दोस्तों, जल ही जीवन है। जल के बिना इस धरती पर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। पृथ्वी समुद्र से भरी पड़ी है जबकि पीने की पानी इस धरती पर बहुत ही कम है, और ऐसे में जल का प्रदूषण हो रहा है। आज हम लोग अपने इस लेख में जल प्रदूषण के बारे में जानेंगे, water pollution in Hindi jal pradushan Hindi mein.
शुद्ध जल या मीठा पानी जो पीने लायक होता है आज उसमें अशुद्ध तत्व मिलने की वजह से जल प्रदूषण बहुत ही अधिक मात्रा में बढ़ते जा रहा है। प्रदूषित जल जो जीवो की सृष्टि के लिए काफी खतरनाक होता है। ऐसा पानी पीने की वजह से प्राणियों में और मनुष्य में कई तरह के रोग फैलने लगते हैं, और इसके चलते आज इस धरती पर कई लाखों जीवों की जाने संकट में है।
पानी अमृत समान होता है, सुबह से लेकर शाम तक हम पानी की आवश्यकता रहती है,पूरी दिन आचार्य के लिए हमें पानी की जरूरत पड़ती है।आप कह सकते हैं कि पानी मनुष्य और इस धरती पर सभी जीव जंतुओं के लिए काफी जरूरी होती है। ऐसे में दोस्तों जल को शुद्ध रखना अति आवश्यक होता है, क्योंकि अशुद्ध पानी पीने से, कई सारे जीव यहां तक कि इंसानों में भी भयंकर बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ता जा रहा है। इसलिए पानी के होने वाली बीमारियों को रोकने के लिए हमें पानी को प्रदूषित होने से रोकना है।
पीने के साथ-साथ पानी का उपयोग हमारे दिन आचार्य की क्रियाओं के लिए, व्यवस्था में, इंडस्ट्री में factory, खेतों में, और बहुत सारी चीजों में इस्तेमाल होती है।
पानी का प्रदूषण होने के बहुत सारे कारण है, और इन कारणों से होने वाले पानी के प्रदूषण के निवारण भी है। बस हमें उन कारणों को जानकर पानी के प्रदूषण को रोकने के यथासंभव प्रयास करना चाहिए। तभी जाकर के हम जीवन के लिए अति मूल्य जल को प्रदूषण से मुक्त रख सकते हैं।
पानी के प्रदूषण के कारणों – cause of water pollution
मनुष्य ने धरती पर संसाधनों का अत्यधिक उपयोग करके सिर्फ जल ही नहीं, वायु, मिट्टी को भी प्रदूषित कर रखा है। इनके प्रदूषित होने के पीछे कई सारे कारण हो सकते हैं। जल के प्रदूषित होने के पीछे इंसान द्वारा अत्यधिक कारखानों में इस्तेमाल की जाने वाली कच्ची सामग्री, और जल का इस्तेमाल हो सकता है।अगर हम पानी के प्रदूषण को रोकना भी चाहे तो सबसे पहले हमें पानी के प्रदूषण के कारणों की जानकारी होनी बहुत जरूरी है।
पानी के प्रदूषण भी अलग-अलग प्रकार के होते हैं,एक तो ऐसे प्रदूषण जिसे हम कुछ प्रक्रियाओं के साथ पानी को शुद्ध और पीने लायक बना सकते हैं। जैसे कि घर में उपयोग होने वाला पानी, इसके अलावा कुछ प्रदूषण ऐसे होते हैं जिसका शुद्धिकरण करना बहुत ही मुश्किल होता है। जैसे कि उद्योग इस्तेमाल किया जाने वाला पानी, जो सीधे पाइपलाइन की मदद से नदी नालों में छोड़ दिया जाता है। इस तरह के पानी को दोबारा शुद्धिकरण करना काफी मुश्किल भरा होता है। जो नदी नालों के पानी को और दूषित करता है, जिससे जलीय जंतु और जीवो की जाने खतरे में पड़ गई है। तो चलिए जानते हैं कि, जल प्रदूषण किन किन कारणों से फैलता है।
Industrial water pollution
औद्योगिक प्रदूषण सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाला घटक माना जाता है। उद्योग के द्वारा जल प्रदूषण के साथ-साथ वायु प्रदूषण भी बहुत ज्यादा होता है। हानिकारक केमिकल युक्त पानी को सीधे नदी नालों में छोड़ दिया जाता है, जिसमें कई तरह के खतरनाक और रासायनिक केमिकल मिले हुए होते हैं।
उद्योग की सही पानी छोड़ने और उसे शुद्ध करने की पद्धति ना होने की वजह से वह केमिकल युक्त पानी पाइप के जरिए नदियों में बहा दिया जाता है और केमिकल युक्त पानी नदी ना लो के शुद्ध पानी को भी दूषित करता है।यह पानी समुद्र में चला जाता है और इस तरह से समुद्री पानी को भी या दूषित करता है।
नाले का पानी – Savage water pollution
घर में इस्तेमाल किया जाने वाला पानी,वह पानी जो आप किसी भी रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसे आप बर्तन धो धो रहे हैं, गाड़ी धो रहे हैं, नहाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं या फिर अन्य कार्यों के लिए तो यह पानी भी दूषित हो जाता है।
लेकिन इस तरह के पानी में औद्योगिक क्षेत्र में इस्तेमाल किए जाने वाले पानी की तुलना में रसायनिक केमिकल नहीं होते,और इस पानी को शुद्ध करना काफी आसान होता है। लेकिन यह दूषित पानी भी नालियों के मदद से नदियों और तालाबों तक पहुंचता है। और पानी को दूषित करता है।
Oil leakage के कारण जल प्रदूषण
जल प्रदूषण का यह एक बहुत बड़ा कारण होता है। बहुत ही बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों, उद्योगों में, रसायनिक तेल का इस्तेमाल किया जाता है जो लीकेज होने के साथ-साथ शुद्ध जल में जाकर के मिल जाती है। जिसके चलते जल प्रदूषण होता है। कई मामलों में तो यह भी देखा गया है कि कच्चे तेल का रिसाव हो करके वह जमीन में जाकर के धरातल के जल को भी दूषित करता है।
अचानक होने वाले ऑयल लीकेज से भी जल प्रदूषण फैलता है। जैसे कि समुद्री जहाज में ऑयल लीकेज होने से समुद्र का पानी प्रदूषित होता है। यह जल समुद्री जीवो के लिए हानिकारक साबित होता है।
कृषि से होने वाला जल प्रदूषण हानिकारक रसायनों का प्रयोग
आजकल ज्यादातर किसान लोग अपनी खेती में इस्तेमाल होने वाली रसायनिक केमिकल का ज्यादा इस्तेमाल करने लगे हैं।खेती करने के सही सिस्टम ना होने की वजह से जल का प्रदूषण बढ़ने की संभावना बढ़ती जा रही है। सिंचाई के दरमियान खेत में कुछ ज्यादा ही पानी छोड़ दिया जाता है।जिससे कई तरह के खेत में उपयोग किए जाने वाले रसायनिक खाद केमिकल आदि चीजें मिलाई जाती है। जो बाद में जाकर के छोटे-छोटे तालाबों नदी नालों से जा मिलता है। जिससे तालाब नदी नालों का पानी दूषित होता जा रहा है।
कई बैक्टीरिया, जंतु जो फसल को नुकसान पहुंचाते हैं।उन्हें मारने के लिए रासायनिक दवाओं का उपयोग किया जाता है। जो बारिश के पानी में मिलकर के जलद सहयोग और नदियों तक जा पहुंचता है। जिसे भी पानी अत्यधिक दूषित होता है। जिसके चलते मछलियां, और अन्य जलीय जीवों की जान चली जाती है।
प्लास्टिक से जल प्रदूषण
आज के आधुनिक युग में हम लोग ज्यादातर जब भी बाजार या अन्य आधुनिक मार्केट जाते हैं, तो मार्केट से कई सारे सामान खरीदते हैं। इसके साथ ही इन समान के पैकिंग प्लास्टिक के द्वारा की जाती है। जो जल प्रदूषण का एक बहुत बड़ा कारक है, जल ही प्रदूषण नहीं भूमि प्रदूषण, और वायु प्रदूषण का भी एक बहुत बड़ा कारक है।
हमारे दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली बहुत सी चीजें प्लास्टिक से बनी होती है, जैसे कि बाल्टी, प्लास्टिक बैग्स, पैन, प्लास्टिक के थैले इत्यादि। लेकिन यह प्लास्टिक उपयोग करने के बाद फेंक दिया जाता है, जो हवा के जरिए या किसी अन्य कारण से शुद्ध जलाशयों में प्रवेश होता है। या प्लास्टिक कचरा पानी को प्रदूषित करता है। छोटे-छोटे प्लास्टिक के टुकड़े नदियों तालाबों में जा मिलते हैं। जो जलीय जीव जंतु के पेट में पानी पीने के दरमियान जा सकते हैं। जो उनके लिए घातक साबित होता है।
Global warming से जल प्रदूषण
ग्लोबल वार्मिंग के कारण पृथ्वी के तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है, इस प्रदूषण के कारण धरती में मौजूद, गैसेस जैसे कि कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, आदि लगातार हमारे वायुमंडल में बढ़ते जा रहे हैं। जिससे ग्लोबल वार्मिंग का खतरा और अधिक बढ़ता जा रहा है। जिसके कारण जल अशोक जीवों की मृत्यु हो सकती है। जिससे जल प्रदूषण बढ़ने का खतरा और अधिक बढ़ जाता है।
Types of pollution – प्रदूषण के प्रकार
Underground water pollution – भूमिगत जल प्रदूषण
नदियों के पानी के साथ साथ भूमिगत जल भी हमारी शुद्ध पानी के लिए बहुत बड़ा स्रोत है। ग्रामीण क्षेत्रों में खेती करने के लिए और अन्य उपयोगों के लिए भूमिगत जल का ही इस्तेमाल किया जाता है।औद्योगिक विकास के साथ-साथ भूजल का उपयोग भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में भूजल प्रदूषित होने की वजह से पानी का यह भाग भी प्रदूषित होता जा रहा है। एक बार प्रदूषित होने पर भूजल का इस्तेमाल अनुपयोगी हो जाता है।
पृथ्वी के धरातल के पानी का प्रदूषण
समुद्र, झील, नदियां, तलाब यह सब पानी के स्रोत पृथ्वी के धरातल के ऊपर स्थित है।समुद्र को छोड़ कर के सारे मीठे जल का एक बहुत बड़ा स्रोत है। ज्यादातर जीव जंतु यहां तक कि मनुष्य भी इसी स्रोत से पानी ग्रहण करता है। ऐसे में नदियों के और अन्य पीने लायक जलाशयों के प्रदूषण की वजह से पानी के वजूद में खतरा हो सकता है।प्रदूषित पानी के उपयोग से कई तरह के रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
समुद्री जल का प्रदूषण
पृथ्वी का बड़ा भाग में समुद्र है, समुद्र का प्रदूषण उसके सता पर से दूषित प्रदूषित नदियों की वजह से होता है। इसके अलावा कच्चे तेल का रिसाव, ऑयल लीकेज इत्यादि समस्याएं भी समुद्री जल को अत्यधिक प्रदूषित कर रही है। समुद्री जल में हानिकारक रसायन, खनिज तत्व, प्लास्टिक और भी हानिकारक तत्व समुद्री जीवो की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। जो उनके जान के लिए घातक भी साबित हो सकता है।
जल के प्रदूषण से पड़ने वाले असर
जल प्रदूषण के कारण मनुष्य और जीव जंतु दोनों पर बहुत बड़ा असर पड़ता है।जल प्रदूषण से पड़ने वाले असर को हमने दो भागों में बांट दिया है।
मानव के ऊपर असर
जीवन जीने के लिए पानी का उपयोग पीने से लेकर के हमारे हर जरूरत के लिए होता है,ऐसे में दूषित पानी हमें अच्छे से नुकसान पहुंचा सकता है। दूषित पानी पीने की कई तरह के रोग होते हैं, हर साल दूषित पानी लगभग 1 बिलियन से भी ज्यादा लोगों को बीमार करता है। औद्योगिक विस्तार के नजदीक रहने वाले लोग दूषित पानी का जल्दी मात्रा में शिकार हो जाते हैं।
वायरस, बैक्टीरिया और हानिकारक तत्वों के साथ पेट में गया हुआ पानी कई तरह की बीमारी फैलाता है, जैसे कि cholera, typhoid इत्यादि। कई क्षेत्रों में पानी की बड़ा स्रोत दूषित होने पर लोग दूषित पानी पीने के लिए मजबूर होते हैं।
पशु और पक्षियों के स्वास्थ्य और जीवन पर असर
मनुष्य की तरह ही हर जीव जीने के लिए पानी का उपयोग करती है। वन्य जीव पानी के जलसों के माध्यम से पानी ग्रहण करते हैं। लेकिन दूसरी जगह से उनके स्वास्थ्य पर भी हानि पहुंचाता है। समुद्र में रहने वाले समुद्री जीव भी पानी के प्रदूषण के कारण मर सकते हैं। जिसकी वजह से और भी ज्यादा पानी का प्रदूषण हो सकता है।
पानी के प्रदूषण को कैसे रोके
सबसे ज्यादा दूषित पानी उद्योगी कार्यों के लिए उपयोग में लिया हुआ पानी होता है। जिससे मे हानिकारक तत्व मिले हुए होते हैं।कुछ इंडस्ट्री के पानी बहुत ज्यादा प्रदूषित होते हैं तो कुछ इंडस्ट्री के पानी कम मात्रा में प्रदूषित होते हैं। ऐसे में इस तरह के पानी कार निकाला योग्य तरीका से किया गया उपयोग और शुद्ध करने के उपयोग प्रबंधन ढंग से किया जाना चाहिए।ताकि उन्हें रिसाइकल करके फिर से उपयोग में लाया जा सके।
ऐसे में शुद्ध पानी के जलाशय को दूषित होने से बचाने के लिए हमें दूषित पानी को शुद्ध जलस्य में मिलने से रोकना होगा, दूषित पानी को शुद्ध स्रोतों से मिलने से रोकना होगा। दूषित पानी को कृत्रिम साधनों से पुनः शुद्ध करके उपयोग में लाना होगा।
कृषि क्षेत्रों में फसल, पौधों पर उपयोग किए जाने वाले रसायनिक खाद और अन्य पदार्थों को बारिश के समय में पानी के साथ सुध श्रोताओं में ना जाए इस पर विचार विमर्श करना चाहिए।
ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से भी जल के प्रदूषण में बढ़ावा होता रहा है, ऐसे में हम एक ग्रीनहाउस गैसेस रोकने के उपयोग करने जरूरी है। पानी के प्रदूषण को रोकने के लिए लोगों को जागृत करना चाहिए। बड़े कार्यक्रम करवा कर के लोगों को पानी के प्रदूषण से होने वाले हानिकारक बीमारियों के बारे में बताने की जरूरत है।आज के सोशल मीडिया जमाने में हम खुद पानी के प्रदूषण को रोकने के लिए होने वाले नुकसान के वीडियो लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।
प्लास्टिक का विघटन बड़ी मुश्किल से होता है। ऐसे में पानी के जलाशयों में प्लास्टिक मिलने से सालों साल प्लास्टिक की मात्रा इनमें बढ़ती जाती है। क्योंकि प्लास्टिक का विघटन होने में 21 साल लग जाते हैं। इसलिए समुद्री क्षेत्रों में और अन्य शुद्ध पानी के जलाशयों के पास में प्लास्टिक पानी में ना जाए इसके लिए बड़ी मात्रा में उपाय करने की जरूरत है।
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