बीसवीं सदी के महान कलाकारों में पंडित रविशंकर ने जो छाप छोड़ी है वह अनेक सदियों तक कायम रहेगी। इस बात में कोई भी संदेह नहीं है कि वह एक महान सितार वादक थे।इसके साथ ही उनकी विशेषता यह है कि उन्होंने वाद्य संगीत को जिस स्तर पर विश्व भर में फैलाया है उनका कोई सानी नहीं है। पंडित रविशंकर जब सितार के तारों पर उंगलियां रखते हैं तो वे बेजान तारों में भी एक ऐसी मनमोहक गूंज निकलती है जिसने संसार के एक कोने को दूसरे कोने तक अपने प्रेम पास में बांध लिया है। आज के हमारे इस लेख में हम लोग महान सितार वादक पंडित रविशंकर (Pandit Ravi Shankar) के जीवन के बारे में विस्तार से जानेंगे। Pandit Ravi Shankar Biography in Hindi
सितार वादक पंडित रवि शंकर की जीवनी – Pandit Ravi Shankar Biography in Hindi
भारत के सबसे प्रसिद्ध सितार वादक पंडित रविशंकर का जन्म 7 अप्रैल, साल 1920 को पश्चिमी बंगाल के एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। एक प्रख्यात वकील के बेटे, पंडित रविशंकर 10 साल की उम्र में पेरिस चले गए। उनके बड़े भाई उदय शंकर उस समय के एक प्रसिद्ध नर्तक थे। रविशंकर ने अपने भाई की मंडली के लिए सितार बजाना शुरू किया था।
साल 1938 में,पंडित रविशंकर ने अपने ग्रुप अलाउद्दीन खान की निगरानी में सितार बजाने का औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। अपना प्रशिक्षण पूरा होने के बाद साल 1950 के दशक में ऑल इंडिया रेडियो के संगीत निर्देशक बन गए।
पंडित रविशंकर ने साल 1953 में सोवियत संघ में प्रदर्शन किया और फिर उसके बाद साल 1956 में वह अपना कार्यक्रम करने के लिए पश्चिम चले गए। एडिनबर्ग फेस्टिवल और रॉयल फेस्टिवल हॉल जैसे प्रमुख कार्यक्रम में उनके उम्दा प्रदर्शन के परिणाम स्वरुप भारत के बाहर भी प्रशंसा होने लगी और वह दुनियाभर में प्रसिद्ध हो गए। पंडित रविशंकर ने शहरी संगीत प्रस्तुतियां लिखी है और 3 यादगार संगीत प्रस्तुतियां माउंट ऐरी पॉप फेस्टिवल, कंसल्ट फॉर बांग्लादेश और वुड स्टॉक फेस्टिवल दी है। Pandit Ravi Shankar Biography in Hindi
पंडित रविशंकर भारत, कनाडा, यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में फिल्मों और नृत्य नाटकों के संगीत से जुड़े हुए हैं। जिसमें बीटल्स में से एक जॉर्ज हैरिसन को सितार सिखाना भी शामिल है। उन्होंने फिल्म “गांधी” मैं अपने संगीत के लिए अकादमी पुरस्कार भी जीता था।
इस प्रसिद्ध सितार वादक को 14 डायरेक्टर और डीसी कॉटन सहित दुनिया भर से कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं। इन्हें मैग्सेसे पुरस्कार, पदम विभूषण, दो ग्रैमी पुरस्कार, जापान का ग्रैंड फुकुओका पुरस्कार और इसके साथ ही “ग्लोबल एंबेसडर”के शीर्षक के साथ दावास से क्रिस्टल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। भारत के यहां संगीत राजदूत संयुक्त राज्य अकादमी ऑफ़ आर्ट्स एंड लेटर्स के एक सम्मानित सदस्य थे और अमेरिकी संगीतकारों के अंतरराष्ट्रीय मंच के सदस्य भी। Pandit Ravi Shankar Biography in Hindi
11 दिसंबर, 2012 को प्रसिद्ध पंडित रविशंकर का 92 वर्ष की आयु में सेंटियागो में निधन हो गया था। सांस लेने में कठिनाई की समस्या के कारण, उन्हें मेमोरियल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में संध्या के समय 4:30 पर उन्होंने इस संसार को विदा कह दिया।
रवि शंकर फाउंडेशन द्वारा एक अधिकारिक बयान में कहा गया है कि “पिछले साल से पंडित रविशंकर ऊपरी स्वास्थ्य और हृदय रोग से पीड़ित थे” इसलिए इनके हृदय वाल्व को डॉक्टरों ने सर्जरी करके बदलने की सलाह दी थी। हालांकि सर्जरी सफल रही थी लेकिन 92 वर्षीय संगीतकार के लिए स्वास्थ्य लाभ होना बहुत मुश्किल साबित हो रहा था।
पश्चिम में भारतीय शास्त्रीय संगीत को लोकप्रिय बनाने का श्रेय महान सितार वादक पंडित रविशंकर जी को ही जाता है। अनेक शास्त्रीय संगीत और कई अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के साथ उनकी सहभागिता के कारण उनकी पूरी दुनिया में प्रसिद्धि और प्रशंसा मिली है।
पंडित रविशंकर ने अपनी विरासत संगीत के रूप में अपनी पत्नी सुकन्या राजन और बेटी अनुष्का शंकर और नोरा जोंस को दिया है।
पंडित रविशंकर का फिल्म एवं रेडियो में योगदान
पंडित रविशंकर ने सत्यजीत रे की फिल्मों में संगीत दिया है। साल 1949 से साल 1956 तक उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो में बतौर संगीत निर्देशक का काम किया था। साल 1960 के बाद उन्होंने यूरोप के दौरे शुरू किए और यहूदी मैन्युहिन और बीटल्स ग्रुप के जॉर्ज हैरिसन जैसे लोगों के साथ काम करने का और अपनी पहचान बनाने का उन्हें मौका भी मिला है। उनकी बेटी अनुष्का शंकर सितार वादक है तो दूसरी बेटी नोरा जोंसभी जानी-मानी गायिका है। उन्होंने साल 1999 भारत रत्न से सम्मानित किया गया।रवि शंकर को कला के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा साल 2009 में पदम विभूषण से भी सम्मानित किया गया है।भारतीय संगीत को दुनिया भर में सम्मान दिलाने वाले भारत रत्न और पद्म विभूषण से नवाजे के पंडित रविशंकर को तीन बार ग्रैमी पुरस्कार से भी नवाजा गया था। उन्होंने भारतीय और पाश्चात्य संस्कृति के बीच अपने संगीत से संलयन में भी बड़ी भूमिका निभाई है। Pandit Ravi Shankar Biography in Hindi
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