जब भी हम अंतरिक्ष या आसमान की तरफ देखते हैं तो हमारे मन में यह ख्याल आता है कि ना जाने कितने अनगिनत तारे हमारे इस आकाशगंगा में मौजूद हैं? इसके साथ ही हमारे मन में यह भी ख्याल आता है कि हमारा या ब्रह्मांड कितना बड़ा है? इन्हीं सवालों के जवाब आज हम अपने इस लेख में देने वाले हैं? इसके साथ ही हम यह भी जानेंगे कि What is Universe? ब्रह्मांड क्या है?
What is universe? – ब्रह्मांड क्या है?
अंतरिक्ष हाउस में उपस्थित सभी खगोलीय पिंड आकाशगंगा, तारे, धूमकेतु आदि के सम्मिलित रूप को ब्रह्मांड या यूनिवर्स (Universe) कहते हैं। सबसे पहले टालमी ने सबसे पहले वर्ष 140 ईसा पूर्व में ब्रह्मांड का अध्ययन करके भू केंद्रीय सिद्धांत (geocentric) का प्रतिपादन किया था बताया था कि ” ब्रह्मांड के केंद्र में पृथ्वी स्थित है तथा सूर्य एवं अन्य ग्रह इस की परिक्रमा करते हैं”।
पोलैंड के निवासी कॉपरनिकस ने वर्ष 1543 मे सूर्य केंद्रीय सिद्धांत (Heliocentric) का प्रतिपादन किया तथा बताया कि ” ब्रह्मांड के केंद्र में सूर्य स्थित है तथा पृथ्वी सहित सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं”।
इसी कारण से कॉपरनिकस को ” आधुनिक खगोल शास्त्र (father of modern astronomy) का जनक माना जाता है।
इसके बाद जो है न स्कैपुलर ने बताया कि सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करने वाले ग्रहों का दीर्घ वृत्तीय या अंडाकार होता है। गैलीलियो ने क्या कलर के विचारों का समर्थन किया तथा वर्ष 1609 में अपवर्तक दूरबीन का आविष्कार कर बृहस्पति ग्रह के चार उपग्रह तथा सूर्य कलंक (Sun spots) का पता लगाया था।
साथ ही यह भी बताया कि सूर्य का सबसे निकटवर्ती तारा प्रॉक्सिमा सेंचुरी है। अमेरिकी एडमिन पी ने बताया कि आकाशगंगा दुग्ध मेखला (Milky way) की तरह लाखो अन्य आकाशगंगाएँ हैं। इसने आकाशगंगा ओं के प्रतिशरण के नियम का प्रतिपादन किया था बताया कि आकाशगंगा अंतरिक्ष में स्थिर ना रहकर एक-दूसरे से दूर होती जा रही है।
डॉप्लर प्रभाव (Doppler effect) के द्वारा ब्रह्मांड के विस्तार का पता लगाया जा सकता है। आकाशगंगा से आने वाले प्रकाश के स्पेक्ट्रम में रक्त विस्थापन (redshift) की घटना से पृथ्वी से दूर भाग रही आकाशगंगा का ज्ञान होता है, जबकि बिकिनी विस्थापन (violet Shift) की घटना से पृथ्वी के नजदीक आ रही आकाशगंगा का पता चलता है।
वर्ष 1927 में जॉर्ज लेमैत्रे ने ब्रह्मांड उत्पति का महा विस्फोटक सिद्धांत (Big Bang theory) का प्रतिपादन किया। इनके अनुसार करोड़ों वर्ष पूर्व अंतरिक्ष में एक अत्यंत भयंकर विस्फोट हुआ, जिससे प्रारंभिक पदार्थ की उत्पत्ति हुई और इसी पदार्थ से आकाशगंगा का निर्माण हुआ है।
ब्रह्मांड की उत्पत्ति को जानने के लिए 30 मार्च, 2010 को यूरोपियन सेंटर फॉर न्यूक्लियर रिसर्च ने जेनेवा में लार्ज हाइड्रोजन कोलाइडर नामक प्रयोग किया था।
खगोलीय पिंड
अंतरिक्ष में दिखाई देने वाले पिंड – आकाशगंगा, तारे, उपग्रह, धूमकेतु, ग्रह, इत्यादि को खगोलीय पिंड कहा जाता है।
गुरुत्वाकर्षण के कारण एक दूसरे से बंधे हुए तारों के विशाल समूह को आकाशगंगा कहते हैं। प्रत्येक आकाशगंगा का निर्माण धूल एवं गैसों के असंख्य तारों से हुआ है। जिसमें 98% भाग तारे तथा शेष 2% भाग धूल एवं गैस के मिश्रण है।
आकाशगंगा तीन प्रकार की संरचना वाली होती है।
- स्फेरिकल
- दीर्घ वृत्तीय
- अनियमित
80% से भी अधिक स्फेरिकल अकाश गंगा है। 17% दीर्घ वृत्तीय आकाशगंगा तथा 3% अनियमित आकाशगंगा पूरे ब्रह्मांड में पाई जाती है।
मिल्की वे गैलेक्सी एक स्फेरिकल संरचना वाली आकाशगंगा है सबसे निकटतम आकाशगंगा एंड्रोमेडा है जिसका आकार स्फेरिकल है। सबसे चमकीला तारा जो पृथ्वी से दिखाई देता है उसे ओरियन नेबुला कहते हैं।