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What is Carbon Dating? कार्बन डेटिंग क्या है?

What is Carbon Dating? कार्बन डेटिंग क्या है? जब भी कोई पुरातात्विक खोज की जाती है, तो उस खोज में उस वस्तु की उम्र का अंदाजा कार्बन डेटिंग की सहायता से लगाई जाती है। अक्सर, समाचार पत्रों पर कार्बन डेटिंग से संबंधित वस्तु की उम्र का अंदाजा के बारे में अक्सर खबर छपते रहते हैं। आप लोगों में से बहुत से लोग यह नहीं समझ पाते कि आखिर What is Carbon Dating? कार्बन डेटिंग क्या है? आज हम अपने इस लेख में इसके बारे में चर्चा करने वाले हैं। इसके साथ ही हम इस बारे में भी जानकारी लेंगे कि किस तरह से वैज्ञानिक कार्बन डेटिंग की सहायता से किसी भी वस्तु के उम्र का अंदाजा लगाते हैं।

What is Carbon Dating? कार्बन डेटिंग क्या है?

रेडियो कार्बन डेटिंग या कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) ऐसी विधि है, जिसकी सहायता से किसी भी चीज का उम्र की गणना की जाती है। इससे एप्सोल्युट डेटिंग’ भी कहा जाता है।

इसके बावजूद भी यह कार्बनिक पदार्थ सही उम्र देने में सही साबित नहीं होता है। लेकिन, कार्बनिक डेटिंग की सहायता से हम उसकी एक उम्र एवं वर्ष की सीमा के बारे में पता लगा सकते हैं।

इसके अलावा दूसरी विधि जिसकी सहायता से हम किसी भी वस्तु की उम्र की सही गणना करते हैं। उसे हम सापेक्ष डेटिंग या रिलेटिव डेटिंग कहते हैं, जो सटीक आयु के बिना घटनाक्रमों का क्रम देती है, आमतौर पर आर्टीफैक्ट टाइपोग्राफी या जीवाश्म के विकास के अनुक्रम का अध्ययन करके हम उम्र की गणना करते हैं।

कार्बन डेटिंग कैसे करते हैं? :- हमारे वायुमंडल में कार्बन की 3 आइसोटोप मौजूद है। जो पृथ्वी के प्राकृतिक प्रक्रियाओं के हिस्से के रूप में होते हैं। कार्बन के यह तीन आइसोटोप निम्नलिखित है।

  • कार्बन 12 जिसे हम कार्बन डाइऑक्साइड के नाम से भी जानते हैं।
  • कार्बन 13
  • कार्बन 14

कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) के लिए कार्बन 14 की आवश्यकता होती है। कार्बन के दो अन्य रूप हमारे वायुमंडल एवं हमारी इस धरती पर आम रूप में मिल जाते हैं।

वही वायुमंडल में मौजूद अन्य दो आइसोटोप कार्बन अधिक आम और सामान्य रूप में पाए जाते हैं। ईंधन के जलने के साथ-साथ इनकी मात्रा वायुमंडल में बढ़ती जाती है। वही carbon-14 भी बढ़ता है, लेकिन इसकी सापेक्ष दुर्बलता का मतलब है कि इसकी वृद्धि बहुत ही कम मात्रा में होती है।

कार्बन का आइसोटोप कार्बन 14 ऑफ लाइफ 5730 वर्ष है। जो कि मूल रूप से साल 1940 के दशक के आसपास इसकी गणना की गई थी। उस समय इसकी सटीक गणना करते हुए 5568 साल में संयोजित होता है। कार्बन डेटिंग के दौरान इसकी ऊपरी समय सीमा 55 हजार से लेकर के 60 हजार साल के आसपास मानी जाती है। जिसके बाद से कार्बन 14 का वृद्धि का अनुमान नग्न है।

आज, कार्बन के इस आइसोटोप यानी कि रेडियो कार्बन 14 डेटिंग विधि पर्यावरण विज्ञान और पुरातत्व और मानव विज्ञान जैसे क्षेत्रों में व्यापक रूप से उपयोग में लाया जाता है। इसमें भूगोल में कुछ अनुप्रयोग भी है। कार्बनिक पदार्थ के डेटिंग में इसका महत्व पर्याप्त रूप से कम करके आंका नहीं जा सकता है।

कार्बन डेटिंग की शुरुआत कैसे हुई? History of Carbon Dating in Hindi

कार्बन डेटिंग के ऊपर सबसे पहले प्रयोग वर्ष 1940 के दशक में शुरू हुआ था। इस दौरान एफ. लीबी नाम के एक विज्ञानिक एवं उनकी शोधकर्ता टीम ने कार्बन ब्लैक पाउडर में कार्बन 14 आइसोटोप के रेडियो एक्टिव डीकेय के ऊपर शोध करना आरंभ किया।

उन्होंने अपने शोध में मिस्र के दो फिरौन से अकेसिया लकड़ी के नमूने लिए और उन्हें डेटेड किया, तब परिणाम सामने आए जो कि उचित समय सीमा थी। जोकि 2800 BC जो कि लगभग 250 साल जबकि पहले की स्वतंत्र तिथि मोटे तौर पर 75 वर्ष थी। पुरातात्विक विदो ने अपने शासनकाल की गणना करने के लिए संबंधित डेटिंग विधि का उपयोग किया था।

हालांकि, उनके द्वारा की गई यह पहली गणना थी। परमाणु परीक्षण के प्रदूषित होने से पहली गणना जो की गई थी उसमें जल्दी त्रुटि और विकसित विधियों की खोज की जाने की आवश्यकता थी। इसके बाद साल 1950 में सही तरीके से एक नई विधि से शोध आरंभ किया गया। जो सही गणना करके बताती थी।

” वैज्ञानिक तरीके से कहा जाए तो कार्बन डेटिंग के जरिए कार्बन 12 और कार्बन 14 के बीच अनुपात निकाला जाता है। कार्बन 14 एक तरह से कार्बन का ही रेडियोधर्मी आइसोटोप होती है, जिसका अर्ध आयु काल 5730 वर्ष होता है। कार्बन डेटिंग को रेडियो एक्टिव पदार्थ की आयु सीमा निर्धारित करने में प्रयोग किया जाता है।”

रेडियो कार्बन डेटिंग का उपयोग कहां पर होता है?

रेडियो कार्बन डेटिंग का इस्तेमाल कई सारी जगह पर किया जा सकता है। जैसे कि :-

  1. लकड़ी और चारकोल
  2. पुरातात्विक खोज में
  3. हड्डी , चमड़े, बाल, और रक्त अवशेष की उम्र की गणना
  4. पीट और मिट्टी
  5. शैल और कोरल या चिटिन के उम्र की गणना
  6. पुराने बर्तन जहां कार्बनिक अवशेष उपलब्ध है।
  7. दीवारों पर चित्रकारी आमतौर पर कुचले फल और कीड़े जैसे कार्बनिक पदार्थों का उपयोग होता है।

आम तौर पर देखा जाए तो ऊपर दी गई सूची पूरी नहीं है। अधिकांश कार्बनिक पदार्थ तब तक उपयोग होते हैं जब तक कि यह पर्याप्त उम्र के होते हैं और खनिज का मिश्रण इनमें नहीं होता है। डायनासोर की हड्डियां बाहर निकलती है क्योंकि उनके पास कार्बन नहीं बचता है। पत्थर और धातु की डेटिंग नहीं की जा सकती है, लेकिन बर्तनों की डेटिंग की जा सकती है क्योंकि उनमें खाने के अवशेष और बर्तन को खूबसूरत बनाने के लिए उसमें लगे रंग जैसे कार्बनिक पदार्थ का उपयोग किया गया हो।

निष्कर्ष

आज के हमारे इस लेख में आपने क्या सीखा? आज के हमारे इस लेख में हमने आप लोगों को What is Carbon Dating? कार्बन डेटिंग क्या है? इसके बारे में जानकारी उपलब्ध कराई है। इसके अलावा हमने इस लेख में कार्बन डेटिंग के इतिहास के बारे में भी थोड़ी बहुत चर्चा की है।

कार्बन डेटिंग का उपयोग हम किस तरह से कर सकते हैं। किन-किन चीजों की कार्बन डेटिंग की जा सकती है। इन सारे विषयों पर भी हमने चर्चा किया है। इससे संबंधित अगर आप के कुछ सवाल एवं सुझाव है तो आप हमें कमेंट बॉक्स पर कमेंट करके बता सकते हैं।

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दोस्तों में, facttechno.in का संस्थापक हूं। मैं अपनी इस ब्लॉग पर टेक्नोलॉजी और अन्य दूसरे विषयों पर लेख लिखता हूं। मुझे लिखने का बहुत शौक है और हमेशा से नई जानकारी इकट्ठा करना अच्छा लगता है। मैंने M.sc (Physics) से डिग्री हासिल की है। वर्तमान समय में मैं एक बैंकर हूं।

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