Interesting fact about Earth – पृथ्वी के बारे में कुछ मजेदार तथ्य

हमें से ज्यादातर लोग पृथ्वी को अंतरिक्ष में तैरता हुआ चट्टान या एक नीला पानी का गोला मात्र समझते हैं। इसके अलावा भी हमारी धरती यानी कि पृथ्वी हमारे जैसे कई सारे जीव एवं जानवरों का आशियाना है। आज के हमारे इस लेख में हम आप सभी लोगों को पृथ्वी के बारे में कुछ मजेदार तथ्य के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं। हम आज भी धरती के बहुत से अनछुए पहलुओं से अज्ञात है। ऐसे में हमें अभी भी हमारी इस धरती में बहुत सी चीजों के बारे में जानना काफी दिलचस्प लगता है। Interesting fact about Earth – पृथ्वी के बारे में कुछ मजेदार तथ्य

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Interesting fact about Earth – पृथ्वी के बारे में कुछ मजेदार तथ्य

1. हमारी यह धरती यानी कि पृथ्वी 4 अरब वर्ष से भी अधिक पुरानी है!

आपने यह बात तो जरूर अपनी किताबों में पढ़ा होगा। हमारी इस धरती की उम्र अगर ज्ञात की जाए तो यह लगभग 4.543 अरब वर्ष पुरानी है। वास्तव में यह कितना पुराना है कि मानवता अपने इतिहास में मुश्किल से एक धब्बा है। यानी कि जहां हम पृथ्वी के इतिहास के बारे में बात करते हैं तो मानव इतिहास मात्र पृथ्वी के इतिहास के एक छोटे से पन्ने भर है।

पृथ्वी के बारे में रोचक तथ्य

2. पृथ्वी गोल नहीं है!

हमें अक्सर किताबों में यह पढ़ाया जाता है कि हमारी धरती गोल है। लेकिन, वास्तव में हमारी यह धरती गोल नहीं है। नाही सपाट है। लेकिन हम यह कह सकते हैं कि हमारी याद धरती लगभग गोल है। यह वास्तव में गुरुत्वाकर्षण बल के कारण थोड़ी सी दबी हुई है। हालांकि चाहा बमुश्किल ध्यान देने योग्य है, इसलिए सभी लोग ज्यादातर हमारी धरती को गोल ही मानते हैं।

3. पृथ्वी का कोर धातु से बना है!

हमारी धरती का कोर ज्यादातर लोहा और निकल से बना है। हमारी धरती का कोड काफी गरम है और हमारा मतलब गरम से है वास्तव में या सूर्य की सतह के समान तापमान के बराबर हो सकता है।

4. हमारी इस धरती पर 71% पानी है

हम यह कह सकते हैं कि हमारी यह धरती लगभग 71% पानी से ढकी हुई है बाकी जमीन है जिस पर आप शायद अभी है। पानी वास्तव में महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके बिना पृथ्वी पर जीवन असंभव होगा।

  • पृथ्वी को अंतरिक्ष में, 6 बिलियन किलोमीटर से भी अधिक दूरी से देखने पर या एक नीले रंग के ग्रह के रूप में दिखाई देता है। यह आकाश से पृथ्वी नीला होने के कारण इस ग्रह पर मौजूद जल है।
  • पृथ्वी की सतह पर 70% से भी अधिक पानी है लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह पृथ्वी के द्रव्यमान का लगभग 1% से भी कम है।
  • पृथ्वी का कोड लगभग 85 से 88% तक लोहे का बना हुआ है और इसकी पद पर लगभग 45% ऑक्सीजन मौजूद है।
  • पृथ्वी एकमात्र ऐसी ग्रह है जिसका नाम किसी ग्रीक रोमन देवता के नाम पर नहीं रखा गया है। उदाहरण के तौर पर बृहस्पति ग्रह का नाम रोमन देवताओं के राजा और यूरेनस ग्रह का नाम आकाश के ग्रीक देवताओं के नाम पर रखा गया है लेकिन पृथ्वी का नाम अंग्रेजी जर्मनी से आया है जिसका मतलब भूमि होता है।
  • पृथ्वी को भी ब्रह्मांड का केंद्र माना जाता था और वैज्ञानिकों का मानना था कि सूर्य और अन्य सभी ग्रह इसके चारों ओर घूमते हैं हालांकि वैज्ञानिकों द्वारा पृथ्वी के संदर्भ में निरंतर की जाने वाली खोजने इस अवधारणा को गलत साबित कर दिया है।
  • पृथ्वी की आंतरिक संरचना निकल आयरन कोर की उपस्थिति के कारण है। पृथ्वी के पास एक मजबूत चुंबकीय क्षेत्र है और यह चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी पर भारी और हवाओं को बहने से रोकने के लिए जिम्मेदार है।
  • बरमुंडा ट्रायंगल और होने वाले हादसों को लेकर के वैज्ञानिकों का मानना है कि यह सभी हाथ से पृथ्वी के मजबूत चुंबकीय शक्ति के कारण होते हैं।
  • हमारी धरती यानी कि पृथ्वी की एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है जिसका नाम चंद्रमा है, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बृहस्पति ग्रह में कुल प्राकृतिक उपग्रह है।
  • पृथ्वी के चंद्रमा का त्रिज्या लगभग 1738 किलोमीटर है जो कि सौरमंडल का पांचवा सबसे बड़ा चंद्रमा है।
  • पृथ्वी पर समुद्र से आने वाला ज्वार भाटा, पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण बल के कारण के कारण से ही होता है से ही होता है।

पृथ्वी की परिधि 24,901 मील है।

यह 40075 किलोमीटर है और यह बताया गया है कि यह कैसे काम करता है। स्पेस डॉट कॉम के मुताबिक, गुरुत्वाकर्षण लगातार पानी और धरती के शरीर को अतिरिक्त टायर आकार में धकेल रहा है।

पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र असमान है।

पृथ्वी की सतह पथरीली और ऊपर खबर है इसलिए इसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र असमान नहीं हो सकता है। हालांकि अगर यह पूरी तरह से एक गोल कार होता इसके वजह पृथ्वी में बहुत सारे गुरुत्वाकर्षण विशेषताएं होती सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही।

पृथ्वी के चारों ओर वह स्पेस डायरिया जैसी कि विशेषज्ञ इसे कहते हैं कमर रेखा ग्लेशियरों के पिघलने का प्रत्यक्ष परिणाम हो सकता है जो जलवायु परिवर्तन का प्रभाव करता है।

पृथ्वी के आसमान आकार का अर्थ यह है कि इसका द्रव्यमान भी समान रूप से वितरित है। जिसका मतलब यह है कि गुरुत्वाकर्षण को बूट करने के लिए आ समान होना चाहिए। पृथ्वी के कुछ क्षेत्रों में गुरुत्वाकर्षण संबंधी विशेषताएं है अन्य क्षेत्रों की तुलना में कम गुरुत्वाकर्षण यहां पर महसूस किया जाता है ऐसी एक जगह कनाडा की हडसन बे रिवर पर मौजूद है।

पृथ्वी पर मौजूद बर्फ और ग्लेशियर के कारण इसके आकार पर प्रभाव पड़ता है।

हां यह बात सच है पृथ्वी के चारों ओर जो आकार हम देखते हैं उस पर धरती पर मौजूद बर्फ और ग्लेशियर के पिघलने से इसके आकार में प्रभाव देखा जा सकता है। वैज्ञानिक इसे कमर रेखा ग्लेशियर के पिघलने का प्रत्यक्ष परिणाम हो सकता है जोकि जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण होता है।

हमारी याद धरती 1000 मील प्रति घंटे की रफ्तार से घूम रही है।

हमारी आवत धरती लगातार 1000 मील प्रति घंटे की गति से घूमती है लेकिन या निर्भर करता है कि आप और हम भले ही इस घूमती हुई धरती पर खड़े हैं और इस गति का अनुमान नहीं लगा पाते हैं।

पृथ्वी के महाद्वीपों को कभी रोडिनिया के नाम से भी जाना जाता था।

जब भी हमें कभी धरती के इतिहास के बारे में जानने की बात आती है तो हमें अक्सर महाद्वीपों में पैंजिया के बारे में हमने जरूर सुना होगा लेकिन पृथ्वी के महाद्वीपों के लिए रोडिनिया शब्द का भी इस्तेमाल होता है। आठ सौ मिलियन साल पहले, पृथ्वी की विवर्तनिक प्लेटें एक साथ आई। प्रत्येक महाद्वीप को एकजुट किया गया और इस बड़े भूभाग को रोडिनिया नाम दिया गया था।

पैंजिया 25 करोड़ साल पहले बना था।

जहां हम अभी धरती पर मौजूद सबसे पुराने महाद्वीपों की बात कर रहे हैं तो सबसे पहले हमारी इस धरती पर रोडिनिया नाम का महाद्वीप बना था और उसी के बाद में पैंजिया अस्तित्व में आया था। इस दौरान अलग-अलग महासागर ना हो करके केवल एक सार्वभौमिक महासागर था। 50 मिलियन वर्ष के बाद, या फिर से अलग हो गया और इस बार गोंडवानालैंड और लोरेसिया नाम के दो बड़े भूखंड का निर्माण हुआ।

एशिया सबसे बड़ा महाद्वीप है।

एशिया महाद्वीप लगभग 1,7139,445 वर्ग मील में फैला हुआ है और दुनिया के कुछ सबसे घनी आबादी वाले देश जैसे कि चीन भारत और इंडोनेशिया एशिया में मौजूद है।

एशिया महाद्वीप मैं 40 से भी अधिक देश मौजूद है जिनमें से कुछ सबसे अधिक आबादी वाले देश हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि एशिया में पूरी दुनिया का 60% आबादी रहता है।

दुनिया का सबसे शुष्क जगह पानी के बिल्कुल नजदीक है।

आपको यह जानकारी काफी हैरानी हुई होगी कि हमारी इस धरती में सबसे शुष्क जगह पानी के बिल्कुल निकट है। चिली के अटाकामा रेगिस्तान को दुनिया में सबसे शुष्क स्थानों के रूप में जाना जाता है, लेकिन यह शुष्क के साथ-साथ काफी ठंड जगह भी है। यह रेगिस्तान वास्तव में पृथ्वी पर समुद्र के एकदम बगल प्रशांत महासागर के किनारे स्थित है। दोपहर के समय इस का तापमान लगभग 60 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। वही रात में इस रेगिस्तान का तापमान -10 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है।

हमारे इस धरती पर दिन का समय लगातार बढ़ रहा है।

हां आपने बिल्कुल सही सुना है। आज से लगभग 4.54 अरब साल पहले जब हमारी अधर टी बनी थी, उस दौरान दिन केवल 6 घंटों का होता था। आजकल हम सभी जानते हैं कि 1 दिन 24 घंटे का होता है, लेकिन यह हमेशा बदलता रहता है। वास्तव में, प्रत्येक शताब्दी में दिन 1.7 मिली सेकंड बढ़ जाती है।

हमारी इस धरती पर अफ्रीका महाद्वीप दूसरी सबसे बड़ी महाद्वीप है।

अफ्रीका महाद्वीप लगभग 5000 मील की दूरी तय करती है और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी महाद्वीप के रूप में जानी जाती है। दुनिया का सबसे बड़ा गर्म मरुस्थल अफ्रीका में ही मौजूद है।

सहारा रेगिस्तान पृथ्वी का सबसे बड़ा गर्म मरुस्थल है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान नहीं है।

यूरोप आकार में दूसरा सबसे छोटा महाद्वीप है लेकिन जनसंख्या की दृष्टि में तीसरा सबसे बड़ा देश है।

यूरोप महाद्वीप लगभग 1600 वर्ग मीटर में फैला हुआ है लेकिन यूरोप जनसंख्या की दृष्टि में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा महाद्वीप के रूप में गिना जाता है। साल 2022 के एक रिपोर्ट के मुताबिक यूरोप में बसने वाली लोगों की कुल जनसंख्या 748,367,117 है।

अंटार्टिका पृथ्वी का पांचवा सबसे बड़ा महाद्वीप है।

सबसे बड़ा या सबसे छोटा महाद्वीप भी नहीं हो सकता है। हम यह कह सकते हैं कि यह बीच में अटका हुआ है। लेकिन अंटार्टिका दुनिया के अधिकांश ताजे पानी को संग्रहित करता है।

बर्फ के रूप में अंटार्टिका में पृथ्वी के मीठे पानी का 70% हिस्सा मौजूद है। अमेरिकन म्यूजियम आफ नेचुरल हिस्ट्री के मुताबिक दुनिया के पानी का केवल 3% हिस्सा ही अधिक ताजा पानी है। बाकी 96% नमक या खारा है और समुद्र में पाया जाता है।

पृथ्वी का लगभग 90% ताजा पानी बर्फ के रूप में मौजूद है

धरती में मिलने वाला पानी में से 90% अंटार्कटिका के बर्फ में मौजूद है। यह पानी जमी हुई बर्फ के रूप में हमारे ध्रुवा और बर्फ की चादर के अंदर बंद है।

अंटार्टिका को तकनीकी रूप से देखा जाए तो वह एक रेगिस्तान है। इस पर विश्वास करना थोड़ा सा मुश्किल है। लेकिन यह सच है क्योंकि अंटार्टिका में प्रतिवर्ष औसतन लगभग 2 इंच वर्षा होती है।

पृथ्वी पर अमेज़न दुनिया का सबसे बड़ा वर्षावन है

दक्षिण अमेरिका अमेजॉन में स्थित है, दुनिया का सबसे बड़ा वर्षावन है जहां 30 मिलियन से अधिक लोग और पृथ्वी पर ज्ञात 10 प्रजातियां रहती है।

बिग बैंग के जरिए ब्रह्मांड में सभी पदार्थों का निर्माण हुआ है

बिग बैंग के जरिए ही ब्रह्मांड में सभी वस्तुओं का निर्माण हुआ है। हम जिस भौतिकी का उपयोग करते हैं वह ब्रह्मांड के निर्माण पर लागू नहीं होता है। बिग बैंग के शुरुआती चरणों से, ब्रह्मांड में अब आकाशगंगा, सितारों, ग्रहों और अन्य ब्रह्मांड पिंड का निर्माण हुआ था।

हम यह जानते हैं क्योंकि हम उन्हें कैपिलर और हबल टेलीस्कोप का उपयोग करके देखते हैं। हाला की धरती से यह सारी चीजें देखने में काफी छोटी लगती है। लेकिन वास्तव में यह काफी बड़ी है और हो सकता है कि हमारा यह धरती इसकी तुलना में काफी छोटा हो।

यदि आप 4 अरब साल पहले पृथ्वी पर रहते, तो यह पूरी तरह से एक अलग ग्रह जैसा दिखाई देता। पृथ्वी पी ली हुई अवस्था में थी। लावा की नदियां चिलचिलाती गर्मी के साथ बह रही थी। पृथ्वी अविश्वसनीय रूप से उच्च वेग से घूमती थी। आज की तुलना में 3 गुना तेज। दिन रात उल्का पिंड आसमान से बरसते रहते थे। इस युग में उल्का पिंडों की बमबारी लगातार होती रहती थी।

पृथ्वी के आंतरिक भाग में कई सारे परते हैं।

हमारे इस धरती को कई सारे परसों में विभक्त किया जा सकता है। पृथ्वी को, कोर, मेंटल और क्रस्ट के साथ अलग-अलग परतों से अलग अलग किया गया है।

Earth structure
पृथ्वी की आंतरिक संरचना

पृथ्वी का कोर 2890 किलोमीटर से 6360 किलोमीटर तक नीचे गहराई में फैला हुआ है। यह एक ठोस है। मेंटल 35 किलोमीटर से 2890 किलोमीटर तक की गहराई तक फैला हुआ है जो ज्यादातर ठोस है और चिपचिपा द्रव की तरह व्यवहार करता है।

पृथ्वी का क्रस्ट 0 किलोमीटर से लेकर के 35 किलोमीटर तक फैली हुई है जो सबसे बाहरी खोल कहलाती है। यह कठोर है क्योंकि हल्की सामग्री सतह पर बनी हुई है। लेकिन लोहा और जस्ता जैसे भारी सामग्रियां पृथ्वी के कोर में समा गई है

हमारी यह धरती गोल्डीलॉक्स जून में आती है। इसका मतलब यह है कि यह सीमा के भीतर है जहा तरल पानी लिक्विड के रूप में बना रह सकता है। दूसरे शब्दों में, क्योंकि पृथ्वी सूर्य की किरणों का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त करती है, यह जीवन को बनाए रखती है। यहां तक कि हमारी मिल्की वे आकाशगंगा में, कम से कम 10 संभावित रहने योग्य ग्रह गोल्डीलॉक्स जोन के अंदर आते हैं। यही वजह है कि हम यह कहते हैं कि हमारी इस धरती से बाहर भी जीवन संभव हो सकता है।

निष्कर्ष

हमारी अधर थी बहुत ही विशाल है। हम धरती के अभी भी कुछ जगहों से अनछुए से रह जाते हैं। आज के हमारे इस लेख में हमने आप सभी लोगों को Interesting fact about Earth – पृथ्वी के बारे में कुछ मजेदार तथ्य के बारे में बतलाया है। उम्मीद करता हूं कि आपको आज का हमारा ये लेख पसंद आया होगा। अगर आपको हमारा या लेख पसंद आया है तो आप इसे अपने दोस्तों एवं सगे संबंधियों के साथ में शेयर करना ना भूले।

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