमीटर के बीच होती है। रेडियो वेव्स मानव निर्मित भी होते हैं और प्रकृति द्वारा बनाए गए।

रेडियो तरंग एक प्रकार का इलेक्ट्रोमैग्नेटिक विकरण है। इसके बारे में सबसे पहले अनुमान 867 में जेम्स क्लार्क मैक्सवेल ने गणितीय गणना के दौरान लगाया था। मैक्सवेल उस दौरान प्रकाश की वैकेंसी जैसे गुणों को देखा और इस आधार पर यह समीकरण दिया जिसके सहारे प्रकाश तरंगे और रेडियो तरंगों की व्याख्या की गई। इसके बाद 1887 में हेनरिक हॉट्स ने अपने प्रयोगशाला में इसका एक्सपेरिमेंट किया, और फिर कई सारे प्रयोग के बाद इसकी पुष्टि की गई।

आज के आधुनिक दौर पर हम लोग इसी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव का इस्तेमाल मोबाइल फोन कम्युनिकेशन के लिए करते हैं। मोबाइल फोन में जो भी हम लोग बात करते हैं उन आवाजों को रेडियो वेब्स इलेक्ट्रिक और मैग्नेटिक फील्ड के रूप में ट्रांसमिट करती है। जिसे हम इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड कहते हैं। रेडियो वेव्स की स्पीड भी लाइट की स्पीड जितने होती है। रेडियो वेव्स चारों दिशाओं में फैलता है। और टावर तक पहुंचते-पहुंचते बीच में जो भी चीज मिलती है वह भी रेडियो वेव को रिफ्लेक्ट कर देती है।

इसी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव को हमारा सेलफोन या स्मार्ट फोन रिसीव करता है और उसे कन्वर्ट करके साउंड में बदल देता है। वहीं दूसरी ओर जिससे हमारी बात हो रही होती है वह आवाज को इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव में तब्दील कर देता है। और इस इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव को रिसीव करता है।

फोन के बारे में कुछ रोचक बातें

  • आज के समय में जो अत्याधुनिक स्मार्टफोन बाजार में उपलब्ध हैं वह तकनीकी खूबियों में अपोलो 11 में इस्तेमाल हुए कंप्यूटर से भी ज्यादा गणना करने की क्षमता रखते हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अपोलो 11 पहला उपग्रह था जो चंद्रमा की धरती पर उतरा था।
  • सबसे पहला मोबाइल फोन अमेरिका में 1983 में बिका था आप इसकी कीमत जानकर हैरान रह जाएंगे, उस समय इस मोबाइल फोन की कीमत ₹265000 के आसपास थी।
  • हम चाहे जितनी भी कोशिश क्यों ना कर ले अपने सेलफोन या स्मार्टफोन को साफ रखने की, भली हमारे स्मार्टफोन कितना भी साफ सुथरा क्यों ना दिखता हो। लेकिन यह बात आपको आश्चर्य में डाल देगी की बाथरूम में लगे हैंडल से 18 गुना अधिक बैक्टीरिया हमारे स्मार्टफोन पर होते हैं।
  • सबसे पहला मोबाइल फोन से कॉल 1973 में MARTIN COOPER ने किया था। साथी में ये मोटरोला कंपनी के संस्थापक भी है। उन्हें 2013 में Macroni अवार्ड से भी सम्मानित किया गया।
  • स्मार्टफोन या मोबाइल फोन से जुड़ी बीमारी भी है जिसे नोमोफोबिया (Nomophobia) कहते हैं। इस बीमारी से पीड़ित मरीज को हमेशा अपने फोन का गुम हो जाने का डर साथ में फोन में सिग्नल नहीं मिलने का डर लगा रहता है।
  • आपको यह जानकर हैरानी होगी पूरी दुनिया में चीन एक अकेला ऐसा देश है, जहां पर लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कंप्यूटर से ज्यादा अपने फोन पर करते हैं।
  • आपको यह भी जान करके हैरानी होगी कि हमारे हाथ में मौजूद छोटी सी स्मार्टफोन डिवाइस को बनाने में लगभग 250000 अविष्कारों का हाथ है।
  • अगर आप स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं, तो आपको इस बात की जानकारी से काफी हैरानी होगी। की आजकल जितने भी इंटरनेट पर वायरस बनाए जाते हैं। उनमें से 99% से भी ज्यादा वायरस स्मार्टफोन पर हमला करने के लिए बनाए जाते हैं।
  • आपको यह बात जानकर भी हैरानी होगी कि एक आम यूजर हर दिन 110 बार औसतन अपने स्मार्टफोन को लॉक और अनलॉक करता है।
  • अगर आप सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं जैसे कि फेसबुक तो आपको यह जानकारी भी काफी आश्चर्यचकित कर सकती है। हर दिन लगभग 47% फोटो जो सोशल मीडिया पर अपलोड होती है वह मोबाइल फोन द्वारा खींचा हुआ होता है।
  • मोबाइल फोन द्वारा सबसे पहला फोटो फिलीपींस में 1997 में खींचा गया था। यह वह दौर था जब सबसे पहले मोबाइल फोन पर कैमरा आया था।
  • दुनिया में लगभग 5 बिलियन लोग मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं। एक सर्वे के मुताबिक 100 में से 80 लोग मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं।
  • मोबाइल फोन में म्यूजिक MP3 सबसे पहले SEIMENS मोबाइल कंपनी ने अपने मॉडल SL45 पर लांच किया था।
  • मोबाइल फोन से पहला एसएमएस SMS 3 दिसंबर 1992 को किया गया था।
  • मोबाइल फोन से पहला टेक्स्ट मैसेज 3 दिसंबर 1992 को Happy Birth day टेक्स्ट किया गया था।
  • दुनिया का पहला स्मार्टफोन IBM ने बनाया था। जो 1994 के बाद ग्राहकों के लिए उपलब्ध कराई गई।
  • दुनिया का पहला एंड्रॉयड फोन HTC कंपनी ने 20 अक्टूबर 2008 को लांच किया गया था। एचटीसी कंपनी ने ने इस फोन का नाम HTC DREAM रखा था।
  • आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि एंड्रॉयड दुनिया का पहला OS नहीं है जिसका इस्तेमाल स्मार्टफोन में किया गया था। Symbian दुनिया का पहला OS था जिसका इस्तेमाल स्मार्टफोन में किया गया। इस OS (Operating System) का इस्तेमाल सबसे पहले Sony Ericsson के मॉडल R380 में किया गया था।
  • स्मार्टफोन में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला ऑपरेटिंग सिस्टम एंड्रॉयड है।
  • अगर आप मोबाइल फोन में गेम खेलने के शौकीन है। तो आपको यह जानकर बिहार आनी होगी के, मोबाइल फोन पर सबसे पहला गेम TETRIS है।
  • आपको यह भी जानकर हैरानी होगी कि जिस फोन पर सबसे पहले इंटरनेट एक्सेस किया गया था वह नोकिया का फोन था। या नोकिया का मॉडल नंबर NOKIA 9000 था।
  • 1994 में जब पहली बार स्मार्टफोन आया था उस समय इस स्मार्टफोन पर केवल 9 इनबिल्ट एप्स मौजूद थे।
  • आज जितने भी स्मार्टफोन या मोबाइल फोन है इसमें जो एप्स का इस्तेमाल होता है। इन App को निकनेम 2009 में David Pague ने दिया था। 2010 में यह नाम काफी फेमस हुआ और आज भी प्रचलित है।

तो दोस्तो यह थी मोबाइल फोन के इतिहास के बारे में और उनसे जुड़े कुछ रोचक तत्वों के बारे में जानकारी। मोबाइल फोन हमारी जिंदगी का एक अभिन्न अंग बन चुका है। हमसे कई लोग बिना मोबाइल फोन के अपनी जिंदगी की कल्पना तक नहीं कर सकते। मोबाइल फोन के आने के बाद हमारी जिंदगी आसान और सुविधा से भर गई है। शुरुआती मोबाइल फोन से लेकर के आधुनिकतम इस्तेमाल होने वाले स्मार्टफोन तक का सफर हमारा काफी लंबा रहा है। और भविष्य में भी इस पर कार्य होता रहेगा। भविष्य में भी हमें इसी तरह के अत्याधुनिक नए रूप में यह स्मार्टफोन देखने को मिलेगा। आज का आर्टिकल में बस इतना ही।

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