Was Napoleon Really Short? क्या नेपोलियन सच में बौना था?

हमने नेपोलियन बोनापार्ट के बारे में बहुत पढ़ा है। 19वीं शताब्दी के सबसे प्रभावशाली सम्राट में से एक नेपोलियन बोनापार्ट ने यूरोप को महान ऊंचाइयों तक पहुंचाने का काम किया है। उन्होंने फ्रांस की सरकार को सुधारने के साथ-साथ दुनिया भर में फ्रांस की छवि को फिर से बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वास नेपोलियन और उसके कार्यों को याद करता है। लेकिन हम उसे बहुत से लोग नेपोलियन बोनापार्ट को छोटा कद, क्रूर सम्राट के रूप में जानते हैं। लेकिन आप उसे बहुत से लोग ने कभी यह सोचा है कि क्या वाकई में नेपोलियन बोनापार्ट बौना था? Was Napoleon Really Short? क्या नेपोलियन सच में बौना था?

नेपोलियन बोनापार्ट का जन्म 15 अगस्त 1769 में फ्रांस के अजैक्यों शहर में हुआ था। यहा से कोसीर्सका आईलैंड पर है। नेपोलियन के चार भाई और तीन बहने थी। एक अमीर परिवार में पैदा होने के कारण उन्हें पूरी हमको बचपन में अच्छी शिक्षा मिली। उन्हें एक सैनिक अफसर बनने के लिए फ्रांस की सैन्य अकादमी में भर्ती किया गया। सैनिक स्कूल में शिक्षा लेने के बाद 1784 में तोपखाने से संबंधित विषय का अध्ययन करने के लिए पेरिस के एक कॉलेज में उन्होंने दाखिला लिया।

उसकी प्रतिभा को देखकर फ्रांस के राज्यकीय तो खाने में उसे सब लेफ्टिनेंट की नौकरी मिल गई थी। उसे ढाई सीलिंग का प्रतिदिन का वेतन मिला करता था। जिससे वह अपने सात भाई बहनों का पालन पोषण करता था। उसके व्यक्तिगत गुण और साहस को देखकर फ्रांस के तत्कालीन प्रभावशाली नेताओं से उसका परिचय प्रगट होता चला गया। अब उसे आंतरिक सेना का सेनापति भी हूं किया गया।

इसी बीच 9 मार्च वर्ष 1796 को जोसेफाइन से उसका विवाह हो गया। नेपोलियन बोनापार्ट में अपनी प्रथम पत्नी जोशी सेन के निसंतान लेने पर ऑस्ट्रेया के सम्राट की पुत्री मेरी लुईस से दूसरा विवाह किया। जिससे उसे संतान की प्राप्ति हुई और वे पिता बन गए।

नेपोलियन बोनापार्ट ने अपने युद्ध कौशल से फ्रांस को विदेशी शत्रुओं से मुक्ति दिलाई। अपने अदम्य साहस और वीरता के कारण वह 27 वर्ष की अवस्था में, फ्रांस आर्मी इटली के सेनापति बन करके साडिनिया पर विजय प्राप्त किया।

इसके बाद प्रांत ने नेपोलियन को इंग्लैंड में विजय प्राप्त करने के लिए भेज दिया। लेकिन, इंग्लिश चैनल को पार नहीं कर पाए। इसके बाद नेपोलियन ने मिस्र के ऊपर विजय प्राप्त की। इसके बाद साल 1798 में 35000 सैनिकों के साथ नेपोलियन बोनापार्ट ब्रिटिश उपनिवेशकों को अपने अधीन करने के लिए निकल पड़ा। उसके रास्ते में आने वाली माल्टा, पिरामिड और नील नदी की संपूर्ण घाटी पर उसने कब्जा कर लिया था। धीरे-धीरे वह अब भारत की तरफ आगे बढ़ने लगा था ,लेकिन ब्रिटिश नौसेना के सामने उसे हार का सामना करना पड़ा था।

नेपोलियन का फ्रांस का शासक बनना

शासक बनते ही नेपोलियन ने देश की अर्थव्यवस्था, शिक्षा प्रशासनिक, सैनी और न्याय प्रणाली में अमूल सुधार किए। धार्मिक स्थिति में सुधार करने हेतु सबसे पहले नेपोलियन ने पादरियों के भ्रष्ट व अनैतिक चरित्र को सुधारने, चर्च के विशेषाधिकार को समाप्त करने, अंधविश्वास की आड़ में जनता को मूर्ख बना कर लूटने वाले पादरियों की तथा चर्च की संपत्ति को जप्त करने के लिए कई सारे नियम लागू किए।

इसके बाद साल 1814 तक नेपोलियन ने सम्राट के पद पर रहते हुए कई सारे महत्वपूर्ण सुधार के कारण किए हैं। लेकिन नेपोलियन लिपिजिंग के युद्ध के पश्चात उसे फ्रांस के सम्राट का पद त्याग कर देश निकाला मिलने पर अल्बा दीप समूह में रहना पड़ा था। वहां से भाग कर आने पर देशवासियों ने उसे पुनः सम्राट के रूप में स्वीकार किया था।

नेपोलियन बोनापार्ट का पतन

नेपोलियन का पतन राष्ट्रों की लड़ाई साल 1813 के बाद शुरू हुआ जिसमें नेपोलियन को उखाड़ फेंकने के लिए स्वीडन, ऑस्ट्रिया और रूसी सेना शामिल थे। वे नेपोलियन की विस्तारवादी सैन्य रणनीति को पसंद नहीं करते थे और उसके शासन को अपने संबंधित राज्य तंत्रों के लिए खतरे के रूप में देखते थे।

जिसके चलते नेपोलियन बोनापार्ट को अपना सिहासन त्यागने के लिए मजबूर होना पड़ा और निर्वाचन के रूप में भूमध्यसागरीय तट पर भेज दिया गया। एक साल से भी कम समय में नेपोलियन बोनापार्ट उस दीप समूह से भाग निकला और फिर से फ्रांस पहुंच गया और 100 दिनों का अभियान शुरू किया।

जो जाता है वह वापस आता भी है। नेपोलियन की निगाह हमेशा ब्रिटिश सरकार पर थी और इस बार वह उस पर आक्रमण करने के लिए तैयार था। साल 1803 में नेपोलियन ने दोनों देशों के बीच दुश्मनी को और अधिक प्रज्वलित करते हुए ब्रिटेन के खिलाफ एक अभियान शुरू कर दिया।

साल 1815 में Brussels में वाटरलू की लड़ाई हारने पर ब्रिटेन ने नेपोलियन से अपना बदला ले लिया। जोहार नेपोलियन के लिए अंतिम झटका था जिसके कारण वह यूनाइटेड किंग्डम के कब्जे वाले एक छोटे से द्वीप सेंट हेलेना में निर्वासित हो गया, जहां उसने अपने से दिन बिताए और अंततः साल 1821 में उसकी मृत्यु हो गई।

ऐसा क्यों है कि नेपोलियन के दुनिया में अपनी छाप छोड़ने के बाद भी उसे एक छोटे कद के व्यक्ति के रूप में व्यापक रूप से याद किया जाता है? क्या यह सच है कि नेपोलियन केवल 5 फीट 2 इंच का था?

Was Napoleon Really Short? क्या नेपोलियन सच में बौना था?

नहीं यह अफवाह तब शुरू हुई जब नेपोलियन को “le petit Caporal” का उपनाम दिया गया था जो कि केवल प्रेम का शब्द था। जो कि केवल प्रेम का शब्द होने के साथ-साथ अपने सम्राट के प्रति आभार व्यक्त करने का तरीका भी था।

वास्तव में उसकी ऊंचाई पर कोई भी किसी तरह की टिप्पणी नहीं की गई थी। नेपोलियन ने आमतौर पर एक सैन्य रणनीति के रूप में खुद को लंबे फ्रांसीसी लोगों के साथ घेर लिया और परिणाम स्वरूप, वह आप उन लोगों के बीच में छोटा दिखाइए देता था।

इंपीरियल गार्ड यूनिट कैसल को के लिए एक अनिवार्य ऊंचाई की आवश्यकता थी, इस प्रकार फ्रांसीसी सेना में लंबे पुरुष शामिल थे। यह विश्वास लौटाने वाले सैनिक प्रभाव से कुब्जा है, या विश्वास की फिल्म के सैनिक ज्यादा स्वस्थ होते हैं और लड़ाई करने में अधिक सक्षम होते हैं। इन लंबे सैनिकों ने उसे छोटा बना दिया।

नेपोलियन बोनापार्ट की ऊंचाई फ्रांसीसी मैट्रिक्स द्वारा 5 फीट 2 इंच के रूप में दर्ज की गई थी। लेकिन वास्तव में आज के जमाने में 5 फीट और 6 इंच थी। हम इसे लंबा भी नहीं कह सकते हैं और ना ही हम छोटा कह सकते हैं। तो इस भ्रम का क्या कारण है?

फ्रांस और ब्रिटेन में मैट्रिक्स का भ्रम

उनकी मृत्यु के समय नेपोलियन की ऊंचाई 5 फीट 2 इंच दर्ज की गई थी। लेकिन वास्तव में आज की आधुनिक दुनिया में इसका मतलब 5 फीट और 2 इंच नहीं है।

उनके समय में फ्रांसीसी और ब्रिटिश दोनों ने ऊंचाई, इंच और पैरों की माप के लिए समान शब्दों का इस्तेमाल किया था। लेकिन दोनों देशों के टेप को मापने के लिए उनका अलग-अलग मतलब था। इसीलिए जब फ्रांसीसी प्रणाली में नेपोलियन की ऊंचाई 5 फीट 2 इंच घोषित की गई थी तो वास्तव में ब्रिटिश प्रणाली में 5 फीट 6 इंच की और आज की दुनिया का मापने वाला टेप था।

17 वी शताब्दी तक, यूरोप प्रत्येक देश की परमपारीक मेट्रिक प्रणाली का उपयोग करना शुरू कर दिया था। एकरूपता किस कमी के परिणाम स्वरूप केवल नेपोलियन के कब तक ही सीमित नहीं रहा। रेल कंपनी इंजन का रखा काम करते समय स्क्रू रेड के विभिन्न माप का उपयोग करती थी।

यूरोप का मानकीकरण की सख्त जरूरत थी। माफको मालिक रेप करने के तरीके के रूप में इस साल 1799 में फ्रांस में आधिकारिक तौर पर मेट्रिक प्रणाली की शुरुआत की गई। नेपोलियन ने इस नए बदलाव में सहायता की थी। नेपोलियन ने इस नए बदलाव में सहायता करते हुए “Measures Usuelles’ की शुरुआत की जिसमें 489.5g ( किंग पाउंड) के बजाय एक मेट्रिक पाउंड को 500g तक सीमित कर दिया।

हालांकि, अंग्रेजों ने इस बदलाव का स्वागत नहीं किया शुरू में उनकी उदासीनता के कारण लेकिन सबसे महत्वपूर्ण रूप से फ्रांस और इंग्लैंड के बीच दुश्मनी खासकर नेपोलियन के कारण थी। वे अभी भी इंच, पाउंड और गैलन के साथ काम कर रहे थे जबकि अन्य देशों ने मीटर और किलोग्राम को अपनाना शुरू कर दिया था।

साल 1960 में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ही इंटरनेशनल सिस्टम ऑफ यूनिट (SI) पेश किया गया था जिसने दुनिया भर में माप प्रणाली के मानीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। इससे अंततः भ्रम की स्थिति समाप्त हुई।

इसका मतलब यह नहीं है कि नेपोलियन ने अपने समय का सबसे लंबा आदमी नहीं हो सकता था लेकिन वह निश्चित रूप से छोटा भी नहीं हो सकता था। फ्रांस में उनकी ऊंचाई औसत थी लेकिन सांस के प्रभाव का विस्तार करने के लिए तैयार सम्राट होने के नाते, नेपोलियन के कुछ दुश्मन थे जो उसकी वजह से खुश नहीं थे।

ब्रिटिश सेना द्वारा प्रचार

एक ब्रिटिश Caricaturist, James Gillray, द्वारा किए गए झूठे प्रचार ने उन्हें एक छोटा क्रिएचर बनाया। जिसमें चारों और के फर्नीचर की तरह विशाल टोपी पहनी हुई थी और उस में बैठ कर के नेपोलियन नखरे फेंक रहे थे।

इसे समाप्त करने के लिए नेपोलियन के पत्रों के बावजूद अंग्रेजों ने इस क्रिएचर को लोकप्रिय बनाया। क्योंकि अंग्रेजों ने नेपोलियन के उसकी स्पष्ट अजेयता और ब्रिटेन पर आक्रमण के कारण नापसंद किया था। इसलिए उन्होंने उसकी प्रतिष्ठा को खराब करने के लिए इस क्रिएचर का इस्तेमाल किया और ब्रिटिश प्रेस से इसे प्रकाशित करना जारी रखा।

नेपोलियन इतिहास में एक जटिल व्यक्ति है कई महान नेताओं की तरह उनकी छवि को विकृत कर दिया गया है। ताकि हम उसे वर्तमान जीगेटिस्ट पर फिट कर सके। जिसमें हम रहते हैं। उनकी ऊंचाई और उनकी कमी पर विवाद हमें दिखता है कि कुछ ऐतिहासिक तथ्य एक ऐतिहासिक व्यक्ति की हमारी धारणा को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।

चाहे आप नेपोलियन की राजनीतिक विचारों से सहमत हो या समझना हो यह एक नेता के रूप में उन्हें पसंद या नापसंद करते हो। इस तथ्य को कोई नहीं बदल सकता कि नेपोलियन छोटा नहीं था। यह एक बात है जिसे हम मनोवैज्ञानिकों के ऊपर छोड़ देंगे।

Sharing Is Caring:

दोस्तों में, facttechno.in का संस्थापक हूं। मैं अपनी इस ब्लॉग पर टेक्नोलॉजी और अन्य दूसरे विषयों पर लेख लिखता हूं। मुझे लिखने का बहुत शौक है और हमेशा से नई जानकारी इकट्ठा करना अच्छा लगता है। मैंने M.sc (Physics) से डिग्री हासिल की है। वर्तमान समय में मैं एक बैंकर हूं।

बिरसा मुंडा का जीवन परिचय

बिरसा मुंडा का जीवन परिचय

बिरसा मुंडा एक महत्वपूर्ण भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और समाजसेवी थे, जो झारखंड के मुक्तिसेना आंदोलन के नेता थे। उन्होंने आदिवासी और दलितों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी और उनके समर्थन…

राजा राममोहन राय

राजा राममोहन राय

राजा राममोहन राय भारतीय समाज सुधारक, विद्वान, और समाजशास्त्री थे। वे 19वीं सदी के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यमी और समाज सुधारक थे। उन्होंने समाज में अंधविश्वास, बलात्कार, सती प्रथा, और दाह-संस्कार…

महर्षि दयानंद सरस्वती

महर्षि दयानंद सरस्वती की जीवनी

महर्षि दयानंद सरस्वती, जिन्हें स्वामी दयानंद सरस्वती के नाम से भी जाना जाता है, 19वीं सदी के महान धार्मिक और समाज सुधारक थे। उन्होंने आर्य समाज की स्थापना की, जो…

एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी

एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, भारतीय राष्ट्रपति और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष के रूप में प्रसिद्ध थे। उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम…

डॉ भीमराव आंबेडकर जीवनी

डॉ भीमराव आंबेडकर जीवनी

डॉ. भीमराव आंबेडकर, भारतीय संविधान निर्माता, समाजसेवी और अधिकारिक हुए। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को महाराष्ट्र के एक दलित परिवार में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन में अनेक क्षेत्रों…

कालिदास का जीवन परिचय

कालिदास का जीवन परिचय

कालिदास भारतीय साहित्य का एक प्रमुख नाम है जिन्हें संस्कृत का महाकवि माना जाता है। उनका जन्म और जीवनकाल निश्चित रूप से नहीं पता है, लेकिन वे आधुनिक वास्तुगामी मतानुसार…

Leave a Comment