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Positive and Negative Impacts of Gadgets on Children

बच्चों की ऊपर में गैजेट का क्या प्रभाव पड़ता है? Positive and Negative Impacts of Gadgets on Children . मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक डेजर्ट का ज्यादा इस्तेमाल करने वाले बच्चों का सारे पगला देखी जाते हैं। बचे मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के साथ घंटो वक्त गुजारते हैं। स्कूल से उनकी के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। कल सारे डॉक्टर और एक्सपोर्ट यह मानते ही कि कोरोन में बच्चों को गैजेट के करीबी ने उनके दिमाग को प्रभावित करने के साथ ही कई बीमारियों का खतरा पैदा कर दिया है। हालांकि, हम सभी अच्छा से जानते हैं कि कोरोना महामारी के दौरान हमारी सबकी जिंदगी बुरी तरह से प्रभावित हुई थी। आज के हमारे इस लेख मैं हम इस बार में बात करेंगे की Positive and Negative Impacts of Gadgets on Children

आज का समय टेक्नोलॉजी रिवॉल्यूशन का है। रोज ही नए नए गैजेट मार्केट में आ रहे हैं। हमारे साथ साथ बच्चों के लाइफस्टाइल पर भी काफी प्रभाव होता है। खासकर देखा जाए तो कम्युनिकेशन के क्षेत्र में तकनीकी बदलाव का असर काफी देखने को मिल रहा है। अब जमाना पूरी तरह से स्मार्टफोन का हो गया है। माता पिता भी अपने बच्चों का ख्याल रखने के बजाय विभिन्न तरह के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट ओं के साथ समय बिताना पसंद करते हैं। लेकिन इसका सर उनके बच्चों पर भी पड़ता है। एक रिपोर्ट की माने तो साल 2017 में 42% छोटे बच्चों के पास अपना खुद का टेबलेट और स्मार्टफोन हो था। यह कोई नई बात नहीं है कि हमारी तकनीकी और प्रौद्योगिकी ने हमारे दैनिक जीवन पर काफी ज्यादा असर डाला है। विशेष रुप से, हम जहां भी जाते हैं बच्चों और किशोरों को हाथ में डिजिटल उपकरण थमा देते हैं। हालांकि जिस गति से बच्चे और किशोर अपने दैनिक जीवन में प्रौद्योगिकी तकनीकी को अपना रहे हैं। उनके के विकास पर पड़ने वाले प्रभाव पर कई सवाल उठ रहे हैं।

Positive and Negative Impacts of Gadgets on Children – स्मार्ट गैजेट से बच्चों के ऊपर पड़ने वाले बुरे एवं अच्छे प्रभाव

Positive Impact – सकारात्मक प्रभाव

पिछले कुछ सालों से बच्चों के लिए सीखने के अनुभव को बढ़ाने के लिए तकनीकी एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काफी तरक्की हुई है। उदाहरण के तौर पर कोविड-19 ही ले लीजिए, जब सारी कक्षाएं बंद हो गई थी तो स्कूल एवं विद्यालयों द्वारा बच्चों को सिखाने एवं उन्हें पढ़ाने के लिए इन स्मार्ट गैजेट का इस्तेमाल किया गया था। इन सबके अलावा एक ही स्कूल में, स्मार्ट बोर्ड, डॉक्यूमेंट कैमरा, एप्पल टीवी और यहां तक कि 3D प्रिंटर जैसी कई तकनीकों के सहयोग से बच्चों को सिखाने एवं उन्हें नई चीजें सीखने में काफी ज्यादा सहायता मिलती है।

आज की दुनिया में कक्षा में कंप्यूटर का उपयोग आम और आवश्यक हो गया है। इतनी अधिक जानकारी और ऑनलाइन मदद के साथ कोई भी छात्र अपने संबंधित विषय पर आधारित कोई भी सवाल कंप्यूटर की मदद से हल कर सकने में सक्षम है। प्रौद्योगिकी में बढ़ती लोकप्रियता के साथ जितना अधिक छात्र इसका उपयोग करते हैं उतना ही बेहतर होते जाते हैं।

छात्रों को तकनीकी कौशल से लैस किया

इसमें कोई भी दो मत नहीं है कि गैजेट के इस्तेमाल से बच्चों के अंदर तकनीकी कौशल बड़ा है। वर्तमान समय में दुनिया भर में सभी कक्षाओं में कंप्यूटर का इस्तेमाल बच्चों को पढ़ाने के लिए किया जाता है। बच्चे कंप्यूटर की मदद से कई सारे तकनीकी चीजों को सीख पाते हैं। प्रोजेक्ट बनाने से लेकर के, अपने सवालों का जवाब खोजने के लिए भी वे इस स्मार्टफोन एवं गैजेट या इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं।

कोविड-19 महामारी के दौरान जब स्कूल कॉलेज बंद हो गए थे। कई सारी स्कूल एवं कॉलेजों अपने बच्चों के लिए ऑनलाइन कक्षा का आयोजन किया था। जोकि तकनीकी के कारण ही सफल रहा था। जिससे छात्रों को प्रौद्योगिकी के बारे में और अधिक अध्ययन करने के लिए मौका मिला। जहां पहले सभी स्कूल और कॉलेजों आसानी से सीखने और छात्रों की सुविधा के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग नहीं कर रहे थे वही कोविड-19 ने इसे एक आवश्यकता बना दिया है। टेक कंपनियां उपकरण और उपयोगकर्ता के अनुकूल तकनीकी विकसित करना चाह रही है जो प्रौद्योगिकी के उपयोग को और भी अधिक बढ़ा सकें।

छात्रों के दिमाग को और व्यापक बनाया है गैजेट्स ने

सीखने की प्रक्रिया में छात्रों का मुख्य हत्यार उनका दिमाग है। जितना अधिक बीज का उपयोग करते हैं उतने अधिक विचार और नया विचार हुए सामने ला सकते हैं। आप हर विषय का हर पेपर, शोध लेख, पत्रिका वीडियो और ऑडियो कुछ ही सेकंड में ऑनलाइन पा सकते हैं। ऑनलाइन ऐसी कोई वेबसाइट है जिनमें लाखों किताबें बिना आपके घर से बाहर निकलने की परेशानी के उपलब्ध रहती है।

ऐसे वीडियो गेम भी उपलब्ध है जिन्हें आप अपने दिमाग की क्षमता को बढ़ाने के लिए खेल सकते हैं। यह गेम आपके मस्तिष्क को समस्या समाधान की दिशा में विकसित करने के लिए रन नीतियों और चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

मोबाइल गैजेट और ऑनलाइन गेम

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने जून 2018 में, ऑनलाइन गेमिंग को एक मानसिक स्वास्थ्य विकार घोषित किया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे गेमिंग डिसऑर्डर कहा था। डब्ल्यूएचओ द्वारा अंतर्राष्ट्रीय क्लासिफिकेशन ऑफ डिजीज के ताजा अपडेट में यह कहा गया है कि गेमिंग और बच्चों में मोबाइल की लत को कोकीन और जुए जैसी चीजों की लत जैसा माना जाएगा।

वहीं भारत में 2017 में कुछ अस्पतालों द्वारा की गई शोध कार्यों में यह सामने आया था कि 50% भारतीय बच्चे जो मोबाइल के बिना नहीं रह पाते हैं वे रीड की हड्डी की समस्या से पीड़ित हैं। इतना ही नहीं बच्चों को कार्टून देखना बहुत पसंद होता है। इसी दौरान एक कार्टून चैनल की अध्ययन के मुताबिक देश में तकरीबन 96% बच्चे ऐसे घरों में रह रहे हैं जहां स्मार्टफोन मोबाइल का इस्तेमाल हो रहा है। इनमें से 73% बच्चे रोज मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं।

ऑनलाइन गैजेट्स और मोबाइल गेम के चलते बच्चों के ऊपर किस तरह का प्रभाव पड़ रहा है यह निम्नलिखित बिंदुओं दर्शाती है।

  • डॉक्टर से मानते हैं कि 3 साल तक के बच्चों को टीवी मोबाइल इत्यादि चीजों से दूर रखना चाहिए।
  • मोबाइल फोन का बच्चों पर मानसिक तौर पर प्रभाव पड़ता है इसके लिए उनकी स्क्रीन हिस्ट्री चेक करते रहनी चाहिए।
  • मोबाइल का बच्चों पर प्रभाव ना पढ़ सके इसके लिए कोशिश करें कि जितना अधिक हो बच्चों के साथ वक्त बिता है ताकि उसे मोबाइल पर समय ना बताना पड़े। बच्चों के साथ आउटडोर गेम खेलने के लिए कोशिश करें।
  • बच्चों को यह समझाने की कोशिश करें कि मोबाइल फोन उनके लिए नुकसानदायक है इसके अलावा बच्चों को उनकी हॉबी के हिसाब से डांस, पेंटिंग, म्यूजिक आदि में उन्हें इंवॉल्व करने की जरूरत है।
  • एक माता पिता होने के नाते हमें यह कोशिश करनी चाहिए कि हम अपने बच्चों के सामने मोबाइल फोन का इस्तेमाल कम करें। इससे बच्चों में मोबाइल के प्रति रुझान और उसे पाने की इच्छा भी खत्म हो जाएगी।
  • मोबाइल का बच्चों पर प्रभाव कम पड़े इसके लिए एक माता-पिता को कोशिश करें करनी चाहिए कि वह अपने बच्चों को सीधे मोबाइल हाथ में ना दे दे। यदि उनकी कुछ खास गाना या कुछ और सुना चाहते हैं तो वह हेडफोन का इस्तेमाल करें साथ ही इसका इस्तेमाल कम आवाज के साथ करें।

निष्कर्ष

हालांकि, मोबाइल फोन और स्मार्ट गैजेट आज उसकी लाइफ का एक जरूरी हिस्सा बन चुकी है। लेकिन मोबाइल का बच्चों पर प्रभाव बुरा पड़ता है इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। गैजेट्स का जहां तक हमारे जिंदगी में जितना लाभ है उतना उसके हानियां भी है। इसीलिए, गैजट का इस्तेमाल करते वक्त इस बात का ध्यान रखें। आज के हमारे इस लेख में हमने आप सभी लोगों को इसी बारे में जानकारी दी है, Positive and Negative Impacts of Gadgets on Children

ध्यान रहे, स्मार्टफोन और अन्य गैजेट हमारे जीवन का एक हिस्सा बन चुके हैं। कुछ मामलों में तो यह बेहद ही जरूरी है, क्योंकि अगर आप ऑफिस में या कहीं बाहर गए हैं वह या फिर अपने बच्चों से दूर हैं, तो आप के पास उनसे बातचीत करने का सबसे अच्छा तरीका है स्मार्टफोन। लेकिन बच्चों को समझाना बेहद जरूरी है कि इसके फायदे और नुकसान दोनों है। इसलिए केवल आवश्यकता के अनुसार ही इनका इस्तेमाल करना लाभकारी हो सकता है।

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दोस्तों में, facttechno.in का संस्थापक हूं। मैं अपनी इस ब्लॉग पर टेक्नोलॉजी और अन्य दूसरे विषयों पर लेख लिखता हूं। मुझे लिखने का बहुत शौक है और हमेशा से नई जानकारी इकट्ठा करना अच्छा लगता है। मैंने M.sc (Physics) से डिग्री हासिल की है। वर्तमान समय में मैं एक बैंकर हूं।

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