What is SEBI? सेबी क्या होता है?

What is SEBI? सेबी क्या होता है? अगर आप शेयर बाजार या फिर स्टॉक एक्सचेंज के बारे में दिलचस्पी रखते हैं, तो आपने सेबी (SEBI) के बारे में जरूर सुना होगा। सेबी को शेयर बाजार का रेगुलेटरी भी कहते हैं। शेयर बाजार में होने वाले जितने भी लेनदेन होते हैं सेबी के निगरानी के अंतर्गत ही किए जाते हैं। इसलिए, नये निवेशकों को इसके बारे में जानना जरूरी हो जाता है।

आज के हमारे इस लेख में हम What is SEBI? सेबी क्या होता है? और इसके कार्य प्रणाली के बारे में जानकारी देने वाले हैं। इसके अलावा यह किस तरह से शेयर बाजार या स्टॉक एक्सचेंज को अपने निगरानी में रखता है इसके बारे में भी चर्चा करने वाले हैं।

What is SEBI? सेबी क्या होता है?

SEBI – का फुल फॉर्म Securities Exchange Board of India होता है। यह भारतीय स्टॉक एक्सचेंज नियामक संस्था है। जिसकी स्थापना वर्ष 1992 में की गई थी।

SEBI की स्थापना भारतीय संविधान के अधिनियम SEBI Act 1992, के अंतर्गत किया गया है। जोकि शेयर बाजार या फिर स्टॉक मार्केट में होने वाले कारोबार की देखरेख करती है।

इसके अलावा SEBI भारतीय स्टॉक निवेशक को के हितों का बेहतर सुरक्षा प्रदान करना और स्टॉक एक्सचेंज के विकास तथा उसे सुचारू रूप से चलाने के लिए नियम कानून की व्यवस्था और नियंत्रण करना सेबी का कार्य है।

SEBI, भारतीय स्टॉक एक्सचेंज के प्रति जवाबदेही रखता है। यह तीनों ग्रुप्स जिनमें :-

  1. कंपनी के मालिक, स्टॉक या सिक्योरिटीज जारी करने वाली कंपनी।
  2. स्टॉक के सिक्योरिटीज खरीदने वाले लोग (Stock Market Participants)
  3. स्टॉक मार्केट या शेयर बाजार में मध्यस्था (Intermediaries) जिनमें स्टॉक ब्रोकर, बैंक और अन्य संस्थाएं शामिल होती है।

सेबी तीनों ही तरह के पार्टिसिपेंट के हितों की रक्षा करती है। इन तीनों के ऊपर नजर रखते हुए सेबी शेयर बाजार पर होने वाले खरीद-फरोख्त की निगरानी रखती है।

शेयर बाजार जैसे बड़े बाजार को निगरानी करने के लिए एक मजबूत संस्थान की आवश्यकता होती है। इसीलिए सेबी का गठन किया गया है।

सेबी के आने से पहले शेयर बाजार में धोखाधड़ी या इसके जैसी बातें सामान्य थी। जैसे कि आप हर्षद मेहता का उदाहरण ले सकते हैं। हर्षद मेहता ने इंसाइडर ट्रेडिंग और अन्य illegal प्रैक्टिस के जरिए, शेयर बाजार मे बहुत बड़ा स्कैम किया था।

शेयर बाजार में बढ़ती धोखाधड़ी और स्कैन के कारण ही एक ऐसी संस्थान किसी फारिस की गई जो ट्रेडर और निवेशकों की शिकायत को सुनने और धोखाधड़ी करने वाले व्यक्ति या कंपनी पर जुर्माना लगाया फिर प्रतिबंध करें। अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए 31 जनवरी, 1992 को सेबी (SEBI) की स्थापना की गई।

SEBI के कार्य?

जैसा कि हमने इस बारे में ऊपर जिक्र किया है, सेबी की स्थापना इस उद्देश्य की गई थी कि वह भारतीय स्टॉक बाजार में शामिल तीनों ग्रुप चाहे वह कोई कंपनी हो या शेयर बाजार में ब्रोकर, या फिर शेयर को खरीदने वाला आम नागरिक तीनो ही तरह के इन लोगों की हितों की रक्षा करती है।

इसके अलावा किसी भी बाजार को सही तरीके से चलाने के लिए एक संस्थान की आवश्यकता होती है। जोकि सेबी (SEBI) शेयर बाजार पर निगरानी एवं धोखाधड़ी से बचाने के लिए बखूबी काम कर रहा है।

इसके साथ ही, SEBI – Securities and Exchange Board of India , स्टॉक एक्सचेंज और म्यूचुअल फंड आदि के मामलों को भी नियंत्रित करती है। अगर आप शेयर बाजार में आना चाहते हैं तो आपको इस बारे में भी जानकारी होना अति आवश्यक है कि कोई भी ब्रोकर (Broker) शेयर बाजार से ट्रेडिंग की सेवा लेने के लिए सेबी (SEBI) के अंतर्गत ही रजिस्टर्ड होता है।

SEBI – सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया, भारत की एक नियामक संस्था है जो कि सिक्योरिटीज मार्केट में स्टॉक के ट्रांजैक्शन को रेगुलेट करती है। ठीक सेबी (SEBI) अमेरिका में मौजूद सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमिशन (SEC) के भांति ही भारत में कार्य करती है।

SEBI कि संगठनात्मक संरचना (SEBI – Organizational Structure)

सेबी के गठन में कुल 9 सदस्य शामिल होते हैं :-

  • भारत सरकार द्वारा नियुक्त किया गया एक अध्यक्ष।
  • केंद्रीय वित्त मंत्रालय से 2 सदस्य।
  • भारतीय रिजर्व बैंक से 1 सदस्य।
  • भारत सरकार द्वारा पांच सदस्यों की नियुक्ति की जाती है। इन 5 सदस्यों में से तीन सदस्य पूर्णकालिक यानी कि फुल टाइम सदस्य के रूप में कार्य करते हैं।

SEBI की कार्यप्रणाली?

सेबी की स्थापना सेबी अधिनियम 1992, के अंतर्गत की गई है। सेबी (SEBI) एक वैधानिक संस्थान है । जिसके पास में कई सारी शक्तियां है। सेबी 1992 अधिनियम में नियामक निकाय में निहित ऐसी शक्तियों की एक सूची दी गई है। सेबी के कार्य इसे प्रतिभूतियों का जारीकर्ता, निवेशकों और व्यापारियों का रक्षक और एक वित्तीय मध्यस्थ बनाते हैं। सेबी अधिनियम के अंतर्गत अनुच्छेद 11 में सेबी के कार्य के बारे में मत लाया गया है। जिसमें से भी के कार्यों को तीन प्रमुख भागों में विभाजित किया गया है।

  1. सुरक्षात्मक कार्य ( Protective Function)
  2. विनियामक कार्य  ( Regulatory Function)
  3. विकासात्मक कार्य ( Development Function)

सुरक्षात्मक कार्य ( Protective Function) :-  इस कार्य का उद्देश्य मुख्य रूप से वित्तीय बाजार यानी कि स्टॉक एक्सचेंज या फिर शेयर बाजार पर निगरानी एवं उनके कामकाज को व्यवस्थित रखना होता है। इसके अंतर्गत कुछ महत्वपूर्ण अंश इस प्रकार हैं :-

  • शेयरों के मूल्य के हेराफेरी की जांच करना।
  • इंसाइडर ट्रेडिंग को रोकता है।
  • निवेशकों को जागरूक करता है।
  • निष्पक्ष शेयर के लेनदेन को बढ़ावा देना।
  • धोखाधड़ी और अनुचित तरीके से प्रतिभूति के लेनदेन को रोकना।

विनियामक कार्य  ( Regulatory Function) :- इसके अंतर्गत सेबी ने निवेशकों तथा अन्य प्रतिभागियों के हितों की रक्षा करती है। इसमें आम नागरिक एवं ब्रोकर शामिल होते हैं। इसके अंतर्गत कुछ मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:-

  • यह वित्तीय संस्थान और कॉर्पोरेट को उचित तरीके से काम करने का दिशा निर्देश जारी करता है।
  • यह बाजार में एक आचार संहिता का निर्माण करती है। ताकि प्रतिभूतियों के लेनदेन की जांच और लेखा परीक्षा (Audit) किया जा सके।
  • यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म की व्यवस्था करता है जहां पर पोर्टफोलियो मैनेजर, बैंकर, शेयर दलाल, सलाहकार, मर्चेंट बैंकर, रजिस्ट्रार, शेयर ट्रांसफर एजेंट और अन्य लोग एक साथ लेनदेन कर सके।
  • शेर के एक निश्चित समय में प्राप्त अधिग्रहण को विनियमित करना और कंपनी का अधिग्रहण करना भी इसमें शामिल होता है।

विकासात्मक कार्य ( Development Function) :- सेबी के प्रमुख कार्यों में विकास करना भी शामिल है। इसके अंतर्गत शेयर बाजार में शेयर दलालों को प्रशिक्षण देना एवं शेयर बाजार को उच्च स्तरीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाना इत्यादि शामिल होता है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित कुछ मुख्य बिंदु शामिल है:-

  • ब्रोकर को प्रशिक्षण देना।
  • निष्पक्ष लेनदेन को बढ़ावा देना।
  • धोखाधड़ी को संज्ञान में लेना और उचित कार्यवाही करना।
  • ब्रोकर के माध्यम से या सीधे म्यूच्यूअल फंड खरीदना और बेचना।
  • सेल्फ रेगुलेटरी संगठनों को प्रोत्साहित करना।
  • उचित लेनदेन को बढ़ावा देना।
  • अनुसंधान का संचालन करना और शेयर बाजार के प्रतिभागियों व सभी के लिए उपयोगी जानकारी प्रकाशित करना इत्यादि शामिल होता है।

SEBI की शक्तियां

सेबी का गठन सेबी अधिनियम, 1992 के अंतर्गत किया गया है। शेयर बाजार को सुचारू रूप से चलाने के लिए इसे कुछ शक्तियां भी दी गई है। सेबी की मुख्यता 3 शक्तियां किस प्रकार है :-

  1. अर्ध न्यायिक शक्तियां (Quasi – Judicial)
  2. अर्ध कार्यकारी शक्तियां ( Quasi – Executive)
  3. अर्ध विधान शक्तियां (Quasi – Legislative)

अर्ध न्यायिक शक्तियां (Quasi – Judicial) :- इस शक्ति के अंतर्गत प्रतिभूतियों बाजार में कोई धोखाधड़ी और अनैतिक व्यापार करता है, तो सेबी के पास में निर्णय लेने की शक्ति है। यह शक्तियां प्रतिभूतियों बाजार में पारदर्शिता, जवाबदेही और निष्पक्षता बनाए रखने की सुविधा सेबी को देता है।

अर्ध कार्यकारी शक्तियां ( Quasi – Executive) :- अगर कोई व्यक्ति, निवेशक, कॉर्पोरेट आदि संस्था सेबी को नियमों, दिशा निर्देश और निर्णयों का उल्लंघन करता है तो उसे भी उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार रखता है। यदि या नियम के किसी भी उल्लंघन के लिए आता है, तो यह पुस्तकों के खातों और अन्य दस्तावेजों का निरीक्षण करने के लिए भी अधिकृत होता है।

सेबी के अध्यक्ष के पास ‘ खोज और जबकि संचालन’ का आदेश देने का अधिकार है। सेबी बोर्ड किसी भी प्रतिभूति लेनदेन के संबंध में किसी भी व्यक्ति, कॉर्पोरेट संस्थाओं से टेलीफोन कॉल डिटेल रिकॉर्ड या अनुबंध दस्तावेज जैसे जानकारी की मांग कर सकता है।

अर्ध विधान शक्तियां (Quasi – Legislative) :- सेबी निवेशकों की हितों की रक्षा के लिए नियमों और विनियमों को लागू करने का अधिकार रखता है। इसकी किस नियमों में इंसाइडर ट्रेडिंग विनियम, लिस्ट दायित्व और प्रकटीकरण आवश्यकताएं शामिल होती है।

SEBI का इतिहास – History of SEBI

वर्ष 1980 के दशक के दौरान, जनता की बढ़ती भागीदारी के कारण पूंजी बाजार में जबरदस्त वृद्धि हुई थी। इसके कारण कीमतों में हेरा फेरी, नए मुद्दों पर अनाधिकृत प्रीमियम, स्टॉक एक्सचेंज के नियमों और नियमों का उल्लंघन और लिस्टिंग आवश्यकताओं, दलालों, व्यापारी बैंकरों, कंपनियों, निवेश सलाहकारों और अन्य लोगों द्वारा शेयर की डिलीवरी में देरी आदि अनेक प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होने लगी थी।

इसके परिणाम स्वरूप लोगों का विश्वास शेयर मार्केट से खोने लगा था और निवेशकों द्वारा इसकी शिकायत की गई परंतु सरकार और स्टॉक एक्सचेंज निवेशकों की इन शिकायतों का निवारण करने में सक्षम नहीं थी। ऐसी स्थिति में सरकार को ये एहसास हुआ कि शेयर बाजार या फिर स्टॉक एक्सचेंज में होने वाले गड़बड़ियों के निपटान के लिए एक संस्थान की आवश्यकता है। जो कि निवेशकों के साथ-साथ कंपनियों, ब्रोकर यानी दलाल, के शिकायतों का निपटान कर सके।

इसीलिए आधिकारिक तौर पर सरकार द्वारा वर्ष 1988 में एक बोर्ड का गठन किया गया। इस बोर्ड के अंतर्गत थी वर्ष 1992 में भारतीय सरकार द्वारा सांसद में SEBI Act 1992 , पारित किया गया। इसके साथ ही SEBI को वैधानिक शक्तियां भी प्रदान की गई।

SEBI, के गठन के साथ में ही शेयर बाजार में नियम कानून लागू किए गए। जिससे सेबी को कई तरह की शक्तियां भी प्रदान की गई जिससे कि शेयर बाजार में होने वाली धोखाधड़ी, निवेशक, दलाल, कॉर्पोरेट संस्थाएं इत्यादि के हितों की रक्षा की जा सके।

SEBI का मुख्यालय मुंबई के बांद्रा कुर्ला कांप्लेक्स में स्थित है। इसके अलावा नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में, उत्तरी, पूर्वी, दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रीय कार्यालय मौजूद है।

वर्ष 1988 से पहले , भारतीय शेयर बाजार या स्टॉक एक्सचेंज की निगरानी कंट्रोलर ऑफ कैपिटल इश्यू (Controller of Capital Issue) द्वारा निगरानी एवं प्राधिकरण किया जाता था। इसका गठन अधिनियम 1947 के तहत किया गया था। इसी के अंतर्गत इसे अधिकार दिए गए थे। शुरुआत में सेबी बिना किसी वैधानिक शक्ति के एक गैर वैधानिक निकाय के रूप में कार्य कर रही थी।

हालांकि वर्ष 1995 में, सेबी को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 में संशोधन के माध्यम से भारत सरकार द्वारा अतिरिक्त वैधानिक शक्ति प्रदान की गई थी। इसी के साथ ही सेबी का गठन भारत सरकार के एक प्रस्ताव के तहत भारत में पूंजी बाजार के नियमाक के रूप में किया गया। सेबी क्या होता है?

निष्कर्ष

सेबी (SEBI) का गठन शेयर बाजार में निष्पक्षता और सुरक्षा प्रदान के लिए वर्ष 1992 में किया गया है। इसके अलावा हमने हमारे इस लेख में आप लोगों को यह बताया है कि What is SEBI? सेबी क्या होता है? और सेबी किस तरह से कार्य करती है? इसके साथ ही निवेशक, ब्रोकर और अन्य मध्यस्था के बीच में किस तरह से शिकायत का निपटान करती है।

सेबी शेयर बाजार में विकास के कार्यों को आगे बढ़ाने के साथ-साथ इसे ट्रेडिंग के लिए अधिक सुरक्षित और आदर्श बनाता है। इसके अलावा यहां शेयर बाजार की नियामक प्रणाली को मजबूत करता है। यह भारतीय सिक्योरिटी मार्केट में मजबूती प्रदान करता है, जो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की ओर अधिक निवेशकों को आकर्षित करता है।

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